एक भाई की वासना -18
जाहिरा ने मेरा दिया हुआ लिबास पहना, उसकी चिकनी गोरी टांगें घुटनों से नीचे बिल्कुल नंगी थी, स्लीवलैस शर्ट में गोरी नंगी बाहें और ब्रा की स्टैप दिख रहे थे।
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जाहिरा ने मेरा दिया हुआ लिबास पहना, उसकी चिकनी गोरी टांगें घुटनों से नीचे बिल्कुल नंगी थी, स्लीवलैस शर्ट में गोरी नंगी बाहें और ब्रा की स्टैप दिख रहे थे।
मैंने आँखें बंद कर लीं.. जैसे कि मैं सो गई हूँ, जाहिरा की आँखें भी बंद थीं। मुझे जाहिरा की दूसरी तरफ फैजान हिलता हुआ महसूस हुआ। उसने जैसे नींद में ही करवट ली और सीधा अपनी बाज़ू और टांग को अपनी बहन के ऊपर रख दिया।
मैं हिली तो फ़ैजान सोने का नाटक करने लगा। मैं बाथरूम गई तो फ़ैजान फ़िर अपनी बहन को चूमने लगा। मैं बाथरूम से आकर फ़ैजान के ऊपर लेट कर उसे चूमने लगी और चुदाई की।
मैं सोच रही थी कि अब क्या किया जाए जिससे फैजान को अपनी बहन के क़रीब आने का और मौका मिले और अपनी बहन का जिस्म को देखने, भोगने का भरपूर मौका मिल सके।
उस सेक्सी नाईट ड्रेस में जाहिरा तो क़यामत ही लग रही थी, उसका खूबसूरत चिकना चिकना सीना बिल्कुल खुला हुआ था, उसकी चूचियों का ऊपरी हिस्सा नंगा हो रहा था...
अरे यार क्यों शर्मा रही हो? तुमको इसमें तुम्हारे भैया देख तो चुके ही हैं.. तो फिर घबराना कैसा है? चलो जल्दी से जाओ और यह ड्रेस पहन कर आओ और मैं भी पहन कर आती हूँ.. और हाँ नीचे जीन्स ही रहने देना.. उस मॉडल की तरह कहीं पैन्टी पहन कर ना आ जाना बाहर..
रात को फैजान को मैंने बीच में लिटाया और अगल बगल हम दोनों लेटी. मैंने फैजान को खूब गर्म करके बीच में छोड़ दिया तो तंग हो कर वो जाहिरा के बदन को सहलाने लगा.
फैजान की हिम्मत बढ़ने लगी और उसने जाहिरा के कन्धों को किस करते हुए थोड़ा और आगे को आते हुए उसके सीने के ऊपरी हिस्से को और फिर अपनी बहन के गाल को भी चूम लिया। एक बार तो उसने हिम्मत करते हुए जाहिरा के पतले-पतले गुलाबी होंठों को भी किस कर लिया।
इस बात को समझते हुए कि दोनों बहन-भाई के चेहरे एक-दूसरे के इतने क़रीब हैं और दोनों ने एक-दूसरे को सोते में इस तरह से चिपका लिया हुआ है.. तो दोनों ही एकदम से पीछे हटे और शर्मिंदा से होते हुए उठ कर बिस्तर की पुस्त से पीठ लगाते हुए बैठ गए।
मैंने अपने दोनों हाथ उसकी चूचियों पर पहुँचा ही दिए और अपनी ननद की दोनों नंगी चूचियों को अपनी मुठ्ठी में ले लिया और बोली- उउफफफफ.. क्या मजे की हैं तेरी चूचियाँ.. जाहिरा.. मेरा दिल करता है कि इनको कच्चा ही खा जाऊँ।
फैजान की नज़र भी सीधी-सीधी अपनी बहन की खुली ओपन क्लीवेज और चूचियों पर ही जा रही थी। मैंने महसूस किया कि फैजान नाश्ता कम कर रहा था और अपनी बहन की चूचियों को ज्यादा देख रहा था।
जाहिरा सीना तान कर अपनी चूचियों को बाहर को निकालते हुए बोली- देखो.. कितनी बड़ी हो गई हूँ मैं और सुबह भी तो आपने देखा ही था ना.. मैं कोई बच्ची जैसी हूँ?
मैं समझ गई कि जाहिरा की चूत पहली-पहली बार पानी छोड़ रही है। मैंने उसके जिस्म को अपने जिस्म के साथ भींच लिया और थोड़ी ही देर में ही उसका जिस्म मेरी बाँहों की गिरफ्त में बिल्कुल ढीला हो गया।
मैंने शरारत से जाहिरा के निप्पल को चुटकी में पकड़ कर मींजा और बोली- जानेमन तेरी चूचियाँ बड़ी प्यारी लग रही हैं.. जाहिरा ने भी फ़ौरन से ही मेरी चूची को मुठ्ठी में लेकर जोर से दबाया और बोली- भाभी.. आपकी भी तो पूरी नंगी ही नज़र आ रही हैं।
मैं और जाहिरा बनियान और कच्छी पहने बारिश में नहा रही थी कि फ़ैजान ने दरवाजे की घण्टी बजाई। मैंने दरवाजा खोला, फ़ैजान के कपड़े उतार उसका लंड चूसा और उसे भी बारिश में ले गई जहां उसकी बहन लगभग नंगी खड़ी थी।