चूत जवां जब होती है- 4
'आ जाओ बड़े पापा... मैं नंगी हो रही हूँ... और अपनी चूत के पट अपने हाथों से खोल के लेटती हूँ आपके स्वागत के लिए...हा हा हा!' आरती हँसते हुए बोली और फोन कट गया।
अन्तर्वासना की हॉट हिंदी सेक्स कहानियाँ - Chudai ki Kahani, Audio Sex Story, XXX Stories and Adult Stories and More in Hindi
'आ जाओ बड़े पापा... मैं नंगी हो रही हूँ... और अपनी चूत के पट अपने हाथों से खोल के लेटती हूँ आपके स्वागत के लिए...हा हा हा!' आरती हँसते हुए बोली और फोन कट गया।
कुछ देर बाद उसने मुंह हटा लिया और उसकी लार से चुपड़ा हुआ मेरा लण्ड लहराने लगा; उसके मुखरस का एक गाढ़ा सा तार अभी भी मेरे लण्ड और उसके होठों के बीच झूल रहा था।
वत्सला ने डरते डरते अपनी जीभ मेरे लण्ड से छुआ दी, फिर दुबारा थोड़ा और शहद चाट लिया। मैंने भी लण्ड को आगे की तरफ कर दिया और वत्सला रुक रुक कर लण्ड पर अपनी जीभ लगा लगा कर चाटने लगी।
आरती के कहने पर मैंने वत्सला को अपनी बाहों में भर लिया और उसके कुंवारे बदन से खेल कर उसे मज़ा देने लग, उत्तेजित करने लगा। वो बेचैन हो उठी थी।
फोटोकॉपी की दुकान पर काम करने वाली सेक्सी जवान लड़की को कैसे पटा कर मैंने उसे चोदा, बस यही है इस कहानी में… पढ़ कर मज़ा लीजिये।
जब कोई लड़की अपनी चूत अपने हाथों से खोल कर इस तरह से लेटकर चोदने का न्यौता देती है तब यह उसके समर्पण की पराकाष्ठा होती है, अपनी लाज शर्म त्याग कर ही वो ऐसा कर पाती है...
'और तेज तेज धक्के मारो मुझे… गाली दे के चोदो मुझे… जैसे मेरी मम्मी चुदवाती है पापा से!' वो अपनी कमर उछालते हुए तड़प कर बोली।'तुम्हारी मम्मी को गाली सुनते हुए चुदवाना पसन्द है... कौन सी गाली देते हैं तुम्हारे पापा?' मैंने धक्के लगाते हुए पूछा।
कुछ कामिनियाँ ऐसी होती हैं जो चूत लण्ड जैसे शब्द कभी मुंह से नहीं ले सकतीं, कुछ अत्यंत शर्मीली लज्जालु होती हैं वे चुपचाप लेट कर चुदवाना पसन्द करतीं हैं, पूरी नंगी भी नहीं होतीं और अपना कोई सहयोग भी नही देतीं...
काफी दिन नीरस बिताने के बाद मेरी सहेली के बताने पर एक रिटायर्ड फौजी से ऑनलाइन दोस्ती हुई तो उसके साथ खुल कर बातें होने लगी और एक दिन उसने मुझे कैम पर खुद को दिखाया.
मेरा वो दोस्त मुझसे मिलने और सम्भोग के लिए इतना उत्सुक हो चुका था कि वो किसी भी हद तक जाने को तैयार था। मुझे वो रोज परेशान करने लगा तब मैंने यह बात तारा को बताई।
मैं घबरा सी गई और पता नहीं मेरे मुँह से ऐसा क्यों निकल गया कि जल्दी कर लो.. मुझे शाम तक जाना है। इतना सुनने की देर थी कि उन्होंने मुझे अपनी बाँहों में भर लिया।
बेडरूम में जाकर वोु मेरे कंधे पकड़ कर नीचे लेट गईं.. फिर मेरे गले में हाथ डालकर मुझे अपने ऊपर खींच कर किस करने लगीं। मैंने उनकी चूत की फाँक पर अपना लण्ड रगड़ा। 'अन्दर डालो न..' कहते हुए उन्होंने मेरे होंठों को हल्के से काट लिया।
उन्होंने मुस्कुराते हुए मेरी योनि के दोनों होंठों को दोनों हाथों की उंगलियों से फैला कर छेद को चूम लिया.. ऐसा लगा जैसे एक बिजली का झटका मेरी योनि से होता हुआ मेरे दिमाग में चला गया।
मैं आलिंगन से छूटा तो बोला- उफ़ लोनी, तुम तो कमाल की चीज़ हो… क्या हॉट और सेक्सी शरीर है तुम्हारा! यह कहते हुए मैंने उसके गोल गुदाज़ मम्मों पर हाथ फेरा और फिर दोनों हाथों से उसके उभरे हुए चूतड़ों को सहलाया।
मैं उनके ऊपर अपनी टाँगें फैला कर बैठ गई। मैंने एक हाथ से योनि को फ़ैलाने की कोशिश की.. और दूसरे हाथ से लिंग को पकड़ सीधा कर योनि के छेद पर रास्ता दिखाते हुए कमर नीचे दबाने लगी।