सामूहिक चुदाई का आनन्द-6

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जूजा जी
अब तक आपने पढ़ा कि पंकज की बातों को सुन कर मैं पंकज से बोली- मेरी चूत और गाण्ड की बातों को छोड़, तुम अपनी बीवी की चूत और गाण्ड की चिंता करो पंकज… मेरे महा चोदू पति ने अब तक तुम्हारी बीवी की चूत और गाण्ड चोद-चोद कर उसके दोनों छेद चौड़े कर दिए होंगे। तुम्हें शायद नहीं मालूम कि नरेन को औरतों की गाण्ड मारने का बहुत शौक है और अब तक वो अपने लंड कम से दो-तीन बार ज़न्नत की गाण्ड में डाल चुका होगा।
अब आगे :
पंकज मेरी बातों को सुन कर बोला- कोई बात नहीं, नरेन अगर ज़न्नत की चूत और गाण्ड की छेद चौड़े कर रहा है तो मैं भी तुम्हारी चूत और गाण्ड की छेद बड़े कर दूँगा।
फिर थोड़ी देर के बाद पंकज ने मेरे पीछे से मेरे ऊपर चढ़ गया और अपना लंड मेरी चूत से सटा कर एक हल्का सा धक्का मारा और उसका सुपारा मेरी चूत में समा गया।
मैंने भी अपने बिस्तर की चादर को पकड़ कर अपनी कमर को पीछे की तरफ धकेला और पंकज का पूरा लंड मेरी चूत में समा गया।
अब पंकज ने मेरी कमर को पकड़ कर अपना कमर चला करके मुझे चोदना शुरू कर दिया। इस आसन में पंकज का लौड़ा मेरी चूत की बहुत गहराई तक पहुँच रहा था और मुझे भी मज़ा मिल रहा था।
पंकज ने तब अपने दोनों हाथों को नीचे से बढ़ा कर मेरे दोनों रसीले पके आमों को, जो हवा में झूल रहे थे, पकड़ लिया और मसलने लगा।
थोड़ी देर तक मेरी चूचियों से खेलने के बाद पंकज मेरी चूत की घुंडी से खेलने लगा और इसी तरह से वो मुझे चोदता रहा। थोड़ी देर के बाद पंकज ने चूत में अपना लंड का पानी छोड़ दिया और मेरी चूत को भर दिया।
मैं भी पंकज के साथ-साथ झड़ गई और बिस्तर पर औंधे लेट कर सुस्ताने लगी। पंकज भी मेरी पीठ पर पड़ा-पड़ा सुसताने लगा।
थोड़ी देर सुसताने के बाद पंकज मेरे ऊपर से हट गया और मैं भी तब पलंग पर उठकर अपनी चूत को पहले चादर से पोंछा और फिर बाथरूम चली गई।
जब मैं बाथरूम से नहा-धो कर निकली तो देखा कि पंकज अपने लंड को पकड़ कर सहला रहा है और उसका लंड फिर से खड़ा हो गया है।
मैंने पंकज से पूछी- क्या बात है? तुम्हरा हथियार फिर से खड़ा हो गया है? अभी उसको अपने हाथ से ही ठंडा करो और मैं अभी चाय-नाश्ता बनाने जा रही हूँ।
पंकज मेरी तरह देखते हुए बोला- अरे रानी, तुम चीज़ ही ऐसी हो कि तुम्हारी याद आते ही यह पिस्टन तैयार हो जाता है तुम्हारे सिलेण्डर में जाने के लिये !
तुम्हारी चूत बिल्कुल मक्खन मलाई जैसी है, जी करता है उसको मैं हमेशा चूमूँ, चाटूं और चोदूँ।
ठीक है.. अभी तुम चाय-नाश्ता बनाओ और मैं भी बाथरूम जा रहा हूँ। लेकिन चाय-नाश्ते के बाद मैं तुम्हारी गाण्ड मारूँगा।
लोग कहते हैं किसी औरत की चुदाई तब तक पूरी नहीं होती, जब तक उसकी गाण्ड में लंड ना पेला जाए। इसलिए मैं अभी नाश्ता करने के बाद तुम्हारी गण्डिया में अपना लाण्डिया पेलूँगा।

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इतना कह कर पंकज बाथरूम चला गया और मैं नाश्ता बनाने रसोई में चली आई। रसोई में सबसे पहले नाश्ता बनाया और चाय बनाई।
जब तक मैं चाय-नाश्ता बना रही थी कि पंकज बाथरूम से नहा-धो कर बिल्कुल नंगा ही निकल आया और मुझसे कहने लगा- विभा, चलो अब तुम भी नंगी हो जाओ..! हम लोग नंगे ही बिस्तर पर बैठ कर चाय-नाश्ता करेंगे।
पंकज की बात सुन कर मैंने भी अपने सारे कपड़े उतार दिए और नंगी ही रसोई में जाकर चाय-नाश्ता लेकर के बिस्तर पर बैठ गई।
पंकज मेरे साथ-साथ मेरे बगल में बैठ गया और उसका मेरे बगल में बैठ कर मेरी चूचियों से खेलना चालू हो गया।
मैंने उसके हाथों को हटाते हुए उसको चाय-नाश्ता दिया और जल्दी से चाय-नाश्ता खत्म करने के लिए बोला।
पंकज ने मुझसे पूछा- क्यों जल्दी क्यों? क्या तुम्हें अपनी गाण्ड में मेरा लंड पिलवाने की बहुत जल्दी है क्या?
मैंने उसको कहा- नहीं, मुझे जल्दी है क्योंकि अभी एक घंटे में कामवाली आ जाएगी। एक घंटे में चाय-नाश्ता खत्म करना है। हम लोगों को फिर से कपड़े पहनने हैं… समझे मेरे चोदू राजा?
पंकज मेरी बातों को सुन कर चुपचाप नाश्ता करने लगा।
फिर हम लोगों ने चाय पी और फिर सारे बर्तन रसोई में रख कर वापस पंकज के पास बेडरूम में गई।
पंकज मुझसे बोला- विभा, मैं तो सोच रहा था कि मैं अभी तुम्हारी गाण्ड मारूँगा, लेकिन अभी तुम्हारी कामवाली बाई आने वाली है। चलो पहले हम लोग कपड़े पहन लेते हैं और अगर वक्त मिला हुआ तो कुछ करते हैं।
मैंने पंकज से पूछा- कुछ का मतलब? अभी कल रात से हम लोग चुदाई कर रहे हैं.. अब और क्या बचा है करने के लिए?
पंकज तब मेरी चूचियों को पकड़ कर धीरे-धीरे दबाते हुए बोला- अरे मेरी जान, अभी तुम्हारी चूत से और गाण्ड से मेरे लंड की दोस्ती बढ़ानी है। तभी तो बाद में मतलब और किसी दिन जब मौका मिलेगा। तुम्हें और रगड़ कर चोदना है। अच्छा चलो अपने कपड़े पहन लो और फिर बिस्तर पर अपनी साड़ी उठा कर लेट जाओ, मुझे तुम्हारी चूत का रस पीना है।
मैं पंकज की बात सुन जल्दी से अपने साड़ी, पेटीकोट, ब्रा और ब्लाउज पहन लिया और फिर वापस बिस्तर पर अपने कपड़े उठा कर लेट गई।
पंकज भी अब तक अपने कपड़े पहन चुका था।
वो मेरे पास आया और मेरी चूत को चूमने लगा। थोड़ी चूत को चूमने के बाद पंकज अपनी जीभ मेरी चूत पर फेरने लगा और फिर जीभ को मेरी चूत में डाल दिया।
पंकज अब जीभ से मेरी चूत बुरी तरह से चाटने और चूसने लगा। मेरी चूत भी तेज़ी से पानी छोड़ने लगी और पंकज भी तेज़ी से मेरी चाट-चाट कर चूत का पीने लगा।
चूत की चुसाई से मैं इतना गर्म हो गई कि मैं अपने आप अपनी दोनों टाँगों को घुटने से पकड़ लिया और अपनी कमर उचका कर अपनी चूत पंकज के मुँह से रगड़ने लगी। पंकज भी अपने दोनों हाथों से मेरी दोनों चूचियों को ब्लाउज के ऊपर से पकड़ कर रगड़ने लगा।
इतने में दरवाजे की घन्टी बजी और मैं और पंकज जल्दी से एक-दूसरे को छोड़ कर अपने कपड़े ठीक किए और मैं बाहर का दरवाजा खोलने चली गई। बाहर काम-वाली बाई आई हुई थी। काम-वाली अन्दर आई और अपने काम पर लग गई। थोड़ी देर में काम-वाली अपना काम खत्म करके चली गई और जाते-जाते पंकज पर अपनी गहरी नज़रों से देखती रही।
काम-वाली बाई के जाते ही पंकज ने मुझे पकड़ लिया और एक झटके के साथ मेरे सब कपड़े फिर से उतार दिए और मुझको अपने साथ बेडरूम में लाकर बिस्तर पर लिटा दिया। फिर पंकज भी जल्दी से अपने कपड़े उतार कर मेरे बगल में लेट गया।
लेटने के बाद पंकज ने एक हाथ से मेरी चूची और दूसरे हाथ से मेरी चूत को सहलाने लगा। थोड़ी देर के बाद पंकज ने मुझे उल्टा लिटा दिया और मेरे चूतड़ों पर अपना मुँह रगड़ने लगा।
फिर वो बिस्तर पर से उठ कर ड्रेसिंग टेबल से कोल्ड-क्रीम की बॉटल ले आया और क्रीम मेरी गाण्ड के छेद में मलने लगा।
अब तक मैं चुप थी मगर अब मैंने पूछ ही लिया- क्या कर रहे हो? क्या इरादा है? क्यों मेरी कोल्ड कीम खराब कर रहे हो। क्रीम मुँह में लगाई जाती है और तुम क्रीम मेरी गाण्ड में लगा रहे हो?
पंकज मेरी गाण्ड में क्रीम लगते हुए बोला- मेरी चुदक्कड़ रानी, अब मैं तुम्हारी गाण्ड में अपना लंड पेलूँगा और अभी उसी की तैयारी कर रहा हूँ। क्रीम लगाने से तुम्हारी गाण्ड नहीं छिलेगी।
तब अपने हाथों से अपने चूतड़ों को फैलाते हुए मैं पंकज से बोली- पंकज मेरे चोदू राजा, मुझे गाण्ड मरवाने की आदत है, क्योंकि नरेन अक्सर मेरी गाण्ड में अपना लंड पेलता है और चोदता है, इसलिए तुम्हारे लंड घुसने से मेरी गाण्ड अब नहीं फटेगी। लो अब मैंने अपनी गाण्ड खोल दी है और अब तुम अपना लंड डालो, और मेरी गाण्ड मारो।
मेरी बातों को सुन कर पंकज हंस पड़ा और बोला- विभा, मैं तो तुम्हें एक चुदक्कड़ औरत समझ रहा था लेकिन तू तो गाण्डू भी हो। चलो अब मैं तुम्हारी गाण्ड मारता हूँ।
इतना कहकर पंकज ने अपना लंड मेरी गाण्ड में एक झटके से ठूँस दिया और मेरी गाण्ड चोदने लगा।
मैं भी अपनी कमर को झटके के साथ आगे-पीछे करके पंकज का लंड अपने गाण्ड में मज़े से पिलवाने लगी।
थोड़ी देर में पंकज मेरी गाण्ड के अन्दर झड़ गया और अपना लंड मेरी गाण्ड से निकाल कर बाथरूम में चला गया। मैं भी बिस्तर के चादर से अपनी गाण्ड को पौंछ कर रसोई में चली गई।
कहानी जारी रहेगी।
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