एक भाई की वासना -3

मैंने अपने शौहर को उनकी बहन की नंगी टाँगें घूरते देखा तो मन में उनको सताने का ख्याल आया, मैं चाह रही थी कि इनको जाहिरा के बदन की सारी गोलाइयाँ दिखा दूँ !

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एक भाई की वासना -4

मेरी ननद शर्मीली थी, एक दिन मैंने उसे जीन्स दिलवाई और एक दिन उसे अपनी लेगी पहनने को दी। वो अपने भाई के सामने लेगी पहन कर आने मे शर्मा रही थी। लेकिन मेरे पति की नजर उसके बदन की गोलाइयों पर थी

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एक भाई की वासना -5

लेग्गी पहन कर जाहिरा अपने भाई के सामने आई तो फैजान की निगाहें जाहिरा की टाँगें देखने को उतावली थी. एक दिन उसे छोटा शर्ट पहना तो वो तो उसकी जांघें और चूतड़...

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एक भाई की वासना -6

मैंने अपनी ननद को सेक्सी लिबास पहनना सिखा दिया और अब मैं अपने शौहर को अपनी बहन के सेक्सी बदन के उभारों, कटावों को तकते हुए देख कर मज़ा ले रही थी.

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एक भाई की वासना -7

जाहिरा के कपड़े भीग चुके थे, सफ़ेद कमीज गोरे बदन पर चिपक कर काली ब्रा ऐसे दिख रही थी कि शर्ट पहनी ही ना हो। उसके भाई की नजर तो उसके जिस्म पर ही चिपक गई थी।

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एक भाई की वासना -8

जाहिरा के कमसिन बदन को उसके भाई के सामने गीले सफ़ेद कपड़ों में नुमाया करने के बाद मुझे एक और शरारत सूझी। मैंने बाइक पे बाहर घूमने का कार्यक्रम बनाया और जाहिरा को बीच में बैठाया।

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एक भाई की वासना -9

फैजान उसी को देखता रहा फिर मुझसे बोला- यह तुम बाइक पर बैठे क्या शरारतें कर रही थीं।मैं मुस्कुराई और अंजान बनते हुए बोली- कौन सी शरारत?फैजान- वो जो मेरे लण्ड को दबा रही थी।मैं हंस कर बोली- मैंने सोचा कि आज मैं अपनी चूचियों को तुम्हारी पीठ पर रगड़ नहीं सकती.. तो ऐसी ही थोड़ा सा तुम को मज़ा दे दूँ।

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एक भाई की वासना -10

जाहिरा चाय लेकर आई तो मैं फ़ैजान की नंगी टाँगों पर हाथ फ़ेर रही थी। जाहिरा ने रसोई में जाकर मुझे बेशर्म कहा। उसके बाद बेडरूम में फ़ैजान ने मुझे अपने आगोश में खींच लिया।

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एक भाई की वासना -11

फैजान ने ब्रा को अपनी चेहरे पर फेरा और अपनी नाक से लगा कर सूंघा जैसे उसमें अपनी बहन की चूचियों को सूंघ रहा हो। फ़िर मैंने उसे जाहिरा के लिये ब्रा खरीद लाने को कहा !

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एक भाई की वासना -12

फ़ैजान की लाई हुई ब्रा मैंने उसकी बहन को दिखाई तो शर्म से लाल हो गई। फ़िर हमने बेडरूम में ए सी लगवाया तो जाहिरा को हमारे साथ हमारे डबलबेड पर सोने को कहा।

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एक भाई की वासना -13

एक रात हम सोये हुए थे, मेरी नींद खुली, मैंने फ़ैजान का हाथ जाहिरा की चूची पर रख दिया। ऐसे ही एक रात जागते हुए मैंने फ़ैजान का हाथ जाहिरा के पेट पे रख दिया… और एक रात…

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एक भाई की वासना -14

जाहिरा अपने भाई के सीने से लगी सो रही थी, मैंने फैजान का लंड सहला कर खड़ा कर दिया तो भाई का लंड बहन की जाँघों में घुसने लगा. तभी फैजान का हाथ जाहिरा की चूची पर आ गया.

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एक भाई की वासना -15

अगली दोपहर को फ़ैजान आ गये और हम तीनों ए सी वाले बेडरूम में लेट गये। तभी मैंने देखा कि फैजान ने अपना हाथ मेरे ऊपर से होता हुआ जाहिरा की नंगी बाज़ू पर रख दिया

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एक भाई की वासना -16

जाहिरा के जिस्म से चिपकी हुई उसकी चमड़ी के रंग की लेग्गी ऐसी ही लग रही थी.. जैसे कि उसकी चमड़ी ही हो। फैजान ने अपना हाथ आहिस्ता आहिस्ता जाहिरा की जाँघों पर फिराना शुरू कर दिया और उसकी जाँघों को सहलाने लगा।

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एक भाई की वासना -17

मैं चाह रही थी कि फ़ैजान अपनी बहन की चूत को छुए पर जाहिरा ने अपने भाई की हरकतों से बचने के लिये मेरी तरफ़ करवट ले ली और मुझे बाहों में भर लिया। अगले दिन मैंने अपनी कैपरी जाहिरा को पहनने के लिये दी।

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