तुम पूरा मज़ा देते हो

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मेरा नाम स्वप्निल है, मुंबई का रहने वाला हूँ।

मेरे एक पड़ोस में एक आंटी रहती हैं, जिनका नाम शालू है।
मैं हमेशा आँटी को चोदने के बारे में सोचता रहता था।

मेरा उनके घर आना-जाना रहता था।

एक दिन मैं दोपहर को उनके घर टीवी देखने गया, तो आंटी भी मेरे साथ टीवी देखने लगीं।

अचानक एक सेक्सी सीन आ गया। मैंने देखा कि आंटी सीन को देख रही हैं।

मैंने कहा- आंटी चैनल चेंज करो, आप ये क्या देख रही हैं?
उन्होंने कहा- क्यों तुम नहीं देखते ऐसे सीन्स?
मैं चौंक गया और शरमाते हुए कहा- कभी-कभी।

तो मुझसे आंटी थोड़ी खुल के बात करने लगीं, कहने लगी- क्या तुमने कभी सेक्स किया है?
मैंने ‘ना’ कह दिया।

मुझे समझ में आ गया था कि आज ये चुदाने के मूड में हैं।

आंटी मेरे पास आईं और मुझसे कहा- क्या तुम मेरे साथ सेक्स करोगे? प्लीज़!
मैंने बिना कुछ सोचे ‘हामी’ भर दी। मैं भी यही चाहता था।

मैं आंटी से लिपट गया और मेरे मुख से निकला- अ..ह… आंटी मस्त लग रहा है।
मेरे हाथ बिजली की तेजी से उनके शरीर को मसल रहे थे।

दो मिनट बाद ही आंटी अपने को कंट्रोल करते हुए, मुझे खींचते हुए अपने बेडरूम की ओर ले गईं।
बेडरूम अन्दर से बंद कर, वो अपने कपड़े उतारने लगीं।
चंद पलों में ही वो पूरी नंगी मेरे सामने अपने उभारों को मसल रही थीं।

मैं उनकी गाण्ड से लेकर जान्घों तक पप्पियों की बरसात करने लगा, मैं बोला- आंटी आपकी फिगर तो सेक्सी है। बड़े बूब्स, पतली कमर, बड़ी पिछाड़ी.. ये सब देख कर मज़ा आ गया।

वो शायद मेरी अवस्था समझ चुकी थी, वो मेरे पास आई और हाथ को चूमने लगी।
मुझे कुछ होने लगा था।

उसने धीरे से मेरे माथे को चूम लिया।
मेरा लंड जोर जोर से सांस ले रहा था।

आँटी की भी सांसें गर्म होने लगी थीं।
फिर वो मेरी दोनों आँखों को चूमने लगीं।

उन्होंने मेरे दोनों हाथ अपने वक्ष पर रख दिए और बोली- प्लीज़ इनको दबाओ न!

मैंने अपने हाथ उसके नर्म-नर्म बोबों पर घुमाने शुरु कर दिए।
वो मचलने लगी और मेरे मसल्स को सहलाने लगी।

आंटी सिसकारने लगी और बोली- तेरे अंकल को तो काम से ही समय नहीं है, मैं अपनी प्यास मोमबत्ती या अपने हाथ से मिटा रही हूँ। मेरी प्यास बुझा दे, तेरा मुझ पर उपकार होगा।
मैं उसकी चूत को रगड़े जा रहा था, उसने भी मेरे लंड को पकड़ लिया और रगड़ने लगी।

मैंने अपना लंड उसके कहने पर, उसके दोनों बोबों के बीच रख दिया। मैं तो जैसे जन्नत में पहुँच गया था।
उसके बाद वो मुझसे बोली- लंड को धीरे-धीरे आगे-पीछे करो!

मेरी उत्तेजना की सीमा पार हो रही थी, साथ ही मजा भी बढ़ता जा रहा था। मेरी सांसें तेज होने लगी थीं।

मेरा लंड ठीक उसके मुँह के पास आ-जा रहा था।
वो अपनी जीभ से उसे चाटने की कोशिश कर रही थी, मुझे बड़ा मजा आ रहा था।

मेरा लंड जैसे दो रुई के गोलों के बीच में हो, जिनको हल्का गर्म कर दिया हो।
तभी वो जोर जोर से चिल्लाने लगी- और जोर लगाओ अह अहअहह अहह हहहह!

मैं पलट कर आंटी के ऊपर 69 की अवस्था में लेट गया और उसके मुँह में लौड़ा डाल दिया तथा अपना मुँह उसकी चिकनी चूत पर रख दिया।

आंटी तुरंत ही मेरे लौड़े को चूसना शुरू कर दिया और मैं उसकी चूत के अंदर तक अपनी जीभ घुमाने लगा।

लगभग पांच मिनट के बाद आंटी ने पानी छोड़ा तो मैं उठ कर आंटी से अलग हुआ, सीधा होकर उसके ऊपर लेट गया।

आंटी ने लौड़े को पकड़ लिया और अपनी चूत के खुले हुए होंठों के बीच में रख दिया और सिर हिला कर मुझे हरी झंडी दिखा दी।

मेरे हल्के से धक्का देने पर ही मेरे लौड़े की टोपी आंटी की चूत के अंदर चली गई और आंटी जोर से चिल्ला पड़ी- ऊईई माँआआ… हाई मर गई रे… इसने तो उसे फाड़ कर रख दी रे!
उनकी की इन चीखों की चिंता किये बिना मैंने एक धक्का और लगाया तो मेरा आधा लौड़ा चूत के अंदर धंस गया।

आंटी और जोर से चिल्ला कर मुझे कहने लगी- मैंने इतने सम्भाल कर रखा हुआ था इसे और तूने इसका कबाड़ा कर दिया रे… तूने तो इसे फाड़ कर रख दी रे..!

मैं उसकी आवाजें सुनता रहा और नीचे की ओर दबाव बढ़ाता रहा, जिससे लौड़ा चूत के अंदर की ओर आहिस्ता-आहिस्ता सरकने लगा।

आंटी के पानी की वजह से उसकी चूत के अंदर भी फिसलन हो गई थी, जिससे मेरा लौड़ा दबाव के कारण तेजी से अंदर घुसने लगा।
उनको पता भी नहीं चला कि कब पूरा लौड़ा उसके अंदर जाकर फिट हो गया था।
मैं कुछ देर तो वैसे ही चुपचाप आंटी के ऊपर लेटा रहा।

मुझे कुछ देर तक न हिलते हुए देख कर आंटी ने कहा- अब दर्द नहीं है, चालू कर।

आंटी के कहने पर मैं थोड़ा ऊँचा हो कर, लौड़े की टोपी को चूत के अंदर ही रखते हुए, लौड़े को बाहर खींचा और फिर तेज़ी से अंदर डाल दिया।

इसके बाद मैं लौड़े को धीरे धीरे अंदर-बाहर करता रहा और आंटी उचक-उचक कर मेरा साथ देती रही।

दस मिनट की चुदाई के बाद आंटी बोली- तेज़ी से कर!
तब मैंने अपनी गति बढ़ा दी और दे दनादन पेलने लगा।

आंटी को शायद आनन्द आ रहा था।
“आह्ह … आहह्ह … आह्हह्ह …” करती हुई मेरे धक्कों का जवाब अपनी चूत को ऊपर की तरफ उचका-उचका कर देती रही।
पांच मिनट के बाद आंटी पहले तो एकदम से अकड़ी और चिल्लाई- आइ … आईई … उईईई … उईईई …
फिर उसकी चूत ने सिकुड़ कर मेरे लौड़े को जकड़ा तथा उसे अंदर खींचा तब आंटी फिर चिल्लाई- ऊईईई माँ आ आ … ऊइ माँआ …!
और अपना पानी छोड़ दिया।

जैसे ही चूत की जकड़ ढीली हुई तो मैं फिर से धक्के देने लगा और आंटी हर तीन मिनट की चुदाई के बाद चिल्लाती, अकड़तीं, लौड़े को जकड़तीं और पानी छोड़तीं।

इस तरह जब पांचवीं बार आंटी का पानी छूटा तब मेरे लौड़े में भी अकड़न हुई और एक झनझनाहट के साथ मेरे लौड़े ने आंटी की चूत के अंदर ही वीर्य की बौछार कर दी।

आंटी एकदम से चिल्ला उठी और कहने लगी- मैंने आज तक चूत में इतनी गर्मी महसूस नहीं की जितनी अब हो रही है।

थोड़ी देर तक हम ऐसे ही बेड पर लेटे रहे।

फिर मैंने आंटी के साथ डीप कीसिंग की- उउउम्म यआआ उम्म्म्म!
उनको मेरा चूमाचाटी का अंदाज बहुत पसंद आया।

हम 15 मिनट तक चूमते रहे।
मेरा लण्ड फिर से खड़ा हो गया।

मैंने आंटी से कहा- आंटी जी, मैं आपकी गाण्ड मारना चाहता हूँ।
तो वो एकदम डॉगी स्टाइल में हो गई।

मैंने उनके चूतड़ दोनों हाथों से चौड़े किये और छेद पर रखकर धीरे धीरे अपना लंड शालू आन्टी की गान्ड में घुसा दिया।

“आआआअ… पेल दो मेरी गान्ड में लंड ज़ोर… ज़ोर… से मेरी जान !”

मैं ज़ोर ज़ोर से पेलता रहा- ले मेरी कुतिया … क्या मस्त गान्ड है तेरी, ले और ज़ोर से ले!

आंटी की गाण्ड मैं बीस मिनट तक ठोकता गया।
तब आंटी दो बार झड़ गई थी।
मैंने भी सारा माल गान्ड में डाल दिया।

आंटी ने कहा- आज मैं संतुष्ट हूँ मेरे राजा।
और उसने मुझे चूम लिया।

उसके बाद मैंने आंटी से कहा- और एक बार हो जाए।

आंटी ने मुस्कुरा कर कहा- जितना मन चाहे चोद ले मुझे, आज मैं रोकूंगी नहीं आजा मेरे राजा।
उसने फिर से अपनी दुकान खोल दी।

आंटी- मेरे ऊपर बैठ जाओ।
आंटी ने मेरा लण्ड पकड़ा, अपनी चूत पर निशाना लगाकर अन्दर डाल लिया।

फिर अपनी कमर हिला-हिला कर मुझे चोदने लगी।

हम दोनों मजे ले रहे थे।
मैं नीचे से धक्के लगाता जा रहा था।

“अह… अहअह… अहह… हहह… चोद मुझे आआअ…”
फिर से हम दोनो झड़ गये।

हम दोनों बाथरूम में नहाने चले गई जहाँ मैंने आंटी को बहुत प्यार किया।

तो उसने कहा- तुम तो किसी को भी पूरा मज़ा दे सकते हो! मेरी जान लव यू!
यह थी मेरी सच्ची कहानी, प्लीज़ राय देना, आप मुझे मेल से संपर्क कर सकते हो।

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