एक थी वसुंधरा-3

मैंने पैंटी में से हाथ निकाल कर अपने नाक के पास करके लम्बी सी सांस ली. मेरी हथेली से वसुंधरा के जिस्म के पसीने और डियो की मिलीजुली, सौंधी सी महक आ रही थी.

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