कमसिन लड़की की मोटे लंड की चाहत-6

(Kamsin Ladki Ki Mote Lund Ki Chahat- Part 6)

अब तक की इस चुदाई की कहानी में आपने पढ़ा था कि मेरी चुत पीयूष चाट रहा था और मैं लाल जी का लंड चूस रही थी, तभी दरवाजे पर दस्तक हुई. पीयूष के दोस्त के आने की ग़लतफ़हमी में दरवाजा खोल दिया और अन्दर मोहल्ले के चाचा जी आ गए. चाचा जी ने मुझे चोदने की शर्त पर किसी से न कहने की बात रख दी, जिसे पहले मैंने मान लिया, फिर मना करने लगी.

अब आगे..

चाचा जी बोले- अभी बात डन की थी और अभी से नाटक करने लगी. तू उम्र को क्या चूत से चाटेगी, तुझे तो लंड से मतलब है कि उम्र से चल. रूक आज तुझे बताता हूं, अब मैं जा रहा हूं.

उनकी धमकी से मैं बेहद डर गई और चाचा से बोली- ठीक है चाचा पर सिर्फ दो मिनट के लिए ही.. आपने कहा है.

मैं उनके 2 मिनट कहने पर उनके हाथ पकड़ने पर उसी फर्श में पड़ी रजाई पर बैठ गई, जैसे ही मैं बैठी चाचा भी बिल्कुल मेरे सामने मुझसे चिपक कर बैठ गए और बोले- तू बहुत सेक्सी है वन्द्या.. क्या तो हुस्न और जिस्म है तेरा.. तुझे नंगी हालत में कोई मरा मर्द भी देख ले तो जी उठेगा.

उन्होंने अपने दोनों हाथों से मेरे दोनों मम्मों को पकड़ कर तेजी से दबाना चालू कर दिया. वे मेरे दोनों मम्मों के निप्पल को उंगलियों से रगड़ने लगे. उनके इस तरह के तरीके से मेरे अन्दर की जो घबराहट थी, वो हट गई और मुझे कुछ कुछ होने लगा. अब अपने आप मेरी आंखें बंद होने लगीं.

तभी मेरे दूध को चूसते हुए चाचा बोले- वन्द्या तू तो आग है.. कितना गर्म है तेरा बदन आहहहह…
चाचा ने मुझसे लिपट कर मेरे गालों को चूमा. उसके बाद मेरी गर्दन को अपनी जीभ से चाटने लगे. उनकी इस हरकत से मैं मचल उठी.

इसके बाद तो चाचा ने अपने होंठों को मेरे होंठों पर रख कर ऐसा चूमा कि मैं बता नहीं सकती कि किसी ने ऐसा किस नहीं किया था. मेरे बदन में न जाने क्या हुआ कि मैं भी यह भूल गई कि वह उम्रदराज मर्द हैं. बस मैं उनसे लिपट गई, अपने दोनों हाथों से चाचा को अपने बांहों में कस लिया. चाचा मेरे होंठों को चूसने और चाटने लगे, मैं भी चूसने लगी.

अब मेरे बदन में वही सब होने लगा, जो पीयूष और लालजी के साथ करने में हो रहा था.

चाचा ने होंठ के बाद सीधे मेरे मम्मों को पकड़ कर तेजी से दबाया और बोले- वन्द्या, ये तो बहुत कड़क हैं, पर क्या गजब के हैं. आज मेरी लाइफ बन गई.
वे सीधे मेरे दोनों दूध को कसके चूसने लगे. अब जो बचा हुआ होश था, वह भी नहीं रहा.

मैं चाचा की शर्ट और बनियान के अन्दर हाथ डालने लगी, तो चाचा बोले- कपड़े उतार दूं क्या वन्द्या?
मैं बोली- हां चाचा.
तो चाचा बोले- आज तू उतार मेरे कपड़े.. मजा आ जाएगा.

मैं चाचा की शर्ट के बटन खोलने लगी और कुछ ही पलों में शर्ट उतार दी, फिर उनकी बनियान भी उतार दी.
चाचा के सीने में बहुत बाल थे और सब सफेद हो चुके थे.

फिर चाचा खड़े हो गए और बोले- अब पैंट भी उतार दे मेरी जान.. तू बहुत मस्त है.

मैंने जैसे ही चाचा के पैंट की बटन खोल कर ज़िप खोली और पैंट नीचे खिसकाने लगी.. उनके अंडरवियर में उनका लंड बहुत खड़ा महसूस हुआ. मैंने चाचा की पैंट भी उतार कर उनके शरीर से अलग कर दिया. अब सिर्फ चाचा के शरीर में उनकी अंडरवियर बची.

चाचा बोले- इसको भी उतार वन्द्या इसी के अन्दर तो तेरे काम का औजार है.
मैं मुस्कुरा दी और चाचा की अंडरवियर पकड़ कर तेजी से नीचे खिसका दी. उनका बहुत ही बड़ा सा लंड मेरे मुँह के पास सामने आ गया. तो चाचा ने अपने मूसल लंड को मेरे होंठों में लगा दिया और बोले- इसे चूस वन्द्या.. बहुत मजा आएगा.

वे मेरे बालों को पकड़ कर अपना लंड मेरे मुँह में घुसाने लगे. मैंने मुँह खोला तो चाचा ने अपना लौड़ा मेरे मुँह में अन्दर घुसा दिया. बहुत ही अजीब गंध उनके लंड की.. मेरे अन्दर समा गई, पर मैं पूरी मस्ती में मदहोशी में थी, तो चाचा का लौड़ा चूसने लगी और चाटने लगी.

मैं घुटनों के बल बैठी थी और चाचा खड़े थे. अब चाचा अपना लंड मेरे मुँह में अन्दर बाहर करने लगे और गंदी गंदी गालियां देने लगे. चाचा अकड़े भी जा रहे थे.

वे बोले- वन्द्या तू बहुत बड़ी रंडी है. आह साली छिनाल वन्द्या.. और जोर से चूस लंड को मादरचोदी.. तेरे को दस-दस लंड से चुदवाऊंगा, बहनचोदी बहुत मस्त लंड चूसती है..
चाचा लंड चुसवाते हुए इतनी सेक्सी और गंदी गालियां दे रहे थे कि बता नहीं सकती. अब वे झुककर मेरे दोनों दूध भी अपने हाथों से दबाने लगे. इतने में बिल्कुल मेरे सामने से चाचा के लिए आवाज आई. ये आवाज गांव के ही दो किसानों की थी.

वे सीन देख कर बोले- क्या चाचा, हमें बाहर खड़ा करके क्या करने लगे हो. तुमने तो कहा था कि मैं कुल्हाड़ी लेने जा रहा हूं और अन्दर आकर ये क्या गुल खिला रहे हो? कम से कम दरवाजा तो बंद कर लेते चाचा.. अगर इस लड़की के माता-पिता आ जाते तो क्या होता? और ये लड़की तो तुम्हारी नातिन की उम्र की है, इसको भी नहीं छोड़ा तुमने चाचा.. ये लड़की तो लगता है पूरी अपनी मां पे गई है, जैसी मां छिनाल है, साली वैसी ही बेटी है.

मैं फिर से डर के मारे पीछे मुड़कर खड़ी हो गई. एक सामने मम्मी का पेटीकोट दिख गया था, मैंने उससे खुद को ढक लिया.

तब उं दोनों को चाचा बोले- अरे कमीनो, अब देख लिया है तो जाकर दरवाजा तो बंद कर आओ. फिर मुझे ज्ञान का भाषण देना.
तभी उनमें से एक गया और मेरे घर दरवाजा बंद कर दिया.

चाचा ने अपने खेत में काम करने वाले उन दोनों से पूछा कि दो लड़के थे वहां, नहीं हैं उधर क्या?
तो वह किसान बोले- नहीं, जब हम लोग अन्दर आए थे तब तो यहां कोई लड़के नहीं दिखे.
मैं सोचने लगी कि पीयूष और लालजी लगता है घर के बाहर डर के मारे भाग गए.

इतने में वे दोनों किसान दरवाजा बंद करके नजदीक आ गए. तब चाचा बोले कि बस 5-10 मिनट रूको जल्दी चलते हैं.

वे दोनों मेरी नंगी जवानी को घूर कर देखने लगे.

चाचा बोले- अब तुम लोगों ने तो सब देख ही लिया है, तो तुमसे क्या छुपाना.
वो किसान बोले- अरे चाचा, तुम बहुत बड़े वाले निकले हो, इस लड़की की मां से भी तुम्हारा चक्कर था ही और अब उसकी बेटी को भी पटा लिया. पर यह तो बहुत छोटी कमसिन है.
तब चाचा बोले कि यह छोटी नहीं है बहुत खेली खाई है, जब मैं अभी अन्दर आया था तो यह अपनी मौसी के लड़के और बहन के लड़के से चुदाई करवा रही थी. दो दो लड़के एक साथ इसके ऊपर चढ़े हुए थे.
इस पर वे दोनों किसान बोले- अरे तो रंडी की बेटी रंडी ही तो होगी, इसकी मां के भी बड़े किस्से हैं.

उनकी बातें सुनकर अपनी मम्मी के बारे में जाना तो मुझे बिल्कुल भी नहीं आश्चर्य हुआ. क्योंकि मैं हमेशा से जानती थी कि मेरी मम्मी के कई यार हैं. पापा मुंबई चले जाते हैं, तब पापा के दोस्त मम्मी के साथ अकेले में रहते हैं. पर ये मुझे अच्छा नहीं लगा कि यहां कोई मेरी मम्मी की बुराई करे. तब भी मैं बुरा नहीं मानी.

इतने में चाचा ने उन दोनों में से एक को मनोहर नाम से बुलाया, वह मुड़हा जाति का था. यह आदिवासी जाति में से होते हैं, जो खेत में मजदूरी करते हैं. दूसरे का नाम चाचा ने दिनेश बोला, वह उन्हीं के परिवार का था, जो चाचा से उनका खेत खेती करने के लिए लिए हुए था.

जिसका नाम दिनेश था, उससे चाचा ने बोला- दिनेश तेरा मन हो तो आजा.. थकान उतार ले, फिर चलते हैं खेत में.
दिनेश बोला- अभी तो इसको देखा भी नहीं कैसी है? कभी ध्यान भी नहीं दिया आपके घर आते थे और चले जाते थे जरा इधर घुमाइये, इसे देखें तो कैसी दिखती है यह छोकरी?

चाचा मेरी तरफ आए और बोले- वन्द्या तुम बिल्कुल चिंता नहीं करो, ना इनसे शर्माओ.. ना ही डरो. यह दोनों मेरे दाएं बाएं हाथ हैं. यह बात यहीं की यहीं रहेगी, तुम बिल्कुल बेफिक्र हो जाओ, यह कभी किसी से जिक्र भी नहीं करेंगे. जो मैं कहता हूं, यह उतना ही करते और जानते हैं. चलो इनसे शरमाओ नहीं, थोड़ा इनकी तरफ घूम जाओ.

चाचा ने मुझे मेरी पीठ तरफ से पकड़ कर उनकी तरफ घुमा दिया. मैं घूम तो गई, पर बहुत घबरा रही थी और शर्म आ रही थी. शर्म के मारे मैंने अपनी आंखें नीचे की हुई थीं. अपने बदन में एक वही जो पेटीकोट लपेट लिया था, उसी को पकड़े वैसे ही नीचे की ओर सर को झुकाए खड़ी हो गई थी.

मुझे वह दोनों देखते ही बोले कि यह तो बिल्कुल ऊपर से आई परी की तरह सुंदर है. इसकी मां को देखा था, यह कहीं से भी अपने मां बाप की बेटी नहीं लगती है. ये तो टीवी में आने वाली हीरोइन के जैसी है. जरा चाचा इससे इसका वह कपड़ा तो हटाओ.

चाचा ने झटके से वह पेटीकोट मेरे बदन से मेरे हाथ से खींच दिया, मैं पूरी नंगी उन दोनों के सामने हो गई. अब मेरे बदन पर कुछ नहीं था. मुझे देखने के लिए दिनेश सामने खड़ा था.

जैसे ही उसने मुझको पूरी नंगी देखा तो बोल उठा- चाचा सच में तुमने क्या माल पटाया है, यह उम्र में छोटी लग सकती है, पर यह बहुत बड़ी माल आइटम है. इसको चाचा तुमने कितनी बार चोदा है?
चाचा बोले- आज यह पहली बार मुझसे चुदेगी और अब तो अपन तीनों ही इसको चोदेंगे.

ऐसा कहकर चाचा मेरे पीछे लिपट गए. उनका लंड मेरे पीछे गांड में चुभोने लगा.

चाचा ने बोला- दिनेश तुम भी कपड़े उतार लो, जरा वन्द्या से गले तो मिल लो.
दिनेश मेरी तरफ बढ़ गया और सीधे मेरी नाभि को चूम कर बोला- ऐसी सेक्सी नाभि मैंने नहीं देखी.

उसने अपनी हथेली को मेरी जांघों से रगड़ते हुए ले जाकर चूत में रख दिया और अपना हाथ चूत में रगड़ने लगा.

वो इस तरह से हाथ चला रहा था कि मेरी सांसें उखड़ने लगी. तभी एकदम से उसने मेरी चूत में अपनी उंगली पूरी की पूरी घुसा दी. मैं उछल पड़ी और जोर से मेरे मुँह से ‘उंहहह आहहहह..’ निकल गया. अपने आप मेरे हाथ दिनेश के बालों में चले गए और उधर मेरे पीछे रोहण चाचा अपना लौड़ा मेरे गांड में घुसाने की कोशिश कर रहे थे, पर घुस नहीं रहा था.

पर मुझे अपनी गांड में उनके इस हरकत से गुदगुदी बहुत हो रही थी और मैं उछल उछल जा रही थी.

उधर वो मजदूर जिसका नाम मनोहर था, वो बोला- क्यों चाचा मैं ऐसे ही सूखा खड़ा रहूं क्या दर्शक बनकर, मैं भी इंसान हूं.. ऐसा माल और ऐसा सीन देखकर मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा है अब.. मैं यहां से बाहर चला जाऊं क्या?
चाचा मेरे कान में धीरे से बोले- क्यों वन्द्या डार्लिंग इसको भी बुला लें, बाहर जाके कुछ गड़बड़ ना करे.
मैं बोली- जो आपको ठीक लगे चाचा.

चाचा मनोहर से बोले- चल आज तेरी जिंदगी को भी हसीन बना दिया जाए.. वन्द्या को चोदना मतलब हीरोइन को चोदना है. आज इसे चोद कर तेरी लाइफ बन जाएगी.. मनोहर चल आ जा.
तभी मनोहर बोला कि मुझे आप कहां सैट करेंगे.. इसके दोनों छेद तो आप दोनों ने पहले ही कब्जाए हुए हैं.
चाचा बोले- अरे यह कोई ऐसी जगह नहीं जहां सैट करना पड़ता है, बस तुझे जहां ठीक लगे सैट हो जाना.. तू आ भर जा.
वो मेरी तरफ आने लगा तो चाचा बोले- मनोहर जहां तेरा मन करे.. शुरू हो जा.
मनोहर ने अपनी जात दिखाई और लंड सहलाते हुए बोला- आप कहीं ऊंच-नीच का फर्क तो नहीं लगाओगे?
चाचा बोले- अबे तू आ… कोई दिक्कत नहीं, आ जा.

तभी मनोहर मेरे सामने खड़े होकर अपनी शर्ट खोलने लगा और पैन्ट खोलकर नीचे उतार दिया. अब उसके शरीर पर सिर्फ अंडरवियर था.

वो बोला- चाचा मैं अब इसे भी उतार रहा हूं.
चाचा बोले- अबे भोसड़ी के हर बात पूछेगा क्या.. जो करना है कर यार.. कुछ बातें इससे वन्द्या से पूछ लिया कर.

उसने सीधे अपनी अंडरवियर उतार कर फेंक दिया. जैसे ही अंडरवियर उतारा, मैंने देखा कि उसका लंड बहुत ही बड़ा था. चाचा और दिनेश से जस्ट डबल बहुत ही बड़ा और वह भी काले रंग का था. पूरा खड़ा लंड था. वो मेरी तरफ लंड हिलाता हुआ आया. मुझे वो थोड़ा गंदा लग रहा था, पर उसका लंड बहुत ही मस्त था.

उसने दिनेश को बोला कि भाई थोड़ा इधर उधर हो जाओ या इसको लिटा लो.
दिनेश थोड़ा खिसका तो आकर मुझसे लिपट गया और बोला- तू एकदम गजब माल हो रखी है, बहुत-बहुत किस्मत वाली है तू जो तुझे मेरा मस्त लौड़ा मिलेगा.

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कहानी जारी है.

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