रईस बाप की बिगड़ी हुई औलाद- 2

(Full Night Sex In Hotel)

फुल नाईट सेक्स इन होटल का मजा एक अमीर लड़की ने अपनी क्लास के एक लड़के से लिया. वे एक टूर्नामेंट में हिस्सा लेने के बहाने होटल में आये थे.

कहानी के पहले भाग
बिगड़ैल लड़की ने क्लासमेट से चुदवा लिया
में आपने पढ़ा कि अमीर बाप की बेटी ने अपनी कक्षा के एक मेधावी लड़के से दोस्ती करके अवसर पाते ही उसके साथ सेक्स कर लिया.

अब आगे फुल नाईट सेक्स इन होटल:

अगले हफ्ते निमिषा कॉलेज टूर में ट्रेन से लखनऊ चली गयी.

उसने यहीं से ही अपने लिए एक अच्छे होटल में रूम बुक करवा लिया था.

लखनऊ पहुंचकर उसने दो घंटे बाद जानकी नाथ को उनके ऑफिस में फोन किया और बड़ी रोनी आवाज में उनसे कहा- पापा, मम्मी ठीक कह रही थीं. ये होटल तो इतना घटिया है जैसे आपके सर्वेंट कवार्टर. मैं तो वापिस आ रही हूँ. क्योंकि अकेली किसी और होटल में रुकूंगी तो मम्मी अपसेट हो जायेंगी.

जानकी नाथ बोले- तुम जिद करती हो. अब मैं तुम्हारी मम्मी से कहूंगा तो वह मुझसे भी नाराज होगी.
निमिषा बोली- अगर आप परमिट करें तो मैं किसी अच्छे होटल में स्टे कर लेती हूँ. पर प्लीज़ मम्मी से मत कहिएगा. मेरे साथ मेरी एक सहेली भी रुक जायेगी.

हँसते हुए रईस जानकी नाथ ने इसकी इजाजत दे दी.

अब अगला फोन निमिषा ने अपनी मम्मी को किया- मैं अच्छे से पहुँच गयी हूँ. यहाँ फोन ज्यादा यूज़ नहीं कर सकते. मैं सुबह शाम आपको फोन कर दूँगी, आप फोन मत करना. क्योंकि नहीं उठा तो फिर आप टीचर्स को करोगी या परेशान होओगी.

सारी सेटिंग ठीक हो गयी.
शुचित ने भी अपने कोच से कह दिया कि वह रात को अपनी मौसी के घर जाएगा और लेट आयेगा.

निमिषा ने अपने कोच से जानकी नाथ की बात कराके उनसे कहलवा दिया कि निमिषा अलग होटल में स्टे करेगी.
बाप ने कहा है तो कोच को भी क्या तकलीफ थी.

दिन भर के खेलों से थके हारे सभी खिलाड़ी शाम को मस्ती लेने के लिए बाहर ग्राउंड में इकट्ठे हुए. जहां नाच गाने और मनोरंजन के बहुत साधन थे.

निमिषा अपने कोच से कहकर कैंपस से बाहर निकल ली और टैक्सी लेकर अपने सामान के साथ सीधे होटल पहुंची.

होटल रूम उसके नाम से बुक था ही.

तभी शुचित भी अपना बेग लटकाए आ गया.

निमिषा ने रिसेप्शन पर कह दिया- ये मेरे गेस्ट हैं, थोड़ी देर रुक कर चले जायेंगे.

दोनों रूम में आ गए.

निमिषा ने डिनर का आर्डर दे रखा था कि दस बजे करीब सर्व हो. अभी तो 8 ही बजे थे.

डोर लॉक होते ही निमिषा लिपट गयी शुचित से.

शुचित ने भी कस के भींच लिया और अपने से, दोनों के होंठ ऐसे चिपके जैसे बरसों से बिछड़े हों.
निमिषा छोड़ ही नहीं रही थी शुचित को.

उसने शुचित की शर्ट उतार दी और शुचित की नंगी छाती पको चूमने लगी.

शुचित उसे अपने से चिपटाते हुए बोला- जल्दी क्या है, आज तो पूरी रात हमारी है.
निमिषा बोली- पूरी रात नहीं! पर हाँ, फिर भी देर रात तक तो तुम रुक ही सकते हो.

शुचित ने उसका पूरा चेहरा चूम चाट कर गीला के दिया था.
निमिषा को सांस भी नहीं लेने दे रहा था वो!

अब निमिषा ने दीवार की तरफ मुंह किया तो शुचित ने पीछे से उसे भींच लिया और हाथ आगे करके निमिषा की शर्ट के बटन खोल दिए और स्कर्ट भी नीचे कर दी.

शुचित ने अपनी जींस भी उतार दी.

निमिषा केवल ब्रा पेंटी में थी.
शुचित की जीभ उसके मखमली जिस्म पर घूम रही थी.

अचानक शुचित ने निमिषा की ब्रा का हुक खोल दिया.
निमिषा ने ब्रा को गिरने से से रोका.

पर शुचित ने हाथ आगे करके ब्रा को उसकी पकड़ से आज़ाद कर दिया.

अब निमिषा के मम्मे शुचित के कब्ज़े में थे.
निमिषा ने सर घुमाया तो शुचित ने उसके होंठों से होंठ मिला दिए.

अब निमिषा भी पलट गयी.
शुचित ने उसे गोद में उठा लिया और वाशरूम में ले गया.

निमिषा उसकी गोद में लटके उसे लिप लॉक करने लगी.

दोनों शावर के नीचे खड़े हो गए. दोनों पर अब चुदास हावी थी.

शुचित ने निमिषा को नीचे उतारा और खड़े खड़े ही अपना लंड उसकी चूत में घुसाने की कोशिश की.
एक दो बार की कोशिश के बाद जब उसे कामयाबी नहीं मिली तो निमिषा बोली- चलो बेड पर चलते हैं.

शुचित उसे टॉवेल से लिपटा कर गोदे में उठाये बेड पर ले चला.

अब निमिषा को बिना चुदे चैन कहाँ … वह उसकी गोदी से उतरी और नीचे बैठकर उसने शुचित का लंड अपने कब्जे में किया और लगी चूसने!
शुचित भी उसकी गोलाइयां मसल रहा था.

अब शुचित ने निमिषा को बेड पर जाने को कहा तो निमिषा ने बेड पर लेटते ही उसने अपनी टांगें चौड़ा दीं.

निमिषा पूरी तैयारी से आई थी.
उसका जिस्म मखमली हो रहा था और गुलाबी चूत तो गुलाब की पंखुड़ी जसी चमक रही थी.

शुचित को उसकी उठी हुई चूत ऐसा अहसास दे रही थी कि गुलाबी रंग की पावरोटी हो.

तभी शुचित ने उसकी टांगें और चौड़ायीं और अपना मुंह उसकी गुफा के मुंहाने पर रख दिया.

अब शुचित की जीभ गुफा के अंदर घुस चुकी थी और उसके हाथ निमिषा की गोलाइयों को टटोल रहे थे.
निमिषा कसमसा रही थी.
उसने अपने हाथों से शुचित का सर पकड़ कर उसे और अंदर की और धकेला.

शुचित की जीभ अंदर मचल रही थी.
निमिषा ने अपनी उंगलियों से अपनी फांकों को और चौड़ाया जिससे शुचित की जीभ और अंदर जा सके.

साथ में निमिषा भी शुचित का लंड चूसना चाह रही थी तो उसने शुचित को 69 होने के लिए कहा और बेड पर ऊपर खिसक गयी.

अब शुचित 69 पोजीशन में हुआ तो उसका फनफनाता औज़ार निमिषा के मुंह में था.
शुचित का लंड पूरा तना हुआ था तो निमिषा उसे पूरा अंदर नहीं ले पा रही थी.
उसके मुंह से गों गों की सी आवाज निकल रही थी.

पर निमिषा ने मजबूती से उसका लंड पकड़ा हुआ था.

जब उसकी सांस घुटती तो वह लंड को बाहर निकल कर अपने हाथ से खूब जोर जोर से रगड़ती.
अब शुचित को भी लगने लगा कि अब लंड को निमिषा की पकड़ से आज़ाद करा कर चुदाई में लगना जरूरी है वरना निमिषा को उसे मुंह में ही खलास कर देगी.

उसने अपने को इजी किया.
बेड से नीचे उतरकर उसने निमिषा को थोड़ा सा नीचे खींचा और उसकी टाँगें चौड़ा कर अपना मूसल पेल दिया उसकी चूत में!

उसका शॉट मजबूत था … निमिषा की चीख निकल गयी.
पर शुचित ने एक साथ धक्के बढ़ा दिये.

नीचे खड़ा होने से उसके घुटनों को बेड सहारा मिल रहा था तो धक्कों का जोर ज्यादा था.

अब पेलमपेल के दूसरे दौर में शुचित ने निमिषा को ऊपर धकेला और बेड पर चढ़ कर निमिषा की टांगों को टखनों से पकड़ कर पूरा ऊपर उठा दिया.
निमिषा की चूत की फांकें उसके लंड के बिलकुल सामने थीं.

शुचित ने बिना देर किये पूरी बेदर्दी से पेल दिया दुबारा निमिषा की चूत में … और अपनी चुदाई एक्सप्रेस को पूरी स्पीड दे दी.

निमिषा की आह आऊच और कसमसाहट भरी आवाजें पूरे कमरें में गूँज रही थीं.

आज शुचित चुदाई का कोई मौक़ा नहीं छोड़ना चाहता था.
उसे लग रहा था कि शायद आज की चुदाई उसकी और निमिषा की आखिरी चुदाई हो.
क्योंकि उसे आज ही मालूम पड़ा है कि उसका एम बी ए में एडमिशन हो गया है. उसे एक्साम ख़त्म होते ही वहां ज्वाइन करना होगा.
अभी उसने यह बात किसी को भी नहीं बतायी थी.

खैर अब निमिषा की चुदास पूरी भड़क चुकी थी. वह मदहोश सी हो रही थी.
उसने शुचित को नीचे आने को कहा.

अपने बालों की जूड़ी सी बनाकर बांधते हुए वह शुचित के ऊपर चढ़ गयी और अपने हाथ से उसका लंड अपनी चूत में सेट करके लगी उछल उछल कर उसकी चुदाई करने.

अब निमिषा और शुचित का होने को ही था.
दोनों के मुंह से झाग जैसे पानी निकल रहा था.

शुचित तो बस ‘आह उह’ तक सीमित था, पर निमिषा की बकवास की तो झड़ी लगी थी.

आज पहला मौक़ा था जब उनकी चुदाई बिना किसी डर के हो रही थी.
बड़ी बेफिक्री थी दोनों के मन में!

न कोई आने वाला था, न कोई टोकने वाला.

होटल वालों को अच्छे से मालूम होता है कि एक जवान जोड़ा अगर रूम में हो तो वहां क्या हो रहा होगा.

निमिषा की उछाल की स्पीड धीमी होती गयी.
उसने शुचित की छाती पर अपने लम्बे नाखूनों से खरोंच के निशाँ बना दिए थे.

फुल नाईट सेक्स इन होटल में एक झटके में निमिषा शुचित की छाती पर लुढ़क गयी.
शुचित ने उसे चूमते हुए चिपटा लिया अपने से!

थोड़ी देर में दोनों खड़े हुए, वाशरूम जाकर अपने को सही किया, कपड़े पहने.

निमिषा ने कॉफ़ी बना ली और साथ ही रिमाइंड कर दिया डिनर के लिए!

कॉफ़ी पीते पीते शुचित ने निमिषा को अपने एडमिशन की बात बता दी.

निमिषा को एक झटका तो लगा, पर उसे भी मालूम था कि उसकी शादी तो शुचित से होगी नहीं!
तो फिर अच्छा है जितना जल्दी शुचित उसकी जिन्दगी से दूर चला जाए.

निमिषा बहुत शातिर दिमाग थी.
उसको यह अच्छे से पता था कि उसकी लाइफ स्टाइल को शुचित अफ्फोर्ड नहीं कर सकता.

डिनर के बाद निमिषा का तो मन था की एक चुदाई का सेशन और हो जाए!
पर समय का भी ख्याल रखना था.

निमिषा ने लिपट कर चूमते हुए शुचित को विदा किया.

अब अगले महीने फाइनल एग्जाम थे.
शुचित निमिषा के बुलाने पर भी टाल देता था आना!
उसका दिमाग इस समय सिर्फ एग्जाम पर केन्द्रित था.

एक्साम से फारिग होकर शुचित और निमिषा एक बार और मिले.
पर सेक्स का कोई मौक़ा नहीं बन पाया.

हालाँकि चुदाई की चुल्ल दोनों को उठ रही थी.

शुचित अपना बोरिया बिस्तर संभाल अहमदाबाद चला गया.

निमिषा के बाप ने पैसे के बल पर उसका एडमिशन फैशन डिजाइनिंग के डिप्लोमा कोर्स में करा दिया.

अब निमिषा को अपने मामा के पास दिल्ली में रहना पड़ा जहां उसको बिलकुल भी आजादी नहीं मिली.

तो निमिषा अगले दो साल लंड का स्वाद तो नहीं चख पायी.
पर अपनी क्लास की एक दो लड़कियों के साथ उनकी चूत चाट कर लेस्बियन बन कर सेक्स का आनंद लेती रही.

दो साल ऐसे ही निकल गए.

शुचित से उसके फोन काल बिलकुल बंद थे.
निमिषा बार बार उसकी चुदाई को मिस करती.
पर शुचित ने अपना सिम बदल लिया था और अब वह निमिषा की पहुँच से दूर था.

निमिषा के रंग ढंग और उसकी हरकतों का एहसास अब जानकीनाथ को भी हो गया था.
उन्होंने उसका डिप्लोमा ख़त्म होते ही उसकी शादी की बात चलानी शुरू की.

पर इतनी तेज तर्रार लड़की को कोई घर मिलना आसान नहीं था.

जानकी नाथ के एक पुराने मित्र ने अपने लड़के विजय का प्रस्ताव जानकीनाथ को दिया.
विजय की एक कोस्मेटिक्स बनाने की नामी कम्पनी थी.

इस रिश्ते में और कोई ख़ास बात नहीं थी, सिवाय इसके कि विजय बहुत पैसे वाला था.

विजय निमिषा से उम्र में लगभग दस साल बड़ा था पर जायदाद और व्यापार के नाम पर जानकी नाथ उसके सामने बौने थे.
निमिषा को भी ये समझ आ गया कि कोई बिगड़ेल रईसजादा ही उसके शौक पूरे कर सकता है.

साथ ही निमिषा का हुस्न और अदाएं विजय को पागल कर गयीं.

उनकी शादी खूब धूम धड़ाके से हुई.

विजय का पूरा खानदान और दोस्त पक्के दारुबाज़ थे.
निमिषा ने ये सोच कर सब बर्दाश्त कर लिया कि यह तो बड़े लोगों का फेशन है और उनकी पहचान है.

सुहागरात पर भी निमिषा के हाथ कुछ नहीं लगा.
विजय का लंड लंबा तो था पर नशे में होने से विजय बिना कुछ किये ही आउट हो गया.

निमिषा को पूरी रात उंगली करके ही काटनी पड़ी.

तो दोस्तो कैसी लगा आपको फुल नाईट सेक्स इन होटल?
लिखिएगा मुझे मेरी मेल आईडी पर
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फुल नाईट सेक्स इन होटल कहानी का अगला भाग: रईस बाप की बिगड़ी हुई औलाद- 3

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