मनोचिकित्सक की चूत चुदाई

मेरे पड़ोस में एक डॉक्टर रहती थी, वो बहुत सेक्सी माल थी, उसके पति अपने काम मे मस्त थे, मेरी नज़र उस पे थी। एक दिन मैंने उसे अपनी चूत मे कुछ घुसाते देख लिया…

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आखिर सुप्रिया को मना कर चोद ही दिया -1

मेरे ऑफ़िस कैबिन में सुप्रिया मेरी सीनियर थी। एक बार मैंने उसे मेज़ के नीचे पैन से चूत खुजाते देख लिया। एक बार वो छिपकली से डर कर मेरी बाहों में आ गिरी।

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आखिर सुप्रिया को मना कर चोद ही दिया -2

ऑफ़िस की सीनियर को घुमाने गया और एकान्त पाने के लिये उसे मैं अपने घर ले आया। घर में हम क्या करने वाले हैं, यह हम दोनों बातों में पहले ही तय कर चुके थे।

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मेरा गुप्त जीवन-37

एक दिन मम्मी पापा आये, मुझसे राय कर अपने एक दोस्त की दो बेटियों को कोठी में रहने के लिये छोड़ गये। उनको अलग कमरा दिया था। एक रात मैं कम्मो को चोद रहा था कि…

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सुमन ने जन्मदिन पर चूत चुदवाई

मेरी एक सहकर्मी सुमन को मैं पसन्द करता था। एक दिन मैंने उसे कह दिया कि रात में सोते हुए मैंने सपने में उसके साथ सेक्स किया… वो नाराज हो गई। एक दिन उसने अपने घर बुलाया।

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ईमानदारी से मालिश और चुदाई

पड़ोस की भाभी मेरी बीवी के पास बदन दर्द का रोना रोती थी. मैंने उसे मालिश कराने के लिए कहा तो बोली- मालिश वाली नहीं मिलती. एक दिन मैंने मालिश करने के लिए कह दिया.

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मामा की लड़की सुमन की जबरदस्त चुदाई -2

मामा की बेटी को लन्ड चुसवाने के अगले दिन हमें चूत चुदाई का भरपूर मौका मिला, पहले हम दोनों भाई बहन एक साथ नंगे नहाए और फ़िर बेडरूम में मैंने अपनी ममेरी बहन की चूत खोली।

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लण्ड न माने रीत -1

होली पर घर जाते वक्त ट्रेन में मैं अपने दोस्त की युवा बेटी की मेरे द्वारा चूत चुदाई को याद कर रहा था. पहली बार मैंने उसे गाँव की कुछ लड़कियों संग नंगी देखा था.

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लण्ड न माने रीत -2

अपना खेल ख़त्म करके आरती व अन्य लड़कियाँ कपड़े पहन कर लौट चली. रात को आरती की चूत याद करके मैंने मुट्ठ मारी और अगले दिन आरती के घर गया. उससे पूछ्ताछ की. आरती घबरा गई !

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लण्ड न माने रीत -3

मेरी बात सुन कर आरती भय से काम्पने लगी। उसकी चूत और चूचियों को मसलते हुए मैंने कहा- तू मेरी बात माने तो तेरे पापा को कुछ नहीं बताऊँगा।वो मेरी बात मान गई और अगले दिन बगीचे में आ गई !

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लण्ड न माने रीत -4

जल्दी ही मैंने सलवार उसके बदन से उतार डाली.. उसकी हल्के गुलाबी रंग की कच्छी के ऊपर से उसकी चूत का उभरा हुआ त्रिभुज कुछ पल के लिए मुझे दिखा.. फिर उसने फ़ौरन अपने बदन को समेट उसे छुपा लिया।

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लण्ड न माने रीत -5

जेठ की उस तपती दुपहरी में चारों ओर सन्नाटा पसरा था.. दूर-दूर तक कोई नहीं था। मैंने जी कड़ा करके अपने लण्ड को जरा सा पीछे खींचा और दांत भींच कर.. पूरी ताकत और बेरहमी से आरती की कमसिन कुंवारी चूत में धकेल दिया।

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लण्ड न माने रीत -6

आरती के शीलभंग की स्मृति मानसपटल पर धारण किये मैं घर पहुँचा और यथाशीघ्र आरती के घर पहुँच गया. उससे मिल कर उसे खुश देख कर जो आत्मसन्तुष्टि मुझे मिली, बता नहीं सकता!

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लण्ड न माने रीत -7

आठ बजे मैं आरती के घर पहुँच गया। उसने गुलाबी रंग की बिना बाँहों वाली सिल्क की नाइटी पहन रखी थी जो सामने से खुलती थी। गीले से बालों का जूड़ा बांध रखा था.. लगता था कि अभी नहाई थी.. नाइटी पारदर्शी तो नहीं थी लेकिन उसमें से उसके मम्मों के साथ साथ घुंडियों का उभार साफ़ दिख रहा था.. लगता था जैसे उसने नीचे कुछ नहीं पहन रखा था।

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लण्ड न माने रीत -8

मैं आरती के कमरे में जाकर पलंग पर पैर नीचे लटका कर बैठ गया, आरती भी कमरे में आ गई और पलंग के पास आकर खड़ी हो गई। मैंने उसकी कमर में हाथ डाल उसके नितम्बों को सहलाता हुआ उसे अपनी गोद में बैठा लिया। वो मेरी तरफ मुँह करके बैठी थी.. उसकी मांसल जांघें मेरी जाँघों पर चढ़ी हुई थीं।

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