मेरी डार्लिंग सिस्टर-15

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दोनों हसीनाएँ मेरे हाथ के ऊपर अपना सर रख कर और अपनी एक-एक टाँगों को मेरी टाँगों के ऊपर रख कर लेट गईं और हम तीनों ही जल्दी ही गहरी नींद में सो गए।

किसी के भी आने का अंदेशा भी नहीं था। मम्मी को आज ऑफिस नहीं जाना था और हम दोनों को एक दिन स्कूल न जाने से कोई फर्क नहीं पड़ने वाला था।

करीब 10 बजे तक हम सब गहरी नींद में सोये पड़े रहे, फिर मुझे कुछ खुमारी टूटने पर ऐसा लगा कि मेरे लंड को कोई सहला रहा है। मैंने अधखुली आँखों से देखा तो सुमीना मेरे हथियार को अपने हाथों से सहला रही थी।

मैंने भी उसकी चूची को अपनी मुट्ठी में भर लिया।

उसने मुझे चूमते हुए कहा- गुड मॉर्निंग मेरी जान।

मैंने भी उसको कहा- मॉर्निंग मम्मी। मुझे बड़ी भूख लगी है।

वो बोली- हाँ। तू सोनिया को उठा, जब तक मैं चाय-नाश्ता बनाती हूँ।

सुमीना ने बिस्तर छोड़ दिया और बाथरूम की तरफ अपनी कमर मटकाती चली गई।

अब मैंने सोनिया को अपने आगोश में भर लिया और उसको चूमा। वो भी कसमसा कर उठ गई। मेरी आँखों में प्यार से देख कर मुझ से और अधिक चिपक गई।

मैंने कहा- उठो, मम्मी चाय बनाने गई हैं।

“ऊ हूँ, अभी मुझे और सोना है।”

मैंने कहा- कुछ खा लो, फिर सो जाना ! चलो उठो, अपने कमरे में चलते हैं।

उसको जबरन मैंने अपनी गोद में उठा लिया और उसको अपने कमरे में लेकर चला गया।

सोनिया मेरी गोद से उतर कर वाशरूम की तरफ चली गई। मैंने भी एक जोर की अंगड़ाई ली और अपनी फेंची तलाशी और पहन कर रसोई की तरफ गया। पानी पिया और फिर बाद में सब लोग चाय की चुस्कियाँ ले रहे थे।

सुमीना एक पैंटी और ओपन गाऊन पहने थी जिसमें से उसके बोबे दिख रहे थे और सोनिया ने भी फ्रॉक जैसा ओपन गाऊन ही पहना था। माँ की लौड़ी ने पैंटी भी नहीं पहनी थी।

तीनों रात की बात को याद करके मजे ले रहे थे।

तभी मेरी मम्मी के चेहरे पर एक कुटिल मुस्कान आई और मम्मी ने किसी को फोन लगाया।

“हैलो, हाँ हनी, कैसे हो? तुम्हारे लिए एक माल मिल गया है, अरे मेरी जान, कम उम्र ही है। हाँ, अब आप मेरा प्रमोशन पक्का रखियो, अरे जब आप कहो। इधर मेरे घर पर आ जाओ ! हाँ कोई प्रोब्लम नहीं है, मेरे हबी आउट ऑफ़ टाउन हैं। हाँ, बच्चे भी नहीं हैं। मैं भी बोर हो रही हूँ। क्या उसको भी लाओगे ! उसका टूल तो आउट ऑफ़ आर्डर है, हा ह अ हा हा ! ओके ले आना लाइव टेलीकास्ट ही देख लेगा, हा हा हा ! तो फिर पक्का रहा आज 8 बजे ! ओके ! डिनर पैक करवा लाना और हाँ कुछ ब्लैक डॉग का स्टॉक भी, हा हा हा ओके बाय हनी, लव यू एंड सी यू।”
अब उसने मुझसे कहा- रोहित, आज तुमको किसी और जगह सोना पड़ेगा। यह मेरा बॉस है इसको आज सोनिया की चूत दिलानी है, बस फिर मैं ही टेंडर हेड बन जाऊँगी।

“और हाँ तू चिंता मत कर, तेरे लिए भी एक सरप्राइज है। तुमको मेरी एक सहेली की चूत दिलवा देती हूँ। तू बस उसको ये मत बताना कि तू कौन है, ठीक है?”

मैंने हाँ में सर हिलाया। मम्मी नहाने चली गईं और हम दोनों भाई-बहन अपने कमरे में आ गए। मैंने अपना लोअर पहन लिया। क्योंकि अब कोई आ भी सकता था। करीब आधा घंटे बाद सोनिया की सहेली तनीषा का फोन आया।

उसने सोनिया से चहक कर पूछा- क्या हुआ मेरी जान? आज आई क्यों नहीं? आज तू आती तो मैं तुझको एक बहुत सेक्सी आइटम से मिलवाती। साला क्या मस्त गबरू जवान है? तू कल तो आएगी न?

सोनिया ने अनमने ढंग से उसको बोला- यार, मेरी मम्मी की तबियत जरा गड़बड़ है। हो सकता है, कल भी मैंने न आ पाऊँ। चल बाद में बात करती हूँ, कह कर सोनिया ने फोन काट दिया।

इतने में हमारी काम वाली सुषमा आ गई, उसने मम्मी को आवाज लगाई- मैडम जी ! किधर हो आप? क्या बनाना है, बताईए?

मैंने कहा- अभी रुको, वे नहा रही हैं, आती हैं, जब तू मेरा जूस निकाल दे।

बहुत बड़ी छिनाल थी साली आँखें मटका कर बोली- जूस तो निकाल दूँगी पर मुझे भी पिलाना।

मैं समझ तो गया था पर अब कोई डर तो था नहीं और उसकी असलियत भी मालूम थी। सो मैंने उसको पकड़ कर अपनी तरफ खींचा और जरा आशिकाना अंदाज में कहा- तू निकाल तो मेरा जूस, पूरा तू ही पी लेना। चल चालू हो जा।

सुषमा की आँखें नशीली हो गई बोली- अच्छा सब कुछ मालूम पड़ गया मेरे बारे में, जो इतना खुल कर जुबान चलने लगी मेरे राजा!!

मैं मुस्कुरा दिया तो बोली- अभी निकालूँ या बाद में?

मैंने कहा- चल बाद में निकाल देना !
और उसकी एक चूची मसक दी।

“हाय दैया, बड़े मासूम दिखते हो पर हो पूरे चोदू राम।”

और उसने भी मेरा हथियार पकड़ कर खींच दिया। मैं गनगना कर रह गया, और फिर एक बार उसको अपने आगोश में भर जोरदार चुम्बन लिया और उसको छोड़ दिया।

वो भी मुस्कुरा कर रसोई में चली गई और जब दोपहर में सुमीना और सोनिया मार्किट चली गई थीं, तब मैं अपने कमरे में बैठा सिगरेट पी रहा था।

उसी समय सुषमा मेरे कमरे में आई और मुझे सिगरेट पीते देख कर बोली- हाय दैया तुम तो सिगरेट भी पीते हो!

मैंने कहा- आ जा, तू भी पी ले।

बहुत बड़ी छिनाल थी साली, बोली- न बाबा मुझे सिगरेट-विगरेट पीने का कोई शौक नहीं है।

ये कहते हुए मेरे पास आ गई। मैंने उसका हाथ पकड़ कर अपनी गोद में खींच लिया और उसके कान में फुसफुसा कर कहा- तो क्या लंड पीने का शौक हैं तुझको।

वो कसमसा कर बोली- छोड़ो मुझे।

जबकि उसकी कोशिश छूटने की बिल्कुल नहीं थी, मैंने उसकी चूची पर अपना गाल रगड़ा तो उसकी आवाज निकली, “ऊऊँ क्या करते हो? घर का दरवाजा खुला है, कोई आ जाएगा।”

मैंने कहा- तो जा बंद करके आ जा आज तुझको लंड पिलाऊँगा।

शरमा कर बोली- धत्त, कैसे बोलते हो भैया जी।

वो गई और चुदासी सी अंगड़ाई लेते हुए वापिस आ गई। मेरा लंड भी तन्ना गया था साली को चोदने का पूरा मूड बन गया था।

मैंने उससे पूछा- क्यों, तू मम्मी की जासूस है?

उसने झेंपते हुए कहा- अब अभी ये सब छोड़ो।

मैंने कहा- फिर क्या करूं अभी? लौड़ा पिलाऊँ तुझे, आ साली।

मैंने उसकी साड़ी के एक छोर को पकड़ा और झटके से खींच दिया। उसके मस्त बूब्बू तने और भरे देख कर मेरा नशा बढ़ गया।

वो भी सीना ताने चुदने को तैयार खड़ी थी। मुझे तभी याद आया कि इसकी तो एक छोटी सी एक साल की बेटी भी है। इसका तो दूद्दू भी आता होगा। मुझे दूद्दू पीने का बड़ा मन था और उसके दोनों कबूतर दूध से फूल कर तने थे।

मैंने उससे पूछा- तेरे इन मम्मों में दूद्दू आता है क्या?

नशीली सी आवाज में बोली- मुझे नहीं मालूम, तुम खुद ही देख लो।

मैंने खड़े होकर उसके ब्लाउज को उतार दिया अंदर ब्रा नहीं पहने थी। एक चूची को जरा सा मसका तो उसके निप्पल ने दूध की कुछ बूंदे उगल दीं। मेरा तो दिल मचल गया।

उससे पूछा- दूध पिलायेगी?

उसने लजाते हुए नजरें झुका ली और बोली- हूँ।

बस मैंने उसके निप्पल पर अपने होंठों को लगा दिया और उसके निप्पल को जरा सा चूसा। उसके मीठे दूध की धार ने मेरी जुबान को तर कर दिया और उसकी भी एक सिसकारी निकल गई। उसने अपने हाथों से मेरा सर पकड़ कर अपनी चूची से सटाने की कोशिश की, और मैंने भी मस्ती से उसके निप्पल को अपने होंठों से दबा रखा था।

दूध की धार लगातार मेरे कंठ को भिगो रही थी।

सुषमा बोली- दूसरी दुकान में भी दूध मिलता है।

उसकी बात को सुन कर मुझे कुछ हँसी सी आई और उसकी दूसरी चूची के निप्पल को अपने होंठों से निचोड़ना चालू कर दिया।

वो मेरे सर को लगातार अपनी चूची की ओर ठेल रही थी। मैंने अपने हाथ से उसकी चूत को टटोला तो उसका पेटीकोट बीच में दिक्कत कर रहा था। मैंने उसके नाड़े को खींच दिया। पेटीकोट खुल कर नीचे गिर गया।

अब मेरी उंगली उसकी चूत में घुस गई, साली पानी से लिसलिसी हो गई थी और उसकी आँखें मुंद गई थीं। वो सिसिया रही थी और फुल मस्ती में आ चुकी थी।

मैंने उससे पूछा- कब से नहीं चुदी हो?

उसने कहा- तीन महीने हो गए।

जब मैंने कारण पूछा तो उसने बताया कि उसका पति बाहर गया है और उसकी चूत को लंड की बहुत जरूरत थी। सो उसने मेरा लंड पकड़ा है।

बोली- राजा अब देर न करो। मेरी सुरंग को खोद दो।

मैंने भी उसको चोदने का मन पक्का कर लिया था। मेरे मन में एक अभिलाषा थी, उसको पूरा करने की सोची।

मैंने उससे कहा- सुषमा डार्लिंग, क्या तुम अपने दूध से मेरे लंड को नहलाओगी?

उसने चहक कर कहा- क्यों नहीं मेरे राजा।

उसने मुझे बेड पर बैठा दिया फिर मेरे लौड़े को अपने एक हाथ से पकड़ा और दूसरे हाथ से अपने एक बोबे की घुंडी का मुँह लंड के टोपे पर लगाया। अपने एक दूद्दू को जरा सा मसका कि एक पतली सी धार उसकी चूची से निकल कर मेरे लौड़े के टोपे पर पड़ी।

मेरा लंड उसके दूध से नहा उठा। उसको भी मजा आ रहा था। उसने लंड को अपने मुँह में गप कर लिया और खुद के दूध को मेरे लौड़े के साथ चचोरने लगी।

वो बार-बार ऐसा करती, अपने थन से लंडाभिषेक करती और उस दूध को लंड सहित चाटती।

मुझे बड़ा सुख मिल रहा था। मेरा लंड सरिये जैसा सख्त हो गया था और अब मुझे उसकी चूत खोदने का मेरा मतलब चोदने का मन होने लगा था।

कहानी जारी रहेगी।

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