बहन का लौड़ा -24

(Bahan Ka Lauda -24)

अभी तक आपने पढ़ा..

नीरज- बस थोड़ी देर और मुझे प्यार कर लेने दो.. देखो तुमने वादा किया था.. मना नहीं करोगी.. प्लीज़ बस थोड़ा और मज़ा लेने दो.. तुम्हारे महकते जिस्म ने मुझे मदहोश कर दिया है।
रोमा- आह्ह.. मैं मना नहीं कर रही हूँ कककक.. प्लीज़ आह्ह.. दोबारा आऊँगी आह्ह.. बाकी का तब कर लेना.. आह्ह.. मेरे कपड़े गंदे हो जाएँगे ऐइ!

नीरज समझ गया.. कि रोमा की बातों का क्या मतलब है और उसने ऐसी हरकत कर दी.. जिसका रोमा ने अंदाज़ा भी नहीं लगाया होगा।
नीरज बैठ गया और एक ही झटके में उसने रोमा के स्कर्ट को पकड़ कर खींच दिया। अब रोमा की सफेद पैन्टी में से उसकी गीली चूत साफ नज़र आने लगी.. जिसे देख कर नीरज का दिमाग़ घूम गया।

रोमा- ओह.. माय गॉड.. ये क्या किया आपने.. नहीं ये ग़लत है.. छोड़ो मुझे प्लीज़.. नीरज मुझे शर्म आ रही है।
नीरज- अरे घबराओ मत.. मैं कुछ नहीं करूँगा.. बस प्यार करूँगा.. ये मैंने इसलिए निकाली है.. ताकि खराब ना हो.. प्लीज़ रोमा.. तुम्हें मेरी कसम है बस.. थोड़ी देर मुझे करने दो.. मैं वादा करता हूँ.. बस होंठों से प्यार करूँगा और कुछ नहीं प्लीज़।

अब आगे..

रोमा बहुत ज़्यादा उत्तेज़ित हो गई थी बस थोड़ी घबरा रही थी। असल में उसको भी ये सब में मज़ा आ रहा था.. मगर वो एक कच्ची कली थी.. उसका डरना भी सही था।
रोमा- आह्ह.. नहीं नीरज.. आज के लिए इतना उई..ई.. काफ़ी है.. आह्ह.. प्लीज़ मुझे घर जाने दो ना।

नीरज- देखो रोमा मुझे ऐसे अधूरा छोड़ कर मत जाओ.. और तुम भी तो प्यार के पहले मिलन का मज़ा लो.. बस 5 मिनट मुझे प्यार करने दो.. उसके बाद चली जाना प्लीज़।
रोमा- आह्ह.. ओके आह्ह.. मगर जल्दी ओफ.. माँ को पता लग गया.. तो मुझे मार देगी वो।

नीरज- मैं ऐसा कुछ नहीं करूँगा.. जिससे तुमको तकलीफ़ हो.. बस 5 मिनट चुप रहो.. मैं जो करूँ.. करने दो.. देखो कितना मज़ा आता है.. अब बस चुप रहना तुम.. और ये टॉप भी निकाल दो.. मैं तुम्हारे खूबसूरत जिस्म को देखना चाहता हूँ। प्लीज़ ना.. मत कहना.. बस 5 मिनट के लिए अपने आपको मेरे हवाले कर दो।

रोमा समझ गई कि अब मना करने से कोई फायदा भी नहीं.. नीरज मानेगा तो है नहीं.. और उसको भी मज़ा आ रहा था तो उसने चुपचाप ‘हाँ’ में गर्दन हिला दी।

नीरज ने जल्दी से उसका टॉप भी उतार दिया। सफ़ेद ब्रा और पैन्टी में रोमा बला की खूबसूरत लग रही थी। उसका दूधिया बदन और कयामत ढा देने वाला फिगर नीरज को पागल कर रहा था। वो बस बैठहाशा रोमा पर टूट पड़ा। कभी ब्रा के ऊपर से उसके मम्मों को चूसता.. तो कभी उसके पेट को धीरे-धीरे वो रोमा की चूत तक पहुँच गया। पैन्टी के ऊपर से उसने चूत को होंठों में दबा लिया और चूसने लगा।

रोमा- आह्ह.. ऐइ.. नीरज आह्ह.. मुझे कुछ हो रहा है.. ऐइ.. ससस्स.. प्लीज़ अब बस भी करो.. आह्ह.. 5 मिनट हो गए.. ऐइ.. ऐसा मत कररो उई..ई.।

नीरज कुछ ना बोला और बस चूत को चूसता रहा.. रोमा जल बिन मछली की तरह तड़पने लगी।

अचानक नीरज ने पैन्टी को एक साइड हटाया और सीधे होंठ चूत पर रख दिए।

रोमा- सस्सस्स आईईइ आह.. नीरज आप्प प्लीज़ आह्ह.. मुझे ज़ोर से आह बाथरूम आ रहा है.. उई..ई.. हटो एयेए।

नीरा ने रोमा की जाँघें पकड़ लीं और ज़ोर-ज़ोर से चूत चाटने लगा। रोमा उत्तेजना के चरम पर थी… किसी भी पल उसकी चूत का जवालामुखी फटने वाला था। वो कमर को हिला-हिला कर मज़ा लेने लगी और आख़िर वो पल आ गया, रोमा की चूत ने अपना पहला कामरस छोड़ना शुरू कर दिया.. जिसे नीरज जीभ से चाटने लगा।

कुछ देर बाद जब रोमा शांत हुई.. उसकी चूत का पूरा रस चाटने के बाद नीरज बैठ गया।

नीरज- आह.. मज़ा आ गया.. रोमा तुम बहुत खूबसूरत हो.. तुम्हारा जिस्म भी महकते गुलाब जैसा है।
रोमा अब ठंडी हो गई थी.. अब उसको अहसास हुआ कि वो सिर्फ़ ब्रा-पैन्टी में नीरज के सामने बैठी है।

उसने जल्दी से अपने घुटने सिकोड़ लिए और अपने मम्मों और चूत को छुपाने लगी।

नीरज- अरे क्या हुआ रोमा.. तुम्हारे चेहरे पर ये उदासी क्यों.. क्या हुआ.. तुम्हें मज़ा नहीं आया क्या?
रोमा- नहीं नीरज.. अभी जो हुआ अच्छा नहीं हुआ।

नीरज- अरे जान.. ऐसा क्या हो गया.. बस प्यार ही तो किया मैंने.. तुम्हारे सुलगते जिस्म को ठंडा किया मैंने… तुम्हारी जवानी का पहला कामरस निकाला मैंने.. और तुम उदास हो रही हो। अपने दिल पर हाथ रख कर पूछो कि मज़ा आया कि नहीं।

रोमा- सच कहूँ.. ऐसा मज़ा कभी जिंदगी में नहीं आया.. मगर शादी के पहले ये सब करना गलत है ना.. अपनी हवस को पूरा करने के लिए हम समाज के नियम तोड़ रहे हैं।

नीरज- जान कैसी बातें कर रही हो.. प्यार कभी ग़लत नहीं होता.. ना शादी के पहले.. ना शादी के बाद.. हाँ.. अगर प्यार सिर्फ़ हवस के लिए किया जाए.. तो ग़लत है। देखो मैंने अपने कपड़े निकाले क्या.. तुम्हें सेक्स के लिए मजबूर किया क्या..? हाल तो मेरा भी खराब है.. मगर मैं ख़ुदग़र्ज़ नहीं हूँ। अगर तुम खुद चलकर मुझे प्यार दोगी तभी मैं लूँगा.. वरना नहीं.. समझी अब अपने कपड़े पहन लो और जाओ.. मुझे नहीं पता था.. इतना समझाने के बाद भी तुम मेरे प्यार को हवस का नाम दोगी।

रोमा- नहीं नहीं नीरज.. आप मुझे गलत समझ रहे हो.. मेरा ये मतलब नहीं था.. प्लीज़।

बहुत देर तक दोनों में बहस होती रही आख़िरकार रोमा को झुकना पड़ा और नीरज अपने नापाक इरादे में कामयाब हो गया।

रोमा- ओके बाबा मैं कान पकड़ कर सॉरी कहती हूँ.. बस अब आप जो कहोगे.. मैं करूँगी और थैंक्स कि आज आपने मुझे इतना मज़ा दिया।

नीरज- ये हुई ना मोहब्बत वाली बात.. अब देखो मेरी जान.. मैंने तुम्हें इतना मज़ा दिया.. तुमने सारे कपड़े निकाल दिए। मगर ब्रा और पैन्टी नहीं निकाली.. बस एक बार तुम्हारे संगमरमरी जिस्म को बिना कपड़ों के भी दिखा दो न। अपने संतरे जैसे कड़क मम्मों का रस पिला दो.. पैन्टी में छुपी अपनी मादक चूत के दीदार करा दो.. तब मैं समझूँगा कि तुम मुझसे सच्ची मोहब्बत करती हो.. बोलो दिखाओगी ना।

रोमा- छी: छी:.. आप कितने बेशर्म हो.. कैसी बातें करते हो.. मैं नहीं दिखाती.. मुझे शर्म आ रही है।

नीरज- अरे यार.. अब आधी नंगी मेरे सामने खड़ी हो.. पूरी होने में कैसी शर्म और मैं तो तुम्हारा होने वाला पति हूँ.. आज नहीं तो कल.. मेरे सामने नंगी होना ही है.. तो आज क्यों नहीं।

रोमा- ओके ओके.. चलो अपनी आँखें बन्द करो.. मुझे ऐसे शर्म आ रही है और मैं कहूँ.. तब आँखें खोलना।

दोस्तो, उम्मीद है कि आप को मेरी कहानी पसंद आ रही होगी.. मैं कहानी के अगले भाग में आपका इन्तजार करूँगी.. पढ़ना न भूलिएगा.. और हाँ आपके पत्रों का भी बेसब्री से इन्तजार है।
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