बहू-ससुर की मौजाँ ही मौजाँ-3
प्रेषिका : कौसर सम्पादक : जूजाजी मैं नहा-धो कर जल्दी से रसोई में गई और उनका नाश्ता और दोपहर का खाना जल्दी से तैयार किया। मुझे उनकी तिलावत करने की आवाज़ आ रही थी। मैंने मन में कहा कि कैसा ढोंगी इंसान है, यह तो अल्लाह से भी नहीं डर रहा। फिर थोड़ी देर में […]