हंसती खेलती जवान लड़कियाँ -2

(Hansti Khelti Jawan Ladkiyan-2)

अब तो मुझे खाना बेस्वाद लगने लगा, जिसके सामने चार चार कुँवारी लड़कियाँ, लण्ड लेने को बैठी हों, उसे दाल मखनी, शाही पनीर और चिकन कहाँ स्वाद लगेगा।
मैंने झट से अपने दोस्त को फोन लगाया, और उससे कहा- यार ऐसा कर क्लासिक होटल में आ, एक कमरा बुक करवा के दे तुरन्त।
वो बेचारा भागा भागा आया और खाना खत्म होते होते मेरे पास रूम की चाबी थी।

मैंने पूछा- गर्ल्स, तो चलें रूम में?
सब की सब शर्मा गई, मैंने कहा- देखो, यह सिर्फ आपकी जानकारी बढ़ाने के लिए है, यह समझो आपकी सेक्स एजुकेशन की क्लास है। डरना नहीं, घबराना नहीं, अगर नहीं दिल करता तो मत जाओ।
मगर किसी ने इंकार नहीं किया।
मैं आगे चल पड़ा और वो सब मेरे थोड़ा पीछे आ रही थी।

मैंने कमरा खोला, मेरे पीछे वो सब भी अंदर आ गई, मैंने कमरे की कुंडी लगा ली और जाकर बेड पर बैठ गया।
चारों लड़कियाँ भी मेरे सामने ही बेड पर बैठ गई, मैंने कहा- हाँ तो अब सबसे पहले ये कि तुम सब अपनी अपनी शर्म छोड़ो। जो मैं कहता हूँ, मेरे पीछे तुम सब भी कहो, बोलो, ‘लण्ड’।
मैंने कहा तो सब की सब हंसने लगी मगर सब की सब धीरे से बोली- ‘लण्ड’
मैंने कहा- यार मुझे तो सुना नहीं, दोबारा कहो!
सबने फिर ‘लण्ड’ कहा मगर इस बार सब ने थोड़ा ऊंचा और साफ कहा।

‘अब बोलो, चूत!’ मैंने कहा।
सबने कहा- ‘चूत’
‘गाण्ड’
‘गांड’
‘चुदाई’
‘चुदाई’
‘मेरी चूत मारो’
सब हंस पड़ी- मेरी चूत मारो!
‘मुझे लण्ड चाहिए’
‘मुझे लण्ड चाहिए’
हम सब हंस पड़े।

मैंने कहा- देखो अब ऐसा है कि अगर आपको मेरा लण्ड देखना है, देखना क्या है यार, तुम्हारी चीज़ है, अपने हाथ में लेकर देखना, मुँह में लेकर चूसना, मगर उसके लिए आपको फीस देनी होगी।
मैंने अपनी शर्त सामने रखी।

‘क्या फीस देनी होगी?’ अदा ने पूछा।
मैंने कहा- देखो अगर मैं तुम्हें कुछ दिखाऊँगा, तो तुम्हारा भी कुछ देखूँगा, इट्स फेयर, यू नो, गिव एंड टेक, किसी को कोई ऐतराज? मैंने देखा कि सब की सब शर्मा ज़रूर रही थी मगर न किसी ने भी नहीं की।

‘तो फिर इट्स आ डील, चलो बताओ सबसे पहले कौन क्या देखना और दिखाना चाहती है?’ मैंने कहा।
अदा बोली- हमें तो बस वो देखना है।
मैंने कहा- वो का कुछ नाम भी होता है।
पहली बार साक्षी बोली- लण्ड देखना है।

मैंने कहा- इतनी दूर क्यों हों मेरे पास आओ!
वो बेड पे उठ कर मेरे पास आई, मैंने पूछा- साक्षी, क्या तुम्हें अपना लण्ड दिखलाने के बदले मैंने तुम्हरी टीशर्ट और ब्रा के अंदर हाथ डाल कर तुम्हारे बूब्स के साथ खेल सकता हूँ।
मेरी बात सुन कर उसने सुदीप्ति की ओर देखा, उसने इशारा कर दिया, तो साक्षी बोली- हाँ!

मैंने कहा- सब लड़कियाँ पास आ जाओ!
जब सब मेरे बिल्कुल आस पास आ गई, तो मैंने पहले अपनी पैंट खोली और फिर अंडर वियर के ऊपर से हाथ में पकड़ के हिला के दिखा दिया- देखो, इसे कहते हैं लण्ड!

सब की सब बोल पड़ी- यह तो चीटिंग है, बाहर निकाल के दिखाओ।
मैंने कहा- अच्छा!
और मैंने अपना अंडर वियर भी घुटनों तक उतार दिया।
उस वक़्त तक मेरा लण्ड पूरी तरह से अकड़ा नहीं थी।

शिप्रा पहली लड़की थी जिसने मेरा लण्ड अपना हाथ में पकड़ा और बोली- यह तो ढीला सा है, सख्त नहीं है।
मैंने कहा- अब तुमने छू लिया है तो अब अकड़ जाएगा।

शिप्रा को देखा कर सुदीप्ति और अदा ने भी बारी बारी से मेरे लण्ड को अपने हाथों में पकड़ के देखा और इतने प्यारे प्यारे नर्म नर्म हाथों का स्पर्श पाकर मेरा लण्ड तो पत्थर की तरह सख्त हो गया।
अब जब लण्ड तन गया तो मैं अपनी पैंट और अंडरवियर बिल्कुल उतार दिया और अपने दोनों हाथ बड़े आराम से साक्षी के दोनों बूब्स पकड़ लिए।
वाह क्या नज़ारा था… कितने कोमल और प्यारे बूब्स थे।
साक्षी क्या, उसके बाद तो मैंने सुदीप्ति, अदा और के भी बूब्स दबा कर देखे। किसी लड़की ने कोई विरोध नहीं किया। वो सब तो लण्ड से खेलने में लगी थी और मैं वैसे पागल हुआ पड़ा था, किसी के चूतड़ सहला रहा था, किसी की जांघों पे हाथ फेर रहा था, किसी की पीठ पे, किसी के पेट पर… मगर मेरा दिल नहीं भर रहा था।

मैंने कहा- देखो भाई, मेरे पास एक ही चीज़ थी वो मैंने तुम सब को दिखा दी है, अब तुम सब अपनी अपनी कीमती चीज़ें मुझे दिखाओ।
मैंने कहा तो अदा बोली- अच्छा जी, आप तो बहुत चालाक हो।
मैंने कहा- इसमें चालाकी की बात नहीं, अगर नहीं दिल करता तो कोई ज़बरदस्ती नहीं, मगर फिर भी मेरा इतना तो हक़ बनता है। साक्षी जो मेरी गोद में ही बैठी थी और जिसके ब्रा में हाथ डाल कर मैं उसके बूब्स दबा रहा था, मैंने उसकी टी शर्ट ऊपर उठानी शुरू की और पहले टी शर्ट और फिर बाद में मैंने उसका ब्रा भी उतार दिया।
ब्रा में से दो कच्चे आमों जैसे दो बड़े ही प्यारे और गोल बूब्स निकले, मैंने उसके निप्पल को मुँह में लिया और चूसा, तो साक्षी के मुँह से हल्की सी सिसकारी निकली।

उसकी सिसकारी सुन कर सब के कान खड़े हो गए।

मैंने सुदीप्ति को अपनी तरफ खींचा और उसकी टी शर्ट भी ऊपर को उठाई, जिसे उसने खुद ही ब्रा के साथ ही उतार दिया। अब मेरे दोनों तरफ दो नाज़ुक कलियाँ अपने नाज़ुक फूलों जैसे बूब्स ले कर बैठी थी।
मैंने बारी बारी से दोनों के बूब्स चूसे।
अब तो मेरा लालच बढ़ता ही जा रहा था, मैंने बाकी दोनों लड़कियों के भी अपनी अपनी टी शर्ट्स उतारने को कहा।
उन्होंने सिर्फ टी शर्ट्स उतारी मगर ब्रा पहने रखी।

मैं तो ऐसे महसूस कर रहा था जैसे कोई बादशाह हूँ या कोई शेख़ जिसके चारों तरफ नंगी लड़कियाँ बैठी थी, उसका दिल बहलाने के लिए।

उसके बाद मैंने अपनी शर्ट और बानियान भी उतार दी और बिल्कुल नंगा हो गया। मैंने उनको बड़ी अच्छी तरह से अपना लण्ड और अपने आँड दिखाये और इनकी उपयोगिता भी बताई।
उसके बाद मैंने बारी बारी से चारों लड़कियों के बूब्स अपने मुँह के लेकर चूसे और जिन दो लड़कियों ने ब्रा पहन रखी थी, उनकी ब्रा भी उतरवा दी।
मेरे सामने 8 खूबसूरत, नर्म कच्ची कैरी जैसे बूब्स थे, मैंने 8 के 8 निप्पल अपने मुँह में लेकर चूसे।

उसके बाद मैंने साक्षी को उसकी स्लेक्स उतारने को कहा। स्लेक्स उतारने से साक्षी बिल्कुल नंगी हो गई, क्योंकि उसने नीचे से कोई पेंटी नहीं पहन रखी थी।
साक्षी के बाद, मैंने अपने हाथों से सुदीप्ति को नंगी किया, और मेरा इशारा पा कर अदा और शिप्रा ने भी अपनी अपनी जींस उतार दी और मैंने उनकी छोटी छोटी पेंटीस भी उतार दी।

जब हम पांचों जन बिल्कुल नंगे हो गए तो मैंने पूछा- अब ये बताओ, कौन सबसे पहले मेरा लण्ड अपनी चूत में लेना चाहेगी?
सब ने एक दूसरे की तरफ देखा, मगर चारों लड़कियाँ कोई फैसला न कर पाई के कौन सबसे पहले हाँ करे।
साक्षी बिल्कुल मेरे पास बैठी थी और सबसे से मासूम भी वो ही थी, सो मैंने उसे ही अपनी गोद में उठा लिया- चलो साक्षी से ही शुरुआत करते हैं।

मगर वो एकदम से उछल पड़ी- नहीं नहीं, मैं नहीं, मुझे डर लगता है।
मैंने कहा- तो चलो कुछ और करते हैं।
मैं बेड के बीच में लेट गया और साक्षी से बोला- साक्षी तुम आओ और आकर मेरे मुँह पर बैठ जाओ, इतना तो कर सकती हो न।

उसने हाँ में अपना सर हिलाया और आकर मेरे मुँह पर अपनी चूत रख दी। एक बहुत ही खूबसूरत, गोरी गुलाबी, पेंसिल से खींची एक लकीर जैसी चूत जिस पर हल्के हल्के रेशमी बाल थे, मेरी आँखों के ठीक ऊपर थी।

मैंने उसकी चूत अपने मुँह पर सेट की और उसकी चूत के दोनों होंठ अपने होंठो में ले लिए, मेरे मुँह में उसकी कुँवारी चूत से छुट रहे पानी का स्वाद आया।
और जब मैंने उसकी चूत की दरार में जीभ फेरी तो उसे बहुत सी गुदगुदी हुई, वो हंस पड़ी और ऊपर को उठी, मगर मैंने उसे फिर से नीचे को धकेल कर अपने मुँह पर बैठाया, और फिर से उसकी चूत चाटने लगा।
उसके लिए यह पहला अनुभव था सो जब भी उसे गुदगुदी होती वो अपनी छोटी सी कमर ऊपर उठा लेती।

बाकी की लड़कियों ने उससे पूछा- क्या हो रहा है?
वो बोली- बहुत मज़ा आ रहा है, तुम भी चटवा के देखो।

फिर सुदीप्ति ने उसे उठा दिया और खुद आ कर मेरे मुँह पर बैठ गई, मेरी तो लाटरी लग गई थी, मुझे दूसरी कुँवारी चूत चाटने को मिल रही थी।

दो मिनट चूत चटवाने के बाद सुदीप्ति मेरे ऊपर ही लेट गई, मैंने अपना तना हुआ लण्ड उसके मुँह से लगा दिया और उसने बिना कोई वहम किए मेरा लण्ड अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी।
अब तो मुझे और भी मज़ा आने लगा।

सुदीप्ति की देखा देखी, बाकी की लड़कियों ने भी बारी बारी से मेरा लण्ड चूसा। एक मुँह से निकालती तो दूसरी चूसने लगती। नर्म नर्म हाथों में पकड़ कर वो अपने कोमल कोमल होंठों से मेरे लण्ड को चूस रही थी।
एक एक करके चारों लड़कियाँ खुद आप आ कर मेरे मुँह पर बैठती रही और मैं उनकी कुँवारी चूतें चाटता रहा।
चूत तो क्या मैं तो उनके गाँड के छेद तक चाट गया। अब मैं तो तजुर्बेकार था, वो सब की सब अंजान तो मैंने अपने तजुर्बे का फायदा उठाया और एक एक करके सिर्फ चाट चाट कर ही दो लड़कियों का पानी छुड़वा दिया।

मगर जो कुछ वो मेरे लण्ड के साथ कर रही थी, वो भी बहुत जोरदार था। उनको तो जैसे खेलने के लिए अजब सा खिलौना मिल गया हो, एक ऐसा खिलौना जिसे वो खा भी सकती थी।
तो जब मैं शिप्रा की चूत चाट रहा था, उसी वक़्त मैं खुद को रोक नहीं सका और मेरे लण्ड से वीर्य के फुव्वारे छूट गए।
सभी लड़कियाँ- ईई छिः छिः करती दूर हो गई।

मगर मैंने उन्हें समझाया कि यही वो वीर्य है जिससे तुम सब एक दिन प्रेग्नंट होगी, इसी में लड़का लड़की है, जो तुम्हारे पेट में जाकर एक दिन जन्म लेगा, घबराओ मत, इसे छूकर देखो।
मगर किसी ने नहीं छुआ।

मैं उठा और बाथरूम में जा कर धोकर फिर से वापिस आ गया।
अब जिन दो लड़कियों का पानी नहीं छूटा था, शिप्रा और अदा।
मेरे बेड पे लेटते ही अदा ने लाकर अपनी चूत मेरे मुँह पे रख दी। मैं फिर से चूत चाटने लगा। बेशक मेरा लण्ड वीर्यपात के बाद ढीला पड़ गया था, मगर लड़कियों ने खेल खेल के फिर से उसे कड़क बना दिया।

मैंने अदा से कहा- अदा ट्राई तो करके देख, अगर मेरा लण्ड तुम अपनी चूत में ले सको।
उसने अपनी चूत मेरे मुँह से हटाई और मेरे तने हुये लण्ड पे रख दी। उसकी गुलाबी चूत मेरे काले से लण्ड को निगल जाने को तैयार थी, मगर जब थोड़ा सा लण्ड अदा की चूत में घुसा तो उसकी मुँह से दर्द की आह निकल गई।
मेरे कहने पर उसने 1-2 बार और कोशिश की, मगर मेरा लण्ड उसकी चूत में न घुस सका।
उसको देख कर और किसी ने भी लण्ड अपनी चूत में लेने की कोशिश नहीं की।

2 मिनट की चटाई से अदा भी स्खलित हो गई, और उसके बाद मैंने सिर्फ 3 मिनट में शिप्रा को भी स्खलित कर दिया।
शिप्रा की चूत तो मैंने खड़े होकर चाटी। मैं अपने पैरों पे खड़ा था, और मैंने शिप्रा को घूमा कर उल्टा लटका रखा था। उसकी टाँगें ऊपर छत्त की तरफ थी और वो उल्टा लटकी मेरा लण्ड चूस रही थी, जिसे बारी बारी और लड़कियाँ भी चूम चाट रही थी।

जब शिप्रा भी झड़ गई तो मैंने कहा- लो भाई लड़कियो, मैंने तुम सब का कर दिया। अब मेरा रह गया, मेरा भी पानी निकलवा दो।
तो अदा बोली- आपका भी तो हो गया।
मैंने कहा- अभी तो तना पड़ा है, इसको तो छुड़वाओ।
तो सभी लड़कियों ने मेरा लण्ड पकड़ा और मेरे मुट्ठ मारने लगी और मैं मज़े लेने के लिए, उनके कुँवारे बदनों से खेलता रहा।
2-3 मिनट की मुट्ठबाजी से मेरा फिर से वीर्यपात हो गया।
मगर इस बार जब छूटा तो चारों लड़कियों ने मेरा लण्ड मजबूती से पकड़ रखा था। मेरे लण्ड से निकल कर वीर्य उन सबके हाथ के ऊपर से बह निकला।
सब की सब हंस पड़ी।
हम सब एक साथ बाथरूम गए और खुद लड़कियों ने मेरा लण्ड धोया, अपने हाथ धोये। बाहर आकर मैं फिर से बेड पे लेट गया।

अदा मेरे लेफ्ट साईड लेट गई, शिप्रा राइट साईड लेट गई। सुदीप्ति और साक्षी को मैंने अपने ऊपर लेटा लिया। कितनी देर हम वैसे ही लेटे आपस में बातें करते रहे।
मैंने उस चारों लड़कियों को खूब चूमा, चाटा और चूसा क्योंकि मैं जानता था के यह मौका मेरी ज़िंदगी में दोबारा नहीं आने वाला।

आपने यह कहानी पढ़ी, आप सोच रहे होंगे कि यह तो सब झूठ है, काल्पनिक है।
हाँ, यह सब काल्पनिक है, तो इसमें सच्चाई क्या है?
सच्चाई यह है, कि ये चारों लड़कियाँ सच में मेरी दोस्त हैं, मेरी कहनी पढ़ कर मुझसे मिली, हमने साथ में लंच किया, मैंने उनसे बात की, कि वो सब मुझसे बहुत छोटी हैं, इस लिए उनसे बातें वातें तो मैं कर सकता हूँ, मगर उनसे सेक्स नहीं कर सकता।
वो भी मान गई।
मैंने उनसे कहा कि उनको अपनी उम्र के लड़के से दोस्ती करके सेक्स करना चाहिए।

उसके बाद हम आज तक एक दूसरे से फोन पे जुड़े हैं। जो कुछ ऊपर कहानी में आपने पढ़ा है, वो सब कुछ मैंने उनसे फोन पर किया है अब तो वो भी खुल कर बात करती हैं।
यह फायदा होता है कहानी लिखने का।
आप भी लिखो, क्या पता आपको सच की कोई दोस्त मिल जाये।
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