मैं, मेरी बीवी और चचेरे भाई का सपना हुआ सच -5
उसकी इस हरकत से में और उत्तेजित होने लगा, मैंने अपना हाथ उसके टॉप के अंदर डाल दिया और अब उसके नंगे बदन पर मेरे हाथ रेंग रहे थे, उसके मस्त उभारों को में सहला रहा था।
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उसकी इस हरकत से में और उत्तेजित होने लगा, मैंने अपना हाथ उसके टॉप के अंदर डाल दिया और अब उसके नंगे बदन पर मेरे हाथ रेंग रहे थे, उसके मस्त उभारों को में सहला रहा था।
नीलेश मेरी तरफ देखता हुआ आँखों से इशारे से बताने की कोशिश कर रहा था कि स्कर्ट और टॉप थोड़ा नीचे कर दूँ पर वो अभी मेरा प्लान जानता ही कहाँ था।
अब मधु बैठ नहीं रही थी क्योंकि उसका तौलिया बहुत ऊपर तक था। वो सोफे के दूसरी तरफ खड़ी रही, मैं सोफे पर बैठा बैठा अपना हाथ बढ़ा कर उसकी चिकनी चूत को सहला रहा था।
मधु नीलेश के बालों को पुचकारते हुए बोली- भइया, आप बहुत अच्छी चुदाई करते हैं। आपका कड़क लंड ऐसा लग रहा है जैसे लोहे की रॉड अंदर डाल दी हो। आप तो... आह ओह्ह्ह आह… भर दो ओह्ह्ह आह आह मेरी चूत को!
मधु बोली- आप तो मेरे हीरो हो, मुझे बहुत मज़ा आया। और सबसे ज्यादा आपको उत्तेजित देखकर बार बार में उत्तेजित हो रही थी। मैं तो अभी तक आपको अपने अंदर महसूस कर रही हूँ।
मेरे पति दफ़्तर चले गए, पीछे से देवर भाभी रह गये तो कुछ ना कुछ गुल खिलना ही था। इस भाग में बस यही है कि भाई के पीछे देवर भाभी के बीच क्या क्या हुआ!
भैया बोले- हाँ भाभी, वो आपके मुंह में जाने को बेताब है। मैं आपकी चूत चाटता हूँ, आप मेरे लंड को चूस डालिए, चलिए 69 में दोनों अपने अपने गुप्तांगों को परम सुख दें, हथियारों को थोड़ी धार देते हैं।
मैं ऑफ़िस से घर आया तो वे दोनों नंगे थे। मैंने नीलेश को याद दिलाया कि आज उसकी बीवी आने वाली है, स्टेशन जाना है। हम तीनों रास्ते भर नीलेश की बीवी को अपने चुदाई गैंग में शामिल करने की योजना बनाते गए।
जब मैं झुकी तो उसने अपना लंड मेरे मुंह में घुसा दिया और मैं उसका लण्ड चूसने लगी, उसके एक हाथ में पानी का जग था और एक हाथ से वो मेरी गांड धोने की कोशिश कर रहा था, वो गांड में उंगली डाल रहा था। मैं तो मानो सातवें आसमान पर थी।
नीता बोली- भाभी, इसमें तो ऐसा लग रहा है जैसे उनके सामने हम लोग बिना कपड़ों के ही हैं। मधु बोली- यही तो रिझाने की कला है, थोड़ा दिखाओ थोड़ा छुपाओ, थोड़ा दिखा के छुपाओ थोड़ा छुपा के दिखाओ।
नीलेश उसके बूब्स में झाँक रहा था, मैं उसके चूचों को निहार रहा था। नीता बेचारी देखा देखी सब कर तो रही थी पर उसे बहुत शर्म भी आ रही थी। पर शायद कहीं न कहीं वो इस आज़ादी से बहुत खुश थी और इसका आनन्द भी ले रही थी।
इतना मज़ा तो हम दोनों होटल में भी नहीं करते जितना आज यहाँ कर रहे हैं। भैया और भाभी दोनों इतने कमाल के होंगे, मैंने कभी सोचा भी नहीं था। इनके खेल में मैं दो बार गीली हो चुकी हूँ।
नीता शरारती मुस्कान के साथ बोली- तो आपकी बीवी अब तक कितने लंड ले चुकी है आपके सामने? और आप कितनी चूत चोद चुके है अपनी बीवी के अलावा?
मधु बोली- राहुल, दूसरे आदमी का लंड लेने में तो बड़ा मज़ा आता है। नीलेश भैया मेरी अच्छी चुदाई कर रहे हैं। आप भी मेरी बहन नीता की अच्छे से चुदाई करो।
मेरी चुदाई बहुत दिनों से नहीं हुई थी.. मैं चुदास से तड़प रही थी। ऐसे में भाई की याद आई.. मैंने सोचा कि यह मेरी प्यास बुझा सकता है, मुझे उसे किसी तरह पटाना ही होगा।