तेरी याद साथ है-13

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प्रेषक : सोनू चौधरी

“जैसे ही उसने अपनी जीभ का स्पर्श मेरे सुपारे से किया मेरे लंड ने एक जोर का ठुनका मारा और एक प्यारी सी काम रस की बूँद बिल्कुल ओस की बूँद की तरह मेरे लंड के मुँह पे आ गई। उस बूँद को देखकर रिंकी ने एक मुस्कान भरी और अपनी जीभ से उसे चाट लिया।

“उफ्फ्फ्फ़…मेरी जान…तुम कमाल हो !” मैंने एक ठंडी सांस लेते हुए रिंकी की आँखों में देखते हुए कहा।

रिंकी ने मेरी तारीफ़ का जवाब अपने मुँह से दिया और अपने जीभ से मेरे पूरे सुपारे को गोल गोल घुमा कर चाटना चालू किया।

क्या एहसास था उस चाटने और चूमने का ! यह बयाँ करना बहुत मुश्किल है।

रिंकी ने अब अपने जीभ को अन्दर कर लिया और अपने होंठों को खोलकर सुपारे को अपने मुँह में कैद कर लिया और ऐसे चूसने लगी जैसे कोई लॉलीपोप हो। वो बिल्कुल निचोड़ने के अंदाज़ में मेरा सुपारा चूस रही थी।

मैं अब किसी और ही दुनिया में पहुँच चुका था। मैंने अपने आपको रिलैक्स करते हुए अपनी कोहनियों को सीधा कर लिया और अच्छी तरह से लेट गया।

रिंकी ने अब धीरे धीरे अपने मुँह को खोलते हुए मेरे लंड को अन्दर करना शुरू किया। उसने कोई हड़बड़ी नहीं की और बड़े आराम से मेरे लंड को चूसते हुए जितना हो सकता था उतना अन्दर किया।

एक बात तो आप सारे मर्द मानोगे कि जब कोई औरत या लड़की हमारा लंड अपने मुँह में लेती है तो हमारी यही कोशिश होती है कि हम पूरा लंड एक ही बार में उसके मुँह में ठेल दें…है ना !!

मैंने भी ऐसा ही सोचा और अचानक से अपने हाथ बढाकर रिंकी का सर पकड़ लिया और एक जोरदार झटका मारा ताकि मेरा बाकी बचा लंड भी पूरी तरह उसके मुँह में समां जाए।

“ऊक्क्क्क…उम्म्म्म……” रिंकी के मुँह से एक तेज़ लेकिन घुटी घुटी सी आवाज़ बाहर आई और उसने झट से मेरा लंड अपने मुँह से निकाल लिया। यों अचानक लंड के बाहर निकाल देने से मैं चौंका और मैंने अपना सर उठा कर रिंकी को देखा। उसकी आँखों में आँसू भर गए थे और वो तेज़ी से सांस ले रही थी।

मैं थोड़ी देर उसे देखता रहा तभी उसने अपनी साँसों को नियंत्रित करते हुए मेरे लंड को अपने हाथों से पकड़ कर मरोड़ दिया और मेरी तरफ देख कर बोली,” जानवर कहीं के…ऐसे भी कोई करता है भला…एक तो इतना बड़ा लंड पाल रखा है और ऊपर से शैतानी करते हो। मार डालना चाहते हो क्या?”

रिंकी के शब्दों में गुस्से भरे भाव थे। मैंने उसकी तरफ देखा और हँसने लगा। मेरे हंसने पर उसे और गुस्सा आया और उसने फिर से मेरे लंड को मरोड़ना शुरू किया।

“बड़ी हंसी आ रही है न…अभी मज़ा चखाती हूँ।”…रिंकी ने एक कातिल सी मुस्कान के साथ कहा।

मैं अब भी हंस रहा था…रिंकी ने पूछा, “क्यूँ हस रहे हो?”

“कल रात प्रिया भी यही कह रही थी, मुझे उसकी बात याद आ गई इसलिए हंस रहा हूँ।” मैंने हंसते हुए रिंकी से कहा।

“बदमाश, तुमने उस बेचारी को भी ऐसी ही तकलीफ दी थी…अब तो मैं उसका बदला भी लूँगी।” रिंकी ने अपनी आँखें बड़ी करते हुए कहा।

“बेचारी मेरी छोटी बहन, पता नहीं कैसे झेला होगा तुम्हारे इस भीमकाय लंड को।” रिंकी ने चिंतित स्वर में कहा और मेरे लण्ड को तेज़ी से हिलाने लगी।

“प्रिया तो मेरे लंड की दीवानी हो गई है मेरी जान…वो तो छोड़ने का नाम ही नहीं ले रही थी कल रात।” मैंने जोश में आकर रिंकी से कहा।

“अच्छा, यह बात है…उसकी कोई गलती नहीं है, तुम्हारा लंड है ही इतना मस्त कि कोई भी लड़की छोड़ना नहीं चाहेगी मेरे रजा। और आज मैं भी नहीं छोडूंगी…इसका सारा दम निकाल दूंगी मैं।” रिंकी ने सेक्सी अंदाज़ में कहा और टूट पड़ी मेरे लंड पे। लंड को फिर से मुँह में भर के प्रेम से ऊपर नीचे करके चूसने लगी।

धीरे धीरे उसने अपने लार से मेरे लंड को पूरी तरह नहला दिया था और मज़े ले लेकर चूसे जा रही थी। उसका मुँह जब मेरे लंड पे ऊपर नीचे हो रहा था तो लार के गीलेपन और मक्खन की चिकनाई की वजह से बड़ी प्यारी सी पच-पच की आवाज़ बाहर आ रही थी जो मुझे और भी दीवाना कर रही थी।

“गूं…गुऊंन्न्न…।ह्म्म्मम्म…ह्म्म्मम्म…ऊऊम्म्म्म” बस ऐसी ही आवाजें आ रही थीं उसके मुँह से।

सच कहता हूँ दोस्तों, लंड चुसवाने से ज्यादा मज़ा और कहीं नहीं है…मुझे तो बस ऐसा लग रहा था कि रिंकी ऐसे ही मेरे लंड को चूसती रहे।

“ओह्ह्ह…मेरी रिंकी रानी…मेरी जान…और चूसो…और चूसो अपने लंड को…अब ये तुम्हारा है …ह्म्म्मम्म…।” मैं रिंकी का सर अपने हाथों से पकड़ कर मज़े लेता रहा और बड़बड़ाता रहा।

रिंकी ने अब अपनी गति बढ़ाई और तेज़ी से लंड को चूसना शुरू किया…साथ ही मेरे आंड के गोलों को अपने हाथों से सहलाने लगी। एक तो लण्ड की ज़ोरदार चुसाई और दूसरा आंड के गोलों के साथ छेड़छाड़… मुझे महसूस होने लगा कि मैं अब झड़ जाऊँगा।

“उन्न्ह्हह्ह…हम्मम्मम्म…ऊउफ़्फ़्फ़…रिंकी… मैं आने वाला हूँ…उम्म्म्म…” मैंने रिंकी का सर हाथों से दबा दिया। चाहता तो मैं यही था कि उसके मुँह की गर्मी को महसूस करते हुए मैं अपना सारा काम रस अन्दर ही छोड़ दूँ…पर पता नहीं रिंकी को अच्छा लगेगा या नहीं, यह सोच कर मैंने लंड को उसके मुँह से बाहर निकलने का फैसला लिया और अपनी कमर को झटका देकर लंड को मुँह से बाहर खींच लिया।

रिंकी मेरी हरकत से सकते में आ गई और बेचैन होकर मेरा लण्ड ढूँढने लगी। किसी जन्मों के प्यासे इंसान की तरह उसने मेरा लंड फिर से अपने मुँह में भर लिया और जोर जोर से चूसने लगी। मुझे समझ में आ गया कि वो आज नहीं मानेगी और मेरे लंड का सारा रस पीकर ही दम लेगी।

मैंने भी उसका सर छोड़ दिया और उसे उसकी मर्ज़ी से लंड चूसने दिया। मैं अपनी कोहनियों पे उठ गया और रिंकी की चुसाई देखने लगा। रिंकी ऐसे लंड चूस रही थी जैसे कि मैंने अक्सर इन्टरनेट पे ब्लू फिल्मों की नायिकाओं को देखा था। मैं ख़ुशी से मरा जा रहा था और अपने मुँह से सेक्सी सेक्सी आवाजें निकाल रहा था। वो बिल्कुल मज़े से बिना किसी की तरफ ध्यान दिए लंड को निचोड़ने में मग्न थी। उसके खुले बालों ने मेरे लंड को और उसके आस पास के जगह को ढक लिया था। मैंने अपने एक हाथ से उसके बालों को अलग किया और पाया कि मेरा लंड उसके मुँह के रस से सराबोर हो चुका है और उसकी नसें पूरी तरह तन गई हैं। मैं जानता था कि अब ज्यादा से ज्यादा 5 मिनट में मेरे लंड से सारा रस निकल जाएगा। लगभग पिछले 20 मिनट से वो मेरे लंड से खेल रही थी। लंड को इतनी देर तक वो भी रिंकी जैसी मस्त हसीना के हाथों और मुँह में रोक कर रखना बड़ा मुश्किल था यारों… वो भी पहली बार।

मैंने अब अपनी कमर को उठा कर अपने लंड को ज्यादा से ज्यादा उसके मुँह में ठेल कर जोर जोर से झटके मारने लगा।

“हाँ…बस ऐसे ही…ह्म्म्मम्म…उम्म्म्मम्म…औरर……हाँ मेरी जान…मैं आया…मैं आया…आःह्ह्ह…” मैं जोर जोर से और तेज़ी से हिलने लगा और रिंकी का सर अपने लंड पे दबाने लगा।

“हम्म्म्म…ह्म्म्मम ग्ग्गूँन्न्नग्गुन्न्न…” रिंकी के मुँह से तेज़ी से ऐसी आवाजें आने लगीं और उसने अपना सर बहुत तेज़ी से ऊपर नीचे करना शुरू किया।

मेरे पैर कांपने लगे और ऐसा लगने लगा जैसे मेरा लंड अब फटा कि तब फटा…

“आआह्ह्ह्ह……ऊह्ह्हह्ह……” एक तेज़ आवाज़ के साथ मैं एक जोरदार पिचकारी रिंकी के मुँह में छोड़ दी और फिर एक के बाद एक करके न जाने कितनी ही पिचकारियाँ निकल पड़ीं लंड से।

रिंकी ने अपना सर हिलाना बंद कर दिया और मेरे गरमागरम रस का रसपान करने लगी। उसकी सांस रुकी हुई थी। उसने अपनी आँखें बंद रखीं थी। उसने अपने होंठों को लंड के चारो तरफ से टाइट करके ऊपर की तरफ खींचा और ‘पक’ की आवाज़ के साथ मेरा लंड उसके मुँह से बाहर आ गया।

जैसे ही रिंकी ने अपन मुँह लंड से हटाया उसके होंठों से मेरा रस बाहर छलक पड़ा और सीधा उसकी चूचियों पर पसर गया। मेरे लंड ने कुछ ज्यादा ही रस छोड़ा था जिससे रिंकी का पूरा मुँह भर गया था…वो सारा रस अन्दर नहीं ले सकी। जितना हो सके उतना निगल लिया और बाकी का रस मुँह से बाहर अपनी चूचियों पे गिरा दिया।

मैं बिल्कुल निढाल सा होकर लम्बी लम्बी साँसे लेने लगा और आँखें बंद करके अपने आपको महसूस करने की कोशिश करने लगा। कमरे में हम दोनों की तेज़ तेज़ चलती साँसों का शोर सुनाई दे रहा था। मैं तृप्त हो गया था।

कहानी जारी रहेगी…

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