दुकान वाली भाभी की चूत और गांड मारी- 1

(Sexy Bhabhi Hindi Kahani)

सेक्सी भाभी हिंदी कहानी मेरे घर के पास में दूकान चलने वाली एक जवान औरत की है. लॉकडाउन के दिनों में मैं उसकी दूकान पर जाता था तो उसकी चूचियों को घूरता था.

मित्रो, मेरा नाम पंकज है और मैं गुजरात के वलसाड शहर में रहता हूँ.
वैसे मैं पुणे में जॉब करता था, पर लॉकडाउन की वजह से आजकल घर से ही काम कर रहा हूँ.
मेरे घर पर मेरे मॉम डैड, एक भाई और दादा दादी रहते हैं.

मैं रोजाना घर या जिम में एक्सरसाइज़ करता रहता हूँ और हर 2 दिन में अपने लंड की एक ख़ास तेल से 20 मिनट तक मालिश करता रहता हूँ. इसी वजह से मेरा सेक्स टाइम और लंड का नाप बढ़ गया है.

मेरा लंड सामान्य से ज्यादा लम्बा और मोटा है. मेरे लंड में तनाव आने पर इसकी लंबी और मोटी रगें उभर कर दिखती हैं.

मैं आज आपको एक किराना की दुकान चलाने वाले की बीवी को सैट करके उसकी चुदाई की कहानी सुना रहा हूँ.

इस सेक्सी भाभी हिंदी कहानी में मैंने कैसे उसकी जमकर ठुकाई की और कैसे उसकी चूत और गांड फाड़ी, उस सबके बारे में लिखा है.
आशा है आप सभी को पसन्द आएगी.

जब पहला लॉक डॉउन खुला, तब भी मेरी कंपनी ने घर से काम लेना जारी रखा और मैं घर से ही काम करने लगा.

मैंने ऑफिस के काम के साथ साथ घर के बाहर के कुछ कामों में भी योगदान देना शुरू कर दिया था.

हमारे घर के नज़दीक ही मुहल्ले की किराना दुकान है.
उसके मालिक दर्शन लाल हैं.
वे अपने परिवार के साथ दुकान के ऊपर की फ्लोर पर रहते हैं.

दर्शन लाल के परिवार में उनकी बीवी, एक छोटा लड़का और माँ बाप हैं.
उनका मकान दो मंजिला है.
नीचे के तल पर उन्होंने अपनी दुकान खोली हुई है और उसे चलाते हैं.

उनकी दुकान मुहल्ले की इकलौती किराना की दुकान है जिस वजह से वहां काफी भीड़ भी रहती है.

दर्शन लाल की बीवी की उम्र करीब 32 साल की होगी. मैं उसे भाभी कहता हूँ.
उसका नाम सलोनी है और वह एक कातिल हुस्न की मलिका है.

आधी से ज्यादा भीड़ तो सलोनी भाभी की जवानी को देखने के बहाने से ही लगी रहती है.
लोग सलोनी को देखने के लिए ही दर्शन की दुकान में सामान खरीदने आते हैं.

सलोनी भाभी का गोरा चिकना बदन ऐसा मस्त है कि उसे देख कर किसी की भी नियत खराब हो जाए.

उसके बड़े बड़े गोल मम्मे और उठी हुई मटकती, इधर उधर थिरकती हुई गांड ऐसी शानदार कि उस पर किसी की भी नजर टिक कर रह जाए.

मेरी तो हमेशा से ही उसके साथ चुदाई करने की तमन्ना थी.
पर ज़्यादा टाइम पुणे रहने के वजह से कभी मौका नहीं मिल पाया था.

मैं जब भी उनकी दुकान में कुछ लेने जाता, तो सबसे नजरें छुपा कर भाभी के मम्मों को ताड़ लेता और उससे कुछ बातचीत भी हो जाती.
वह मुझे देख कर प्रसन्न होकर पूछ लेती- अरे पंकज भैया, आप पुणे से कब आए, कैसे हो? आपके दर्शन भईया भी आपकी खबर पूछते रहते हैं कि जॉब कैसी चल रही है, पुणे में सब ठीक-ठाक है?

भाभी की बातें सुनकर मन प्रसन्न हो जाता और उसकी रसभरी चूचियों को ताड़ने का कुछ अवसर और मिल जाता.
उसे शायद इस बात का भान था कि लोग उसकी जवानी को खा जाने वाली नजरों से ताड़ते हैं.
इसलिए उसने काम करते वक्त अब अपने अस्त व्यस्त होते कपड़ों पर ध्यान देना बंद कर दिया था.

शायद उसने समझ लिया था कि इसी शो के चलते उसकी दुकानदारी चलती है.

तो अभी मुझे घर से काम करते-करते दो महीने हो गए थे.
पर घर से काम करने में बहुत डिस्टर्ब हो रहा था और मैं अपने काम पर सही से ध्यान नहीं दे पा रहा था.
इसलिए मैंने एक अलग कमरा लेने की सोची.

पहला लॉकडाउन भी खत्म हो गया था तो मैंने घर से नज़दीक 300-400 मीटर की दूरी पर ही एक दो कमरों का फ्लैट किराए पर ले लिया.

अब मैं सुबह ब्रेकफास्ट करके फ्लैट पर आ जाता, फिर लंच करने घर जाता और रात को सोने के लिए वापस आ जाता.

मॉम से बात करके मैंने घर की काम वाली रूपा को अपने फ्लैट की साफ सफाई का काम के लिए कह दिया था.
वह हमारे घर और सलोनी भाभी के यहां भी काम करने जाती थी.
पहले वह हमारे घर का काम करके सलोनी भाभी के घर जाती, फिर फ्लैट पर साफ सफाई के लिए आती.

इसी दौरान मैंने देखा कि सलोनी भाभी दुकान पर ज्यादा नज़र नहीं आती.

फिर मुहल्ले के लड़कों से पता चला कि साली का एक दो से चक्कर चल रहा था और वह मसला दर्शन लाल ने पकड़ लिया था.
इस वजह से दर्शन ने अभी सलोनी के दुकान में बैठने पर रोक लगा रखी है.

फिर दो दिन बाद मैंने अपने काम वाली बाई को मेरे किराए के फ्लैट के दरवाजे पर एक दूसरी काम वाली से सलोनी के बारे में बात करते सुन लिया था.

मेरी घर की काम वाली रूपा दूसरी कामवाली से कह रही थी- तुमने सुना, वह सलोनी को उसके पति ने बाजू वाले मुहल्ले के राजू के साथ एक रूम में पकड़ लिया था.
दूसरी काम वाली- अच्छा, तभी मैं सोचूं कि छम्मक छल्लो आजकल बाहर दुकान पर बैठी नहीं दिख रही है. वैसे और क्या पता चला?

रूपा- सुना है कि सलोनी उस वक्त राजू का मुँह में ले रही थी, तब उसके पति ने उन दोनों को पकड़ा था. दर्शन ने राजू को धमका कर भगा दिया और सलोनी को खींचते हुए घर लाया था. बाहर ज्यादा बवाल ना हो, इसलिए सब शांति से निपटा दिया.
दूसरी कामवाली- अच्छा… वैसे भी वह रंडी को बाहर के लौड़े लेने की आदत पहले से ही है. साली दूसरे का लंड लेने के लिए हमेशा अपनी गांड मटकाती रहती है. अब तक तो बाल्टी भर के लौड़े लिए होगा उसने … और पकड़ लेने से कौन सा यह अभी रुकने वाली है. थोड़े दिन बाद कुतिया फिर से रंग दिखाना शुरू कर देगी … रंडी साली.

यह सब सुनकर सलोनी के लिए अब मेरे मन में एक अलग ही छवि बन गई थी.

उसका नाम सुनते ही या उसको देखते ही मेरे दिमाग़ में एक रांड की कल्पना आने लगती थी. आंखों में मुझे सलोनी भाभी लंड चूसती ही दिखाई पड़ती और उसकी चुदाई हो रही है … ऐसा लगने लगता.

उन दिनों स्कूलों की छुट्टी के कारण दर्शन की किराने की दुकान पर काम बढ़ जाने की वजह से सलोनी फिर से अपने पति दर्शन को दुकान के काउंटर पर मदद करने के लिए बैठने लगी.

इधर मेरे अन्दर उसको सैट करके उसकी चुदाई की ख्वाहिश और ज्यादा बढ़ गई थी.
जब भी मेरी मॉम दर्शन की दुकान पर कुछ लेने को लिए मुझे भेजतीं, तो मैं कुछ ना कुछ बहाने से भाभी से बातें करने लगता और सलोनी को हवस भरी नज़रों से ताड़ने लगता.

एक दिन मैं दुकान पर गया.

दर्शन- और पंकज कैसे आना हुआ … क्या मंगवाया है मम्मी ने?
मैं- भैया यह लिस्ट है, आप सामान पैक कर देना … मैं शाम को ले जाऊंगा.
दर्शन- हां ठीक है.

जब मैं रात को घर जा रहा था, तो याद आया कि सामान लेकर जाना है.

सलोनी भाभी की दुकान पर पहुंचा तो दर्शन बोला- अरे, आपका सारा सामान निकाल दिया है, बस थोड़ा सा बाक़ी है. अभी हो जाएगा. आप थोड़ा बैठ कर इंतजार कर लो.
मैं वहां खड़े होकर अपना सामान लगने का इंतजार करने लगा.

उसी समय दर्शन भाई ने सलोनी भाभी को आवाज़ लगाते हुए आने का कहा.

उन्होंने भाभी को काउंटर पर ग्राहक संभालने को कहा.
फिर वे मेरी लिस्ट का बचा हुआ सामान निकालने लगे.

कुछ चीजें उन्होंने भाभी को तौल कर मेरे सामान वाली बोरी में डालने को कहा.
वे खुद कुछ सामान निकालने पीछे वाले गोदाम में चले गए.

सलोनी भाभी काउंटर पर आते ही मुझसे बात करने लगीं- और कैसे हो पंकज … अभी यहां ही हो, पुणे नहीं गए?
मैं- नहीं भाभी, अभी यहां मन लग गया है … और अभी तो किराये पर गुलमोहर सोसाइटी में फ्लैट किराए पर लेकर वहीं से काम कर रहा हूँ. जब कंपनी वाले बुलाएंगे, तब जाऊंगा.

सलोनी- अच्छा फ्लैट ले लिया, यह सही किया.
न जाने क्यों उसकी आवाज में फ्लैट लेने वाली बात में कुछ खनक सी आ गई थी.

फिर वह बाक़ी ग्राहकों को सामान देकर और पैसे लेके काउंटर का काम सम्भालने लगी थी.

मैं एक साइड से उसको हवस भरी नजरों से ताड़ने में लग गया और मैंने इस बात का ख़्याल रखा कि कोई मुझे उसे ताड़ते हुए देख ना ले.

साली सलोनी रांड ने पतली सी नाइटी पहनी हुई थी जो उसके बदन से चिपक रही थी.
उसकी नाइटी में आगे बटन थे.
उसके बड़े बड़े दूध उस नाइटी में जैसे-तैसे समा रहे थे.

वह जब कुछ ऊपर रखा सामान के लिए हाथ उठाती, तो नाइटी खिंचने से उसके दो बटनों के बीच से उसकी सफेद ब्रा दिखती और ऊपर के गोरे गोरे दूध दिखते.

मेरी नज़र उसके बड़े बड़े मम्मों को नाइटी के अन्दर से ताड़ने लगी.

जब वह फ्रिज में से सामान लेने पीछे मुड़ती तो साली रांड की गांड ऊपर नीचे होकर हिलती.
जिसे देख कर ऐसा लगता कि अभी उसके पीछे जाकर दोनों चूतड़ों के बीच में अपना लंड फंसा दूँ और लौड़े को वैसे ही फंसा रहने दूँ. फिर उसकी लचीली हिलती गांड मेरे लंड को सहलाती रहे.

उसकी बड़ी उठी हुई गांड, नाइटी में एक मटके जैसे परफ़ेक्ट राउंड शेप में उभर कर दिख रही थी.
ऐसी रसीली गांड कि बस उसे देख कर उसकी गांड में लंड फंसा कर, चमाट मारने के अलावा आपको कुछ सूझे ही ना!

इधर यह सब देख कर सोच कर मेरे लंड महाराज तम्बू तान कर खड़े हो गए … और मैं अपने इस आतं कवादी को जैसे तैसे छुपा रहा था, सबसे बच रहा था.
फिर अगले 5-10 मिनट में सलोनी ने ग्राहक कम कर दिए और मैं और सलोनी ही रह गए थे.

इस सबके बीच में सलोनी भाभी ने मुझे भांप लिया था कि यह मेरे मम्मों की और गांड की गोलाई को ताड़ रहा है.
उसकी तरफ से मुझे कोई इंकार नहीं दिख रहा था बल्कि वह और मचल मचल कर अपना रंडीपना दिखाने लगी.

बातों ही बातों में वह मेरे लंड को देखने और आंखों से टटोलने सी लगी थी और उसकी आंखों में मुझे उसकी चुदाई की तड़प और लंड लेने की चुल्ल दिखने लगी थी.

कुछ देर बाद भाभी मेरे सामान की बोरी उठाती हुई कहने लगी.

सलोनी भाभी- अरे बाक़ी सबको सामान देने में मैं आपके सामान का तो भूल ही गई.
मैं अपने लंड सैट करते हुए कहने लगा- कौन सा सामान भाभी?

सलोनी भाभी ने मेरी बात को समझने में थोड़ा टाइम लिया, फिर मुस्कुरा कर बोली- यह जो लिस्ट में 3 चीजें पैक करना रह गई हैं!
कहने के बाद वह शर्माती हुई मेरे लौड़े को देखने लगी.

मैंने अपने लंड को और जोर से मसल कर भाभी को दिखाया और कहा- अच्छा, कर दीजिए … मैंने कहां पकड़ कर रखा है.
फिर हवस भरी मुस्कान के साथ और उसकी आंखों में देखते हुए मैंने भाभी की चूचियां और चूत को ताड़ा.

सलोनी भाभी मेरे कड़क होते लंड को देख कर मुस्करायी और बाकी बचे 3 सामान लेने अन्दर को चली गई.

जब साली छिनाल वापस आयी तो उसने नाईटी के ऊपर के 2 बटन जानबूझ कर खोल दिए थे.
वह अपने मम्मों को हिलाती हुई मेरे सामने आयी और झुक झुक कर सामान तौल कर पैक करने लगी.

उसके झुकने से उसके चिकने गोरे और बड़े बड़े दूध उछल कर बाहर को आते दिख रहे थे.
मैं भाभी के दोनों मम्मों को ताड़े जा रहा था और वह मुझे देख कर स्माइल दिए जा रही थी.

तो मैं समझ गया कि मामला सैट है.
थोड़ा सा मौक़ा मिलेगा, तो पक्का इसकी गांड को चोद कर गोदाम बना दूँगा.

तभी उसने सामान काउंटर के सामने रख दिया और कहने लगी- लो पंकज भैया, आपका सामान पैक हो गया. दर्शन बाक़ी का लेकर आ रहे हैं. कुछ और चाहिए?

मैं उसके मम्मों को ताड़ते हुए धीमे से बोला- हां दूध चाहिए?
सलोनी भाभी ने अर्थ भरी मुस्कुराहट के साथ पूछा- कौन सा वाला चाहिए?

मैंने उसके मम्मों को ताड़ते हुए कहा- यही वाला दे दो?
सलोनी भाभी गुस्सा करती हुई बोली- यह क्या बोल रहे हो?

मैं खुद को संभालते हुए बोला- वह अमूल ताज़ा दूध पड़ा है न आपके बाजू में … वह दे दो.

सलोनी भाभी- ओह अच्छा, ये!
मैं- और आप क्या समझीं?

सलोनी भाभी मुस्कराती हुई- कुछ नहीं.
दोस्तो, उम्मीद है कि सेक्सी भाभी हिंदी कहानी का यह भाग आपको अच्छा लगा होगा.
अपने कमेंट्स जरूर भेजें. अगले अंक में भाभी की चुदाई की कहानी को आगे लिखूँगा.

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