जिस्मानी रिश्तों की चाह-28

मैं खाना खाते-खाते नज़र उठा कर आपी के सीने के उभारों और पूरे जिस्म को भी देख लेता था। आपी ने मेरी नजरों को महसूस कर लिया था, लड़कियों की सिक्स सेंस्थ इस मामले में बहुत तेज होती है।

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जिस्मानी रिश्तों की चाह -29

मैंने आपी के कूल्हों में अपने लण्ड को ज़रा और दबाया.. तो उन्होंने मेरे लण्ड के दबाव से बचने के लिए अपने कूल्हों को दायें बायें हरकत दी तो उसका असर उलटा ही हुआ और मेरा लण्ड आपी के कूल्हों की दरार में मुकम्मल फिट हो गया।

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जिस्मानी रिश्तों की चाह -30

आपी ने मेरे सख़्त हाथ को अपने नर्म और मुलायम उभार पर महसूस किया और एक 'अहह..' भरते हुए मेरे हाथ पर अपना हाथ रख दिया और मेरे हाथ को हटाने के बजाए अपने हाथ से मेरे हाथ को दबाने लगीं।

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जिस्मानी रिश्तों की चाह -31

मेरे और आपी के जिस्म पर सिर्फ़ हमारी सलवारें ही थीं और आपी के सीने के उभारों पर उनकी खुली हुई ब्रा रखी हुई थी। मैंने अपने दोनों घुटने आपी की टाँगों के इर्द-गिर्द टिकाए और उनके सीने के उभारों पर अपना सीना रखते हो आपी के ऊपर लेट गया।

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अबकी बार सुमन चाची की गाण्ड फाड़ी -1

सुमन चाची की गाण्ड भी बहुत मस्त व टाइट थी और मैं उनकी गाण्ड में भी अपना लंड पेलना चाहता था पर सुमन चाची गाण्ड मरवाने के नाम से ही बिदक जातीं और कहतीं- इसे तो तेरे चाचा भी नहीं मार सके..

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जिस्मानी रिश्तों की चाह -32

मैंने अपनी उंगलियाँ आपी की चूत के दाने से उठाईं और चूत के अन्दर दाखिल करने के लिए नीचे दबाव दिया ही था कि आपी फ़ौरन बोलीं- सगीर.. रुको ना.. हाय प्लीज.. उईईई.. और ऊपर.. रगड़ो ना.. आआहह..

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अबकी बार सुमन चाची की गाण्ड फाड़ी -2

मैंने ज़्यादा देर ना करते हुए अपने लंड पर बहुत सा तेल लगाया और चाची की गाण्ड पर दोबारा से तेल लगाया और फिर लंड को उनकी गाण्ड पर सैट करके धक्का मारा..

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जिस्मानी रिश्तों की चाह-33

मर्दों का तो कुछ नहीं जाता और ना ही कोई ऐसा सबूत होता है.. जो उनके कुंवारेपन को चैलेन्ज कर सके, जबकि लड़कियाँ अगर अपना कुंवारापन खो दें.. तो वे उसे कभी छुपा नहीं सकती हैं।

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जिस्मानी रिश्तों की चाह -34

मैंने अपनी बहन के हसीन उभारों को देखा और अपने दोनों हाथों में आपी के उभार पकड़ कर दबाए और निप्पल को सहलाने के फ़ौरन बाद ही अचानक से आगे बढ़ कर आपी का खूबसूरत गुलाबी निप्पल अपने मुँह में ले लिया।

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जिस्मानी रिश्तों की चाह -35

मैंने आपी की टाँगों को खुलता महसूस कर लिया था और उनकी चूत से बहते पानी ने भी मुझे यह समझा दिया था कि अब आपी का दिमाग उनकी चूत के कंट्रोल में आ गया है..

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जिस्मानी रिश्तों की चाह -36

मैं अपनी ज़ुबान से चाटता हुआ रान से घुटने.. और फिर पिण्डलियों से हो कर पाँव तक पहुँचा और आपी की सलवार को उनके जिस्म से अलग करके पीछे फेंक दिया।

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जिस्मानी रिश्तों की चाह -37

अब आपी अपने भाइयों यानि मेरे और फ़रहान से बिल्कुल बेपर्दा होकर अपना नंगा हुस्न नुमाया कर रही थी। मैं उन्हें चूम रहा था और फ़रहान उनके नंगे जिस्म से खेलने में लगा था।

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जिस्मानी रिश्तों की चाह-38

आपी ने मेरी मुठ मार मुझे और फ़रहान ने आपी की चूत चाट उन्हें झड़वा दिया। उसके बाद वो चली गई और अगली रात गयारह बजे के बाद आपी हमारे कमरे में आई… तो क्या हुआ?

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जिस्मानी रिश्तों की चाह -39

मैं और फ़रहान अपनी बड़ी बहन के नंगे बदन से चिपके पड़े थे, वो उनकी गांड चाट रहा था और मैं चूत में उंगली कर रहा था। तभी आपी ने मेरा लंड अपने हाथ में लिया।

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जिस्मानी रिश्तों की चाह-40

आपी मेरे द्वारा चूत का दाना चाटने से, फ़रहान आपी द्वारा मुठ मारने से झड़ गया। मेरे मज़े के लिये आपी ने फ़रहान को मेरा लन्ड चूसने को कहा और मुझे चूमने लगी।

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