मेरा गुप्त जीवन -3
सुन्दरी के साथ बड़े ही गर्मी भरे दिन बीत रहे थे, भरी दोपहर में वह छुपते हुए मेरे कमरे में आ जाती थी और हम दोनों एक दूसरे में खो जाते थे। आते ही वह मुझ को लबों पर एक चुम्मी करती और मेरे होटों को चूसती। एक दिन उसने पूरी नंगी होकर लंड को अपने अंदर डालने की कोशिश की, सबसे पहले उसने मेरे लंड को चूत के मुंह पर रगड़ा, तभी उसने नीचे से एक ज़ोर का धक्का मारा और मेरा लंड पूरा अंदर चूत में चला गया।