निरंकुश वासना की दौड़- 4

(Open Wife Exchange Offer)

ओपन वाइफ एक्सचेंज ऑफर तब लग गयी जब दो दोस्त मिले. दोनों की बीवियों ने सेक्स में नए करतब करने के इरादे से पति बदलने का निश्चय कर लिया.

कहानी के तीसरे भाग
हमारी पहली हसबैंड स्वैपिंग
में अब तक आपने पढ़ा कि नीलम नए लंड की तलब मिटाने, अपने पति के मित्र निखिल के यहां जाती है और उसकी पत्नी संध्या की कामवासना भड़का के, उसके साथ लेस्बियन संबंध स्थापित करती है। उसे स्वैपिंग के लिए मना के पहले उसे अपने पति से चुदवाती है उसके बाद स्वयं निखिल से चुदवा भी लेती हैं।

अब आगे ओपन वाइफ एक्सचेंज ऑफर:

संध्या और सुनील को फिल्म देखने के लिए भेजने के बाद उनकी अनुपस्थिति में निखिल से दो बार चुदवा कर मैं अपने कमरे में आ गई।
फ्रेश होकर मैने ड्रेस चेंज कर ली.

उधर निखिल भी बिस्तर से उठा और तैयार होकर बैठ गया।

जब सुनील और संध्या लौटे तो हम दोनों शरीफों की तरह बैठकर बातें कर रहे थे।

सुनील और संध्या दोनों को तो इस बात का अंदाजा था कि मैंने निखिल के लंड से से चुदाई करवा ली होगी.
पर निखिल यह समझ रहा था कि सुनील और संध्या को हम दोनों के बारे में कुछ भी पता नहीं है।

संध्या ने घर में प्रवेश करते ही सबसे पहले मेरे से इशारों में पता किया कि क्या मैं निखिल से चुदवाने में सफल हुई?
तो मैंने अपना अंगूठा ऊपर की ओर करते हुए उसे बता दिया- हां, मैंने चुदवा लिया है।

उसके बाद मैंने अपनी दो उंगलियां उठा कर उसे यह भी बता दिया कि मैं एक बार नहीं, दो बार चुदी हूं।
संध्या की आंखें आश्चर्य से चौड़ी हो गई।

उसके बाद उसने दोनों हाथ आगे करके झुकते हुए मेरा अभिवादन किया कि जैसे कह रही हो ‘मान गए उस्ताद!’

अवसर मिलने पर मैंने संध्या से पूछा- सुनील ने सिनेमा हॉल में अंधेरे का लाभ उठाने की कुछ कोशिश करी या नहीं?

इस पर संध्या ने अपनी और सुनील की पूरी बातचीत मुझे बताई.
यार ज्यादा तो नहीं की क्योंकि फिल्म बिल्कुल अलग तरह की थी, उसमें रोमांटिक या कामुक विचार आने का कोई प्रश्न ही नहीं था. फिर भी एक दो जगह, इमोशनल होकर हमने एक दूसरे का हाथ पकड़ लिया था। इस स्पर्श से एक दोनों को ही बहुत अच्छा लगा.
उसके बाद मैंने ही बात छेड़ी और मैंने सुनील से कहा कि नीलम बहुत तारीफ करती है तुम्हारी कि तुम बहुत अधिक रोमांटिक हो और नीलम की हर इच्छा को पूरा करते हो।
इस पर सुनील लजा गया फिर हिम्मत करके उसने पूछा कि निखिल रोमांटिक नहीं है क्या?
तो मैंने कहा कि यार वे तो थक गए हैं, उनका तो रोमांस जल्दी दम तोड़ गया है।
इससे सुनील की रुचि बढ़ गई यह जानने में कि मैं उससे क्या कहना चाह रही हूं क्योंकि उसे नई चूत की संभावना दिखने लगी थी।
इस पर मैंने उसे और उकसाते हुए पूछा- तुम लोग हफ्ते में कितनी बार रोमांस कर लेते हो?
सुनील ने जवाब दिया- हफ्ते में 4 – 5 बार।
मैंने मायूसी भरे स्वर में कहा कि यहां तो दो हफ्ते में एक बार हो जाए तो भी गनीमत है।
सुनील ने मुझे समझाते हुए कहा कि तुम प्यार के खेल में कुछ नयापन लाओ। एक प्रसिद्ध कहावत है कि If you can’t change faces than change places.
इस पर मैंने जो जवाब दिया उसे सुनकर वह चकरा गया।

मैंने (नीलम ने) पूछा- ऐसा क्या कह दिया तूने?

संध्या ने सुनील के साथ हुई पूरी बात बताई:
मैंने सुनील को कहा- I don’t want change places, I want change faces, I want you Sunil, I want you. और मैंने उसका हाथ कस के दबा दिया।
सुनील ने कहा- मैं तैयार हूं संध्या, अब तुम यह बताओ कि हम कैसे मिलेंगे.
तो मैंने कहा- नीलम से बोलना पड़ेगा, वह निखिल को तैयार करेगी।
इस पर सुनील ने कहा- नीलम की जिम्मेदारी मेरी है. पर निखिल मान जाएगा क्या?
तो इस पर मैंने कहा- कौन सा ऐसा मर्द होगा जो नीलम जैसी नई औरत को चोदने के लिए मना करेगा?

अब मैंने (नीलम) संध्या को बोला- तूने तो मेरा काम आसान कर दिया यार। अब तू निश्चिंत हो कर सुनील के साथ मस्ती मारने की प्लानिंग कर! निखिल को इस बात के लिए तैयार करना कि वह मुझे चोदे और सुनील तुझे, यह मेरा काम है।

संध्या खुश होकर मुझसे लिपट गई क्योंकि सुबह उसकी चूत ने नया स्वाद तो ले लिया था पर सुनील को पता नहीं था कि उसने मुझे नहीं संध्या को चोदा है वरना उसकी चुदाई का और उसके आनन्द का एक अलग ही रूप देखने को मिलता।

इधर आत्मविश्वास से भरा निखिल तो तैयार था कि मौका मिलने पर फिर से मेरी चुदाई करे.
तो मैंने और संध्या ने तय किया कि आज रात में स्वैपिंग के खेल से निखिल को चौंकाया जाए।

सुनील को तो केवल कहने की जरूरत थी, उसका मना करने का तो कोई प्रश्न ही नहीं था.
बात थी केवल निखिल को तैयार करने की।

मैंने संध्या को कहा- निखिल की बात तू मुझ पर छोड़ दे. तू तो तैयारी कर पूरी रात सुनील की बाहों में मस्ती मारने की, जवानी के मजे लूटने की!

शाम को डिनर करके सब लोग घूमने निकले.
संध्या को मैंने इशारा कर दिया था कि थोड़ा धीरे चले जिससे कि मैं निखिल को लेकर आगे बढ़ सकूं और संध्या एवं सुनील भी आपस में बातों का मजा ले सकें।

यही हुआ … चलते-चलते संध्या थोड़ा धीमे हो गई।
मैं निखिल को लेकर थोड़ा आगे बढ़ गई.

जब निखिल का ध्यान इस ओर गया तो उसने पीछे मुड़ के संध्या को आवाज भी लगाई- यार, थोड़ा तेज चलो ना, पीछे क्यों रह गए तुम दोनों?
तो मैंने निखिल को कोहनी मारी- क्यों मेरे साथ अच्छा नहीं लग रहा है क्या? दिन में दो बार चोद के बस, मन भर गया?

मेरी इस बात पर निखिल झेंप गया और बोला- अरे हां यार, मेरा तो ध्यान ही नहीं गया कि हम दोनों, उन दोनों से दूर, कुछ अलग गुंडी गुंडी टाईप की बातें कर सकते हैं, जिससे शरीर को सनसनी मिले।

इस पर मैंने कहा- इसका मतलब जनाब का दिन में दो दो बार चोद के तूफान ठंडा नहीं हुआ जो फिर से सनसनी चाहिए। मुझे लगता है कि अब तुम्हारी नीयत फिर से खराब होने लगी है और अब रात को फिर से चोदने का मन हो रहा है तुम्हारा?
उसने कहा- अगर तुम लंड को खड़ा करोगी तो एक बार और तुम्हारी चुदाई क्यों छोडूंगा? पर यार एक समस्या है, संध्या को छोड़कर तुम्हारे पास कैसे आऊंगा? उसको क्या कहूंगा?
मैंने मुंहफट होते हुए कहा- कमीने, तुझको तेरी और संध्या की पड़ी है, यह भी तो सोच कि सुनील को कहां भेजेंगे? दिन में तो मैंने उन दोनों को फिल्म देखने भेज दिया था. अब रात में उनको कहां भेजे और यूं भी सुनील कोई ककोल्ड तो है नहीं कि तू मेरे को चोदेगा और सुनील बैठकर मुठ मारेगा।

निखिल मायूस हो गया फिर मैंने चुटकी बजाते हुए कहा- एक आइडिया है।
तब निखिल एकदम पूछ बैठा- कौन सा आइडिया?
मैंने उसकी जिज्ञासा जगाने के लिए बात को अधूरा छोड़ते हुए कहा- जाने दे यार, तू नहीं मानेगा।

निखिल ने फिर जोर देकर कहा- अरे क्यों नहीं मानूंगा यार? बता न क्या आईडिया है?
तो मैंने कहा- तुम्हारी खुशी के लिए मैं अपने पति की बलि दूंगी. मैं किसी भी तरह करके सुनील को, संध्या की नई चूत का लालच देकर मना लूंगी।

निखिल उत्साहित होने के स्थान पर नर्वस हो गया।
वह बोला- संध्या नहीं मानेगी यार! वह बहुत ठंडी और रिजिड औरत है।

इस पर मैंने कहा- उसकी चिंता मत कर, तू तो यह बता कि तू संध्या को सुनील से चुदवाने के लिए तैयार है या नहीं?

मजे की बात यह थी कि संध्या को चुदवाने की बात से निखिल के शरीर में सनसनी होना शुरू हो गई थी।
यह भी कुदरत का करिश्मा ही कहेंगे कि आमतौर पर हर मर्द, अपनी पत्नी को बांध के रखना चाहता है लेकिन जब उसके सामने ऐसी स्थिति आती है कि उसको कोई पराई औरत, चूत देने को तैयार हो लेकिन बदले में उसे अपनी पत्नी चुदवानी पड़े तो उसे स्वैपिंग में भी आनन्द की अनुभूति होने लगती है।

निखिल ने अपना लंड संभालते हुए कहा- नीलम, अगर तू सुनील को और संध्या को तैयार कर सकती है तो मुझे भी कोई आपत्ति नहीं है।
मैंने खुश होकर कहा- अब चिंता की कोई बात नहीं है, तू तो उठकर हमारे कमरे में आ जाना, फिर देखना मेरा चमत्कार!

उसके बाद मैंने उसके दिमाग के जाले साफ करते हुए कहा- तुम मर्द लोग आमतौर पर केवल अपनी हसरतें पूरी करने के लिए इधर-उधर मुंह मारते रहते हो, औरत की कामेच्छाओं की तुम्हें बिल्कुल चिंता नहीं होती। मर्द न यह जानता है, न ही मानता है कि ‘कुदरत ने कामवासना की सम्पदा मर्द और औरत में समान रूप से वितरित की है।’ जिस तरीके से मर्द, चूत के जरिए अपने दिमाग में चढ़ी हुई वासना को शांत करता है, उसी तरह औरत भी लंड के जरिए सुकून हासिल करती है।

निखिल का मुंह खुला का खुला रह गया, बोला- मुझे विश्वास ही नहीं हो रहा है कि तेरे अंदर अभी भी इतनी आग भरी हुई है। संध्या तेरे बराबर की ही है लेकिन उसकी आग तो ठंडी हो चुकी है।
मैंने कहा- तू बहुत बड़ा मूर्ख है निखिल! औरत की वासना की आग भी मर्द की आग की तरह कभी ठंडी नहीं होती. उस पर तेरे जैसे पतियों की उपेक्षा की राख जम जाती है।
पर यह राख कुछ समय के लिए जमी होती है. जैसे ही कभी कोई अनुकूल अवसर उपलब्ध होता है या कोई मर्द ऐसा जिंदगी में आता है, जो उस राख को हटा दे तो वासना की आग फिर से भड़क उठती है।

निखिल मेरी बात को सुनकर विचारों में खो गया था, वह महसूस कर रहा था कि संध्या के साथ संबंधों में ठंडापन उसी के कारण आया था।

मैंने उसे और दबाव में लेते हुए कहा- निखिल, कौन सी ऐसी औरत होगी, जो अपने जीवन को नीरस बनाना चाहती होगी? तूने कभी जीवन में कुछ नयापन लाने की, तन बदन में रोमांस को जिंदा रखने की कोशिश ही नहीं की। तुझे ऐसा लगता है कि संध्या के शरीर में आग नहीं बची है. अरे वह आज भी अंगारा है, उसकी चूत आज भी फड़कने के लिए उतावली हो रही है।

निखिल ने कहा- हां यार नीलम, तू सही कह रही है। मुझ से बहुत बड़ी गलती हुई है क्योंकि मैं सर्विस में काम के कारण और फिर मुंबई में तुम्हें पता है लोकल ट्रेन में अप-डाउन करने में क्या हालत होती है. तो मैं हफ्ते के पांच वर्किंग डे में तो मैं बहुत पस्त हो जाता था। जो 2 दिन की छुट्टी मिलती थी उसमें भी मेरा सारा ध्यान खाने और सोने पर ही रहता था। इसके अतिरिक्त जैसा कि सामान्यतः होता है, जैसे-जैसे आपकी चुदाई में अंतराल बढ़ता जाता है, वैसे-वैसे आपकी हसरतें भी ठंडी होने लगती हैं। तुम लोग कैसे अपने जीवन को इतना रंगीन बनाकर चल पा रहे हो?

तो मैंने कहा- हम तो रोज रात को अन्तर्वासना की कामुक कहानियां पढ़ते हैं, उन पर चर्चा करते हैं; उन कहानियों से प्रेरणा लेते हैं। फ्री सेक्स कहानी पर पोर्न वीडियो देखते हैं, गर्मागर्म बातचीत, सैक्सी प्लानिंग, वह सब कुछ करते हैं जिससे किसी भी समय, जब चाहें, कुदरत के इस वरदान का भरपूर मजा ले सकें।

उसके बाद हम रात में स्वैपिंग की प्लानिंग करने लगे।
मैंने उसे कहा- तुमको कुछ नहीं करना है, बस रात को संध्या से यह कहना है कि मुझे लगता है कि तुम नया लंड लेना चाहती हो।

निखिल ने मेरे कहे अनुसार रात को संध्या से जब यह कहा तो संध्या ने जवाब दिया- तुम्हें लगता नहीं है बल्कि तुम्हें पता है कि मैं नया लंड लेना चाहती हूं. और मुझे यह भी पता है कि नीलम ने तुम्हें ऐसा बोलने के लिए कहा है।
संध्या ने निखिल को अब अपना कामुक अवतार दिखाते हुए कहा- निखिल, जिस तरह मर्द नई चूत की तलाश में भटकता रहता है, उसी तरह औरत को भी यदि कोई मर्द पसंद आ जाए तो पहली फुर्सत में अपनी चूत में उसका लंड लिए बिना उसको छोड़ती नहीं है।

निखिल झेंप कर मुस्कुराने लगा तो संध्या ने कहा- जाओ मेरे भोले बाबा, अब देर किस बात की है? जाओ और जाकर नीलम को फिर से चोद डालो।
इस पर निखिल चौंक गया- फिर से मतलब?
संध्या बोली- अच्छा, अभी भी मेरे सामने शरीफ बनने का नाटक कर रहे हो? दिन में हम दोनों को फिल्म देखने भेज कर क्या तुमने दो दो बार नीलम की चुदाई नहीं की?

निखिल बोला- अरे! तो तुम्हें सब पता है?
तो संध्या ने कहा- पता क्यों नहीं होगा, जब नीलम जैसी मेरी सहेली, मेरी सैक्स गुरु मेरे साथ है।
निखिल झेंप गया.

संध्या के कहने पर फिर मुस्कुराते हुए मेरे कमरे में आया, इधर सुनील उठकर जाने की तैयारी कर ही रहा था, दोनों एक दूसरे को देखकर मुस्कुराए।
सुनील ने कहा- यार निखिल, हमारी बीवियों ने तो गज़ब कर दिया यार ओपन वाइफ एक्सचेंज ऑफर लाकर!

निखिल बोला- वाकयी में, मुझे तो ऐसा लग रहा है जैसे बिन मांगे आनन्द का खजाना हाथ लग गया। मेरी नीरस जिंदगी, अचानक रस से भर गई।

उसके बाद निखिल कमरे में आकर मुझे निहारने लगा।

मैंने केवल पारदर्शी, झीनी सी नाइटी पहन रखी थी जिसके अंदर न ब्रा थी, न पैंटी! इसलिए उसे मेरे उन्नत उरोज़ और साफ चिकनी घाटी के दिव्य दर्शन हो रहे थे।
निखिल ने केवल बरमूडा बनियान डाल रखा था।

उसने दोपहर में ही मेरे को दो बार चोदा था इसलिए मुझे पता था कि निखिल के लंड को तैयार करने में मुझे थोड़ी मेहनत करना पड़ेगी।

मैं उठी और मैंने निखिल का बनियान उतार दिया.
उसके बाद मैंने अपने दोनों हाथों से निखिल की निप्पलों पर उंगलियां फेरना शुरू कर दी तथा अंगूठे और तर्जनी में निप्पलों को लेकर मसलने लगी।

मेरे ऐसा करने से निखिल के शरीर में धीरे-धीरे करंट दौड़ने लगा।
मैंने उससे पूछा- कैसा लग रहा है?
उसने सिसकारी भरते हुए कहा- बहुत मजा आ रहा है, निप्पल से करंट सीधा लंड तक पहुंच रहा है।

उसके बाद मैं उसकी दोनों निप्पलों को बारी-बारी से चूसने लगी। मुखलार से चिकनी निप्पलों को मसलने से, उसे और अधिक उत्तेजना प्राप्त हो रही थी।

उसने कहा- यार नीलम, पहली बार मेरा लंड निप्पल को चुसवाने से कड़क हो रहा है। मैंने तो अभी तक केवल संध्या की निप्पलों को ही चूसा था, कभी चुसवाया नहीं। आज सचमुच तेरे साथ बहुत सारे नए अनुभव मिल रहे हैं।

उसके बाद मैंने उसके बरमूडा को खींचकर उतार दिया, उसका लंड सेमी इरेक्ट कंडीशन में था।
मैं उसके लंड और आंड सहला कर लंड में उत्तेजना भरने लगी.

निखिल ने भी जवाब में मेरी नाईटी उतार फेंकी, अब हम दोनों पूर्णतः नग्न खड़े हुए थे।

जब निखिल के सामने मेरे गदराए हुए स्तन आए तो उसने तुरंत दोनों हाथों से उन्हें सहलाना और दबाना शुरू कर दिया और उसके बाद वह पलंग पर बैठ कर मेरी निप्पलों को बारी-बारी से चूसने लगा।

मेरी चूत तो पहले से ही गर्म थी, उसके द्वारा निप्पलों को चूसे जाने से वह पानी छोड़ती हुई चुदने के लिए पूरी तरह तैयार हो चुकी थी।

मुझको पता था कि निखिल के लंड को पूरी तरह कड़क होने के लिए मेरे होठों और मेरी जुबान का दुलार चाहिए था।
हम दोनों 69 की पोजीशन में आ गए।
निखिल मेरे ऊपर आकर मेरे मुंह में अपना लंड दे कर मेरी चूत को चाटने लगा।

जब लंड में तनाव भर गया तो उसके नीचे लेट कर लंड चूसना मुश्किल लगने लगा.
मैंने पलटी मारी और उसके ऊपर आ गई अब मैं उसके मुंह पर अपनी चूत रगड़ रही थी और उसके कड़क लंड को अपनी मुख लार से चिकना करके एक और चुदाई के लिए तैयार कर रही थी।

मेरी मेहनत रंग लाई और जब निखिल का लंड पूरी तरह से कड़क हो गया तो अब उसे मेरी चूत की सेवा वाली ड्यूटी पर लगाना था.
अतः मैंने निखिल को चित लिटाया और उसके ऊपर चढ़ गई.

मेरा चेहरा निखिल के चेहरे की ओर था और मैं उसके लंड पर अपनी, नए लंड से चुदाई की शौकीन चूत को टिका कर, दबाव डालती हुई बैठ गई।

निखिल का पूरा लंड, मेरी चूत में समा चुका था।

कहिए मेरे रसिक पाठको, ओपन वाइफ एक्सचेंज ऑफर से सनसनी मिल रही है न?
अगले भाग में हम देखेंगे कि नीलम और संध्या की पहली हस्बैंड स्वैपिंग कहां तक सफल हुई और इसके बाद संध्या के नीरस जीवन में कैसे रस की बरसात हुई?
कहानी पर अपने विचार एवं सुझाव मुझे मेल कर सकते हैं.

ध्यान रहे कि मैं केवल सार्थक मेल का ही जवाब दूंगी।
मेरी आईडी है
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ओपन वाइफ एक्सचेंज ऑफर कहानी का अगला भाग: निरंकुश वासना की दौड़- 5

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