रईस बाप की बिगड़ी हुई औलाद- 1

(Xxx Indian Ladki Sex Kahani)

Xxx इंडियन लड़की सेक्स कहानी में एक अमीर लड़की ने अपनी क्लास के एक प्रतिभाशाली लड़के से दोस्ती की और मौक़ा मिलते ही उसके साथ सेक्स का मजा ले लिया.

दोस्तो, आपको मेरी कहानी बहुत पसंद आती हैं, ये आप लोगों के मेल से पता चलता है.
असल में मेरी कहानियों में आपको अपनी छिपी भावनाएं नजर आती हैं जिन्हें हम कहानी की दृष्टि से अन्तर्वासना कह सकते हैं.

तो चलिए मजे लेते रहिये मेरी कहानियों का अन्तर्वासना के सागर में गोते लगा लगा कर!
मेरी पिछली कहानी थी: मौज मस्ती में दो से बेहतर चार

आज की Xxx इंडियन लड़की सेक्स कहानी निमिषा और शुचित पर केन्द्रित है.

निमिषा पुराने जमाने की कॉलेज के लड़कों की ड्रीम गर्ल होती थी … रईस और बददिमाग बाप की बिगड़ी हुई औलाद.

उसके पिताजी जानकी नाथ के पास अथाह पुश्तैनी पैसा था.
शराब के ठेकों से लेकर सरकारी ठेकों में उनका दबदबा था.
जिस कॉलेज में निमिषा पढ़ती थे वह उसके ट्रस्ट में थे.

निमिषा शोख और गजब की खूबसूरत लड़की थी.
उसके व्यक्तित्व में कुछ ऐसा आकर्षण था कि जिधर भी निकल जाती अपने हुस्न के जलवे बिखेर देती.

कॉलेज के लड़के तो लड़के, लड़कियां भी उसकी दीवानी थीं.
लड़कियों में होड़ रहती उसका साथ पाने की.

निमिषा की जवानी के शौकों की जानकारी जब निमिषा की माँ या कोई और जानकी नाथ को देता तो वे जोर से हंस कर कहते- रायसाहब की पोती है, वह शौक नहीं करेगी तो कौन करेगा.
घर में कोई उससे कुछ नहीं कह पाता.

कॉलेज में केवल एक ही लड़का था जिसकी निमिषा दीवानी थी.
वह था शुचित.

शुचित खेल कूदों में अग्रणी था, मजबूत जिस्म का मालिक और पढने में बहुत तेज था.
उसकी एक खूबी और थी की वह वक्त के हिसाब से ढल जाता था.

उसके पिता बहुत ज्यादा पैसे वाले तो नहीं थे पर कमी भी कोई नहीं थी.
उनका बस एक ही सपना था की शुचित पढ़ लिखकर किसी बड़ी कम्पनी में लग जाए.

शुचित गिटार बहुत अच्छा बजाता था इसलिए लड़के लड़कियों के ग्रुप की जान रहता.

सिर्फ शुचित ही था जिसके ऊपर निमिषा भी जान छिड़कती थी.

अक्सर कॉलेज के बाद वह दोनों शुचित की बाइक पर घूमने निकल पड़ते.
निमिषा की जवानी अब उससे संभल नहीं रही थी.
आग और फूस की कभी दोस्ती अच्छी नहीं.

जवानी शुचित पर भी पूरी आ गयी थी.
निमिषा के मांसल मम्मों का दबाव अब शुचित का लंड भी तान देता.

निमिषा अक्सर आने जाने वालों की नजर बचाकर शुचित को चूम लेती या उसकी शर्ट के बटन खोल कर अपने लम्बे नाखून उसकी छाती पर फिरा देती.

शुचित वैसे लड़का बुरा नहीं था.
इसीलिए मां की शिकायत पर एक बार निमिषा ने शुचित को घर बुला लिया तो जानकी नाथ और निमिषा की माँ को भी उसमें कोई बुराई नहीं दिखी.

उसकी बातों से ऐसा कुछ नहीं झलका कि वह कहीं निमिषा को फंसा रहा है.

जब जानकी नाथ ने उसके भविष्य के लिए उससे पूछा तो शुचित ने स्पष्ट कह दिया कि उसका उद्देश्य एमबीए करने का है और उसके बाद वह आगे की पढ़ाई के लिए विदेश जाएगा. शादी की तो वह अभी सोच भी नहीं सकता. यह सब सुनकर निमिषा के माँ-बाप को तसल्ली सी हुई और निमिषा के घर शुचित बेरोकटोक आने जाने लगा.

निमिषा और शुचित मूवी भी साथ साथ जाते थे.
अब वहां तो किसी का कोई खौफ नहीं था.
हाल के अँधेरे में अब उनकी चूमा चाटी बहुत बढ़ गयी थी.

शुचित भी अब निमिषा की जवानी के जलवों से जल रहा था.

एक रात मूवी से लौटते समय निमिषा ने शुचित को अपने घर पर उतार लिया क्योंकि शुचित की बाइक वहीं खड़ी थी.

निमिषा के माँ और पिताजी कहीं पार्टी में जाने को निकल रहे थे.
तब निमिषा की माँ ने घर की मेड को कहा- बच्चों के लिए कॉफ़ी बना दो.
कहकर वह दोनों तो पार्टी में चले गए.

शुचित और निमिषा कोठी में केवल दो नौकर थे.
निमिषा जानती थी कि वे दोनों आपस में प्यार करते हैं, बस अभी शादी नहीं कर रहे.

सिर्फ निमिषा से ही नौकरानी लता खुली हुई थी.
निमिषा ने उससे कॉफ़ी अपने कमरे में लाने को कहा और आँख दबा कर बोली कि कॉफ़ी देकर वह और हरी दोनों ऊपर एश करें. उसे कोई काम होगा तो बुला लेगी.

शुचित उसके कमरे में पड़े सोफे पर बैठा टीवी देख रहा था.

निमिषा ने कपड़े चेंज कर लिए.
उसके मन में कुछ और चल रहा था.
उसने फ्रॉक डाली हुई थी.

लता कॉफ़ी रखकर चली गयी.

निमिषा ने उससे दोबारा कह दिया कि वह अपने कमरे में ऊपर चली जाए और नीचे से जीना सेल्फ लॉक से बंद कर दे.

मतलब साफ़ था कि लता और हरी के ऊपर जाने के बाद जीना बंद.
न कोई बाहर से अंदर आ सकता न अंदर की की बात बाहर जा सकती.

निमिषा ने शुचित से पूछा- कॉफ़ी पियोगे या बियर?
शुचित बोला- जो तुम पिलाओगी, पी लूंगा. अब कॉफ़ी आ गयी है तो यही चलेगी.

निमिषा ने सिगरेट जला ली और कॉफ़ी का मग शुचित को थमा दिया.

शुचित बोला- बैठो.
निमिषा बोली- कहाँ बैठूं?
शुचित हंस कर बोला- जहां तुम चाहो.

निमिषा स्टाइल में सिगरेट का धुंआ शुचित के चेहरे पर उडाती हुई शुचित की गोदी में बैठ गयी.
शुचित ने उसे सम्भाला फिर उसकी उंगलियों से सिगरेट ली और उसे कॉफ़ी का मग थमा दिया.

निमिषा ने कॉफ़ी के एक दो सिप लिए और मग साइड टेबल पर रख दिया.

उसने शुचित के हाथ से सिगरेट ली, एक लंबा कश मारा और सिगरेट को ऐशट्रे में मसल दिया.

निमिषा शुचित की आँखों में आँखें डाल कर देखने लगी.
फिर उसने अपने दोनों हाथों से शुचित के बाल पकडे और शुचित का चेहरा अपनी और झुकाया और अपने होंठ भिड़ा दिए उसके होंठों से.

हालाँकि माहौल तो इसी का बना हुआ था, पर इतनी जल्दी इस मुकाम पर आ जायेंगे शुचित को अंदाज़ नहीं था.

निमिषा के लिए तो यह सब एक खेल था.

खैर अब निमिषा की और से ये खेल शुरू हो गया था.
वह अपने होंठों का और हाथ का दबाव बढ़ाती जा रही थी.

निमिषा अब उठी और शुचित की छाती से अपने मम्मे सटा कर आमने सामने बैठ गयी.
उसने अपनी दोनों टांगें शुचित की जांघ के दोनों ओर कर दी थीं.

वह अब ज्यादा सुविधाजनक तरीके से चिपटी हुई थी शुचित से!
शुचित भी अब उसका पूरा साथ दे रहा था.

दोनों की जीभों में होड़ सी लगी थी एक दूसरे में समाने की.

निमिषा ने शुचित की टीशर्ट के बटन खोल दिए और चूमते हुए ही उसकी टीशर्ट उतारने की कोशिश करने लगी.

चूंकि वह खुद शुचित की गोद में बैठी थी तो वह टी शर्ट उतारने में कामयाब नहीं हो पा रही थी.
इसलिए अब निमिषा खड़ी हुई और शुचित को खड़ा करके हबड़ धबड़ में उसकी टीशर्ट उतार फेंकी और उसकी जींस की बेल्ट ढीली करके जींस का बटन खोल कर नीचे किया.

अब शुचित का फनफनाता हुआ लंड निमिषा के हाथ में था और वह उसे चूम रही थी.

शुचित ने अपनी टांगें ऊपर नीचे करके जींस और जूते उतार दिए.
निमिषा नीचे बैठी उसका लंड लपर लपर चूस रही थी.

कुछ देर बाद निमिषा खड़ी हुई, अपनी फ्रॉक उतार फेंकी और बेड पर ब्रा पेंटी में लेट कर मुस्कुराने लगी.

शुचित नंग-धड़ंग अपना औज़ार ताने खड़ा था.
निमिषा ने अपनी टाँगें चौड़ाई और उंगलियों के इशारे से शुचित को बुलाया.

शुचित लपक कर उसकी टांगों के बीच पहुंचा और उसकी पेंटी नीचे खिसका कर अपनी जीभ उसकी मखमली गुफा में घुसा दी.

सपने में भी शुचित ने ऐसा नहीं सोचा होगा.
ये रेशमी जिस्म, मखमली काया और गुलाब की फांकों जैसी चूत … शुचित को अपने भाग्य पर यकीन नहीं हो रहा था.

निमिषा ने बड़ी अदा से उससे पूछा- कहाँ खो गए जानू? अभी तो पूरा जिस्म बाकी है. तुम तो नीचे ही अटक गए.

उसने अपनी ब्रा अपने हाथों से खोल दी और अपने सफ़ेद कबूतरों को आज़ाद कर शुचित के बाल पकड़ कर उसे ऊपर खींचा.
अपने मांसल मम्मे अपने हाथों से पकड़ कर उसने शुचित की ओर कर दिए- चूसो इन्हें!

अब तो शुचित एक गुलाम की तरह अपनी मालकिन के आदेश मान रहा था.

अपनी चूत और मम्मे चुसवा कर निमिषा की कामाग्नि बढ़ती गयी तो वह शुचित के ऊपर जा बैठी.

निमिषा ने बेड की साइड दराज से एक कंडोम निकाला और शुचित से कहा- इसे लगा लो.
उसकी चूत पानी बहा रही थी.

शुचित को कंडोम लगाने में जो भी वक्त लगा हो … पर निमिषा ने उसे टोक दिया- यार जल्दी करो!

अब निमिषा शुचित को चूमते हुए उसके ऊपर बैठ गयी और अपने हाथों से उसका लंड अंदर कर लिया.

शुचित का लंड दमदार था.
निमिषा की चूत कसी हुई थी.

उसकी आह निकल गयी.

निमिषा खेली खायी थी … पता नहीं कितनी ही रातें उसने पोर्न मूवी देख कर अपनी चूत में वाइब्रेटर किया था.
उसकी झिल्ली तो थाईलैंड में सेक्स मसाज के दौरान एक साल पहले ही फट चुकी थी.

शुचित के लिए किसी शरीफ घर की लड़की की चुदाई का पहला मौक़ा था.
इससे पहले वह एक घटिया किस्म की चालू लड़की की चुदाई कर चुका था.

पर आज के माहौल और उसमें तो जमीन आसमान से भी ज्यादा फर्क था.
निमिषा को छूने में भी शुचित को लगता था की कहीं निमिषा नाराज न हो जाए.

वह तो बस निमिषा के हाथों में खेल रहा था.

निमिषा ने खूब उछल कूद उसके लंड के ऊपर की.
पर शुचित नीचे से धक्के लगा नहीं पा रहा था, न ही उसके मम्मे मसलने की हिम्मत कर पा रहा था.

अब निमिषा ने पेंतरा बदला और वह नीचे लेट गयी और टांगें चौड़ा कर शुचित से बोली- तू तो बड़ा मर्द बनता फिरता था. बस बोल गयी तेरी टें? या तो मुझे रगड़ रगड़ कर मजे दे या फिर आज से तेरा मेरा ख़त्म!

शुचित के लिए तो यह बहुत बड़ी धमकी थी.
उसने पूरे दमखम से अब निमिषा को चोदना शुरू किया.

निमिषा ने खुद उसके हाथ अपने मम्मे पर रखे तो शुचित की हिम्मत बढ़ी उन्हें मसलने की.
अब Xxx इंडियन लड़की सेक्स का पूरा मजा लेने लगी यानि निमिषा को चुदाई में मजा आने लगा.

बेड पर 15-20 मिनट का धमाल करने के बाद दोनों शांत हुए.

निमिषा की मम्मी का फोन भी आ गया- शुचित अभी तक गया क्यों नहीं.
तो निमिषा ने बड़ी बेशर्मी से जवाब दिया- मैंने ही रोक रखा था. अकेली बोर होती. अभी कॉफ़ी पी है, अब जा ही रहा है.

अब इसके बाद तो निमिषा का शगल हो गया शुचित से आये दिन चुदने का.
मौक़ा और माहौल निमिषा तय करती.
पैसे तो वह लुटाती थी तो फिर उसे जगह की क्या कमी.

अब घर पर तो रोज-रोज हो नहीं सकता था.
शहर के सारे होटल उसे जानते थे.

निमिषा ने एक तरकीब निकाली.
शुचित गेम्स में तो नामी था ही … उसने तरकीब भिड़ाकर निमिषा को टेबल टेनिस टीम में रखवा लिया.
निमिषा टेबल टेनिस खेल तो लेती थी पर ऐसा नहीं कि उसे कॉलेज टीम में सोलो प्लेयर की तरह रखा जा सके.
पर पैसा सब कुछ करा लेता है.

लखनऊ में अन्तर कॉलेज गेम्स कम्पटीशन थे.
सभी टीमें दो दिन के लिए जा रही थीं.

शुचित तो जाता ही, उसने जुगाड़ करके निमिषा का नाम भी लिस्ट में लिखवा दिया.

सभी स्टूडेंट्स को एक साथ एक रात के लिए एक साधारण से होटल में ठहरना था.

निमिषा की मम्मी बोली- मैं भी चलती हूँ, हम दोनों अलग होटल में ठहरेंगे.

इससे निमिषा का तो सारा प्लान फेल हो रहा था.
वह बोली- मम्मी सहेलियों के साथ एक जगह ही रुकेंगी. और फिर दो दिन की ही तो बात है. आप और पापा भी ऐश करना पीछे!

उसकी बात सुनकर जानकी नाथ तो हो हो करके खूब हँसे और उन्होंने अपनी मंजूरी दे दी.

निमिषा की माँ की ना तो पहले चलती थी न आज चली.
वह भुनभुनाते हुए किचन में चली गयी.

तो दोस्तो कैसी लगी आपको मेरी Xxx इंडियन लड़की सेक्स कहानी?
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