तुम्हारी छाती से सरका पल्लू ऐसे

तुम्हारी छाती से सरका पल्लू ऐसे बड़े बड़े गोल बरफ से ढके पर्वतों से छंटे हों काले बादल जैसे इस बरफ की थोड़ी आइस क्रीम हमें भी चखा दो उफ्फ़ इन प्यासे होंठों पे अपनी नुकीली चोटियाँ चुभा दो हाइ…ईइ इस बैकलेस ब्लाउज़ ने ले ली मेरी जान इन तराशी हुई नंगी घाटियों ने डूलाया […]

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कमाल की हसीना हूँ मैं-1

मैं सलवार कमीज़ में आती, ऑफिस में ड्रेस बदल के स्कर्ट ब्लाऊज़ और ऊँची हील के सैंडल पहन लेती। मेरे ब्रा में कैद बूब्स और पीछे वाले को अपनी पैंटी के जलवे दिखाती

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कमाल की हसीना हूँ मैं -2

खैर अगले दिन से मैं अपने काम में जुट गई। धीरे धीरे उनकी अच्छाइयों से रूबरू होती गई। सारे ऑफिस के स्टाफ मेम्बर उन्हें दिल से चाहते थे। मैं भला उनसे अलग कैसे रहती। मैंने इस कंपनी में अपने बॉस के बारे में उनसे मिलने के पहले जो राय बनाई थी उसका उल्टा ही हुआ। […]

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कमाल की हसीना हूँ मैं -3

‘देखो तुम मेरे बेटे से मिलो, उसे अपना बॉय फ्रेंड बना लो। बहुत हेंडसम है वो। मेरा तो अब समय चला गया है तुम जैसी लड़कियों से फ्लर्ट करने का…’ उन्होंने मुझे अपनी गोद से उठाते हुए कहा- देखो यह ऑफिस है। कुछ तो इसकी तहज़ीब का ख्याल रखा कर। मैं यहाँ तेरा बॉस हूँ। […]

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सलमा और इरफ़ान के चुटकुले-2

एक बार इरफ़ान अपनी सलमा के साथ अपनी सुसराल में गया। रात को इरफ़ान ने अपनी सलमा से कहा- चलो, चुदाई का एक दौर हो जाये? सलमा बोली- नहीं, यह मेरे अब्बा का घर है। इरफ़ान गुस्से से- तो क्या मेरे अब्बा का घर रेड लाइट एरिया है जो रोज रोज चुदने को तैयार हो […]

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कमाल की हसीना हूँ मैं -4

मैं जावेद को उत्तेजित करने के लिये कभी-कभी दूसरे किसी मर्द को सिड्यूस करने लगती। उस शाम तो जावेद में कुछ ज्यादा ही जोश आ जाता। खैर हमारा निकाह जल्दी ही बड़े धूमधाम से हो गया। निकाह के बाद जब ताहिर अज़ीज़ खान जी दुआ देते हुए अपने सीने से लगा लिया तो इतने में […]

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बुड्ढा-बुढ़िया – 90 pm

एक बार रंडी बाजार में पुलिस का छापा पड़ गया। एक बुढ़िया वहाँ से गुजर रही थी… भीड़ को देख कर बुढ़िया ने एक रंडी से पूछा- क्या हुआ? रंडी गुस्से से बोली- कुछ नहीं अम्मा, लॉलिपोप बंट रही हैं। बुढ़िया भी लाइन में लग गई। पुलिस वाला सबके नाम लिख रहा था, जब वो […]

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कमाल की हसीना हूँ मैं -5

उन्होंने मेरे निप्पल को अपनी उँगलियों से छूते हुए मेरे कान में कहा- बाई गॉड… बहुत सैक्सी हो। अगर तुम्हारा एक अंग ही इतना लाजवाब है तो जब पूरी नंगी होगी तो कयामत आ जायेगी। जावेद खूब रगड़ता होगा तेरी जवानी। साला बहुत किस्मत वाला है। तुम्हें मैं अपनी टाँगों के बीच लिटा कर रहूँगा।’ […]

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कमाल की हसीना हूँ मैं -6

दोनों जोड़े वहीं अलग-अलग कंबल और रज़ाई में घुस कर बिना कपड़ों के ही अपने-अपने पार्टनर से लिपट कर सो गये। मैं और समीना आपा बीच में सोये थे और दोनों मर्द किनारे की ओर सोये थे। आधी रात को अचानक मेरी नींद खुली। मैं ठंड के मारे टाँगों को सिकोड़ कर सोई थी। मुझे […]

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कमाल की हसीना हूँ मैं -7

जावेद की नींद खुल गई। वो पेशाब करने उठा था। हम दोनों की हालत तो ऐसी हो गई मानो सामने शेर दिख गया हो। सलमान सोफ़े के पीछे छिप गया। मैं कहीं और छिपने की जगह ना पा कर बेड की तरफ़ बढ़ी। किस्मत अच्छी थी कि जावेद को पता नहीं चल पाया। नींद और […]

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किस्सा एक चुदाई का

पहले गाण्ड पे काट लिया हमने फिर फुद्दी को चाट लिया हमने फिर दिया होंठों पे नमकीन बोसा बड़ी देर तलक मम्मों को चूसा उन्गली कर के पानी दिया निकाल बोली वो तड़प के जल्दी से डाल जोश-ऐ-सहवास में लौड़े को रखा चूत पे दोनों हाथ जमा दिए उसके दूध पे सब्र का बंधन अचानक […]

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कमाल की हसीना हूँ मैं -8

मेरे जिस्म पर कपड़ों का होना और ना होना बराबर था। सलमान ने एक तस्वीर इस मुद्रा में खींची। तभी बाहर से आवाज आई… ‘क्या हो रहा है तुम तीनों के बीच?’ मैं आपा की आवाज सुनकर खुश हो गई। मैं जावेद की बाँहों से फ़िसलकर निकल गई। ‘आपा… समीना आपा देखो ना ! ये […]

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कहीं ले चलो-3

मैं राज ! याद आया दोस्तो, मैं आपका शुक्रगुजार हूँ अपने उन दोस्तो का जिन्होंने मेरी कहानी पढ़ी और पसन्द की। अब नील की शादी हो गई थी। जब नील शादी के बाद नील का मेरे पास फ़ोन आया ! नील- हेलो ! पहचाना मुझे? मैं- ओ ई सी… हाय नील ! कैसी हो और […]

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कमाल की हसीना हूँ मैं -9

शुरू-शुरू में तो मुझे बहुत शर्म आती थी। लेकिन धीरे-धीरे मैं इस माहौल में ढल गई। कुछ तो मैं पहले से ही चंचल थी और पहले गैर मर्द, मेरे ननदोई ने मेरे शर्म के पर्दे को तार-तार कर दिया था। अब मुझे किसी भी गैर मर्द की बाँहों में जाने में ज्यादा झिझक महसूस नहीं […]

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कमाल की हसीना हूँ मैं-10

मैं उनका हाथ थाम कर बिस्तर से उतरी। जैसे ही उनका सहारा छोड़ कर बाथरूम तक जाने के लिये दो कदम आगे बढ़ी तो अचानक सर बड़ी जोर से घूमा और मैं हाई-हील सैंडलों में लड़खड़ा कर गिरने लगी। इससे पहले कि मैं जमीन पर भरभरा कर गिर पड़ती, फिरोज़ भाईजान लपक कर आये और […]

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