तीसरी कसम-8
प्रेम गुरु की अनन्तिम रचना रेशम की तरह कोमल और मक्खन की तरह चिकना अहसास मेरी अँगुलियों पर महसूस हो रहा था। जैसे ही मेरी अंगुली का पोर उस रतिद्वार के अन्दर जाता उसकी पिक्की संकोचन करती और उसकी कुंवारी पिक्की का कसाव मेरी अंगुली पर महसूस होता। पलक जोर जोर से सीत्कार करने लगी […]