चलती बस में कमसिन लौंडिया की गांड मारी- 1

(Hot Girl Sexy Hindi Kahani)

हॉट गर्ल सेक्सी हिंदी कहानी में पढ़ें कि कैसे मुझे बस स्टैंड पर एक माँ बेटी मिली. हम एक ही बस में चढ़े.लड़की के बड़े बड़े चूचे बता रहे थे कि लड़की चालू है.

फ्रेंड्स, मैं आपका दोस्त रोहित अरोरा फिर से एक बार आपके सामने एक नयी सच्ची घटना लेकर आया हूँ.
मैं उम्मीद करता हूँ कि मेरी पिछली कहानी
सेठ की बीवी की चूत गांड की चुदाई
की तरह यह कहानी भी आपको पसंद आएगी.

सभी भाभियों और दीदियों को मेरा खड़े लंड से सलाम. आज सब भाभियों और दीदियों को बहुत मज़ा आने वाला है क्योंकि यह सेक्स कहानी है ही ऐसी मजेदार!
मुझे पूरा विश्वास है कि ये हॉट गर्ल सेक्सी हिंदी कहानी पढ़ते पढ़ते ही मेरे सभी भाई अपने लंड को हाथ से पकड़ कर मुठ मारने लगेंगे और सब भाभियां और दीदियां अपनी अपनी चूत में उंगली डाल लेंगी.

मैं एक बार फिर अपने पाठकों को बता दूँ कि मैं मुंबई में रहता हूँ.
लेकिन यह घटना भी उन दिनों की है, जब मैं रोहतक में रहता था.

मेरी एक बहन की शादी फिक्स हो गयी थी.
मुझे अपनी बहन की शादी का निमंत्रण पत्र अपने मौसा जी को देने उनके घर जाना था.
वे पंजाब के एक शहर गुरदासपुर में रहते थे. हालांकि मेरी मौसी की बहुत पहले ही मृत्यु हो गयी थी पर मौसा जी और उनके बच्चे सब वहीं रहते थे.

मैं इससे पहले कभी गुरदासपुर नहीं गया था तो मैं अपनी मौसी के परिवार से मिलने के लिए बहुत उत्साहित था.

मेरे शहर से गुरदासपुर के लिए कोई सीधी बस नहीं थी तो मैं रोहतक से बस पकड़ कर लुधियाना गया और वहां से दूसरी बस लेकर गुरदासपुर पहुंच गया.

मौसा जी और उनके सब बच्चे मुझे देख कर बहुत खुश हुए.
मैं भी उन सबसे मिल कर बहुत खुश हुआ और दो दिन रहने के बाद मैं वहां से वापिस रोहतक आने के लिए चल पड़ा.

मेरे भैया ने मुझे गुरदासपुर से लुधियाना वाली बस में बैठा दिया और मैं 2 घंटे में लुधियाना पहुंच गया.

जब मैं वहां के बस स्टैंड पर पहुंचा तो देखा कि रोहतक के लिए एक बस खड़ी थी.
मैं बहुत खुश हुआ कि चलो मुझे इंतजार नहीं करना पड़ा और बस खड़ी है.

जब मैं टिकट विंडो पर टिकट लेने पहुंचा तो मुझे टिकट देने वाले अंकल ने कहा कि बस जाने में अभी 2 घंटे लगेंगे.
ये जानकर मैं बहुत उदास हो गया.

पर अब और कोई चारा नहीं था, तो मैं वहीं एक बेंच पर बैठ कर टाइम पास करने लगा.

मैंने देखा कि एक और आंटी अपनी बेटी के साथ बैठी थीं.
आंटी की उम्र कोई 45 साल थी और उनकी बेटी की उम्र 18-20 साल के लगभग की थी.

वो देखने में बहुत सेक्सी लग रही थी.
उसने एक सफ़ेद रंग का, बटनों वाली शर्ट पहनी हुई थी और नीचे उसने एक लाल रंग का चौखाने वाला स्कर्ट पहना हुआ था, जो कि बहुत छोटा था. वो स्कर्ट उसके घुटनों से बहुत ऊपर था.

उस लड़की का फिगर देखने लायक था.
वो बहुत ज़्यादा गोरी तो नहीं थी पर काली भी नहीं था. उसका चेहरा बहुत सुंदर था. उसके बूब्स भी बहुत बड़े बड़े थे. सामान्यतया इस उम्र की लड़की के मम्मे इतने बड़े नहीं होते.
मैं समझ गया कि यह लड़की बहुत सेक्स करती है या ऊपर ऊपर से अपने मम्मे किसी से दबवाती है और चुसवाती भी है, तभी इसके दूध इतने बड़े बड़े हो गए हैं.

ये समझ में आते ही मेरा लंड पैंट में टाइट होने लगा और मैं उस लड़की को एकटक देखने लगा.
तभी उसकी मम्मी ने मुझसे पूछा- बेटा, तू कौन सी बस के लिए इंतज़ार कर रहा है?

तो मैंने कहा- आंटी, मैं रोहतक वाली बस का इंतज़ार कर रहा हूँ.
आंटी ने कहा- हम भी उसी बस का इंतज़ार कर रहे हैं.

मैंने कहा कि टिकट वाले अंकल ने कहा है कि अभी 2 घंटे लगेंगे.
आंटी बोलीं- वही तो, खैर अब क्या करें. इंतज़ार करने के अलावा कोई चारा भी तो नहीं है!

मैंने कहा- हां आंटी, वो तो है.
उसकी बेटी हम दोनों की बातें सुन रही थी.

मेरी तो नज़र उसके मम्मों के ऊपर से हट ही नहीं रही थी.
उस लड़की ने भी ये बात भांप ली थी पर उसने कुछ नहीं कहा.

हम तीनों एक ही बेंच पर बैठे थे. एक कोने पर मैं बैठा था, दूसरे कोने पर वो लड़की और बीच में आंटी बैठी थीं.
इसी तरह बातें हम करते रहे.

जब बस के जाने का टाइम हो गया, तो हम तीनों भी बस में आकर बैठ गए.

उस दिन पता नहीं क्या था कि बस में ज़्यादा से ज़्यादा 8-10 लोग ही थे.

जो लोग बस में यात्रा करते हैं, उन्हें पता होगा कि बस के दोनों तरफ सीट होती हैं. एक तरफ वाली सीट पर 3 लोग बैठ सकते हैं और दूसरी तरफ वाली सीट पर 2 लोग बैठ सकते हैं.
बीच में खाली जगह आगे पीछे आने जाने के लिए होती है. जो सबसे पीछे वाली सीट होती है, वो बहुत लम्बी होती है और उस पर 6-7 लोग एक साथ बैठ सकते हैं.

वो आंटी और उनकी बेटी तीन सीट वाली सीट पर बैठ गईं और मैं दो सीट वाली सीट पर बैठ गया. ये सीट उनके सामने वाली सीट ही थी.
थोड़ी देर बाद उस आंटी ने अपना टिफिन निकाला. वो और उसकी बेटी खाना खाने के लिए बैठ गईं.

उन आंटी ने मुझे देखा और कहा- आओ बेटा, तुम भी थोड़ा सा खाना खा लो.
मैंने कहा- नहीं आंटी, मुझे अभी भूख नहीं है, आप लोग खा लीजिए, थैंक्स.

आंटी ने कहा- अरे, कम से कम 5 घंटे का रास्ता है, तुम बिना खाना खाए कैसे रहोगे, चलो आओ और खाना खाओ.
जब आंटी ने इतने प्यार और हक़ से मुझसे कहा तो मैं ना नहीं कह पाया.

उन्होंने थोड़ा सा खाना मुझे एक प्लेट में निकाल कर दे दिया.
मैंने खाना खाने के बाद उनकी प्लेट वापिस कर दी और फिर से एक बार दिल से थैंक्यू बोला.

वो बहुत खुश हो गईं और बोलीं- कितना प्यारा बच्चा है.
ये बात उनकी बेटी ने भी सुनी और उसने मुझे बड़े ध्यान से देखा.

दोस्तो, मैं तो बचपन से ही बड़ा सेक्सी हूँ. मुझे उस लड़की का इस तरह मुझे देखना बहुत अच्छा लगा.
मैं फिर से उसके मम्मों को घूरने लगा.
ये देख कर उसने शर्म से अपने नज़रें मुझ पर से हटा लीं और खिड़की से बाहर देखने लगी.

मुझे लगा कि शायद आज मेरी किस्मत मुझ पर बहुत मेहरबान है. तभी तो इतनी कच्ची उम्र की लड़की से मिलवा दिया.
खैर … बस चलती रही.

जैसा कि मैंने स्टोरी के शुरू में बताया था कि बस में 8-10 लोग ही थे और वो भी हमारी सीटों से बहुत दूर को थे.
किसी का भी ध्यान हमारी तरफ नहीं था.

और जिस तरह से वो आंटी मुझसे बात कर रही थीं, मुझे खाना खिला रही थीं, उससे अगर किसी ने ध्यान भी दिया होगा, तो उसने मुझे उस आंटी का बेटा ही समझा होगा और उस लड़की को मेरी बहन.

करीब बीस मिनट बस के चलने के बाद आंटी को सुस्ती और नींद आने लगी.
कुछ तो मौसम अच्छा था. खिड़की से बहुत ठंडी ठंडी हवा आ रही थी और ऊपर से उन्होंने खाना भी पेट भर कर खा लिया था.

कुछ देर के बाद वो आंटी अपनी बेटी को वहीं बैठा छोड़ कर जाने लगीं.
जाते जाते उन्होंने मेरे बालों में प्यार से हाथ फिराया. उस लड़की ने इसे ध्यान से देखा.

आंटी सबसे पीछे वाली लंबी सीट पर जाकर लेट गईं.
अब मैं और वो लड़की अपनी अपनी सीटों पर बैठे थे. मैंने नोटिस किया कि वो बार बार मुझे देख रही थी.

ये देख कर मुझे अंदाज़ा हो गया कि शायद आज ये मुझे चोदने के लिए मिल जाए.
मैंने मन ही मन प्रार्थना की कि मालिक आज तो इस लड़की से मेरी फ्रेंडशिप करवा दो.

आंटी तो पीछे वाली सीट पर जाते ही गहरी नींद में चली गईं.
अब मैं लगातार उस लड़की को ही देख रहा था, पर समझ नहीं आ रहा था कि बात कैसे आगे बढ़ाई जाए.

वो लड़की अपनी सीट पर विंडो के पास बैठी थी और इधर मैं अपनी सीट पर एकदम विंडो के पास बैठा था.
थोड़ी देर इसी तरह बैठे रहने के बाद वो लड़की शायद थक गयी और उसने खिड़की के तरफ पीठ करकर अपनी दोनों टांगें फोल्ड की और सीट पर रख लीं. इस तरह अब उसका मुँह सीधा मेरी तरफ था.

मैंने फिर से उस लड़की को देखा, तो उसे अपनी तरफ देखते पाया.
मेरे दिल में लड्डू फूटने लगे.

तभी मैंने देखा कि उसकी टांगें फोल्ड करने की वजह से उसकी स्कर्ट (जो पहले ही बहुत छोटी थी, सरक कर पूरी नीचे हो गयी और उसकी वाइट कलर की पैंटी पूरी उघड़ गयी.
पहले तो उसको इस बात का अहसास ही नहीं हुआ कि उसकी स्कर्ट पूरी नीचे सरक गयी है और उसकी पैंटी पूरी तरह से दिख रही है.

मेरी नज़रें वहीं उसकी पैंटी पर ही रुकी हुई थीं.
मेरा लंड मेरी पैंट में सर उठाने लगा और देखते ही देखते मेरी पैंट में टेंट बन गया.

ये नज़ारा उस लड़की ने भी देखा. पर जब उसको मेरे लंड के खड़े होने की वजह समझ में आई, तो उसने तुरंत अपनी टांगें नीचे कर लीं और सीधी हो कर बैठ गयी.
मेरा मूड पूरा खराब हो गया.

मैं बहुत मायूस हो गया कि शायद कोई चान्स नहीं है.
तभी उस लड़की ने मेरा लटका हुआ मुँह देखा, तो मुँह दबा कर मुझे देखा कर हंस दी और हंसते हुए ही उसने अपना मुँह खिड़की की तरफ घुमा दिया, ताकि मैं समझ ना सकूं.

पर मैंने तो ये देख लिया और मैं समझ गया कि ये लड़की मुझे तड़पाना चाहती है.
साथ ही मुझे इतना भी समझ में आ गया था कि ये भी चुदवाना या मजा लेना चाहती है.

थोड़ी देर बाद वो लड़की दोबारा अपनी पीठ विंडो से लगा कर मेरी तरफ मुँह करके बैठ गयी और उसने अपनी टांगें पहले की तरह घुटनों से मोड़ कर सीट पर रख लीं.
एक बार फिर से उसकी स्कर्ट हिप्स के साइड से पूरी नीचे हो गयी और उसकी पैंटी दिखने लगी.

मेरी नज़रें फिर वहीं जाकर अटक गईं और मेरा लंड जो थोड़ा ढीला पड़ने लगा था, पहले से भी ज़्यादा टाइट होने लगा.
जल्द ही फिर से मेरी पैंट में तंबू बन गया.

ये बात उस लड़की ने देखी और वो लगातार मेरी ज़िप वाली जगह को देखने लगी, जहां तंबू बन गया था.
मेरी नज़रें उसकी चूत पर अटक गयी थीं.

वो लगातार मुझे देख रही थी और मैं उसे.
अब वो बिल्कुल भी नहीं शर्मा रही थी. शायद उसको मेरा चाहत और वासना भरी नज़रों से देखना अच्छा लग रहा था.

उसकी आंखें नशीली होने लगीं और वो बेझिझक कभी मेरी आंखों में देखती और कभी पैंट में बने हुए तंबू को.
उसकी तरफ से क्लियर सिग्नल मिल गया था.

अब मुझे कुछ करना था. क्योंकि एक लड़की होने के नाते वो अपने मुँह से तो कुछ कहेगी नहीं, हां पर उसने अपनी स्कर्ट को उठा कर इतना कुछ कह दिया था कि अगर अब भी मैं ना समझूं, तो मुझसे बड़ा कोई चूतिया नहीं.
मेरी सब भाभियों और दीदियों को तो पता ही है कि मैं कितना समझदार हूँ.

अब मैंने भी उसको तड़पाने का फ़ैसला किया.
पर समझ नहीं आ रहा था कि उसे तड़पाने के लिए मैं क्या करूँ.

तभी मेरे दिमाग़ में एक आइडिया आया.
वो लगातार मेरी लंड वाली जगह पर देख रही थी तो मैंने धीरे धीरे उसे दिखाते हुए अपनी पैंट की ज़िप खोल दी.

उसने नज़रें उठा कर मेरी तरफ देखा और मैंने उसे आंख मार दी.
तब उसने अपनी नज़रें फिर से मेरे लंड वाली जगह पर टिका दीं और एकटक वहीं देखने लगी.

मैंने पैंट का हुक खोल दिया, जिससे मेरे हाथ मेरी पैंट के अन्दर जा सके.
फिर मैंने उसे दिखाते हुए अपने हाथ को अपनी पैंट के अन्दर डाला और अन्दर ही अन्दर धीरे धीरे मुठ मारने लगा.

मेरे हाथ को ऊपर नीचे होता हुआ देख कर वो थोड़ा परेशान हो गयी और उसका सीना ऊपर नीचे होने लगा.
उस वक़्त वो इतनी मासूम लग रही थी कि मेरा जी चाहा कि अभी उसके पास जाऊं और उसके मम्मे भींच दूँ.

पर अभी थोड़ा वक़्त था.
मुठ मारते हुए और उसके देखने की वजह से मेरे अन्दर भी जोश बढ़ता जा रहा था.

मुझे थोड़ा डर भी लग रहा था कि किसी ने मेरी इस हरकत को देख लिया, तो मुसीबत हो जाएगी.
पर मेरा दिल और दिमाग़ मेरे काबू में नहीं था. मेरा दिल कह रहा था कि रोहित आज अगर तूने कुछ नहीं किया, तो ये लड़की तुझे हमेशा के लिए नामर्द मान लेगी.

मैंने फ़ैसला किया कि कुछ भी हो जाए, आज इस लड़की का दूध तो पीना ही है और इससे अपना लंड भी चुसवाना है.
फिर मैंने अपनी पैंट को सीट पर बैठे बैठे ही थोड़ा सा नीचे किया और अपनी चड्डी को नीचे सरका कर उसको दिखाते हुए अपना लंड बाहर निकाल लिया.

मेरे मोटा और काला लंड देख कर वो लड़की गनगना गयी और अब उसकी आंखों में प्यास साफ़ साफ़ दिखने लगी.

दोस्तो, सेक्स कहानी के अगले हिस्से में मैं आपको बताऊंगा कि उस कमसिन लड़की ने कैसे मुझसे अपनी गांड चुदवा ली.

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हॉट गर्ल सेक्सी हिंदी कहानी का अगला भाग: चलती बस में कमसिन लौंडिया की गांड मारी- 2

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