तीसरी कसम-4
प्रेम गुरु की अनन्तिम रचना मैं अभी अपने ख्यालों में खोया ही था कि पलक की आवाज से चौंका। ‘सर एक बात पूछूँ?’ ‘यस… हाँ जरूर !’ ‘क्या एक आदमी दो शादियाँ नहीं कर सकता?’ ‘क्यों? मेरा मतलब है तुम ऐसा क्यों पूछ रही हो?’ ‘कुछ नहीं ऐसे ही !’ ‘दरअसल किसी धर्म में चार […]