मेरा गुप्त जीवन- 11 चम्पा के साथ पहली रात

(Mera Gupt Jeewan-11 Champa Ke Sath Pahli Raat)

चम्पा के साथ पहली रात

चम्पा एकदम चौंक गई और हैरानी से बोली- सोमू, तुम्हारा लंड अभी भी खड़ा है? अरे यह कभी बैठता नहीं?
मैं बोला- चम्पा रानी, जब तक तुम यहाँ हो, यह ऐसे ही खड़ा रहेगा और तुम्हारी चूत को सलामी देता रहेगा।
‘ऐसा है क्या?’ वो बोली।
‘हाँ ऐसा ही है!’ मैंने कहा।
‘अच्छा रात को देखेंगे… अब तुम सो जाओ, मैं चलती हूँ, रात को आऊँगी।’
यह कह कर चम्पा चली गई।
उसके जाने के बाद लंड धीरे धीरे अपने आप बैठ गया और फिर मैं भी गहरी नींद सो गया।

चम्पा के साथ गुज़ारी पहली रात ज़िन्दगी भर याद रहेगी, दिन भर मैं चम्पा पर छाया था, रात में चम्पा छा गई, चम्पा ने अपने गुज़रे जीवन के ख़ास क्षण उस रात मुझको बताये।
चम्पा को अपने पति के साथ बिताये दिन याद आने लगे। कैसे सुहागरात वाले समय उसके पति ने उसको बड़ी बेरहमी से चोदा था, उसके दिल में संजोय सारे अरमानों को रौंदता हुआ उसका ज़ालिम लंड उसकी चूत को बर्बाद कर गया था।

साले ने एक बार भी उसको उस रात चूमा या प्यार से नहीं देखा। उसका ध्यान सिर्फ चूत पर लगा था और मोटे लम्बे लंड से वह चूत को फाड़ता हुआ अपनी जीत के झंडे गाड़ता हुआ मूंछों को ताव देता रहा।
चम्पा बेचारी मासूम और कमसिन अपने पति का यह यौन अत्याचार सहती रही। उस समय वो किशोरावस्था में थी और काम क्रीड़ा के बारे में कुछ नहीं जानती थी।

ये सब बताते हुए उसकी आँखें भर आई। आगे उसने बताया कि पति के साथ बिताये शादीशुदा जीवन में वो एक बार भी यौन सुख को अनुभव नहीं कर सकी, उसका पति केवल एक सांड के माफिक था जो सिर्फ गाय को हरा करना जानता था, उसको काम सुख देना नहीं आता था।
यह कह कर वो चुप हो गई।

मैंने पूछा- फिर तुम कैसे अपने को कामसुख देती थी?
वो शर्मा गई और मुंह फेर लिया।
मैंने भी कोई ज़ोर नहीं डाला, उसको काम क्रीड़ा के लिए मूड में लाने के लिए मैं ने उसको चूमना शुरु किया, पहले उसके गालों को चूमा और फिर उसके कानों के पास थोड़ा होंटों से गर्मी दी और फिर एक बहुत ही गहरी चुम्मी उसके पतले होंटों पर दी। चूमते हुए मैंने उसके कपड़े भी उतारने शुरू कर दिए, पहले ब्लाउज उतारा और फिर उसकी धोती उतार दी और फिर उसके पतले पेटीकोट को उतार दिया।

बल्ब की रोशनी में उसका शरीर एकदम सोने के माफिक चमक रहा था, सिर्फ चुचूकों का काला रंग और चूत के बालों की काली घटा के सिवाए उसका बदन काफी चमक रहा था, गंदमी रंग बहुत सेक्सी लग रहा था।

मैं पलंग पर उसके साथ बैठ गया और उसके शरीर के एक एक हिस्से को बड़े ध्यान से देखने लगा। उसके सख्त उरोज जिनको अब मैंने चूमना शुरू कर दिया, चुचूकों को मुंह में लेकर गोल गोल घुमाना बड़ा अच्छा लगा।
और तभी मैंने देखा कि चम्पा भी मेरे खड़े लंड को हाथ में लेकर ध्यान से देख रही थी। लंड के आगे वाले भाग से उस पर छाई हुई चमड़ी को आगे पीछे करने लगी, कभी वो मेरे टाइट अंडकोष से खेलती और कभी पूरे लंड को मुट्ठी में लेकर ऊपर नीचे करती थी।

मेरी भी एक ऊँगली उसकी भगनासा को धीरे से सहला रही थी। कम्मो ने बताया था कि स्त्री का सबसे गरम शारीरिक हिस्सा केवल क्लिट या भगनासा ही होता है, दो तीन बार ऐसा करने पर चम्पा के चूतड़ अपने आप ऊपर को उठ रहे थे।
अब चम्पा की चूत बिलकुल पनिया गई थी और उसने मेरे लंड को खींच कर इशारा दिया कि वो चूत की जंग के लिए तैयार है।

मैं भी झट उसकी टांगों के बीच आ गया और अपना लंड को निशाने पर रख कर एक हल्का धक्का दिया और लंड एकदम पूरा चूत के अंदर हो गया। लंड को अंदर डाल कर ऐसा लगा कि वो किसी तपती हुई भट्टी में चला गया हो।

मैंने धीरे धीरे धक्के लगाने शुरू किए और चम्पा भी अपने चूतड़ उठा कर बराबर का साथ दे रही थी, मेरा मुंह चम्पा के मोटे स्तनों के चुचूकों को चूस रहा था।
एक को छोड़ा दूसरे को चूसा, धक्के और चुसाई साथ साथ चल रही थी और चम्पा के मुंह से दबी हुई सिसकारी निकल रही थी, उसके दोनों हाथ मेरी गर्दन में थे।

और तब मैंने अपने दोनों हाथ उसके चूतड़ों के नीचे रख दिए जिससे उसको लंड चूत की पूरी गहराई तक महसूस हुआ और तभी उसका शरीर एकदम अकड़ गया, थोड़ा कम्पकम्पाया और उसने ज़ोर से मुझ को भींच लिया और उसके मुंह से केवल हाय शब्द निकला और वो ढीली पड़ गई।
मैंने चुदाई जारी रखी लेकिन धक्के रोक दिए ताकि उसकी सांस में सांस आये और उसको फिर से आनन्द आने लगे।

चम्पा एकटक मुझ को देख रही थी और फिर कहने लगी- सोमू, तुम तो बहुत अच्छी चुदाई करते हो जी, कहाँ से सीखा यह सब?
मैं हंस दिया और बिना जवाब दिए चुदाई में फिर से जुट गया।

जब चम्पा का तीसरी बार छूटा तो उसने हाथ खड़े कर दिए और कहने लगी- अब और नहीं।
तब मैंने बिना छुटाये ही लंड चूत से निकाल लिया और चम्पा के साथ लेट गया। चम्पा तो ऐसे लेटी थी जैसे मीलों दौड़ कर आई हो।
मैंने उसका हाथ उठा कर अपने लंड पर रख दिया, मेरा लौड़ा अभी भी सर उठाये खड़ा था और फन फन फुफकार रहा था।
मेरा हाथ चम्पा के गदराये पेट पर था और वहीं से खिसकता हुआ वो उसकी चूत के ऊपर बैठ गया। उसकी चूत से अभी भी रसदार पानी निकल रहा था और वो ऐसे निढाल पड़ी थी जैसे बहुत ही मेहनत कर के आई हो।
उसके चेहरे पर एक पूर्ण तृप्ति की मुस्कान थी।

मैं बोला- लगता है बहुत थक गई हो?
वो मुस्कराई और फिर मेरी तरफ देखते हुए बोली- सोमू, तुम तो कमाल के चोदू हो, इतनी उम्र में तुम तो बहुत बड़े खिलाड़ी निकले। किसने सिखाया है यह सब?
मैं भी हँसते हुए बोला- अंदाजा लगाओ तुम कौन हो सकता है यह सिखाने वाला?
‘कम्मो है क्या? मुझको पक्का यकीन है कि यह काम कम्मो के अलावा दूसरा कोई और हो ही नहीं सकता!’
‘तुम इतने यकीन से कैसे कह सकती हो?’
‘वही तो थी तुम्हारे काम को देखने वाली… वही आती जाती थी तुम्हारे पास!’
बातें करते हुए उसका हाथ मेरी लंड से खेल रहा था जो अब भी बराबर एकदम अकड़ा था। मेरा भी हाथ उसकी चूत के घने बालों के साथ खेल रहा था, मैंने चूत में ऊँगली डाली तो वो फिर से गीली होना शुरू हो गई थी।
मैंने हल्के हल्के उसके भगनासा को रगड़ना शुरू किया। मेरा ऐसा करने पर वो तुरंत अपना चूतड़ उठा कर ऊँगली का ज़ोर बढ़ा देती थी और अब मैं तेज़ी से ऊँगली करने लगा।

उसकी आँखें मुंदी हुई थी और मुंह अधखुला था। फिर उसने हाथ से मेरे लंड को ऊपर आने की दावत दी और मैं झट उसकी खुली टांगों के बीच आ गया और निशाना साध कर अपना अकड़ा लंड उसकी चूत में डाल दिया और धीरे धक्के से शुरू कर बहुत तेज़ धक्कों पर पहुँच गया।

मैंने देखा चम्पा का मुख एकदम खुला हुआ था और उसकी साँसें तेज़ी से चल रहीं थी, उसका एक हाथ उसकी छाती के चुचूकों को रगड़ रहा था और दूसरा मेरे गले में था।
इस बार चुदाई का अंत मैं अपना छूटने के बाद तक करना चाहता था इसलिए सर फ़ेंक कर अपने काम में जुट गया, कभी बहुत तेज़ धक्के और कभी सिर्फ चूत के ज़रा अंदर तक जाकर वापसी वाले धक्के मारने लगा।

चम्पा के मुंह से हल्की सिसकारी निकल रही थी और वो आँखें बंद कर चुदाई का आनन्द ले रही थी। इस बीच उसका पानी 3 बार छूटा ऐसा मैं ने मसहूस किया और अंतिम पड़ाव पर पहुँच कर मैंने इतनी स्पीड से धक्के मारे कि मैं खुद हैरान था कि मैं ऐसा कर सकता हूँ।
और फिर ज़ोर का धक्का मार कर पूरा लंड चम्पा की चूत में डाल कर मेरा वीर्य छूट गया और ज़ोरदार पिचकारियाँ उसकी चूत को हरा करने लगी।
चम्पा ने भी अपने चूतड़ उठा कर मेरे ही लंड के साथ चिपका दिए और छूट रहे वीर्य को पूरा अंदर ले लिया।

मैं हैरान था कि इस को शायद गर्भवती होने का डर नहीं लग रहा था, मैंने हिम्मत करके पूछ ही लिया- चम्पा मैंने तेरे अंदर छुटाया, तुझे गर्भ ठहरने का डर नहीं लग रहा?
वो हैरानी से मेरा मुंह देखने लगी और फिर बोली- अच्छा सोमू भैया को यह भी पता है कि गर्भ कैसे ठहरता है?
वो शरारत से मुस्कराई।
मैं बोला- यही सुन रखा है कि आदमी का अंदर छूटने पर ही गर्भ होता है! क्या ऐसा नहीं है?
चम्पा मुस्कराई और बोली- मेरे घर वाले ने 2 साल बुरी तरह से मुझ को चोदा था फिर भी कुछ नहीं हुआ मुझको, शायद मेरे अंदर ही कोई खराबी है।

‘चलो छोड़ो, आज मैंने तुमको 3 गोल से हराया!’
‘वह कैसे?’
‘तुम्हारा कम से कम 4 बार छूटा और मेरा सिर्फ एक बार, इस तरह तुम 3 गोल से हारी हो।’
‘नहीं तो, मैं तो 7 बार छूटी थी और तुम्हारा एक बार… तो हुई न 6 गोल से तुम्हारी जीत!’
‘अच्छा, मुझको तो 4 बार छूटना महसूस हुआ था?’

‘इतने सालों के बाद मुझको किसी लंड ने ऐसे अच्छी तरह चोदा है, मेरा तो जीवन सफल हो गया, अब मैं तुमको नहीं छोडूंगी जीवन भर, रोज़ रात मुझ को इसी तरह चोदना होगा!’
‘ठीक है मेरी रानी, चोदूंगा जितना चुदवाओगी तुम!’
और फिर हम दोनों एक दूसरे के साथ चिपक कर सो गए।

आधी रात को मेरी नींद खुली तो नंगी चम्पा को देख कर मेरा दिल फिर मचल गया और मैंने उसको चूत पर हाथ फेर कर सोये हुए ही तैयार कर लिया और फिर मैंने उसको फिर हल्के हल्के चोदा कहीं उसकी नींद न खुल जाए।
वो तब भी एक बार छूट गई और मैं बिन छूटे ही सो गया और लंड तब भी खड़ा था।

फिर सुबह होने से पहले ही मेरी नींद खुली तो देखा कि चम्पा की चूत पनिया रही है और मैं फिर उस पर चढ़ गया और तकरीबन सुबह होने तक उसको चोदता रहा।

जब उसकी आँख खुली तो मैं उसको बड़े प्यार से धीरे धीरे चोद रहा था। एक हॉट चुम्मी उसके होटों पर की और आखिरी धक्का मारा और मेरा फव्वारा छूट गया और चम्पा की चूत पूरी तरह से मेरे वीर्य से लबालब भर गई और तभी उसने झट मुझ को कस कर अपने

बाँहों में समेटे लिया और कहा- जियो मेरा राजा, रोज़ ऐसे ही चोदना मेरी जान!
यह कह कर वो अपने कपड़े पहनने लगी और फिर जल्दी से कमरे से बाहर चली गई।
और मैं फिर से सो गया गहरी नींद में!
कहानी जारी रहेगी।
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