मकान-मालकिन की चूत चुदाई

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प्रेषक : मोंटी

दोस्तो, मैं मोंटी, उमर 30 साल, फरीदाबाद, सेक्टर-23 में रहता हूँ। दिल का साफ़ और सेक्स की आग वाला बंदा हूँ। मेरी सबसे बड़ी खासियत है कि मैं सिर्फ दिल और गोपनीयता देखता हूँ, पर मेरा लंड कभी भी और कहीं पर भी चालू हो जाता है। यह न तो उमर देखता है और न ही शक्ल और सूरत, बस देखता है तो सिर्फ चूत। मैं अपनी कहानी पर आता हूँ।

यह बात आज से 7 साल पहले की है, जब मैं सोहना टेक्निकल कॉलेज में पढ़ा करता था और मैंने एक कमरा किराये पर लिया हुआ था। वैसे तो मुझे सिर्फ मकान के बूढ़े मालिक के बारे में ही पता था, पर फिर भी मैंने रूम देख कर तुरंत हाँ कर दी और अपना सामान शिफ्ट कर दिया।

मैं रोज सुबह कॉलेज को निकल जाता और शाम को वापस आता था। मुझे इतना समझ में ही आया था कि ऊपर शायद एक औरत भी रहती है। मेरे रूम की खिड़की सीढ़ी के साथ में थी और सीढ़ी ऊपर मकान-मालिक के फ्लोर को जाती थी।

दो दिन बाद रात को मैं अपने कमरे में मुठ्ठ मार रहा था कि मुझे किसी के खिड़की से झाँकने का एहसास हुआ, पर मैंने उसे वहम समझ कर अनदेखा कर दिया।

अगले दिन बूढ़ा मकान-मालिक दारू पीकर घर पर आया और मेनगेट ख़टखटाने लगा। मैंने आगे बढ़ कर गेट खोला तो देखा की वो लड़खड़ा रहा था। मैंने उसे साथ लिया और उसे ऊपर पहुँचाया तो क्या देखता हूँ कि एक हूर की परी सी औरत, जिसका बदन तराशा हुआ था, मेरी तरफ आई और बूढ़े का एक हाथ कंधे पर लिया और मेरे साथ उसे लेकर चलने लगी।

उसका कद 5 फुट 5 इन्च, रंग साफ़, होंठ गुलाबी, स्तन संतरे के आकार के और फिगर 36-28-38, चमचमाते सफ़ेद सूट में बिना किसी मेकअप के वो हूर की परी सी लग रही थी।

मैंने उस बूढ़े को उसकी चारपाई पर लेटाया और बाहर आने लगा तो वो बोली- ठहरिये !

और वो पानी लेकर आई। उसने अपना नाम इन्द्रा बताया। उस दिन से मेरी उससे दोस्ती हो गई। जब भी बूढ़ा घर पर नहीं होता, तो वो नीचे आ जाती और 15-20 मिनट तक मेरे से बात करती। उसे मैं और मुझे वो अच्छी लगने लगी थी। हम दोनों को दुनिया का डर भी था, सो हम में ज्यादा बात नहीं हो पाती थी।

आग शायद दोनों तरफ लगी हुई थी। एक दिन अचानक ही लाइट चली गई और मैं छत पर आ गया।

क्या देखता हूँ कि वो हूर की परी साड़ी में छत पर अकेली लेटी हुई है। रात 1 बजे रात के आस-पास का समय था। उस समय तक सब लोग सो चुके होते हैं। मैं उसके पास गया और उसे गौर से देखने लगा। उसकी ऊपर-नीचे होती हुई चूचियों में मेरा दिल अटक गया।

मैंने धीरे से उसकी साड़ी पैरों से ऊपर करनी शुरू की और उसकी चूत तक उठा दी। इस दौरान मेरा दिल धाड़-धाड़ करता हुआ जोर से धड़कने लगा। लगा कि कहीं अगर जग गई और शोर मचा दिया तो बड़ी बदनामी होगी। फिर भी दिल के आगे ‘बस’ नहीं चलता।

इसके बाद मैंने उसकी चूत को चांदनी रात में देखने की कोशिश की। वो जगह झांटों से भरी हुई थी। मैं उसके बगल में लेट गया और पहले एक हाथ उसके ऊपर रखा, पहले उसके पेट पर, फिर दूसरा उसकी चूचियों पर और फिर बिना हिले पड़ा रहा। जब देखा कि वो शांत है और कोई हलचल नहीं कर रही है, तो उसकी मखमली टाँगों पर एक टाँग भी रख दी। उसका वो मखमली बदन मुझे रोमांचित कर रहा था। अब मैंने थोड़ी देर बाद उसकी चूचियों को हथेली के वजन से दबाना चालू कर दिया।

थोड़ी देर में उसकी काया में हरकत हुई और मैं ऐसे लेट गया कि सो रहा हूँ। पहले वो थोड़ी हिली और फिर उसका हाथ मेरे हाथ पर आ गया और वो मेरे हाथ को सहलाने लगी।

मैंने धीरे से आँख खोल कर देखा तो वो मुझे ही देख रही थी। आँखों ही आँखों में इशारा हुआ और उसने मेरा हाथ दबा दिया। फिर मैं उससे लिपट गया।

वो बोली- थोड़ा रुको !

और खड़ी होकर सीढ़ियों का छत पर खुलने वाला दरवाजा बंद कर आई। उसके बाद मैंने उसे बाँहों में लिया और उसके रसीले होंठों को चूसने लगा। और लगभग 30 मिनट तक उसके होंठों और जीभ से खेलता रहा।

इस दौरान वो इतनी उत्तेजित हो चुकी थी कि वो मुझे काटने लगी और चूमने चाटने लगी। उसकी उत्तेजना शायद चरम सीमा पर थी। मैंने उसे गले से लगा कर थोड़ा शांत किया। फिर उसके बाद आराम-आराम से उसे चूमते हुए उसके सारे कपड़े उतार दिए। फिर मस्ती से उसकी चूचियों को सहला सहला कर चूसना शुरू किया।

उसकी चूचियों से दूध आ रहा था और मैं उस दूध को किसी बच्चे की तरह पी रहा था। वो फिर मेरा सिर चूचियों पर दबाने लगी और मेरे बालों को सहलाने लगी। मैंने 30 मिनट तक उसकी चूचियों को चूस-चूस कर लाल कर दिया और फिर धीरे से उसकी नाभि को चूमते हुए उसकी चूत तक जा पहुँचा।

जैसे ही मैंने अपनी जीभ को थोड़ा चौड़ा कर के उसकी चूत पर लगाया और एक बार चाटते ही उसकी सिसकी निकल पड़ी। मैं चाटता रहा और वो सिसकियाँ भरने लगी। मेरे 25-30 बार चाटने पर वो पूरी तरह पस्त हो गई और उसकी चूत बहुत ज्यादा पानी छोड़ने लगी।

मैं अपनी उंगली उसकी चूत में डाल कर उसके दाने को चूसने लगा और उसकी वो एक बार अकड़ गई और झड़ गई। फिर वो थोड़ा सुस्त पड़ गई। मैं अभी तक झड़ा नहीं था फिर मैं उसकी मुँह की तरफ हो कर उसकी चूचियों से खेलने लगा। क्योंकि मुझे बड़ी और मोटी चूचियाँ बहुत ही पसंद हैं।

थोड़ी देर में ही उसकी नींद सी टूटी और वो मेरे 6″ लम्बे 2″ मोटे लण्ड को चूसने लगी और उसे उसने खड़ा कर दिया। मैं उसकी टाँगों के बीच आया और उसकी दोनों टाँगें हवा में उठा दीं और उसको दोनों टाँगों को हाथों से पकड़ने को बोला।

दोस्तो, सेक्स का मजा तभी आता है जब दोनों साथी एक-दूसरे को सहयोग करें।

मैंने अपने दोनों हाथ उसकी टाँगों के नीचे से लेते हुए उसके कन्धों को पकड़ा, इस आसन में लड़की हिल नहीं सकती और फिर चोदने और चुदने में बड़ा ही मजा आता है। मैंने लण्ड को उसकी चूत पर घिसा तो वो दोहरी होने लगी।

जब उसने बोला- डालो न जान ! अब क्या देर है !

तो फिर मैंने अपना मूसल उसकी चूत में घूसा दिया। जैसी ही पहला झटका मारा तो उसकी चूत चरमरा उठी और वो चीखने लगी- अअ… आअ… अयईई… ईयई… उई माँ… मर गअ ई ईई ई… निकालो… निकालओ ओ ऊ ओ में मर गई माँ माँ अ आ आ अ…

जब तक लड़की चीखे ना, चोदने का मजा आधा रहता है, पर एक बार जब चीख कान में पड़ जाए तो जोश दुगना हो जाता है, ऐसा नहीं है कि मैं निर्दयी हूँ, पर सेक्स चीज ही ऐसी है कि ये इसान को जानवर बना ही देती है।

मैं थोड़ी देर शांत रहा, ऐसे ही उसके ऊपर पड़ा रहा और उसकी चूत में मेरा लण्ड जड़ तक घुसा हुआ था। जैसी ही वो थोड़ी सी शांत हुई कि मैंने अपना पूरा लण्ड निकाला और फिर अंदर तक तक पेल दिया। मेरे इस पेलने से वो अंदर तक हिल गई और एक बार फिर वो जोर से कराह उठी और मैंने अपने होंठों को उसके होंठों से जोड़ दिया और धक्के पर धक्के लगाने लगा।

थोड़ी देर में वो नॉर्मल हो गई। जैसी ही वो नॉर्मल हुई उसने मुझे इशारा किया और में आराम-आराम से उसे चोदने लगा।

सेक्स का मजा तभी आता है जब दोनों साथी संतुष्ट हों और सेक्स लम्बा चले व उसमें आनन्द आए।

इस चुदाई में हमें लगभग दो घंटे बीत गए और समय का पता ही नहीं चला। आखिर में उसकी चूत चरमरा उठी और वो मेरी पीठ पर नाखून गड़ाने लगी। मेरी कंधे पर चूसने और काटने दोनों का मिला-जुला सा एहसास देने लगी। मैंने भी अपनी स्पीड बढ़ा दी और हम दोनों एक साथ झड़ गए और दोनों ही हांफने लगे।

वो निढाल हो कर लगभग सो चुकी थी और मैं उसकी ओर निहारते हुए सो गया। थोड़ी देर में ही अचानक मेरी नींद टूटी और देखा कि कोई मेरे लण्ड को चूस रहा है।

देखा तो सुबह की रोशनी होने लगी थी, मकान मालकिन गायब थी और एक दूसरी पड़ोस वाली भाभी मेरे लण्ड को चूस रही थीं। मैंने उसे चूमा और उसके चूचों का दबाने लगा।

वो बोली- अभी नहीं, किसी दिन फुर्सत में करेंगे और तुम तो बहुत जबरदस्त चोदते हो। मैंने कल रात तुम्हारी चुदाई देखी तो खुद को तेरा लण्ड चूसने से न रोक सकी, जल्दी मिलूँगी।

यह कह कर वो छत कूद कर चली गई।

मैंने अपने कपड़े समेटे और अपने कमरे में आ गया।

आज तक मैं मकान-मालकिन की चूत की सेवा करता हूँ।

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