मेरा गुप्त जीवन- 157
दोनों भाभियाँ नंगी थी और रश्मि मुझे गैर मर्द से अपनी पहली चूत चुदाई की दास्तान सुनाने लगी कि कैसे उसने पड़ोस के युवा लड़के को अपना नंगा बदन दिखा कर पटाया।
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दोनों भाभियाँ नंगी थी और रश्मि मुझे गैर मर्द से अपनी पहली चूत चुदाई की दास्तान सुनाने लगी कि कैसे उसने पड़ोस के युवा लड़के को अपना नंगा बदन दिखा कर पटाया।
गाँव की पड़ोसन भाभी एकदम मक्खन जैसी गोरी और वो अपने मोटे चूतड़ मटका कर चलती थी.. भाभी की निगाहें नशीली थीं शायद वो मुझे अपनी हवस मिटाने के लिए लाइन देती थी.. पर मैं समझ ना पाता था।
वो बोली- पूजा ने भी तुम्हारा लण्ड देखा.. तो मैं बोला- देखने दो.. कुछ दिन बाद वो मेरे लण्ड को अपने हाथ में भी लेगी और मुँह में भी लेगी और चूत में भी लेगी।
पोर्न स्टोरी का पहला भाग : लेस्बो मकान-मालकिन की चूत की प्यास-1 पोर्न स्टोरी का दूसरा भाग : लेस्बो मकान-मालकिन की चूत की प्यास-2 किरण बोली- बहुत दिनों से मेरी चूत लण्ड के लिए तड़प रही है.. इसलिए मैं पूजा के साथ लेस्बियन करती हूँ.. और अपनी चूत की गर्मी शान्त करती हूँ। मैं बोला- […]
पड़ोस में नई फैमिली आई, छोटी सी फैमिली थी। चाची सांवली थीं.. पर गजब की माल थीं, उनकी चूचियां बहुत बड़ी और आकर्षक थीं, मैं अक्सर उनकी रसभरी चूचियों को घूरता रहता था।
वो उतावली हो कर मेरे कपड़े उतारने लगीं और मेरे लंड से खेलने लगीं। जैसे ही मैं उनके हाथ से लंड निकाल कर उनकी चूत पर रखने लगा.. तो उन्होंने मुझे थोड़ा रुकने का इशारा किया।
प्यार करने वालों का दिन यानि वैलेनटाइन डे आया.. हम एक आइसक्रीम पार्लर में गए, वहाँ मैंने उसे प्रपोज किया.. उसकी जो प्रतिक्रिया हुई मैं हैरान हो गया। मैंने जैसी ही उसे प्रपोज करते हुए ‘आई लव यू’ कहा.. उसने एक थप्पड़ मुझे रसीद किया और कहा- सचिन तुमसे मुझे ऐसी उम्मीद नहीं थी।
दोस्त की बीवी मुझसे मजाक कर लेती थी पर मुझे नहीं पता था कि उसकी मुझ पर नजर है। दोस्त के पापा की तबीयत खराब हुई तो मुझे उनके घर सोना पड़ा और मैं उसका शिकार बन गया।
एक अकेली औरत मेरे पड़ोस में रहती थी, मेरी दोस्त थी. एक दिन अचानक टी वी पर रोमांटिक सीन देखा कर मुझे पता नहीं क्या हुआ और मैंने कुछ ऐसा कर डाला कि... कहानी पढ़ कर मज़ा लीजिए!
अभी मैं खड़ा था और वो घुटनों के बल बैठ कर मेरा लण्ड चूस रही थीं। तभी मैंने देखा कि दरवाजा खुला है और मम्मी हम दोनों को देख कर हँस रही थीं। मैंने भी मम्मी को देख कर इशारा किया कि आपको भी चूसना हो तो आ जाओ।
मुझे मौसी के घर जाना पड़ा लेकिन वहाँ जाकर मेरी किस्मत खुल गई, जाते ही रास्ते में एक हसीन भाभी से टक्कर हो गई और उससे दोस्ती भी... अगले ही दिन उसने मुझे खाने पर बुलाया.
मेरे होंठ उसकी गाण्ड की तरफ गए और दोनों मटकों को मैं चाटने लगा। उसकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं था.. लगता था जैसे उसके पति ने कभी वहाँ हाथ भी नहीं लगाया था।
प्रीत ने मेरी जींस निकाल दी। अब उसने मेरे अंडरवियर में हाथ डाल कर मेरे लंड को निकाला और फिर मेरे लंड को आगे-पीछे करने लगी। मैंने प्रीत की पजामी निकाल दी!
मैंने एक उंगली जैसे ही उसकी चूत में डाली.. प्रीत की आवाज निकल गई- ओहह्ह्ह… अब मैंने उंगली को अन्दर-बाहर करना शुरू किया.. फिर जल्दी ही मैंने दो उंगली डालीं.. फिर से प्रीत 'ओओहह्ह्ह..' करने लगी।
इतने में अचानक जोर-जोर से बारिश बारिश होने लगी तो मैंने प्रीत का हाथ पकड़ कर उसके पीछे खड़ा होकर उसकी कमर पर हाथ से सहलाते हुए बोला- बेबी, आज तो बारिश भी हमारे साथ है।