मसक कली मौसी-3
प्रेषिका : श्रेया आहूजा मुझे भी मज़ा आने लगा। मैंने मौसी का हाथ पकड़ लिया और अपने आनन्द के अनुसार मौसी के हाथ की गति निर्धारित करने लगी। मेरा मज़ा बढ़ता ही जा रहा था और एक बार तो ऐसा लगा कि मैं मर ही जाऊँगी इस आनन्द के सागर में डूब कर ! मेरी […]