मेरा गुप्त जीवन- 155
करीब आधी रात को मैंने साथ वाले कमरे में सोई चंचल भाभी के कमरे में झाँका और यह देख कर हैरान हो गया कि भाभी अपनी साड़ी ऊपर उठा का अपनी चूत में ऊँगली मार रही थी।
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करीब आधी रात को मैंने साथ वाले कमरे में सोई चंचल भाभी के कमरे में झाँका और यह देख कर हैरान हो गया कि भाभी अपनी साड़ी ऊपर उठा का अपनी चूत में ऊँगली मार रही थी।
दोस्त के कहने पर मैं उसकी छोटी बहन को पढ़ाने लगा। लेकिन वो एक पटाखा माल थी और मेरी नजर उसके बदन पर रहती थी। बाद में मुझे पता चला कि वो भी मुझमें रुचि ले रही थी।
दोनों औरतों ने फ़ौरन अपने कपड़े उतार दिए और अपनी झांटों भरी चूतों की नुमाइश मेरे सामने लगा दी। मैंने हुक्म दिया- अब पीछे मुड़ कर दोनों अपने चूतड़ों के दर्शन करवाओ। उसके बाद एक दूसरी के मम्मों को चूसो।
यह कहानी मेरी एक सहेली की है जिसे पढ़ाई का खर्च पूरा करने के लिये अपना बदन बेचना पड़ा। उसने मुझे बताया कि एक पॉश कालोनी में एक आलीशान घर में एक औरत दलाली करती है।
मैं सोनी के बाल पकड़े और उसको दीवार से लगा दिया और फिर उसके प्यारे कोमल होंठों को जोर-जोर से चूसने लगा और कभी-कभी काट भी लेता, उसकी गर्दन पर चुम्बन करने लगा।
दोनों भाभियाँ नंगी थी और रश्मि मुझे गैर मर्द से अपनी पहली चूत चुदाई की दास्तान सुनाने लगी कि कैसे उसने पड़ोस के युवा लड़के को अपना नंगा बदन दिखा कर पटाया।
मैं जोर-जोर से सोनी की चुदाई करने लगा। क्या मौसम था यार.. और ठण्ड का समय.. खुले आसमान में सोनी की चुदाई की गर्मी मैं धकापेल करे जा रहा था.. क्या मस्त मजा आ रहा था।
गाँव की पड़ोसन भाभी एकदम मक्खन जैसी गोरी और वो अपने मोटे चूतड़ मटका कर चलती थी.. भाभी की निगाहें नशीली थीं शायद वो मुझे अपनी हवस मिटाने के लिए लाइन देती थी.. पर मैं समझ ना पाता था।
मामा के घर ममेरे भाई की बीवी मस्त माल थी। भाई अक्सर बाहर रहते हैं तो भाभी घर में अकेली रहती हैं। मैंने भाभी को पटाने की सोची और उनसे बातें करने लगा तो भाभी ने ही पहल कर दी।
पूनम को पता था कि मैंने किसी फ़िल्म में काम किया है, वो और काफ़ी जने मेरे साथ फ़िल्म देखने गई। वहाँ पर पूनम को मैंने बॉक्स में ले जा कर चोदा।
परीक्षा भवन के बाहर एक लड़की मुझे भा गई. कॉलेज में भी वो लड़की मुझे दिखी और दोस्ती भी हो गई लेकिन उसने आगे कोई भाव नहीं दिया. एक बार एक रंडी को चोदने का मौक़ा मिला.
मैं माँ के साथ ही खेतों में हगने के लिए जाता था। वहीं सभी गाँव की औरतें भी हगने जाती थीं। हगने के लिए माँ मुझे अपने पास ही बिठाती थीं, हमेशा अपनी माँ की चूत गाण्ड रोज देखता था।
मैंने फिर से अपना हाथ उसके कंधे पर रखा.. इसके बाद वो कुछ नहीं बोली.. तो मैंने आगे बढ़ने का सोचा और अपनी उंगलियों से उसकी जुल्फों को सहलाने लगा।
अब तक आपने पढ़ा.. फिर 15 मिनट आराम करके उठे.. और मैंने गद्दे को वापस कमरे में रख दिया। अब तक दोनों ने कपड़े भी नहीं पहने थे.. और कपड़े हाथ में लिए ही नीचे आने लगे। मैंने सोनी को गोद में उठाया हुआ था, मैं उसे कमरे में ले गया.. और चुम्बन करने लगा। […]
क्या सच में माँ.. अच्छा हुआ तुमने कल हमारी चुदाई की आवाज सुन ली.. तो फिर अब तुम भी भाभी के जैसी मालिश के लिए तैयार हो या नहीं?