पति की कल्पना-3

(Pati Ki Kalpna- Part 3)

आँखों के सामने चुदाई का यह सजीव दृश्य देखने के बाद में भावनाएँ और भी भड़क उठी थी। अच्छे बुरे के बारे में सोचना बंद हो गया था, मन में सिर्फ एक ही ख्याल था कि किसी सागर या राजेश जैसे आदमी से कैसे भी चुदवा लूँ?

मेरे मन की इच्छा शायद पूरी होने वाली थी। मेरा ध्यान उनके सामने वाले कमरे की तरफ गया। लाइट जल रही थी। शायद राजेश इसी दरमियान लौटा था और उसने भी यह चुदाई का नज़ारा देखा था। शायद किसी छेद में से वहाँ का भी नजारा साफ दिखाई देता था।

राजेश अपना लंड पैंट से बाहर निकाल कर हिला रहा था शायद। जैसे ही मुझे वो पूरा दिखाई दिया, मैं तो चौंक ही गई। इसका तो सागर से भी बड़ा था- काला, लम्बा और मोटा…

काश! मैं मन ही मन में सोचने लगी और ठान भी लिया कि कैसे भी करके इसका मज़ा तो लेना ही चाहिए।

मुझे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था। मन की बेचैनी दूर करने के लिए मैं दरवाजा खोल कर बाहर गलियारे में आ गई, सोचा कि थोड़ी बाहर की ठंडी हवा ले लूँ, शायद मन थोड़ा सा शांत हो जाये।

लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। संजोग पर मेरा आज तक विश्वास नहीं था लेकिन संजोग की बात या शायद मेरे जैसे ही ख्याल राजेश के मन में भी थे, वो भी दरवाजा खोलकर बाहर आ गया। उसने निकर पहन रखी थी, उसमें उसका बदन एकदम मस्त लग रहा था। एकदम वो दबंग के विलेन की तरह…

मैं उसकी तरफ देख कर मुस्कराई। मैंने गाऊन पहना था। अन्दर पेटीकोट नहीं था, सिर्फ ब्रा और पेंटी।

शायद उसमें मेरा शरीर काफी नज़र आ रहा था। रात काफ़ी गहरा चुकी थी। ऐसे ही कुछ इधर उधर की बातें की और मैं अन्दर जाने लगी।

तभी राजेश ने कहा- भाभी, एक ग्लास पानी मिल सकता है? सागर और भाभी अन्दर सो रहे होंगे और इस वक़्त उन्हें जगाना ठीक नहीं इसलिए…

मैंने कहा- क्यों नहीं! आप अन्दर तो आईये। मुझे भी नींद नहीं आ रही थी, कॉफी पीने का दिल कर रहा था। आईये! आपके लिए भी कॉफ़ी बनाती हूँ!

उसने थोड़ी भी देर नहीं लगाई, अन्दर आ गया और सोफे पर बैठ गया।
मैंने पानी का ग्लास ला कर सामने वाली तिपाई पर रख दिया। जब मैं झुकी तब मेरे चूचे उसे साफ़ दिखाई दिए होंगे।

उसके चहरे पर एक तरह की चाहत दिखाई दी। कमरे में कुछ चीज़े इधर-उधर बिखरी थी, मैं झुक कर उन्हें ठीक करने लगी ताकि मेरे चूचे उसे और भी साफ़ तरह उसे दिखाई दें। उसका लंड अब पूरी तरह से खड़ा हो गया था। उसकी निकर में से वो अब साफ़ नज़र आ रहा था।

मैं जल्दी अंदर गई और कॉफ़ी ले आई। ज्यादा कुछ बात किये बगैर ही दोनों कॉफ़ी पीने लगे।

राजेश ने पूछा- आपके पति कहीं बाहर काम करते हैं क्या?
मैंने बताया- नहीं, किसी काम के लिए बाहर गए हैं हफ्ते भर से, आज लौटने वाले थे लेकिन…

इस मौके का फायदा उठाने के लिए शायद, राजेश बोला- साथ में रहने की आदत होने पर ऐसे दूर रहना मुश्किल होता ना?

मैं यह बात पहले बहुत बार सुन चुकी थी। जब भी याहू पर चैटिंग करती और बताती कि पति बाहर गए हैं तो सामने वाला यह जरूर कहता (जब भी ये रात की पारी में काम पर रहते, मैं कभी कभी याहू पर चैट करती थी, यह भी मुझे मेरे पति ने ही सिखाया था।)

मैंने पूछा- तुम्हारी शादी हुई है?
उसने कहा- नहीं!
मैंने पूछा- तुम्हारी उम्र क्या है?
तो वो बोला- 25 साल।

मैं मुस्कराते हुए बोली- तब तो तुम्हें भी बड़ी मुश्किल होती होगी? अकेले रात गुजरते हुए, और वो भी जब आजू-बाजू के माहौल में जब कोई भड़काने वाले दृश्य दिखाई दे तब…!

कॉफ़ी का कप लौटाते वक़्त उसके हाथ का स्पर्श मुझे हुआ। जैसे शरीर में बिजली का करंट दौड़ गया।

मैंने कप वहीं पर रख दिया और सामने का दरवाजा बन्द कर दिया। अगले पल मैं उसकी बाहों में थी। उसने मुझे जोर से कस लिया और बेसब्री से मुझे चूमने लगा। मेरी भी हालत कुछ अलग नहीं थी। मैं भी सालों की प्यासी की तरह उसका साथ देने लगी थी। एक पराये मर्द की बाहों में होने का अनुभव कुछ और ही था।

उसने कहा- भाभी, तुम बहुत सुंदर हो। कब से बस अपने दिल की बात दिल में रख कर घूम रहा था। बहुत दिल करता था कि आपसे आकर दोस्ती की बात करूँ लेकिन हिम्मत ही नहीं होती थी। मेरी नज़र में तुम बहुत ही खूबसूरत और सेक्सी औरत हो और मैं हमेशा तुम्हारे पति को बहुत ही खुशनसीब समझता हूँ जिसे तुम्हारे जैसे औरत मिली है।

यह सुनकर मैं बहुत खुश हुई। पता था यह मुझे मक्खन लगा रहा है, मैंने भी कहा- जबसे तुम यहाँ आए हो, तबसे तुम्हारे बारे में सोच रही थी। मैं भी चाहती थी कि तुम्हारे जैसा कोई तगड़ा जवान मिले जो मेरी सारी इच्छायें पूरी करे!

उसने मेरे बालों में हाथ फेरना शुरु किया और उसके कान पर मैंने प्यार से अपनी जीभ फेर दी। मैं भी अब काफ़ी गर्म हो चुकी थी। मैंने उसकी कमीज़ में हाथ दे दिया और उसके शरीर को ज़ोर से अपने हाथों से पकड़ लिया। उसने धीरे धीरे मेरे गाउन में हाथ डाला और अपना चेहरा गाउन के ऊपर रख दिया।

मैंने कहा- ज़रा आराम से काम लो! यह सब तुम्हें ही मिलेगा!

उसने मेरा गाउन उतार दिया और मैंने उसकी निकर और कमीज़ भी निकाल दी। वह मुझे उठा कर अन्दर ले गया, बिस्तर पर लिटा दिया, मेरी ब्रा निकाल दी और मेरे चूचे चूसने लगा। मैं भी अब उसका पूरा देने लगी थी, मैंने उसके लण्ड को हाथ में पकड़ा, ज़ोर से दबा दिया और हिलाने लगी।

राजेश बोला- इतनी ज़ोर से हिलाओगी तो सब पूरा पानी अभी निकल जायेगा!
उसने मेरे स्तन चूसते-चूसते अपने हाथ से मेरी पैन्टी निकाल दी और हाथ मेरी चूत पर फेरना शुरू कर दिया।

मैंने उसका अंडरवीयर निकाल दिया और उसके लण्ड को प्यार से सहलाने लगी। उसने मेरे चूचों से अपना मुँह हटाया और मेरी नाभि को चाटना शुरू किया। मैं और कुछ ज्यादा ही गर्म हो गई थी। फिर उसने धीरे धीरे अपना मुँह मेरी चूत पर रख दिया और चाटने लगा। मेरी सिसकी निकल गई और मैंने अपनी टाँगें फैला दी जिससे वो मेरी चूत को अच्छी तरह से चाट सके।

थोड़ी देर में मैंने भी उसके लंड को पकड़ लिया और जोर जोर से चूसने लगी। अपने पति का लंड चूसते समय बहुत बार मैं कतराती थी लेकिन अब क्या हुआ था पता नहीं, मेरी पूरी लाज शर्म कहीं खो गई थी। मैं लॉलीपोप की तरह उसका लंड मज़े लेकर चूसती जा रही थी। वो इतना मोटा और गर्म था कि लगता था किसी भी वक़्त पानी छोड़ देगा।

वो जोर जोर से सिसकारियाँ ले रहा था, बोला- अब से यह तुम्हारा है, इसका जो भी और जैसे भी इस्तेमाल करना है तुम कर सकती हो। मेरी बरसों की आग को तुम ही बुझा सकती हो।

उसने अब अपना लण्ड मेरे मुँह के और अन्दर धकेल दिया मैं और जोर जोर से चाटने लगी। वो एक बार फिर से मेरी की चूत चाटने लगा और अपने जीभ मेरी चूत में और भी जल्दी जल्दी और अन्दर-अन्दर डालने लगा।

मैंने उसका लण्ड मुँह से बाहर निकाला और बोली- अब मुझसे नहीं रहा जाता, अब डाल दो इसे मेरे अंदर और मेरी प्यास बुझा दो। मुझे शांत कर दो मेरे यार! मेरे ख्यालों के राजा! मेरा पति भी मुझे तेरे जैसे ही हट्टे कटते जवान से चुदवाना चाहता था! चोद डालो मेरे राजा!

उसने मुझे ठीक तरह से नीचे लिटाया, मेरी टाँगें फैलाई, अपने लण्ड का सुपारा मेरी चूत पर रखा और एक धक्के में अपना काला मोटा लंड मेरी चूत में आधा घुसा दिया। काफी बड़ा था। मेरी तो जैसे चीख सी निकल गई, मैं बोली- ज़रा धीरे धीरे मेरे राजा! इसका मज़ा लेना है तो धीरे धीरे इसे अंदर डालो और फिर जब पूरा चला जाए फिर ज़ोर ज़ोर से इसे अंदर बाहर करो!

उसने अपना लंड धीरे-धीरे मेरी चूत में डाला और फ़िर एक ज़ोर से धक्का पेल दिया और उसका पूरा मोटा लंड मेरी चूत में चला गया।

वो बोला- आह आह उउई ऊफफफ्फ़ हमम्म्म आआ! क्या मस्त चूत है तेरी! मेरी रानी! एकदम रबर की तरह मेरे लंड पर चिपक गई है! बहुत खुजली हो रही थी ना इसलिए झुक-झुक कर अपने मम्मे दिखा रही थी? कैसा लग रहा है? ले काला मोटा लण्ड? अब से जब भी चुदती होगी तब मुझे याद कर लेना, अपने आप गर्म हो जाएगी तेरी यह मस्त चूत! लगता है कि फाड़ डालूँ तेरी यह मस्त चूत…

मैं बोली- यह चूत तुम्हारी है, फाड़ दो इसे! आअहह ऊऊऊओ आआहह ज़ोर से और ज़ोर से!

उसने अपनी गति बढ़ा दी और ज़ोर-ज़ोर से मेरी चूत पर वार करने लगा। उसने मेरे चुचूक मुँह में लिए और अपनी गति और भी बढ़ा दी। लगभग दस मिनट के बाद हम दोनों की आह निकली और हम दोनों झड़ गये।
मैंने उसे जोर से चूम लिया और हम लोग बाथरूम में साफ होने के लिए चले गये। थोड़ी देर में राजेश और मैंने फिर से चूमना शुरू किया और इस बार मैंने पहले उसका लण्ड अपने मुँह में लेकर चूसना शुरू किया।

वो पांच मिनट बाद में फिर से तैयार हो गया चुदाई करने के लिए।

उसने इस बार मुझे उल्टा लिटा दिया और मेरे बूब्स को पीछे से पकड़ कर अपना लण्ड मेरी चूत में डाल दिया। चोदते समय वो मेरी गांड के ऊपर भी छोटे बड़े चांटे लगा रहा था। क्या बताऊँ कितना मज़ा आ रहा था। इस अवस्था में लंड सीधा चूत में घुस जाता है और औरत को बहुत ही मज़ा आता है। मेरी गांड का स्पर्श उसके पेट के नीचे वाले हिस्से को हो रहा था उससे उसे और भी गर्मी आ रही थी।

वो बोल रहा था- कितनी मस्त है तेरी गांड, लगता है कच्चे आम की तरह उसे चबा डालूँ!
और अपनी ऊँगलियाँ मेरी गांड पर दबाने लगा। उसकी इस हरकत से मेरी चीख निकल गई, मैं बोली- आहह उउफफ्फ़ अफ ऊहह आआ ऊ हह आअहह बहुत दर्द हो रहा है, ऐसे लगता है कि तुमने अपना लंड सीधा मेरे पेट में ही घुसा दिया है। ज़रा धीरे धीरे करो ना! आहह बहुत मज़ा आ रहा है, अब तुम अपनी स्पीड बढ़ा सकते हो।

उसने मेरी कमर पकड़ कर पेलना शुरू किया और अपने घस्से ज़ोर ज़ोर से मारने लगा लेकिन मेरा झड़ने का कोई हिसाब नहीं बन रहा था। मैंने उसे कहा- लगता है कि मुझे समय लगेगा झड़ने के लिये!

वो बोला- कोई बात नहीं! तुम लगी रहो, जब समय आएगा तब झड़ जाना!

उसने अब मेरी गांड के नीचे एक तकिया लगाया और उसके ऊपर चढ़ गया। मेरी सिसकारियाँ अब तेज़ हो रही थी, मैंने काफ़ी कोशिश की पर मेरी चूत झड़ने को तैयार नहीं थी । फिर मैंने सोचा कि अगर उसका लंड एक कसी सी चीज़ में जाए तो शायद और मज़ा आए और मैं झड़ जाऊँ । मैंने उसे अपना लंड मेरे गांड के ऊपर फेरने के लिए कहा।

राजेश शायद मेरा इशारा समझ रहा था, वो बोला- क्या इरादा है? गाण्ड मरवाने का का इरादा है क्या?

मैंने कहा- हाँ यह तो तुम्हारी ही है लेकिन ज़रा प्यार से इस्तेमाल करना क्योंकि यह अभी बिल्कुल कुँवारी है।

उसने झटक से उसके गांड पर सुपारा रखा और ज़ोर से पेल दिया। उसका मोटा लंड मेरी गांड में सिर्फ़ दो इन्च जाकर फँस गया और मेरी चीख निकल गई, बोली- उफ़फ्फ़ आहह! निकाल दो इसे बाहर! बहुत दर्द हो रहा है, मर गई…आये ए हह आ आ आ!

उसने अपना लंड घबराकर बाहर निकाला और फिर धीरे धीरे उसे अंदर डालना शुरू किया, साथ में मैं अपने हाथ से मेरे मम्मे दबा रहा था जिससे गर्मी और बढ़ती जा रही थी। उसने लगभग चार इन्च लण्ड घुसा दिया था और फिर एक बार ज़ोर से झटका मारा और पूरा का पूरा लौड़ा मेरी गाण्ड में घुस गया। अब मैं भी उसका फिर से भरपूर साथ दे रही थी।

उसने मुझे ज़ोर ज़ोर से पेलना शुरू किया और मेरी कसी गांड में उसका लंड बहुत मज़े से चुदाई कर रहा था। फिर वो कुछ देर बाद मेरी गांड में ही झड़ गया। मेरी जिंदगी में वो पहला गांड मरवाने का अनुभव था।

मैंने कभी ख्वाब में भी नहीं सोचा था कि असल में मुझे कोई ऐसा पराया मर्द मिलेगा जो मेरी इस तरह से चुदाई करेगा।

जब भी मेरे पति दूसरे आदमी से चुदवाने की बात करते थे तब सिर्फ सोचती थी कि हाँ, ख्यालों में ठीक है लेकिन असल में कभी नहीं होगा।

अब मुझे खुद पर यकीन नहीं हो रहा है कि यह ख्वाब था या असलियत?

दो दिन के बाद पति लौट आये आने के बाद उन्होंने भी मस्त चुदाई की लेकिन यह बात उनको नहीं बताई।

जैसे कि राजेश ने रहा था, चुदाई के वक़्त राजेश को याद किया और चुदाई का मज़ा और भी बढ़ गया। मेरे पति भी शायद परेशान हो गए होगे यह सोचकर कि इसे क्या हो गया अचानक? यह इतनी कामुक कैसे हो गई?

अब जब भी वो अदला-बदली की कल्पना के बारे में बोलते हैं तब सोचती हूँ कि हाँ कर दूँ!

दोस्तो, सहेलियो, मेरी कहानी कैसी लगी, मुझे ज़रूर लिखें।
मेरा पता है-
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