सावन जो आग लगाए-1
प्रेम गुरु की कलम से…. अभी तक अपना कौमार्य बचा कर रखा था। मैं तो चाहती थी कि अपना अनछुआ बदन अपने पति को ही सुहागरात में समर्पित करुँ पर इस शमा की बातें सुन सुन कर और इस पिक्की में अंगुली कर करके मैं भी थक चुकी थी। मेरी रातों की नींद इस शमा […]