पड़ोस वाले की घमंडी गर्लफ्रेंड चोदी

(Hot Arrogant Girl Sex Kahani)

हॉट एरोगेंट गर्ल सेक्स कहानी में एक दिन मैं पड़ोस में लिव इन में रहने वाली एक सेक्सी लड़की से सीढ़ियों में टकरा गया. उसका शर्ट फट गया और उसकी चूचियां नंगी हो गयी. वह मुझे गालियाँ देने लगी.

यह सेक्स कहानी मेरे फ्लैट के नीचे रहने वाले पड़ोसी की है.
उसकी गर्लफ्रेंड को मैंने जब पेला था तो वह रांड मेरा लंड झेल ही नहीं पायी थी.

उस रात को मेरा लंड बदला लेने के मूड से उसकी चूत पर हथौड़े की तरह गिर रहा था और वह चिल्लाए जा रही थी- अजय गलती हो गयी, छोड़ दो!

दोस्तो, यह हॉट एरोगेंट गर्ल सेक्स कहानी उस समय से शुरू हुई थी, जब मैंने अपना फ्लैट चेंज किया था.
मेरे फ्लैट के नीचे वाले फ्लोर में एक कपल रहता था.

मैं नीचे रहने वाले लोगों की आवाज सिर्फ उनकी चुदाई में सुन पाया था क्योंकि फ्लैट में उनकी खिड़की और मेरी खिड़की ऊपर नीचे थी जिस वजह से आवाज आना सुगम हो गया था.

एक दिन मैं ना जाने किस मूड में सीढ़ियां चढ़ रहा था कि गलती से नीचे वाले की माल से टकरा गया.

मैं ऐसे गिरा कि उसकी चूचियां मेरे मुँह में आ गईं और मैं बिल्कुल उसके ऊपर गिर रहा था.
बचने की कोशिश में हम दोनों गिरे … और ऐसे गिरे कि बचने में मैंने उसके शर्ट को ऐसे पकड़ा कि फाड़ तक दिया.

मेरे मुँह के सामने उसकी नग्न चूचियां आ गई थीं. मैं जल्दी से उठा … और वह जब उठी, तो उसने मेरे गाल पर दो झापड़ लगा दिए.

वह गाली देती हुई बोली- भोसड़ी के अंधे … तुझे इतनी ही हवस है …. तो जाकर किसी रांड को चोद न … मुझे झेलना तेरे बस की बात नहीं है चूतिए!

मैंने सिर्फ इतना बोला- सॉरी … मगर हाँ मेरा लेने वालों की मेरे पास कमी नहीं है. जो तेरे जैसी टुच्ची के साथ हरकतें करता फिरूँ … गुड नाईट.
यह बोल कर मैं अपने फ्लैट में आ गया.

उसका तेवर नर्म हो गया था.
वह समझ गयी थी कि यह जानबूझ कर नहीं किया था मैंने, ये महज एक एक्सीडेंट था.

खैर … इस बात को तीन महीने निकल गए थे और अब होली आ गयी थी.

इस बार काम की वजह से मैं घर नहीं जा पाया था.

नीचे रहने वाले कपल में से लड़का घर चला गया था.
लड़की के न जाने की वजह मुझे मालूम नहीं थी … बस इतना पता था कि वह गयी नहीं थी.

होली की सुबह मेरे लिए सामान्य सुबह थी.
मैं सो कर उठा, कॉफ़ी बनाई … सिगरेट जलाई और ऑफिस का काम करने लगा.

उस वक़्त दोपहर के बारह चालीस हुए थे कि घर की घंटी बजी.
इससे पहले मैं यह बता दूँ कि पूरे चार मंजिल की इमारत में इस होली में महज हम दो लोग ही रह गए थे.

मैंने दरवाजा खोला तो देखा वह सामने खड़ी थी.
उसने एक टॉप पहना था, जिसमें उसकी चूचियों बस छुपी थीं, बाकी गले के दोनों तरफ एक एक डोरी सारे कपड़े को संभाले थी.
नीचे उसने हाफ घाघरा पहना हुआ था, जो उसके घुटने के नीचे तक था.

यह आज उसका मेरी नज़र में पहला निरीक्षण था.

उसने बोला- हम दोनों ही हैं और बिना रंग की कहां होली होती है! आज हम लोग रंग लगा कर उस दिन की घटना भूल जाते हैं. मेरी गलती थी … सॉरी!
मैंने उससे कहा- कोई बात नहीं, मैं समझ गया था और तुम जान गई थीं कि मेरी गलती नहीं थी … सो इट्स ओके!

वह मुस्कुराई और बोली- इतनी लड़कियों को दोगे, तो ये तो जान ही जाओगे कि कौन क्या सोच रहा है!

यह बोल कर वह मेरी तरफ ऐसे देख रही थी जैसे जानना चाहती थी कि मैं चीज क्या हूँ!
क्योंकि वह कन्फर्म नहीं हो पा रही थी कि मैं चुदक्कड़ किस्म का हूँ या नहीं.

मगर मैं इतना जानता था कि यह बोलने में कितनी भी हरामी हो, है मगर है साली लॉयल!

मगर मैंने भी उस दिन से यह सोच रखा था कि इसको चोदूंगा जरूर … चाहे कैसे भी चोदने को मिले.

खैर … आज तो बंदी सामने से देने के मूड में दिख रही थी.
उसने बोला- छत तो लॉक है, सीढ़ियों में रंग बिखरेगा तो साफ़ नहीं होगा … चलो बाथरूम में एक दूसरे के ऊपर रंग डाल लेते हैं. गन्दा होगा, तो साफ़ हो जाएगा.

मैं बोला- ओके, आ जाओ … मेरे वाशरूम में ही खेल लेते हैं!
तो वह बोली- रंग नीचे ही रखे हैं, ले कर आऊंगी … इससे अच्छा है नीचे ही चल कर खेल लो!
मैंने कहा- ओके कपड़े चेंज करके आता हूँ … तुम चलो.

मैंने टी-शर्ट के नीचे शॉर्ट्स डाला और उसके वाशरूम में आ गया.
अब हम दोनों वाशरूम में थे.

उसने दरवाजा पूरा चिपका दिया था ताकि रंग बाहर ना जाए.
गुलाल के सारे पैकेट उसने अपने पास रखे थे, मुझे एक भी नहीं दिया.

वह मेरे ऊपर गुलाल फेंकने लगी.

मैं भी उसकी ओर झपटा, रंग छीनने लगा और एक पैकेट से एक मुट्ठी गुलाल हाथ में ले कर उसके दोनों हाथों को पकड़ कर पीछे कर दिया.
वह छटपटा रही थी लेकिन मैंने उसको एक हाथ से पकड़ लिया और हल्का झटका देकर खुद से चिपका लिया.

अब वह मेरे इतने करीब थी कि मुझे उसकी धड़कनों की आवाजें साफ सुनाई दे रही थीं.
उसकी सांसें तेज चल रही थीं.

वह मेरी इस हरकत के लिए तैयार नहीं थी.

इससे पहले वह कुछ बोलती, मैंने दूसरे हाथ से उसके पूरे मुँह पर गुलाल लगाया और गले से रंग लगाते हुए बचा हुआ रंग उसकी मुलायम पीठ पर रगड़ने लगा.

उसकी मखमल जैसी पीठ पर हाथ फिराते हुए कमर तक पहुंच गया और उधर मैंने उसकी कमर हल्के हाथ से दबा दी.

फिर हाथ फिरा कर रंग लगाया और घिसटता हुआ हाथ पूरी कमर नाप दूसरे कोने आ गया जहां मैंने उसकी कमर के दूसरे भाग को जोर से दबा कर हैप्पी होली बोल कर हाथ बाहर निकाल लिया.

अब मैंने उसको अपनी पकड़ से आजाद कर दिया.
यह सब होने के बाद वह तड़पती मछली की तरह सामने खड़ी थी.

तभी वह उस मस्ती से जागी.
शायद उसे अपने प्यार के वचन याद आ गए हों, मगर मुझे क्या … मुझे तो बस अंकिता पर अपने लंड की छाप छोड़नी थी.

उसने मेरी तरफ फिर से गुलाल फेंका और हम दोनों फिर से एक दूसरे के ऊपर रंग डालने लगे.
मुझे पता था कि इस कुतिया को आज ही चोदा जा सकता है … और अब मैं आर या पार की सोच भी चुका था.

अचानक से मैंने उसको पकड़ कर घुमाया. मेरे हाथ उसकी कमर से पेट तक बेल की तरह लिपट गए थे.
पेट से हल्का सा धक्का देकर उसको पूरा अपने से चिपकाया और गले के नीचे सीने पर रंग मलने लगा.

फिर एक झटके में एक हाथ कंधे के ऊपर से लाकर सीधे उसकी चूची को मींजने लगा था.
दूसरा हाथ घाघरे और पैंटी को पार करते हुए चूत की दोनों फांकों के बीच आ गया था.

मेरा लंड उसकी गांड की दरार में रगड़ खा रहा था और मेरे होंठ उसकी गर्दन को उत्तेजित करते हुए चूस रहे थे.
अंकिता एक साथ इतनी जगह से सुख का अहसास कर रही थी.

वह ना चाहते हुए भी सी आह कर रही थी. फिर उसने एकदम से खुद पर काबू पाया.
वह थोड़ी कड़क होकर बोली- साले दिखा दी ना औकात … रंडीबाज छोड़ मुझे!

वह मेरी पकड़ से निकलने के लिए हाथ पैर मार रही थी पर अनमने मन से.

शायद उसे चुदना था मगर वह यह ब्लेम नहीं लेना चाहती थी कि उसने रिलेशनशिप में धोखा किया है.

वह बड़बड़ा रही थी और मैं पूरी तरह उसको गर्म करने में बिजी था.

जब मुझे लगा कि वह अब हल्की पड़ रही है … और उसे मजा आ रहा है मैंने उसको घुमा कर दीवार से चिपकाया और उसके होंठों को चूसने लगा.

वह भी अब हौले हौले से मेरा साथ दे रही थी और छटपटाना छोड़ कर खुद को पूरी तरह से मेरे हवाले कर चुकी थी.

अब मैं कभी उसकी चूचियां दबा रहा था, तो कभी चूत मसल रहा था.

तभी धीरे से मैंने शॉवर चलाया और उसे किस करते करते शॉवर के नीचे आ गया.
हम दोनों पूरे गीले हो गए थे और एक दूसरे को पागलों की तरह चूम रहे थे, एक दूसरे के काट रहे थे, एक दूसरे से खेल रहे थे.

अब वह पूरी गर्म थी.
उसके गीले हो चुके बदन से चिपके कपड़े, उसके शरीर को और खूबसूरत बना रहे थे.

प्यार भरे इस अंदाज के बाद अब उसको मेरा रौद्र रूप देखना था.

मैंने उसके बदन से टॉप को फाड़ कर अलग कर दिया.
उसकी अर्धनग्न चूचियां हरे रंग की जरा सी ब्रा में मेरे सामने थीं जो इतनी कसी हुई थीं कि उनको खा जाने का मन कर रहा था.

मगर मैंने खुद पर काबू किया और ब्रा की स्ट्रिप को जोर से पकड़ कर खींच दिया.

एक चट की आवाज के साथ वह बदन पर कोड़े की तरह गिरी, जो गीले बदन पर बहुत तेज लगी थी.
वह दर्द से चिल्लाई और बोली- आह … भोसड़ी के कायदे से कर … ले ले … पर मैं तेरी रंडिया नहीं हूँ हरामी साले … आज चोद ले बस … आज के बाद दिखना भी मत!

उसकी इस हरकत ने मुझे और गर्म कर दिया और मैंने एक झटके में उसकी ब्रा को शरीर से अलग कर दिया.

मैं बोला- साली छिनाल … लंड खोर … मेरे सामने नंगी खड़ी है बहन की लवड़ी … और बात सती वाली कर रही है मादरचोद … चुपचाप से चुद ले … आज के बाद तू अब तक की सारी चुदाई भूल जाएगी बहन की लौड़ी!

इतना बोल कर मैंने उसके बालों को पकड़ा और झुका कर उसके मुँह में साढ़े सात इंच का लंड दे दिया.
वह गु गु करने लगी.

थोड़ी देर तक उसके मुँह को चोदने के बाद मैंने वैसे ही गीले उसको उठाया और बाहर बेड पर लिटा कर उसके ऊपर चढ़ गया.
उसकी चूचियों को अगल बगल से चूसने लगा और चूची की घुंडी को हाथों से दबाने लगा.

फिर मैंने उसके पूरे बदन को आइसक्रीम की तरह चाटा और अंकिता की टांगों को खोल कर मैंने उसकी चूत को चूसने लगा.
मैं कभी उसकी चूत में जीभ डाल देता, कभी दांतों से दाना पकड़ कर काट लेता, कभी उसे मुँह में लेकर चूसने लगता.

वह पागल हो चुकी थी और बिल्कुल नशे में लग रही थी.
वह मेरे बालों में हाथ फेरती हुई बोली- अजय प्लीज … अब अपना लंड मेरी चूत में डाल दो बाबू … प्लीज जल्दी से चोद दो!

अब मैं उठा और मैंने एक सिगरेट जला कर लंबा कश लिया और उसकी चूत के छेद में धुआँ छोड़ दिया.
अपने हाथ से उसकी चूत पर हल्की थपकी मार कर उसे सहलाया और एक उंगली अन्दर डाल दी.

वह पागल होकर अपने शरीर पर हाथ फेरने लगी.

मैं आधा लेटा, आधा बैठा था और वह मेरे बगल में अपने हाथ से मेरा लंड सहला रही थी … उसको चाट रही थी, उसको चूस रही थी.

वह जिस तरह से मेरा लंड चूस रही थी, उसको देख कर लग रहा था कि ये सती वाला चौंगा तो मैडम ने बस दिखाने के लिए पहन रखा है. लंड तो ये वक़्त वक़्त पर नया लेती रहती है.

वह मेरे लंड को कुल्फी समझ कर चाट रही थी और मैं मस्ती के नशे में चूर हो सिगरेट फूँक रहा था.
लंड चूसते चूसते उसने मेरी तरफ देखा और पूछा- कैसा लग रहा है हैंडसम!

मेरे मुँह से निकल गया कि अब तो रोज ऑफिस जाने से पहले तुम्हें मेरा लंड चूसना होगा ब्रेकफास्ट में!
वह हंसी और बोली- पहले चोद कर दिखाओ जनाब!

मैंने सिगरेट बुझाई और उसको कमर से पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया.
मेरा लंड उसकी चूत को चीरता हुआ फच की आवाज के साथ पूरा उसकी चूत के अन्दर हो गया था.

हम दोनों की आह निकल गयी.
क्या टाइट चूत थी साली की … मेरा लंड छिल ही जाता … अगर मैं अंकिता को गर्म ना कर चुका होता.

खैर … मैं अंकिता की चूचियां चूसने लगा और उसको चोदने लगा.
वह भी मेरे लंड पर अपनी कमर गोल गोल घुमा कर पूरा साथ दे रही थी.

अब बारी सलीके से चुदाई की थी.
इस रांड की आग ऐसे नहीं बुझा सकते, ये मैं समझ गया था.

मैंने उसे अपने ऊपर से हटाया और उसको सीधा लेटा कर उसकी दोनों टांगों को मिला कर एल शेप बनाया. फिर उन दोनों टांगों को पकड़ कर अपना लंड सीधा अन्दर डाल दिया.
उसकी आह निकल गई.

मैं पहले धीरे धीरे धक्का मार रहा था, लंड को अन्दर कभी बाहर करके चुत की गहराई नाप रहा था.
फिर मैंने उसको तेजी से चोदना स्टार्ट किया.

एक मिनट में मैंने कम से कम सौ से एक सौ दस झटके मारे और ऊपर पूरा चढ़ गया.

मैं समझो उसकी चूत में कूदने लगा था.
उसकी टांगें कंधे को टच करने लगी थीं और वह मदमस्त हो कर जोर जोर से आवाजें निकालने लगी थी.

तभी अंकिता एकदम से अकड़ी और उसकी चूत ने भलभला कर पानी छोड़ दिया.

अब उसका मजा, दर्द बन चुका था और वह दर्द से करहाने लगी थी.
मगर मेरा लंड उसकी एक ना सुनने को तैयार था.

मैं उसकी दोनों टांगों का वी बना कर उसकी चूत की खुदाई कर रहा था.
कुछ ही मिनट में वह फिर से गर्म होने लगी और अब घुड़सवारी की बारी आ गई थी.

मेरी प्यारी पड़ोसन अब घोड़ी बन चुकी थी, मैं अब उसकी सवारी कर रहा था.
मैं उसकी कमर को पकड़ कर उसकी चूत पर लगातार हमले कर रहा था.

उसकी चूचियां जोर जोर से ऐसी हिल रही थीं जैसे आंधी में आम हिलते हैं.
मैंने उसकी चूचियों को पकड़ कर दबाया और पीछे से पूरा चिपक कर कुत्ते के जैसे चूत चोदने लगा.

मैं अपने लंड से उसकी चूत को दबाता गया और उसे बिस्तर पर चिपका दिया.
एक तरह से मैंने उसे मेंढक बना दिया था और उसकी चूत के धागे खोलने लगा था.

लगातार कई झटकों के बाद भी जब वह हार मानने को तैयार नहीं दिखी तो मैंने अपना लंड चूत से निकाला और उसको बिल्कुल सीधा कर दिया.
अब पीठ के बल वह मेरे सामने पड़ी थी.

मैं उसकी गांड पर बैठा था, हाथों से मैंने दोनों चूतड़ों को अलग अलग हटाया और गांड के रास्ते चूत को खोजने लगा.
फिर पेट के नीचे तकिया डाला और अब उसकी चूत उभर कर मेरे सामने आ गई थी.

मैंने आव देखा ना ताव … अपना लंड उसकी चूत में डाल दिया और उसको ऐसे चोदने लगा, जैसे बोरिंग की जाती है.
मेरा लंड आज जंग पर था और अब तक हम दोनों चुदाई काफी लम्बी हो चुकी थी.

अन्ततः अंकिता दुबारा झड़ चुकी थी.
मगर मेरा लंड अभी भी खड़ा था क्योंकि चुदाई दिमाग का खेल है, जब चाहोगे तब झड़ोगे!
उसके झड़ने के बाद भी मैं उसको चोदता रहा.

अब अंकिता कराहती आवाज में बोली- प्लीज अजय … अब छोड़ दो … मैं मर जाऊंगी प्लीज … छोड़ दो … तुम जब बोलोगे, मैं चुदने को तैयार रहूंगी. अभी छोड़ दो.
फिर मैंने अंकिता के होंठों को जोर से चूमा और दस झटकों के बाद कहा- जान मैं झड़ने वाला हूँ.

यह कह कर मैंने अपना लंड चूत से निकाल दिया और मेरे वीर्य की धार पेट से होती हुई सीधे उसके मुँह पर जा पड़ी.

हॉट एरोगेंट गर्ल सेक्स के बाद मैं उसके बगल में निढाल हो कर गिर गया.
वह प्यार से मेरे बाल सहलाने लगी, बोली- अजय तू इंसान नहीं है यार … साला राक्षस है … आज तक किसी ने मुझे ऐसे नहीं चोदा कि मुझे हार माननी पड़े … कमाल है तू!

मैं चुपचाप उसकी बात सुनता रहा.

इस होली में मेरे लंड ने होली खेली थी और वह खुश था.

इसके बाद अंकिता ना जाने कितनी बार मुझसे चुदी.
उसकी ठरक ने एक दिन मेरे दोस्त की रात भी हसीन की, जो मैं फिर कभी बताऊंगा.

मेरी मेल आईडी से आप मुझसे बात कर सकते हैं, हॉट एरोगेंट गर्ल सेक्स कहानी पर अपने विचार भी भेज सकते हैं.
[email protected]

लेखक की पिछली कहानी थी: दोस्त की बहन को घर की बालकनी में चोदा

और भी मजेदार किस्से: