मेरी गांड का कांड हो गया- 3

(Xxx Dildo Sex Kahani)

Xxx डिलडो सेक्स कहानी में मेरी छोटी बहन नर मुझे बताया कि कैसे उसने मुझे नींद की गोलियां खिलाकर उसने मेरी गांड में मोटा डिलडो पेल कर मेरी गांड को मजा दिया, मेरी प्यास बुझाई.

दोस्तो, आप मेरी गांड चुदाई की कहानी को सुन रहे थे.
कहानी के पिछले भाग
मेरी गांड कौन चोद गया
में अब तक आपने पढ़ा था कि जब रात को सोते हुए में मेरी गांड की चुदाई कर दी गई और मुझे मालूम भी न हुआ. उसकी जानकारी के लिए मैं अपनी छोटी बहन वर्षा से पूछ रही थी.
वह मुझे बताने के लिए राजी हो गई थी.

अब आगे Xxx डिलडो सेक्स कहानी:

वर्षा बोली- तुम रोज रात को ऐसे बक बक किया करती और मुझे सोने में परेशानी होती थी. कई दिनों तक ऐसा चला … मैं तुम्हारी इस चुदाई की गंदी गंदी बक बक से पक चुकी थी.

मैंने कुछ कहने के लिए अभी मुँह खोला ही था कि वह बोल उठी- प्लीज़ दीदी, बीच में बोलना मत, मैं तुमको सब कुछ शुरू से कहूंगी.

मैं चुप हो गई और वर्षा बोलने लगी.

उसने कहा- तुम्हारी बक बक से आजिज आकर एक दिन मुझे आईडिया आया और मैंने तुम्हारे दूध में नींद की गोली मिलाकर तुमको पिला दी, जिससे तुम्हें नींद आ जाए और तुम्हारी लंड लेने की भी भूख को भी शान्त हो जाए.

मैं हैरान सी अपनी छोटी बहन की करतूत को सुन रही थी.
मैंने कहा- फिर?

वह बोली- फिर क्या … हुआ भी ऐसा ही. तुम खाना के बाद दूध पीते ही कमरे में आ गईं और गोली का असर शुरू होने लगा. तुम सो गईं और मैं भी आराम से सो गई. उस दिन के बाद से मैं रोज ऐसा करने लगी और मुझे सुकून की नींद आने लगी.

मैं- फिर?
वर्षा- पर ऐसा ज्यादा दिन नहीं चला. तुम फिर से बकबक करने लगीं, तो मैं तुमको दो गोली देने लगी. थोड़े दिन तुम सही से सोईं … पर यह भी ज्यादा दिन नहीं चला. तुम्हारी हवस के सामने नींद दो की गोलियां भी कम पड़ने लगीं. दीदी प्लीज़ बीच में बोलना नहीं!

मैं चुपचाप वर्षा को सुन रही थी.

वर्षा बोली- फिर एक दिन एक मेरी सहेली भूमि की बात आई. वह पढ़ाई में थोड़ी कमजोर है इसलिए उसकी मम्मी मुझसे बोलीं कि वर्षा बेटी शाम को आना और हमारे घर होमवर्क करना. मेरी बेटी को भी थोड़ा तुमसे सीखने को मिल जाएगा. मैं शाम को भूमि के घर गई.

मैं बोली- वही भूमि न जिसके पापा दुबई में हैं!

वर्षा- हां, अंकल वहां पर काम करते हैं. शाम को मैं भूमि के घर गई तो उसकी मम्मी बाजार चली गईं. हम दोनों होमवर्क कर रहे थे. होमवर्क करते करते मुझे पेशाब लगी, तो मैं बाथरूम गई. बाथरूम में मुझे एक प्लास्टिक की ईंट जैसी कुछ चीज मिली. मैंने भूमि से पूछा कि यह क्या चीज है? तो भूमि बोली कि पता नहीं, पापा ने कुछ सामान दुबई से कार्गो किया था. उसमें से निकला था. मैंने उसको गौर से देखा, तो उसमें छोटे अक्षरों में इंग्लिश में लिखा था ‘द मोस्ट ब्यूटीफुल डिल्डो एवरी वुमन लाइक दिस टू सेटिसफाईट हरसेल्फ … अ क्वालिटी सिलिकॉन डिल्डो.’ मैंने पढ़ा और मैं समझ गई कि यह क्या चीज है. मेरी आंखों में चमक आ गयी. मैंने भूमि की तरफ देखा, वह थोड़ी भोली स्वभाव की है. उसको पता तक नहीं था कि ये क्या है? मैंने उससे कहा कि भूमि इसे आज मैं ले जा रही हूँ. दो दिन बाद दे दूंगी तो चलेगा? वह बोली कि हां ले जाओ वर्षा, वैसे भी ये बॉक्स बाथरूम में यूं ही पड़ा रहता है! मैं बोली कि भूमि इसके बारे तुम्हारी मम्मी को मत बोलना ओके. वह बोली कि ओके. फिर मैं चुपचाप वह बॉक्स अपने बैग में रखकर ले आयी.

मैं अपनी बहन वर्षा की कारगुजारी को सुन रही थी.

वर्षा आगे बोली- मैंने चुपचाप घर आकर अपने बाथरूम में उसे चैक किया. उसका बटन दबाया तो उसमें असली जैसा ही नकली 8 इंच का लंड निकल आया और ऑटोमेटिकली वह अन्दर बाहर होने लगा. उसमें एक छोटा सा रेगुलेटर भी था, जिससे लंड की गति ज्यादा धीमी हो सके … और एक बटन और भी था, जिसे दबाने से उस नकली लंड में सफ़ेद कलर की बिल्कुल वीर्य जैसी मेंथोल जैल की पिचकारी निकलती और गर्म चूत को ठंडा करती. मैंने सोचा कि अच्छा तभी तो भूमि के पापा दुबई हैं … और भूमि की मम्मी की चूत को ये वाला लंड शांत करता है. क्योंकि भूमि की मम्मी यहां वहां किसी गैर मर्द का लंड ना खोजें … इसलिए भूमि के पापा ने खुद लंड भेज दिया. मैं तो उस नकली लंड को देख बहुत खुश हो गई.

मैं वर्षा के मुँह से यह सब सुनकर चौंक गई और उसकी तरफ देखने लगी.
तभी मैं कुछ कहने ही वाली थी कि वर्षा ने मुझे कुछ न बोलने का इशारा कर दिया.

वर्षा- फिर कल रात को मैंने तुमको दो गोलियां खाने में मिला कर खिला दीं और तुम खाना खाकर सो गईं. दीदी रात को तुम बिस्तर पर ठीक मेरे सामने मुँह करके सोई हुई थीं. जब रात के एक बजे थे, तो तुम्हारी फिर से बकवास शुरू हो गई. तुम गहरी नींद में आंखें बंद किए मेरे मुँह के ठीक सामने ही बोलने लगी थीं कि अब तुम्हारे लंड को देखकर में तुम्हारे झांसे में नहीं आऊंगी किशोर … साले मादरचोद … कमीने. दीदी मैंने तुम्हारे मुँह से गालियां सुनीं तभी मैंने मौका देखा और बिस्तर से उठ कर वही नकली लंड अपनी कमर पर बांध लिया.

मैं अवाक होकर अपनी बहन वर्षा को देख रही थी.

वर्षा- आपने बोलते बोलते अचानक दूसरी तरफ करवट बदली और बोलने लगीं कि कितने बेशर्म हो तुम, मेरे घर से बाहर निकलो विश्वासघाती कुते कहीं के … नहीं तो मैं चिल्लाऊंगी … साले जब मेरी इस गांड पर लाठियां बरसाई गईं, तब तुम तो मुझे अकेला मार खाने के लिए छोड़कर भाग गए थे. तुम मेरे पापा के सामने भी नहीं बोल सके कि तुम मुझसे प्यार करते हो. उल्टा तुमने मेरे पापा को बुड्ढा बोला … और सब आरोप मुझ पर ही लगा दिए … और क्या क्या बोला था कि तुम्हारी बेटी को मेरा लंड पसंद है … मुझे उसकी शक्ल तक पसंद नहीं है. वह सब मैं कैसे भूल सकती हूं … तुमने मेरे दिल को तोड़ दिया!

यह सब बोलते बोलते वर्षा ने रुककर एक लंबी सांस ली और वह आगे बोली- माया दीदी, तुम प्लीज़ बीच में बोलना मत … मैं जो बोल रही हूं, बस उसे सुनो.

दोस्तो, मैं एक सनकी पागल लड़की की तरह अपनी बहन को देख रही थी और चुपचाप उसे सुनती जा रही थी.

वर्षा फिर से बोलने लगी- दीदी, आपकी गंदी गंदी बातें सुनकर मेरी चूत भी पानी पानी होने लगी. एक तरफ तुम्हारी ये हालत देख मुझे तुम पर तरस आ रहा था … और दूसरी तरफ तुम्हारी लंड की भयंकर भूख को मैं शान्त करना चाहती थी. इसलिए दीदी मैंने सोचा कि जो भी होगा देखा जाएगा. बस मैंने तुमको पीछे से दबोच लिया और तुम्हारा मुँह अपने हाथों से दबा दिया. फिर मैं तुमको गले में किस करने लगी और मैंने अपनी कमर में नकली लंड बांधकर रखा था, वह लंड तुम्हारी गांड में दबाने लगी. तुमने बहुत कोशिश की मुझसे छूटने की, पर सब कोशिशें नाकाम रहीं. मैं अपना एक हाथ तुम्हारी सलवार में डालकर तुम्हारी चूत को रगड़ने लगी. दीदी तुम बहुत छटपटाईं, पर मेरे हाथों से छूट न सकी. मैंने तकरीबन दस मिनट तक बिना कुछ बोले तुम्हारी चूत को रगड़ा. तुम्हारी चूत से पानी निकलने लगा और तुम्हारी सांसें तेज होने लगीं मैंने अपना हाथ तुम्हारे मुँह से हटा लिया और तुम्हारे मुँह से ‘आहह …’ की आवाज निकलने लगी.

मैं अवाक होकर वर्षा को सुन रही थी.

वह आगे बोली- दीदी, तुम खुद मेरे हाथ को अपनी चूत पर दबाने लगीं और बोलने लगीं कि आहह आहह ओह्हह करते रहो किशोर आहह हहह. मैं दूसरे हाथ से तुम्हारे स्तन दबाने लगी. तुम कहने लगीं कि हां और दबाओ दबाते रहो … आहह आह … मसल डालो मुझे आह और मैं तुम्हारी चूचियों को जोर जोर से दबाती जा रही थी. तुम्हारी चूचियां लाल हो चुकी थीं. ज्यादा मसलने से तुम्हारे चूचों में सूजन भी आ रही थी और तुम जोर जोर से चिल्ला रही थीं कि और दबाओ किशोर … आहह. मैंने तुमको घुमाया और तुम्हार चेहरा अपनी तरफ करके देखा तो पाया कि तुम्हारी आंखों से आंसुओं की धारा बह रही थी. दीदी तुम आंखें बंद किए हुई जोर से चिल्ला रही थीं … आहह हहह किशोर और दबाओ मेरे स्तनों को निचोड़ दो आहह. तो मैंने स्तनों को दबाना रोक दिया.

यह कह कर वर्षा ने मेरी तरफ देखा और लंबी सांस भरकर फिर से बोली- दीदी, तुमने गहरी सांस लेते हुए काँपते लबों से अपनी बंद आंखों से पूछा कि क्या हुआ किशोर, रुक क्यों गए. तो मैंने कहा कि क्या तुमको दर्द हो रहा है. तो दीदी तुम मदहोशी के आलम में बोलीं कि दर्द होने दो, ऐसे दर्द से मुझे खुशी मिलती है. दो चार दिन मेरे चूचे दर्द करेंगे और ज्यादा से ज्यादा दो दिन बुखार हो जाएगा … पर तुम अपनी हसरत पूरी कर लो.
मैं बस चुपचाप वर्षा को देख रही थी.

वर्षा- फिर दीदी, मुझे तुम्हारे सूजे हुए स्तनों पर तरस आ गया. मैंने तुम्हारे स्तनों को छोड़ दिया और मैं अपने घुटनों पर बैठ कर तुम्हारी सलवार का नाड़ा खोलकर चूत को चाटने लगी. तभी फिर से तुम्हारे मुँह से ‘आहहह …’ की आवाज निकलने लगी.

मैं- फिर?

वर्षा- फिर मुझे भी लंड के लिए तड़पती तुम्हारी चूत को चाटने में मजा आ रहा था. मैं अपनी जीभ को पूरी चूत की गहराई में डाल दे रही थी और बीच बीच में तुम्हारी चूत की बाहर निकली पंखुड़ियों को भी अपने दांतों से हल्का सा काट ले रही थी, जिससे तुम्हारी आह निकल जाती थी और तुम मेरे मुँह को अपनी चूत में दबा देती थी.

एक पल रुक कर वर्षा फिर से बोली- करीब दस मिनट तक मैंने तुम्हारी चूत को चाटा, फिर मुझे भी तुम्हारी प्यास बुझाने का जोश चढ़ा था. मैंने तुमको उल्टा कर दिया और तुम्हारी गांड के मोटे मोटे चूतड़ों को अपने हाथों से फैला कर अपनी जीभ तुम्हारी गांड के छल्ले पर फेरने लगी. मैंने तुम्हारी मस्त गांड में जीभ को डाला और लपलपाती हुई गांड के छेद को थूक से काफी चिकना और बड़ा कर दिया था.

मैं वर्षा की तरफ सवालिया नजरों से देखती हुई इशारे से बोली कि उसके बाद क्या हुआ?

तो वह बोली- फिर दीदी जैसे ही आपने बन्द आंखों से कहा कि किशोर जल्दी से मेरी गांड में लंड डाल दो … तड़पाओ मत … अब रहा नहीं जाता … मेरी गांड को अपने गर्म वीर्य से भर दो और मेरी गांड की आग को ठंडी कर दो … उसके बाद मेरी चूत को इतना चोदो कि चूत भोसड़ा बन जाए.

एक पल को मेरी छोटी बहन ने मेरी तरफ देखा और आगे कहने लगी- फिर दीदी आप खुद ही बन्द आंखों से बोलीं कि क्या अपना लंड नहीं ठूंसोगे मेरे मुँह में? बस यह सुनते ही मैंने अपनी कमर पर बंधा नकली लंड तुम्हारे मुँह में ठूंस दिया और तुम मस्त होकर पूरा लंड मुँह में लेने लगीं. दीदी तुम्हारे लंड चूसने के टेलेंट को तो मानना ही पड़ेगा, तुम पूरा लंड मुँह में रखकर अपनी सांसें काफी देर तक रोक कर रख लेती थीं. दीदी तुमने लंड को अपने मुँह की चिकनाई से चिकना करके अचानक से कहा कि अब जल्दी से मेरी गांड में लंड डालो किशोर, मैं तुम्हारे वीर्य की एक बूंद भी वेस्ट जाने नहीं दे सकती हूं.

मैंने आश्चर्य से कहा- फिर?

वर्षा बोली- फिर माया दीदी, मैंने वह नकली लंड आपकी गांड के छेदे पर रगड़ा और उसे छेद पर सैट कर दिया. दीदी, तुम लंबी लंबी सांस लेती हुई कहने लगी थीं कि जल्दी डालो, मेरी गांड की गर्मी शांत करो … औऱ भूलना नहीं … सारा वीर्य मेरी गांड में ही जाना चाहिए समझे!

एक पल पुनः रुक कर वर्षा अपने दूध सहलाती हुई कहने लगी- दीदी, मैं भी चुदासी हो गई थी तो मैंने आपकी गांड के छेद पर थोड़ा सा थूक मला और गांड के छेद पर लंड का टोपा सैट करके पूरी ताकत से तुम्हारी गांड में प्लास्टिक का 8 इंच का लंड पूरे का पूरा घुसेड़ दिया.

वर्षा एक पल को रुकी और बोली- माया दीदी, तुम्हारी चीख निकल गई ‘उईईई माँ’ और तुम ऐसी छटपटाईं और बोलीं कि आह किशोर प्लीज़ से बाहर निकालो … यह क्या ठूंस दिया है तुमने … आह … अभी रुक जाओ, थोड़ी देर बाद में डाल लेना. पर दीदी मैंने तुम्हारा मुँह अपने हाथों से दबा दिया तुम थोड़ी देर छटपटाईं फिर शांत हो गईं. जैसे ही तुम शांत हुईं, मैंने उस प्लास्टिक के लंड में लगा एक छोटा सा बटन दबा दिया, जिससे लंड ने आपकी गांड में मेंथोल का सफेद कलर वाला जैल की पिचकारी छोड़ दी. आपकी पूरी गांड उस मेंथोल जैल से भर गई और आपकी गांड को ठंडक मिलने लगी. जिससे आपको एक अच्छी नींद आ गई.

मैं यह Xxx डिलडो सेक्स कहानी सुनकर अवाक थी.

वह बोली- दीदी, फिर मुझे भी नींद आने लगी. मैंने वह प्लास्टिक का लंड तुम्हारी गांड से निकाला तो गांड से पुच्च की आवाज आई और गांड में से मोटी सी पिचकारी मेरे मुँह पर आ पड़ी. एक पल को तो मैं अचकचा गई थी, लेकिन दीदी सच में बड़ी ठंडक देने वाला वीर्य था. उस नकली वीर्य की कुछ बूंदें गलती से मेरे होंठों पर भी आ गयी थीं. मैंने उसको अपनी जीभ से चाट लिया तो उसका स्वाद कोलगेट जैसा ही था. मेरी जीभ को ठंडक मिल गई, तुम्हारी गांड नकली वीर्य से भर दी गयी थी और उसके तुरंत बाद मैंने उस नकली लंड को अपने बैग में छुपाकर रख दिया. गांड चुदाई के बाद मैंने तुमको कपड़े पहनाये और खुद भी सही होकर सो गयी.

मैं अपनी छोटी बहन की कारगुजारी सुन कर हैरान थी और अपनी पलकें झपका रही थी.

वह आगे बोली- दीदी, सुबह 6 बजे मैं उठी और मैंने तुमको देखा, तो तुम चैन से सो रही थीं. कितने दिनों से मैंने तुमको इतनी तसल्ली से सोते हुए नहीं देखा था. तुम सारी सारी रात पागलों की तरह बक बक किया करती थीं कि मुझे चोद दो किशोर, मेरी गांड मार दो किशोर, मुझे मसल डालो. माया दीदी तुमको अच्छे से गहरी नींद में सोती हुई देखकर मैं मन ही मन में खुश थी. मैंने भगवान से आंखें बंद करके हाथ जोड़कर प्रार्थना भी की थी कि भगवान मेरी प्यारी माया दीदी को कभी दुःख ना देना. हे प्रभु मेरी प्यारी माया दीदी उन छिनाल लड़कियों की तरह नहीं हैं. वह जो भी करती है, दिल से करती है. उसको कोई चोद जाता तो भी वह उससे प्यार कर बैठती है. वह एक भोली भाली निष्पाप लड़की है. बस वह सेक्स पर काबू नहीं कर सकती. प्रभु उसे हमेशा खुश रखना … और दीदी मैं तुम्हारे पास आयी. तुम गहरी नींद में सो रही थीं. मैंने तुम्हारे माथे पर किस किया और मन ही मन में कहा कि दीदी मुझे माफ कर देना. उसके बाद मैं स्कूल चली गयी.

इसके बाद मेरी छोटी बहन रुकी और गहरी सांस लेकर मुझे देखती हुई कहने लगी- रात को ये सब हुआ था दीदी, इसमें एक शब्द भी मैंने गलत बोला हो … तो हे भगवान मुझे यहीं मार देना.

यह बोलते बोलते वर्षा रोने लगी- मेरी प्यारी माया दीदी, मुझे माफ कर देना!

वह मेरी बांहों में लिपट गयी और मैंने भी वर्षा से कहा- रोओ मत वर्षा, पर ये तो बताओ तुम्हारे पास नींद की गोलियां कहां से आयी थीं?

वर्षा रोती हुई बोली- दीदी तुम्हें पता नहीं है, मुझे सब पता रहता है. तुम्हारी जहां भी सगाई की बात होती है, लड़के वाले ही मना कर देते हैं. कोई कहता लड़की कैरेक्टरलैस है, कोई कहता है लड़की ज्यादा ग़ोरी नहीं है, कोई कहता है लड़की ज्यादा पढ़ी लिखी नहीं है. लड़के तो सब दीदी आपको पसन्द करते हैं, पर उनके माँ बाप नहीं करते. एक लड़के की माँ ने तो मम्मी को यह तक कह दिया था कि तुम्हारी लड़की के चूतड़ बहुत बड़े हैं … यह बेडौल है. ऐसी लड़कियां कुलक्षणी होती हैं. जहां भी तुम्हारी सगाई की बात होती, किन्ही कारणों से बात बिगड़ जाती है और ऊपर से अड़ोस पड़ोस वाले भी बात को बिगाड़ देते हैं. तुम्हारी सगाई ना होने की चिंता में पापा को डिप्रेशन हो गया है और पापा को रात में नींद की गोलियां लेनी पड़ती हैं. मैंने वहीं से गोलियां चुराई थीं.

यह सुनकर मेरी आंखों से आंसू निकल आए, पर मैं कुछ बोली नहीं.

वर्षा ने पास में पड़े रुमाल से मेरे आंसू पौंछे.
मैंने रोते हुए कहा- वर्षा, तेरी जैसी बहन सबको मिले!

यही मेरी Xxx डिलडो सेक्स कहानी का अंत है.
प्लीज दोस्तो, मेरी सेक्स कहानी आपको कैसी लगी, मुझे मेल करके जरूर बताना.
दोस्तो मैं जल्द ही एक नई सेक्स कहानी के साथ फिर मिलूंगी.
आपकी माया
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