बहन का लौड़ा -11

(Bahan Ka Lauda- 11)

अभी तक आपने पढ़ा..

नीरज- आह्ह.. चूस साली.. आह्ह.. कुछ दिन तू और चूस ले उसके बाद तो किसी कमसिन के होंठों से ही आह्ह.. चुसवाऊँगा.. आह.. साली एक तो वो नीतू रंडी मिली आह्ह.. जो चूत चटवा कर लात मार दी.. आह दूसरी मीरा आ.. जिसको बस देख ही पाया.. आह्ह.. साला राधे.. उसको बड़ा तड़पा कर चोदेगा.. आह्ह.. चूस आह्ह.. चूस आह्ह…

शीला ने होंठ भींच लिए और ज़ोर-ज़ोर से मुँह हिलाने लगी.. फच फच की आवाज़ कमरे में गूंजने लगी।
नीरज- आह्ह.. ज़ोर से कर माँ की लौड़ी.. आईई.. आह्ह.. मेरा निकलने वाला है आह्ह.. आह्ह..

नीरज अकड़ने लगा.. उसका लौड़ा फूलने लगा और कुछ देर बाद उसके लौड़े ने पानी की धार शीला के मुँह में मारनी शुरू कर दी। शीला का तो काम यही था.. पूरा पानी गटक गई और जीभ से लौड़े को चाट-चाट कर साफ कर दिया।

अब आगे..

दोस्तो, नीरज का तो हो गया.. चलो अब अपने हीरो के पास चलते हैं। अब तक तो उसकी कहानी पूरी हो गई होगी। अब देखते हैं.. क्या होता है..।

राधे की बात मीरा बड़े ध्यान से सुन रही थी जब राधे चुप हो गया तो..

मीरा- हूँ.. तो यह बात है.. लड़का होते हुए भी तुमको लड़की बनकर जीना पड़ता है.. सही है.. ऐसी जलालत भरी जिंदगी से कौन पीछा छुड़ाना नहीं चाहता.. मगर हमने तुम्हारा क्या बिगाड़ा था.. जो हमें धोखा दिया.. ये कौन सा इंसाफ़ हुआ?

राधे- देखो मीरा.. मैं ज़्यादा पढ़ा-लिखा तो नहीं हूँ.. मगर इतना जानता हूँ कि भगवान जो भी करता है.. अच्छे के लिए करता है। अब देखो उसकी लीला कैसे मेरे हाथ पर वो निशान बना दिया.. जो तुम्हारी खोई बहन के हाथ पर था.. और मेरा जिस्म ऐसा बनाया कि लड़की हो.. तुम जरा इस बात को भी समझो..

मीरा इस जमाने की मॉर्डन लड़की ज़रूर थी मगर दो बातों ने उसे राधे की बात मानने पर मजबूर कर दिया था।

एक तो वो अपने पापा से बहुत प्यार करती थी.. वो जानती थी.. कि अगर पापा को इस बात का पता लग गया.. तो वो असमय ही मर जाएँगे.. और दूसरी बात आप जानते ही हो.. राधे ने जिस तरह उसके जिस्म को चूसा.. और चूत को चाटा था.. और अपना बंबू नुमा लौड़ा उसे दिखाया था.. बस वो पिघल गई.. या यूं कहो लौड़े की चाहत में राधे की हो गई..

मीरा- चलो ठीक है.. मान लेती हूँ कि तुम सही बोल रहे हो.. मगर अब ये नाटक चलता रहने दो.. मेरे पापा बरसों बाद खुश हुए हैं.. अब मैं उनको दु:खी नहीं कर सकती और ‘हाँ’ मेरी दीदी बनकर ही रहना.. कुछ गलत करने की सोचना भी मत..

राधे- मीरा तुम बेफिकर रहो.. तुम्हारे पापा अब मेरे पापा जैसे ही हैं.. मैं उनको कभी पता नहीं चलने दूँगा.. मगर तुम मेरी भावनाओं को समझो.. तुम्हारे मादक जिस्म को देखने और चूसने के बाद अब मुझसे रहा नहीं जाएगा.. देखो मेरे लौड़े का क्या हाल हो गया है.. देखो ना.. इसे…

राधे के मीरा के जिस्म की बात करते ही लौड़ा वापस उफान पर आ गया।

मीरा बस टकटकी लगाए उसको देखने लगी और इसी मौके का फायदा उठा कर राधे उसके पास चिपक कर बैठ गया। उसने धीरे से कंबल को मीरा के जिस्म से हटा दिया।

मीरा तो लौड़े को देखने में इतनी खो गई थी.. कि उसे पता भी नहीं चला कि कब राधे ने उसका हाथ पकड़ा और लौड़े पर रख दिया।

जैसे ही मीरा की नाज़ुक उँगलियाँ राधे के गर्म लौड़े से टकराईं.. उसको होश आ गया। उसने जल्दी से अपना हाथ पीछे खींच लिया.. जैसे उसको 440 वोल्ट का झटका लगा हो।

मीरा- यह क्या बदतमीज़ी है.. मैंने मना किया था ना.. तुम कुछ नहीं करोगे..!
राधे- अरे तो मैं कहाँ कुछ कर रहा हूँ.. तू तुम बहुत अच्छी लड़की हो.. बस तुम्हारी इच्छा पूरी कर रहा था.. लो छू कर देख लो लौड़े को.. माँ कसम.. मैं कुछ नहीं करूँगा।

मीरा थोड़ी शर्मा गई.. जब उसको अहसास हुआ कि उसका कंबल एक तरफ़ पड़ा है.. और राधे उसके मम्मों को देख रहा है।
मीरा- न..नहीं देखना मुझे.. तत..तुम जाओ यहाँ से.. मुझे कपड़े पहनने दो..

राधे- अब इस हाल में कहाँ जाऊँ.. अच्छा तुमको देखने में शर्म आ रही है.. लो मैं आँख बन्द करके सो जाता हूँ.. तुम देखना चाहो तो देख लो.. मैं सो रहा हूँ गुड़नाईट..

इतना कहकर राधे आँख बन्द करके सीधा सो गया.. उसने अपनी टाँगें फैला ली थीं और उसका लौड़ा कुतुबमीनार की तरह सीधा खड़ा होकर मीरा को सलामी दे रहा था।

काफ़ी देर तक मीरा लौड़े को एकटक देखती रही.. वो जानती थी कि राधे सोया नहीं है.. बस आँख बन्द करके पड़ा है.. मगर उसके आँख बन्द कर लेने से मीरा की शर्म कुछ कम हो गई थी, वो आराम से लौड़े को देख सकती थी।

दस मिनट तक मीरा वैसी की वैसी बैठी रही.. राधे ने भी कोई हरकत नहीं की.. अब लौड़ा भी धीरे-धीरे बैठने लगा था। थोड़ी देर में ही लौड़ा पूरी तरह मुरझा सा गया था.. जिसे देख कर मीरा ने मन ही मन कहा- अरे ये तो मुरझा गया.. लगता है राधे सच में सो गया है.. तभी तो लौड़ा भी सो गया.. अब मैं इसको टच करके देख सकती हूँ..

मीरा ने डरते-डरते राधे को आवाज़ दी.. मगर उसका कोई जबाव नहीं आया तो मीरा लौड़े को काँपते हाथों से छुआ.. उसको बड़ा अच्छा लगा.. अब वो थोड़ा खुलकर लंड को सहलाने लगी। उसकी चूत में एक अजीब सी गुदगुदी होने लगी।

मीरा के कोमल हाथ का कमाल था कि लौड़ा फिर तन कर उसको सलामी देने लगा। मीरा का मन ललचा रहा था.. दिल कर रहा था उसको छू लें.. मगर डर भी लग रहा था.. अब ये डर किस बात का था.. ये आप अंदाज़ा लगा सकते हो।

थोड़ी देर लौड़े को सहलाने के बाद मीरा से बर्दाश्त नहीं हुआ तो उसने हल्के से अपने सुलगते नर्म होंठ लौड़े पर रख दिए और बस जीभ से सुपारे को पहले चूमा फिर चाटने लगी।

राधे बहुत हरामी था.. वो सोया नहीं था.. और सच भी है कि ऐसी क़यामत पास में नंगी बैठी हो.. तो कोई नामर्द ही सो सकता है। वो तो बस मीरा के खुलने का इन्तजार कर रहा था.. मगर अब भी वो चुप था, उसने भी ठान लिया था कि जब तक मीरा खुलकर पूरा लौड़ा ना चूस ले.. वो चुप ही पड़ा रहेगा।

जैसा राधे ने सोचा.. वैसा ही हुआ.. मीरा को लौड़े का स्वाद अच्छा लगने लगा, उसने सुपारे को पूरा मुँह में भर लिया। अब वो चुदासी हो उठी थी और मज़े से लौड़ा चूसने लगी थी।

राधे ने आँखें खोल दीं और मीरा को देखने लगा.. उसका लौड़ा कब से इसी लम्हे का इन्तजार कर रहा था.. अब उसको सुकून मिल रहा था..

मीरा को अपनी चुदास के चलते इस बात का होश ही नहीं था कि राधे उसको देख रहा है.. वो तो बस लौड़े को लॉलीपॉप की तरह चूसे जा रही थी।

लौड़ा मोटा होने के कारण उसको तकलीफ़ तो हो रही थी.. मगर लौड़े का स्वाद ही ऐसा था कि वो पूरा जड़ तक अन्दर लेकर मज़ा ले रही थी। अब उसकी चूत में भी करंट पैदा हो गया था.. उसकी चूत भी रिसने लगी थी। उधर राधे के लौड़े से भी हल्का पानी आना शुरू हो गया था.. उसका लौड़ा फूलने लगा था.. अब किसी भी पल वो झड़ सकता था।

बस यही वो पल था.. जब राधे झटके से बैठ गया और मीरा के सर पर हाथ रख कर नीचे से दो-तीन तगड़े झटके मीरा के मुँह में मारे.. उसके लौड़े से तेज़ गर्म वीर्य की धार.. सीधे मीरा के गले में जा लगी.. मजबूरन मीरा को पानी गटकना पड़ा..

एक मिनट तक राधे ने उसके सर को लौड़े पर दबा कर रखा.. जब तक की पूरा लौड़ा झड़ ना गया.. राधे अपने लण्ड को मीरा के हलक में फंसाए रहा।

जब राधे ने हाथ हटाया.. तो मीरा की जान में जान आई।
मीरा- उहह.. उहहुउ.. पागल हो क्या.. ओह्ह.. पानी मेरे पेट में चला गया..

राधे- जानेमन.. अब बस भी करो.. मैं सोया हुआ था.. तब तो बड़े प्यार से लौड़ा चूस रही थीं.. अब जब मेरा पानी निकलने का टाइम आया तो मुझसे रहा ना गया.. सॉरी.. अब ये लौड़े पर थोड़ा बचा हुआ पानी भी साफ कर दो ना.. प्लीज़..

मीरा के होंठों पर एक हल्की सी मुस्कान आ गई.. उसने जीभ से चाट कर लौड़े को साफ कर दिया।

दरअसल उसकी उत्तेजना भी भड़क गई थी उसकी चूत में आग लगने लगी थी। अब नाराज़गी बनाए रखने में.. उसको अपना नुकसान दिखाई दे रहा था..

मीरा- लो.. मैंने तुमको माफ़ भी कर दिया और तुम्हारा लौड़ा साफ भी कर दिया.. अब सो जाओ.. रात बहुत हो गई है.. कल बात करेंगे।

दोस्तो, उम्मीद है कि आप को मेरी कहानी पसंद आ रही होगी.. मैं कहानी के अगले भाग में आपका इन्तजार करूँगी.. पढ़ना न भूलिएगा.. और हाँ आपके पत्रों का भी बेसब्री से इन्तजार है।
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