अंधी चाहत-2
रोनी सलूजा मैंने अपने ऊपर संयम रखते हुए उसे फिर कुर्सी पर बिठा दिया और बात को बदल कर माहौल को खुशनुमा बनाने में लग गया। कुछ देर बाद दीप्ति मेरी बातों से आश्वस्त होकर चली गई और मैं अपनी एकतरफा चाहत में किसी नतीजे पर नहीं पहुँच पाया था। मैंने भी इंतजार करना मुनासिब […]