एक भाई की वासना -9
फैजान उसी को देखता रहा फिर मुझसे बोला- यह तुम बाइक पर बैठे क्या शरारतें कर रही थीं।मैं मुस्कुराई और अंजान बनते हुए बोली- कौन सी शरारत?फैजान- वो जो मेरे लण्ड को दबा रही थी।मैं हंस कर बोली- मैंने सोचा कि आज मैं अपनी चूचियों को तुम्हारी पीठ पर रगड़ नहीं सकती.. तो ऐसी ही थोड़ा सा तुम को मज़ा दे दूँ।