चुदासी दुल्हन को मिला चुदाई का मजा

(Desi Ladki College Sex Story)

देसी लड़की ने कॉलेज सेक्स का मजा लिया 2 लड़कों के साथ. दोनों लड़के उसे क्लासरूम में ले गए और नंगी कर लिया. लड़की को भी मजा आया तो उसने चुदवा लिया.

दोस्तो,
मेरी पिछली कहानी
गांव की कमसिन कली की चुत का मजा
को आप सब पाठकों ने पसंद किया, धन्यवाद.

अब मेरी एक चाहने वाली देसी लड़की ने अपना दर्द मुझे लिख कर भेजा है.
उसकी चाहत है कि उसकी ये कॉलेज सेक्स का मजा कहानी अन्तर्वासना में छप जाए, ऐसा उसने अनुरोध किया है.

यह कहानी सुनें.

हम लोग पहले उसका एक नाम रख लेते हैं … समझ लीजिए रश्मि.

रश्मि 24 वर्ष की है. रश्मि की शादी एक वर्ष पहले ही रोहन से हुई थी.
लेकिन उसे पति का वह शारीरिक प्यार नहीं मिल पाया जिसकी उसे आशा थी और जिसके लिए वह तरस रही थी.

ऐसा नहीं था कि उसका पति सुंदर स्मार्ट नहीं था लेकिन वह बिस्तर पर रश्मि की इच्छाओं को पूरा नहीं कर पाता था; उसकी कमसिन बुर धधकती रह जाती थी.
रोहन उसकी बुर में लंड घुसाने से पहले ही गर्म बुर पर झड़ कर करवट बदल कर सो जाता था.

कॉलेज के जमाने की कली सी खिलने वाली कमसिन लड़की मुरझाए फूलों सी हो गई थी.
अपना दर्द वह किससे कहती … इसलिए वह अपना दर्द अपनी कहानी में बयान कर रही है.

उसकी देसी लड़की की कॉलेज सेक्स की गर्म कहानी उसकी ही जुबानी सुनिए.

मैं 32 वर्ष की हूँ और दिल्ली से हूँ.
मैं एक नई नवेली दुल्हन बनी और कुंवारी ही रही, मुझे आज तक लंड का मजा नसीब नहीं हुआ.

रोहन से मेरी शादी एक वर्ष पहले ही हुई थी.
आंखों में तमाम सपने सजोये मैं अपनी ससुराल आयी थी.

सुहागरात को रोहन शराब के नशे में धुत आया.
उसने झट से अपने कपड़े खोले और मेरी पेटीकोट सहित साड़ी को कमर तक सरका दिया.

मेरी नंगी बुर में वो अपना छोटा सा लंड घुसाने की कोशिश करते करते बुर के ऊपर ही झड़ गया और करवट बदल कर सो गया.
मैं तड़पती रह गई.

ऐसा महीनों चला, पर वह आज तक मेरी बुर को चोद नहीं पाया.
मैं शादी के बाद भी चुदाई की भूखी रह गई.

अपनी शादी से मैं जरा भी खुश नहीं हूँ. पर करूं क्या, समझ में नहीं आ रहा था.

मैं अपना दुख किसी को बांट भी नहीं सकती थी.

तभी मुझे अन्तर्वासना का लिंक मिला, जिससे अपनी वासना मिटाने लगी.
उसी दौरान अन्तर्वासना के एक 54-55 वर्षीय पाठक, कॉलेज जाने वाले दो बच्चों के बाप राहुल से मेरी जान-पहचान बढ़ी.

सेक्सी चैट के बाद मैंने एक प्लान बनाया.
मैं अपने पति की बदनामी नहीं चाहती थी क्योंकि मैं उसे बहुत प्यार करती थी.

राहुल से मेरी नजदीकियां बढ़ने लगीं.
सेक्सी चैट में मैंने उससे अश्लील से अश्लील भाषा का प्रयोग करना शुरू कर दिया जिससे राहुल की मुझसे सेक्स करने की कामना हद से अधिक बढ़ गई.

उसने मुझसे एकांत में मिलने को कहा, जहां वह अपनी इच्छाओं को पूरा कर सके.
थोड़ी नानुकुर करने के बाद मैंने उसकी बात मान ली.

उसने मुझे होटल में बुलाया.
मैंने उससे कहा- मैं उससे समय निकाल कर बताती हूँ.

उसके अगले ही दिन मेरी पति बिजनेस टूर पर मुम्बई के लिए निकल गए.

मैंने साथ ही राहुल से मिलने का मन बनाया. मैंने उससे पूछा कि क्या वह आज मुझसे मिल सकता है?
उसने झट से हां कह दिया.

मैंने कहा- तो फिर आज मिलने की व्यवस्था करें?
उसने कहा- हां ठीक है, मिलते हैं. मैं लोकेशन भेजता हूँ.
उसने लोकेशन भेज दी.

मैं इत्मीनान से बाथरूम में घुस गई.
पहले सारे कपड़े उतारे, बगलों के बाल साफ किए, अपनी चूत की गंदगी को साफ किया, फिर अच्छे से नहाया.

मेरे मादक बदन मंद-मंद सेक्सी खुशबू निकल रही थी.
देर तक अपने बदन को शीशे में निहारती रही.
अजीब सा रोमांच हो रहा था.

बार बार मेरा हाथ मस्त चिकनी बुर पर चला जा रहा था, छेद गीला हो रहा था.
मैंने चूत को थपथपाते हुए मन ही मन कहा- रो मत मुनिया, आज तेरी चुदवाने की इच्छा भी पूरी हो जाएगी.

मैं अपनी प्यासी बुर को मसलती रही और बुर ने पानी छोड़ दिया.
तब जाकर मुझे सुकून मिला.

ऐसा नहीं था कि मैं अब तक चुदी ही नहीं थी. मेरी चुदाई हो चुकी थी.

बाथरूम में मुझे अचानक से मेरी पहली चुदाई की कहानी याद आने लगी.
मेरे मन में कॉलेज के दिनों की वह घटना चलने लगी.

उस दिन कॉलेज में ही छुट्टी के बाद दो लड़कों ने मुझे घेर लिया था.
उस दिन कॉलेज का अंतिम पेपर था.

पांच बजे पेपर समाप्त हुआ था.
कॉलेज के अंतिम छोर पर बने टॉयलेट में पेशाब करके निकली.

तभी हितेंद्र और उपेंद्र ने मुझे पकड़ लिया था. वे मेरे हाथ को पकड़ कर उठा कर बगल के क्लास रूम में ले गए.
दोनों ने जल्दी-जल्दी मेरे कपड़े उतार दिए.

मैं उनके सामने ब्रा और पैंटी में खड़ी थी.
एक ने मेरी चूचियों को मसलना दबाना शुरू कर दिया तो दूसरे ने मेरी पैंटी को नीचे खींच कर अपना मुँह मेरी कुंवारी बुर पर लगा दिया और चुत चूसने लगा.
मेरे तो दिमाग के तोते उड़ गए. मुझे बहुत मजा आ रहा था.

उनकी हरकतों से मेरे बदन में भी सरसराहट होने लगी. मुझे भी उनकी छुअन से अजीब सा मजा आने लगा.
मैंने उनसे कहा- जो करना है जल्दी कर लो, कोई आ जाएगा.

दोनों ने कहा- डरो मत मेरी जान … बस मजा लो. यहां कोई भी नहीं आएगा. हमने चौकीदार को पैसे खिलाए हैं. वह हमारी रखवाली करेगा.
फिर दोनों ने क्लास में रखी बड़ी सी मेज पर मुझे लिटा दिया.

उपेंद्र ने मेरी दोनों जांघों को फैला कर मेरी बुर में अपनी एक उंगली को घुसेड़ दिया.
मैं एकदम से हुए इस हमले से चीख पड़ी ‘उई मां …’

तभी हितेंद्र मेरी चूचियों को बारी-बारी से चूसने लगा. मेरी बड़ी-बड़ी चूचियां उसके मुँह में नहीं आ रही थीं.

उधर उपेंद्र मेरी योनि प्रदेश पर हाथ फेरते हुए अपनी उंगली से बुर को चोदने लगा.
मेरे मुँह से मादक सिसकारी निकलने लगी.

इसी के साथ दोनों ने धीरे धीरे अपने कपड़े उतार दिए.
तभी उपेंद्र ने एक साथ दो उंगलियां मेरी बुर में पेल दीं.

मेरी कमर चीख के साथ ऊपर की ओर उठ गई. अब मैं धीरे धीरे चुदाई के लिए तैयार हो रही थी.
तभी दोनों ने मुझे छोड़ कर सिक्का निकाला और पहले चोदने की बात करने लगे.

हितेंद्र ने कहा- हेड आगे, टेल पीछे.
मुझे समझ नहीं आया कि ये आगे पीछे की क्या बात कर रहे हैं. क्या वो ये तय करना चाह रहे थे कि पहले आगे चुदाई की जाए या पहले पीछे से चोदा जाए.

मैं पीछे की चुदाई की बात सोच कर तनिक घबरा गई.
मगर चुदाई की कामना से मेरे मन में हेनू हेनू होने लगा था.

उसी समय हितेंद्र ने झट से सिक्का उछाला और उपेंद्र ने हेड कहा.
पर आया टेल.

उपेंद्र मायूस हो गया.
मैं कुछ समझ नहीं पाई.

हितेंद्र मेरे पास आ गया. उसने मेरे दोनों पैरों को फैला कर अपना बड़ा सा 8 इंच का लंबा व मोटा लंड मेरी बुर पर रगड़ना शुरू कर दिया.
मेरी बुर कांप सी गई, इतना बड़ा मोटा लंड कैसे झेल पाएगी.

तभी उपेंद्र मेरे सर की तरफ आ गया और मेरे सीने पर बैठ कर अपना लंड मेरे मुँह में दे दिया, साथ ही मेरी चूचियों की घुंडियों को मसलने लगा.
उसके लंड का कसैला सा स्वाद मुझे परेशान करने लगा.

फिर मैं लंड को चूसने लगी तो वह मेरे मुँह को चोदने लगा.

नीचे हितेंद्र मेरी बुर पर अपना लंड रगड़ रहा था.

मेरी बुर अब लंड मांग रही थी.
तभी हितेंद्र ने मेरी बुर के छेद पर लंड का सुपारा रखा और बुर में घुसाने की कोशिश करने लगा.

मेरी बुर सिसकने लगी.
लंड चूसने, चूचियां मसले जाने से बुर ने ढेर सारा पानी छोड़ दिया था, बुर में चिकनाहट आ गई थी.

उसी का फायदा उठाते हुए हितेंद्र ने मेरी कमर को पकड़ कर लंड को हल्का झटका मारा, तो लंड का सुपारा बुर को चीरता अन्दर घुस गया.

मेरी दर्द से चीख निकल गई.
मुँह में लंड घुसा होने के कारण मेरे मुँह से गुगु की आवाज निकल पा रही थी.

हितेंद्र मेरी बुर के दाने को मसल रहा था.
उपेंद्र मेरी मुँह के हथेली से दबाए चूचियों को मसलते हुए बोला- हरामजादी चिल्ला मत … अभी पीछे की सील टूटना भी बाकी है.
तभी हितेंद्र ने मेरी कमर को कस लिया और जोर का झटका दे मारा.

उसका पूरा लंड मेरी बुर की सील को तोड़ता हुआ बच्चेदानी को ठोकर मार रहा था.
मैं दर्द से तड़पने लगी.

थोड़ी देर तक शांत रहने के बाद हितेंद्र मेरी चुदाई करने लगा.
थोड़े दर्द के बाद मुझे भी दर्द के साथ मजा आने लगा.

मेरी बुर से खून निकल रहा था लेकिन चुदाई के मजे में मैं सारा दर्द भूल गई.
मेरे मुँह से मादक सिसकारी निकल रही थी.

अब उपेंद्र मेरे सीने से उठ कर खड़ा हो गया.
वो मेरी चुदाई देखते हुए अपने खड़े लंड को सहला रहा था.

हितेंद्र मेरे ऊपर मुझसे चिपक कर मेरे बदन को रौंद रहा था.
मैं भी चुदाई का मजा लेने लगी थी.

धीरे धीरे हितेंद्र अश्लील भाषा का प्रयोग करने लगा- मादरचोद दो साल से पीछे पीछे घूमा हूँ. आज तेरी बुर चोद कर फाड़ दूंगा … इसका भोसड़ा बना दूँगा.
वह और जोश में चोदने लगा.

मैंने भी जोश में कह दिया- बहनचोद … चोद और जोर से चोद मादरचोद … देखती हूं कि तेरे लंड में कितना दम है.

तभी हितेंद्र ने मुझे पलटते हुए मुझे अपने ऊपर ले लिया और बोला- रश्मि अब तू मुझे चोद.
मैं हितेंद्र के लंड को चुत में लेकर चुदने लगी थी.

मेरी बुर से पच पच की आवाज आ रही थी. बुर और लंड काफी देर से एक दूसरे को रगड़ रहे थे.
उपेंद्र मेरे पीछे खड़ा मेरे चूतड़ों को सहलाने लगा.

वो अपने थूक से मेरी गांड को मसल कर चिकना कर रहा था.
मैं चुदने में मस्त थी, मजे में खोई हुई थी, मुझे पता ही नहीं चला कि कब उपेंद्र मेरी गांड पर लंड घिसने लगा.

मुझे खतरे का अहसास तब हुआ, जब एक जोर के झटका मार कर पूरा लंड मेरी गांड में पेल दिया गया.

मैं दर्द से दोहरी होकर हितेंद्र से चिपक गई.
हितेंद्र के होंठ मेरे होंठों को लॉक कर दिया था. मेरी चीख घुट कर रह गई.

अब मैं दोनों तरफ से चोदी जा रही थी. थोड़ी ही देर में गांड और बुर चुदाई का मजा लेने लगी.
आधे घंटे तक मेरी चुदाई चलती रही. फिर दोनों ने अपनी पोजीशन बदल ली. उपेंद्र नीचे लेट गया. उसने मुझे अपने ऊपर आने को बोला.

फिर अपना लंड पकड़वाया और कहा- बुर के छेद पर सैट करो.
जैसे ही मैंने ऐसा किया, उपेंद्र ने मेरी कमर को पकड़ कर मुझे अपनी ओर खींच लिया.

एक झटके में पूरा लंड बुर में घुस गया.
आह करती हुई मैं उपेंद्र से चिपक गई.

तभी हितेंद्र ने दुहरा बार करते हुए एक झटके में गांड में लंड घुसेड़ दिया.

एक बार फिर दोनों मेरी बुर और गांड की चुदाई करने लगे.
मैं भी मस्ती में चुदने लगी.

मैं कई बार झड़ चुकी थी. दोनों के बीच बस बिना मेहनत के चुदाई का मजा लेने लगी.
अचानक मेरी बुर सिकुड़ने लगी. दोनों के झटके बढ़ने लगे.

तभी उपेंद्र का लंड मेरी बच्चेदानी से चिपक गया.
इधर उपेंद्र पूरा लंड गांड में दबा कर मुझसे चिपक गया.
दोनों अपना गर्म गर्म वीर्य मेरे अन्दर डालने लगे, मैं मजे से निहाल हो गई.

तभी मेरी बुर ने भी पानी छोड़ दिया.

कुछ देर तक तीनों एक दूसरे से चिपके रहे, फिर दोनों उठे और फटाफट अपने कपड़े पहन कर भाग निकले.
मैं वैसे ही पड़ी रही.

कब तक पड़ी रही, मुझे नहीं मालूम.

मुझे होश तब आया जब मुझे लगा कि किसी ने मेरी बुर में मोटा से गर्म सरिया घुसेड़ दिया हो.
तो मेरी चीख निकल गई.

मेरी आंख खुली तो कॉलेज का चौकीदार मुझे चोद रहा था.
उसका लंड उपेंद्र और हितेंद्र के लंड से बड़ा और मोटा था.

अब मैं थक गई थी, चुदने का मन नहीं रहते हुए भी उससे चुद रही थी.

थोड़ी देर बाद मुझे भी मजा आने लगा और मैं नीचे से कमर उठा-उठा कर चुदवाने लगी.
आधे घंटे चोदने के बाद उसने भी अपने गर्म माल से मेरी बुर को भर दिया.

मैंने उसे अपने सीने से चिपका लिया.
इस तरह से मैं पहली ही बार तीन-तीन लवड़ों से चुदी थी.

मेरी पूरी जांघें वीर्य और मेरी खून से लथपथ थीं.
मैंने किसी प्रकार अपने कपड़े पहने और घर पहुंची … हालांकि अंधेरा हो चुका था. इसलिए मुझे किसी ने देखा नहीं.

उस दिन के कॉलेज सेक्स को याद करते हुए मैं आज फिर से अपनी बुर को रगड़ने लगी थी.
एक बार फिर से मेरी बुर ने पानी छोड़ दिया.

मैं तैयार होकर अपने बाप की उम्र के बॉयफ्रेंड से मिलने के लिए निकल पड़ी.
झांसी वाला पार्क में दोनों मिले.

फिर उसकी कार से लांग ड्राइव पर निकल पड़े.
राहुल 6 फिट का 55 वर्षीय स्मार्ट मर्द था. उसके चेहरे पर उम्र का कोई भी तकाजा नज़र नहीं आता था.

हट्टा-कट्टा आकर्षक चेहरा था.
कोई कह नहीं सकता था कि वो कॉलेज जाने वाले बच्चों का बाप होगा.

बहरहाल उसके बगल में बैठी मौसम का नज़ारा कर रही थी कि उसने अपना एक हाथ मेरी जांघों पर रख दिया.

उसकी छुअन से मेरा शरीर कांप उठा.
मैंने उसकी तरफ देखा पर कुछ कहा नहीं.

उसने धीरे-धीरे हाथ सरकाते हुए मेरी साड़ी को ऊपर उठा दिया और नंगी जांघों को सहलाते हुए बुर की तरफ बढ़ने लगा.
अंततः उसकी उंगली मेरी बुर को पैंटी के ऊपर से ही कुरेदने लगी.

मैं आंख बंद कर मजे का अहसास कर रही थी.

तभी उसने मेरा हाथ पकड़ कर पैंट के अन्दर खड़े लंड पर रख दिया.
मैं शरमाई और हाथ हटा लिया.

उसने फिर से हाथ फिर से अपने लंड पर रख कर दबा दिया.
अब उसकी उंगली मेरी बुर को कुरेद रही थी और मेरे हाथ उसके लंड को सहला रहे थे.

वह मेरी बुर को कुरेद रहा था जबकि मेरी बुर से शोले उठने लगे थे.
मेरे बदन में आग जलने लगी थी.

मैंने उसकी पैंट की चैन खोल कर उसका मोटा लंड हाथों में पकड़ा और सहलाने लगी.
अब वह मेरी चुदासी बुर में अपनी मोटी सी बीच की उंगली घुसेड़ कर आगे पीछे करने लगा.

मेरे बदन की पूरी आग मेरी बुर में सिमटने लगी थी.
मजा लेते हुए मैं उसका लंड मुँह में लेकर चूसने लगी.
वह भी आहें भरने लगा.

अचानक उसने गाड़ी जंगल की तरफ़ मोड़ दी और घने जंगल में उधर ले गया, जहां सूर्य की रोशनी भी मुश्किल से पहुंचती है.

उधर उसने गाड़ी रोक दी और मुझे अपनी बांहों में खींच लिया.
उसके होंठ मेरे होंठों से चिपक गए.
वह मेरे रस को चूसने लगा.

मेरे बदन की आग भड़क रही थी.
शायद उससे भी कंट्रोल नहीं हो रहा था.

उसने जल्दी से मेरी साड़ी उठा कर कमर पर की और अपने पैंट को घुटनों तक खिसका कर अपना लंड निकाल लिया.
मेरे कुछ समझने से पहले लंड मेरी चूत पर टिकाते हुए एक ही झटके में लंड अन्दर पेल दिया.

मेरे मुँह से दर्द भरी आह निकली, परन्तु चुदाई के लिए तरस रही थी इसलिए मैंने परवाह नहीं करते हुए चूत को ऊपर की तरफ़ उछाल दी.
मैं दर्द सहती हुई उछल उछल कर चुदवाने लगी.

उसने भी लंबे लंबे शॉट लगाने शुरू कर दिए.
मैं गैर मर्द की बांहों में उसके मोटे लंड से अपनी मस्त चूत को चुदा रही थी.

दोनों पेलने पिलवाने में मस्त थे.
चप चप की आवाज चूत लंड के मिलन से निकल रही थी.

‘आह चोदो और जोर से पेलो … फाड़ दो मेरी बुर को … हरामजादी चैन से रहने नहीं देती …’
‘ले रंडी तेरा ही लंड है … उठा भोसड़ी वाली अपनी चूत को … ऊपर उठा तेरी चुदासी चूत को फाड़ कर ही दम लूंगा.’

ये आवाजें माहौल को गर्मा रही थीं.
वह और जोर जोर से चोदने लगा था.

हम दोनों के बदन पसीने से भीग चुके थे. लेकिन चुदाई में खोए कोई भी हार मानने को तैयार नहीं था.
फिर वह रुका, मुझे खिड़की के सहारे घोड़ी बना कर अपना मोटा लंबा लंड मेरी चूत में पेल कर चोदने लगा.

अंततः आधे घंटे की चुदाई के बाद दोनों एक साथ झड़ गए.
उसने सारा माल मेरी चूत में भर दिया.

उसने मुझे अपने सीने से चिपका लिया मेरे गाल चूसते चूमते हुए मेरे दूध को सहला रहा था.
फिर हमने कपड़े ठीक किए.

ऐसे मेरी चूत की प्यास बुझी.
बाद में मैं उससे हर सप्ताह मिलती, चूत की खातिरदारी उसके लंड से कराना मेरी आदत में शामिल हो गई.

कैसी लगी देसी लड़की की कॉलेज सेक्स की कहानी? मुझे बताइएगा.
उसके बाद कैसे उसने मेरी पूरी रात मांगी और न भूलने वाली चुदाई का मजा दिया.
वो सब मैं अगली कहानी में लिखूंगी.
मुझे मेल जरूर करें.
धन्यवाद.
[email protected]

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