बाली उमरिया में लगा प्रेम रोग- 5

(Hot Aunty Punjabi Sex Kahani )

हॉट आंटी पंजाबी सेक्स कहानी में मैं अपनी ममेरी बहन को चोद नहीं पाया तो अपने दोस्त की मम्मी के पास चला गया. वे मुझे सेक्स की ट्रेनिंग दे रही थी.

कहानी के पिछले भाग
ममेरी बहन की वासना
में अब तक आपने पढ़ा कि बंटू अपनी मम्मी पापा की चुदाई की कामुक आवाजों के कारण उत्तेजित रहता था. एक बार उसकी ममेरी बहन पम्मी कुछ दिनों के लिए उनके घर आई. वे एक ही कमरे में सोने लगे।
एक सुबह बंटू ने अपनी मम्मी को सिमरन आंटी के पति सरताज अंकल से चुदवाते देखा तो उनकी वीडियो रिकॉर्डिंग कर ली।
बंटू मुट्ठ मार कर एक बार स्खलित भी हो चुका था किंतु दिमाग में चढ़ी वासना पूरी तरह शांत नहीं होने के कारण उसने अपनी बहन पम्मी को चोदने की असफल कोशिश की।
इसके बाद पम्मी ने बंटू के दोस्त और सिमरन के बेटे मोंटी से अपनी सील तुड़वाने का निर्णय लिया।

मोंटी ने चुदाई से पहले पम्मी को लंड चूसने के लिए कहा।

अब आगे हॉट आंटी पंजाबी सेक्स कहानी:

पम्मी इस बार अपनी चूत को किसी भी हालत में निराश नहीं करना चाहती थी इसलिए उसने मोंटी को उसका लंड कम मोटा होने के बारे में कुछ नहीं कहा और वह मोंटी का लंड चूसने को तैयार हो गई।

पम्मी ने हालांकि इसके पहले कभी किसी का लंड मुंह में नहीं लिया था.
पर कुदरत सैक्स के हर खेल को अपने आप सिखा देती है।
उसने मोंटी के लंड को मुंह में लेकर उसके सुपारे पर जुबान को गोल-गोल घुमाया और मुंह में लार पैदा की जिससे चूसने में आसानी रहे।

उसके बाद पम्मी ने मुंह को आगे पीछे करके मोंटी को मुखमैथुन का सुख पहुंचाना शुरू कर दिया।
अपनी कमर को हिला कर मोंटी भी पम्मी का मुखचोदन करने लगा।

मोंटी का भी यह पहला अवसर था जब कोई लड़की उसका लंड चूस रही थी।

पम्मी की अभी तक की कामुक हरकतों से वीर्य तो उसके भी लंड में उफना हुआ था, जल्दी ही वह जोश में आ गया और तेज़ी से पम्मी के मुंह को चोदने लगा।
उसने 10-15 धक्के मुंह में लगाए होंगे कि उसके लंड से वीर्य की एक तेज़ धार निकली।

कुछ कतरे पम्मी के हलक में गिरे.
पम्मी ने मुंह को लंड पर से हटाया और बाकी वीर्य के कुछ कतरे फर्श पर भी टपक गए।

वीर्य निगलने में पम्मी को कठिनाई हुई तो उसको ठसका लगा और उसने एक नैपकिन में अपने मुंह का वीर्य निकाला और जोर-जोर से खांसने लग गई।

उधर बंटू जब मोंटी के यहां पहुंचा तो सिमरन आंटी किचन में काम कर रही थी.
वह किचन में गया और पीछे से चिपक के सिमरन आंटी के दोनों भारी भरकम बूब्स से खेलने लगा।

सिमरन बोली- आ गया हरामखोर मेरे मम्मों के मजे लेने?
इस पर बंटू ने कहा- कल तुमने झिड़क जो दिया था, आज उसकी कसर निकालूंगा।

सिमरन बोली- अच्छा ऐसा क्या सोच के आया है तू, जरा मैं भी तो जानूं?
बंटू ने कहा- पहले तो मुझे तुम्हारे बूब्स को चूसने का मजा लेना है।

सिमरन बोली- ‘पहले तो’ का क्या मतलब? इसके बाद भी तेरी कुछ और करने की इच्छा है क्या हरामजादे?

बंटू को इतना तो समझ में आ रहा था कि सिमरन किसी भी चीज के लिए मना नहीं कर रही है पर वह अभी भी इस सोच में पड़ा था कि आखिर वह इतनी आसानी से उससे चुदवाने के लिए तैयार क्यों हो रही है?

उसने कहा- इच्छा तो वही है जो हर कामुक मर्द और रसिक औरत की होती है यानि ‘चुदाई’ की!
इस पर सिमरन ने हंसते हुए कहा- तू अभी मर्द कहां है रे? तू तो अभी बच्चा है बच्चा! तेरे को जब स्तनपान करवाऊंगी, तब भी यही सोच कर करवाऊंगी कि मैं अपने बच्चे को दूध पिला रही हूं।

बंटू ने भी हंसते हुए जवाब दिया- सिमरन आंटी, तुमको जो समझना है, समझ लेना. लेकिन सैक्स और वासना के खेल में एक ही रिश्ता होता है, वह है औरत और मर्द का!

सिमरन बोली- वाह बेटा, बातों से तू लगता है कि जवान हो गया. अब तो तेरी जवानी आजमा के देखनी ही पड़ेगी।
बंटू की तो बांछें खिल गई.

सुबह सुबह पम्मी की चूत पर अनियंत्रित होकर वह जिस तरीके से ढेर हुआ था उसकी ग्लानि से वह उभरने लगा।
उसे लगा कि एक कमसिन लड़की को चोदने से पहले बेहतर होगा कि सिमरन आंटी जैसी अनुभवी कामुक औरत से चुदाई के टिप्स लेना।

सिमरन आंटी ने पूछा- क्यों रे बंटू, मोंटी तो तेरे घर की ओर ही गया है, फिर तू यहां कैसे चला आया? कहीं ऐसा ना हो कि वह आकर हम दोनों को आपत्तिजनक अवस्था में देख ले और अपने मजे की और तुम दोनों की दोस्ती की मां चुद जाये।

बंटू ने जवाब दिया- तुम उसकी चिंता मत करो आंटी, वह मेरी बहन पम्मी के साथ अपना दिल बहला रहा है।

आंटी चौंक गई, उसने पूछा- क्या रे? क्या मतलब है तेरा?
बंटू ने कहा- मेरे मामा की लड़की पम्मी कल आई थी। कल भी उसकी मुलाकात मोंटी से हुई थी और पम्मी को तो तुम भी जानती ही हो अभी खिलती हुई कली है लेकिन उसकी भी कामवासना में, हम दोनों दोस्तों की तरह, अभी से उबाल आ रहा है।

सिमरन फिर चौंकी, उसने पूछा- हम दोनों दोस्तों से तेरा क्या मतलब है? कहीं मोंटी तेरी मां के साथ तो लगा हुआ नहीं है?
बंटू ने कहा- नहीं आंटी, मां के साथ तो मोंटी नहीं, उसका…!

इतना कहकर बंटू रुक गया और उसने सुबह मम्मी की सरताज अंकल द्वारा चुदाई का बनाया हुआ वीडियो को दिखाने के लिए अपना मोबाइल सिमरन को सौंप दिया।
उसका अधूरा वाक्य पूरा किया सिमरन ने, उसने कहा- उसका बाप लगा हुआ है. यही कहना चाहता है न तू?

अब चौंकने की बारी बंटू की थी, उसने सिमरन से पूछा- अरे आंटी, तुमको मालूम है क्या?
आंटी ने कहा- तू अभी बच्चा है रे, मुझे तो बहुत कुछ मालूम है।

बंटू दुविधा में पड़ गया, कहां तो वह अपनी कामाग्नि को शांत करने आया था लेकिन यहां तो कुछ और ही खेल चल रहा है।

अब वह सिमरन आंटी से यह जानने की कोशिश करे या नहीं कि बहुत कुछ में वह क्या-क्या जानती है?

जल्दी ही वासना उसके कच्चे मस्तिष्क पर हावी हो गयी, वह सोचने लगा कि यदि जिंदगी के मजे लेने हैं तो सच्चाई से घबराने से काम नहीं चलेगा।

उसने कातर स्वर में कहा- अच्छा आंटी, चलो बताओ कि तुम क्या-क्या जानती हो?
सिमरन ने कहा- पहले तू मोंटी के बारे में बता क्योंकि मेरी कहानी जरा लम्बी है, तुझे ठीक समय पर, फुर्सत मिलते ही बताऊंगी।

बंटू ने कल पम्मी के उन दोनों दोस्तों के बीच में बैठकर उन्हें गर्म करने से लेकर, आज सुबह पम्मी की गर्म, उफनती हुई चूत पर जल्दी स्खलित होने और काम अग्नि में जल रही पम्मी के नाराज होने की कहानी विस्तार से सुना दी और यह भी बता दिया कि पम्मी ने कहा है कि वह अब अपनी कुंवारी सील पैक चूत पहले मोंटी को देगी।

सिमरन ने तीनों बच्चों में समय से पहले पनप रही वासना पर आश्चर्य प्रकट किया और कहा- मोंटी को तो मैं इतना भोला भाला समझती थी. मुझे पता नहीं था कि अभी से उसकी लौड़ी भी तन्नाने लगी है।

अब बंटू को भी मौका मिल गया सिमरन पर तंज करने का … वह बोला- वाह आंटी, तुम अभी तक पता नहीं कितनी बार चुदवा चुकी होगी, पता नहीं कितने लंड ले लिये होंगे. फिर भी तुम्हारी कामवासना अभी भी भड़क रही है और हम तीनों तो अभी जवानी की दहलीज पर हैं, हमारे शरीर में वासना अभी-अभी जागी है, क्या हमें सैक्स का आनन्द उठाने का अधिकार नहीं है?

सिमरन की आंखों के सामने सके बचपन के दिन अठखेलियां करने लगे।
वह भी तो यही बातें सोचा करती थी कि समाज ने मस्ती पर पहरे क्यूं लगा रखे हैं? इंसान के शरीर में वासना तो कुदरत ही भरती है फिर उसका दमन करना कहां तक उचित है? प्रकृति ने जितनी भी इंद्रियां दी हैं वे सब जीवन का आनन्द उठाने के लिए ही तो हैं फिर इंद्रिय नियंत्रण के उपदेश और इंद्रिय सुख को गलत समझने की मानसिकता ईश्वरीय कार्य में हस्तक्षेप नहीं?

उसने भी तो बहुत कम उम्र में ही लंड, चूत के खेल शुरू कर दिए थे, तब तो उसने चोरी छुपे कई लंड लिए और जी भर के चुदाई करवाई किंतु अब मोंटी को लेकर वह भी उसी गलती को दोहराने जा रही थी?

पता नहीं कब अपने पुत्तर की इच्छाओं पर उसका मां वाला रूप हावी हो गया.
उसने कहा- तेरा एक एक शब्द सही है पुत्तर, वास्तव में मैं भी जब तुम्हारी उम्र में थी, तभी से सैक्स का आनन्द ले रही हूं और कुदरत के इस वरदान का हर इंसान को भरपुर उपयोग करना चाहिए क्योंकि जीवन में यह, आनन्द का सबसे बड़ा स्रोत है। वासना की आग समय के साथ मंद भले ही पड़ जाए किंतु पूरी तरह शांत कभी भी नहीं होती।

सिमरन ने फिर बंटू से पूछा- तेरे कहने का मतलब है कि मोंटी अब पम्मी को चोद कर ही लौटेगा?
बंटू ने कहा- हां, लगता तो ऐसा ही है। जब उसे आज पहली बार नई नई चूत मिली है जो कि चुदवाने के लिए तैयार भी है तो फिर वह उसे बिना चोदे क्यों आएगा?

हॉट आंटी पंजाबी सेक्स के लिए जवान हो रहे लौंडे की कामुक बातें मुस्कुराते हुए सुनती रही.

इसके बाद सिमरन ने मोंटी के मसले को यहीं छोड़ के बंटू की ओर मुस्कुरा के देखा और अपनी बाहें फैला दी और बंटू उसके बड़े-बड़े और सुडौल मम्मों पर चेहरा टिका कर सिमरन की बाजुओं में समा गया।

अभी उसका चेहरा सिमरन के दाहिने स्तन पर टिका हुआ था।
सिमरन के बड़े-बड़े सुडौल स्तन की कोमलता और मांसलता बंटू के शरीर में वासना की एक नशीली लहर उत्पन्न करने लगी, उसका दाहिना हाथ सिमरन के बांये स्तन की ओर बढ़ा और वह उसको दबा दबा के आनन्द लेने लगा।

उसके बाद बंटू ने अपना चेहरा सिमरन के दोनों स्तनों के बीच में रखकर दोनों स्तनों की भीनी भीनी गर्मी का अनुभव लिया।

उसके दोनों हाथ सिमरन के पीछे की ओर जाकर उसकी ब्रा के हुक को टटोल रहे थे।

बंटू को सिमरन की इतनी सारी बातें सुनने के बाद इतना विश्वास तो हो गया था कि अब वह सिमरन की इस गर्म जवानी के साथ कुछ भी कर सकता है और सिमरन उसके बारे में उसकी मम्मी से किसी तरह की शिकायत भी नहीं कर सकती।

जब उसे अपनी मम्मी का ध्यान आया तो वह मन ही मन मुस्कुराने लगा.
पहली बात तो सिमरन ने स्वयं कहा कि वह अपने पति द्वारा उसकी मम्मी को चोदे जाने से भी अधिक कुछ जानती है एवं सहमति से उसे अपने शरीर के साथ खेलने दे रही है, दूसरा उसे अपनी मम्मी की चुदाई के आधा घंटे से अधिक के वीडियो का ध्यान आया।

बंटू ने सोचा कि उसकी मम्मी अब उसका झांट भी नहीं उखाड़ सकती, मुझे अब कम से कम मम्मी से तो डरने की बिल्कुल जरूरत नहीं है।

जब बंटू सिमरन की ब्रा का हुक नहीं खोल पाया तो सिमरन ने कहा- धत्.. तेरे की, चल हट! तेरे से मेरी ब्रा का हुक नहीं खुल पा रहा तो तू मेरी चूत का ताला कैसे खोल पायेगा?
बंटू बोला- सिमरन आंटी, भगवान ने चूत पर तो ताला लगाया ही कहां है? उसमें तो किसी का भी लंड हो, सट्ट से अंदर घुस जाता है, चूत किसी लंड को घुसने से मना नहीं करती।

सिमरन मुस्कुरा कर बोली- वाह रे गुंडे, अचानक बड़ा ज्ञानी हो गया है तू?
बंटू भी मुस्कुरा कर बोला- क्यों नहीं? आखिर तुम जो हो मेरी सैक्स गुरु!

सिमरन को उसकी यह बात अच्छी लगी, उसने एक हाथ पीछे ले जाते हुए अपनी ब्रा का हुक खोला और अपनी कुर्ती को उतार दिया।

बंटू के सामने दो 38-38 इंच वाले, पके हुए भारी भरकम खरबूजे झूल रहे थे।
उसने देखा कि सिमरन आंटी के मम्मे, मम्मी के मम्मों से भी बड़े और सुडौल हैं जब कि सिमरन आंटी, मम्मी से दो वर्ष बड़ी हैं।

उसने दोनों हाथों से सिमरन के दोनों स्तनों को पकड़ा, सहलाया, निप्पलों को मसला, उसके पूरे शरीर में एक करंट सा दौड़ गया।
पम्मी के अधपके आमों जैसे बूब्स के अलग मजे थे तो सिमरन आंटी के पके खरबूजों जैसे बूब्स के अलग।

सिमरन ने बंटू को अपनी गोद में समेटा और जैसे औरतें बच्चे को दूध पिलाती हैं वैसे उसने अपनी बांयी निप्पल को बंटू के मुंह में दे दिया।

बंटू दोनों हाथों से सिमरन के स्तन को दबा दबा के उसकी निप्पल को चूस रहा था, उसके मुंह में दूध की तो एक बूंद भी नहीं आई लेकिन उसे ऐसा लगा जैसे निप्पल से आनन्द रस निकल के पूरे शरीर में उसके रक्तसंचार को तेज़ कर रहा है।

सिमरन ने बंटू की निक्कर अंडरवियर सहित नीचे खिसका दी और उसके साढ़े पांच इंच के लंड को अपने हाथ से पकड़ लिया।
बंटू को अपने लंड पर सिमरन के हाथ का स्पर्श बहुत उत्तेजक और सुखद लगा।

सिमरन ने बंटू के लौड़े को हल्के हल्के फेंटना शुरू किया।
बंटू मस्त हो रहा था.

उसने सोचा कि लोग बेकार में ही स्वर्ग की कामना करते हैं, जबकि प्रकृति ने हर इंसान को अपनी खुद की जन्नत के साथ पैदा किया है, जहां दो जिस्मों का मिलन हो जाए, वहीं जन्नत का आनन्द उठाया जा सकता है। इसमें कुदरत ने लिंग भेद की शर्त भी नहीं रखी, समलिंगी यानि लेस्बियन और गे संबंध इस बात को सिद्ध करते हैं। जब तक वासना की आंच जलती है तब तक जितना आनन्द इंसान अपने इस शरीर से उठा सकता है, उसे उठा लेना चाहिए।

बंटू सुबह ही पम्मी को चोदने के असफल प्रयास में पम्मी की चूत पर अपना वीर्य बिखेर के आया था।

उससे पहले उसने अपनी मां की चुदाई देखते समय भी मुठ मार के अपना वीर्य स्खलित किया था यानि उसके दोनों आंड खाली हो चुके थे इसलिए अभी वह इतनी जल्दी झड़ने वाला नहीं था।

सिमरन को यह सब पता था इसलिए वह बेहिचक बंटू को हस्तमैथुन का सुख पहुंचाने लगी.
फिर भी उसने सावधानी बरतते हुए 15-20 बार फेंटकर बंटू के लौड़े के सुर्ख सुपारे को अपने अंगूठे और तर्जनी से दबाकर बंटू को कहा- गांड को सिकोड़ कर लम्बी लम्बी सांसें ले और अपने वीर्य को अंदर की ओर खींचने की कोशिश कर!

बंटू ने ऐसा ही किया और थोड़ा नीचे खिसकते हुए सिमरन के दूसरे स्तन को दबा दबा के उसकी निप्पल को मुंह में लेकर चूसने लगा।
जब बंटू लम्बी लम्बी सांसें लेकर अपने वीर्य पर नियंत्रण कर रहा था तब सिमरन ने उसके आंड सहलाने शुरु कर दिए।

बंटू ने कई बार अपने हाथों से अपने आंड सहलाये थे लेकिन आज सिमरन आंटी के हाथों के इस स्पर्श से उसे यह अहसास हुआ कि पराए स्पर्श में कितना सुख होता है।

सिमरन की चूत वाला जन्नत का दरवाजा देखे बिना बंटू आधा घंटे से सिमरन के स्तनपान करके जन्नत के कुछ कुछ मज़े ले चुका था।

इस बीच कई बार सिमरन ने बंटू के लंड को फेंट कर और उसके टोपे को दबा दबा के बंटू को वीर्य स्तंभन का पाठ पढ़ा दिया था।

सिमरन ने बंटू को कहा- अब तू घर जा और देख कि मोंटी ने पम्मी की चूत चोद चोद के उसकी चूत की कितनी हालत खराब करी है?

यह सुनकर एक बार फिर बंटू की गांड सुलगने लगी.
लेकिन वह कुछ कर नहीं सकता था इसलिए उसने सोचा जितना आनन्द कुदरत की मेहरबानी और सिमरन आंटी के जिस्म से मिल रहा है, उसी में संतोष करना ठीक रहेगा। पम्मी के यहां से जाने के पहले उसको जरूर जरूर चोदूंगा यह मेरा प्रण है।

सिमरन ने बंटू को एक शक्तिवर्धक तेल की शीशी देते हुए कहा- इसे अपने हथियार पर लगाकर अच्छे से मालिश करना। अपनी दोनों हथेलियों में लंड लेकर खूब मसलना और जिस तरह से मैंने आज फेंट फेंट कर और तेरे शिश्नमुंड को दबा कर तेरे को स्खलित होने से रोका है, तू भी वैसा ही करना। ऐसा नहीं हो कि फेंटते फेंटते नियंत्रण खो दे। तेरे से जितना संभव हो उतनी बार ये प्रक्रिया करना, तेरे लंड को एक दमदार लंड बनाना है, समझा? आज तुझे मैंने वीर्य स्तंभन का तरीका बताया है। अब अगला पाठ मैं तुझे बाद में सिखाऊंगी।

बंटू सिमरन के यहां से निकलकर अपने घर पहुंचा.
नीचे दरवाजा खुलने की आवाज आई तो पम्मी और मोंटी दोनों ने फटाफट कपड़े पहने।

पम्मी सोच रही थी कि बुआ जी इतनी जल्दी कैसे आ गई?

इतने में तेज़ क़दमों की आहट सीढ़ी पर सुनाई दी।

मेरे प्रिय पाठको, आप निश्चित रूप से कहानी में ‘पम्मी का आगे क्या होने वाला है’ उसको जानने के लिए उत्सुक होंगे, तो पढ़ते रहिए हॉट आंटी पंजाबी सेक्स कहानी के आने वाले भागों को और अपनी प्रतिक्रिया प्रेषित करते रहिए।
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