पति ने मुझे पराये लंड की शौकीन बना दिया- 3

(Trying To Seduce A Doctor)

आई वास ट्राइंग टू सेड्यूस अ डॉक्टर! मेरे पति मुझे गैर मर्दों से चुदवाने में मजा ले रहे थे. इसी सिलसिले में मेरे पति ने मुझे डॉक्टर को पटाने को कहा. यह वही कहानी है.

यह कहानी सुनें.

कहानी के पिछले भाग
डॉक्टर मेरी सुंदरता से आकर्षित हो गए
में आपने पढ़ा कि मेरे पति अस्पताल में भारती थे और उनके कहने पर मैं उनके डॉक्टर को अपने जिस्म की गर्मी से पिघलाने की कोशिश कर रही हूँ.

अब आगे :

डॉक्टर अतुल की बात और मेरे लिए ‘तुम’ सुन कर मैं मचल उठी।
अतुल धीरे से मेरे बाहुपाश में से खिसक कर निकल कर मुझ से कुछ दूरी पर जाने की कोशिश कर रहे थे।
पर मैंने उनको पकड़ लिया, अपने और करीब खींचा और उनके सर को अपने हाथों में पकड़ कर मैं आवेग में उनसे लिपट पड़ी।
मेरी दोनों बांहें उनकी कमर के इर्दगिर्द डालकर मैंने उनको अपने बदन से सटा दिया।

उनकी आँखों में आँखें डालकर बड़े प्यार से मैंने कहा- डॉक्टर अतुल, मैं जो कहती हूँ, बिंदास कहती और करती हूँ। आप बहुत ही अच्छे हैं। इतने बड़े डॉक्टर होते हुए भी आपने मेरे पति को अपना भाई और मुझे अपनी बहू माना; यह आपका बड़प्पन है। एक पत्नी के लिए जेठ जी भी पति के समान ही पूज्य और करीबी होते हैं। मेरे कोई देवर या जेठ नहीं, अब आप ही हमारे सब कुछ हैं। मैं आपके अहसान का बदला नहीं चुका नहीं सकती। आपको आधी रात को भी मेरी जरूरतत महसूस हो, तो प्लीज बेझिझक मुझे कहियेगा, मैं आपकी सेवा में हाजिर हो जाऊंगी।

यह कह कर मैंने डॉक्टर अतुल के हाथों को पकड़ कर मेरी आँखों से लगा कर उनको अपने मन की बात कह ही दी और फिर उनकी और एकटक देखती रही।

मेरी इस तरह की बात सुन कर डॉक्टर अतुल ने मेरी और देखा और कुछ खिसियानी सी शक्ल में थोड़ा पीछे खिसकते हुए बोले- नीना, मैं जो भी कर रहा हूँ वह मेरा फर्ज है। इसमें अहसान की कोई बात नहीं है। मैं तुम्हारी बड़ी इज्जत करता हूँ। जैसे तुम्हारा कोई देवर या जेठ नहीं, वैसे मेरा तो यहां कोई भी नहीं। तुम्हारे साथ तो तुम्हारे पति हैं। मेरे साथ तो मेरी पत्नी भी नहीं।

यह कह कर डॉक्टर अतुल चुप हो गए।
उनके चेहरे पर गंभीरता के भाव मैंने देखे।

मैं अपना चेहरा डॉक्टर अतुल के चेहरे के इतने करीब ले गयी की हमारी नाक एक दूसरे से लगभग टकरा सकती थी।
वे चाहते तो थोड़ा अपना मुंह आगे कर मेरे होंठों को अपने होंठों से चिपका कर मेरे सिर को अपने हाथों में पकड़ कर मुझे चूम भी सकते थे।

मैंने उनकी आंखों में आँखें डालकर बिंदास कहा- आपके साथ आप की पत्नी नहीं है तो क्या हुआ? मैं हूँ ना? प्लीज अब हमारे बीच कोई तकल्लुफ मत महसूस कीजिये।

कुछ देर तक भौंचक्के से मेरी प्यार और वासना भरी नज़रों को देख कर कुछ बौखलाहट में वह हड़बड़ाते हुए बोले- देखो नीना, तुम इस तरह मुझे मत देखो। मैं सच कहता हूँ, तुम बहुत ही सुन्दर हो। मैं एक डॉक्टर भले ही हूँ, पर मैं भी एक साधारण मर्द ही हूँ। अपनी भावनाओं को नियंत्रण में रखो। मेरी परीक्षा मत लो। यह एक अस्पताल है और यहां की कुछ मान मर्यादाएं हैं।

डॉक्टर अतुल की भौंचक्की सी हालत देख कर मुझे मन ही मन हंसी आ गयी।
पर चेहरे पर बड़ी ही गंभीरता दिखाते हुए मैंने कहा- डॉक्टर साहब, मैं भला आपकी परीक्षा कैसे ले सकती हूँ? परीक्षा तो आप लो मेरी! एक बार कह कर देखना। किसी चीज़ के लिए मना करूँ तो कहना!

मेरी बात सुन कर कुछ सोचते हुए क्षोभित डॉक्टर अतुल पलंग से उठ खड़े हुए- अब मुझे चलना चाहिए।
कह कर चलते बने।

मेरे पति को ICU में चार दिन हो चुके थे।
डॉक्टर अतुल और नर्सों भी मुझे मेरे पति के हाल के बारे में हर दो तीन घंटों में बताती रहती थीं।

मेरे पति की तबीयत तेजी से ठीक हो रही थी।
डॉक्टर अतुल उस रोज के बाद जब भी कमरे में आते तो मेरे करीब आना टालते रहते थे।

उस शाम मैं जब मेरे पति राज से मिली तो वे बेहतर लग रहे थे।
मुझे देख कर वे मुस्कुराये।

नर्स ने मुझे हिदायत दी कि राज के लिए ज्यादा बोलना अच्छा नहीं।

उनकी तबीयत के बारे में पूछने के जवाब में ही अचानक मेरे पति राज ने पूछा- मैं बेहतर हूँ। पर तुम्हें मालूम है, डॉक्टर अतुल तो मेरे गांव ही नहीं बल्कि मेरे रिश्तेदार निकले? वे तुम्हारे बारे में बता रहे थे कि तुम मेरी बहुत चिंता कर रही हो। मैंने उन्हें उनके कान में, कोई ना सुने, ऐसे कहा कि वे तुम्हें परायी नहीं, अपनी समझें, तुम्हारा अच्छे से ध्यान रखे। मेरी बात सुन कर वे एक लड़की की तरह शर्माने लगे। लगता है तुम्हारा जादू उन पर चल चुका है। वैसे तुम्हें डॉक्टर अतुल कैसे लगे?

राज के बिल्कुल करीब बैठ कर मैंने उनके कान में डॉक्टर अतुल से हुई बात का खुल कर पूरा ब्यौरा दिया।
मैंने राज को कहा- डॉक्टर अतुल बहुत ही अच्छे हैं। उन्होंने मेरी बड़ी ही मदद की और मुझे इस मुसीबत की घड़ी में जबरदस्त सहारा दिया। मैं उनका जितना अहसान मानूं, कम है। डॉक्टर अतुल जब पहली बार मुझे मिले तो मुझे ऐसे देख रहे थे जैसे मैं कोई बहुत ही सुन्दर सेक्सी स्त्री हूँ।

मेरे पति ने मुस्कुराते हुए कहा- वो तो तुम हो ही, इसमें कुछ भी गलत नहीं।

मैंने कुछ शर्माते हुए पति से कहा- जब मैं डॉक्टर अतुल से बात करते हुए कुछ ज्यादा ही भावुक हो गयी और आवेश में डॉक्टर अतुल से लिपट पड़ी तो वे बेचारे अजीब सा महसूस करते हुए मुझे सीख देने लगे कि मुझे कुछ संयम बरतना चाहिए। आजकल वे मेरे करीब आने से भी डरते हैं।

“लो, यह तो कमाल हो गया! लगता है आग दोनों और से लगी है।” मेरे पति ने मेरी बांहों में मुझे हल्की सी चूँटी भरते हुए कुछ उत्तेजित स्वर में कहा।

मेरे चेहरे पर कुछ शरारती अंदाज लाते हुए मैंने मेरे पति को आँखें मटकाते हुए कहा- डॉक्टर अतुल बड़े हैंडसम हैं और तुम्हारी बीवी को लाइन मारने लगे हैं। तुम्हारी बीवी भी कुछ लाइन दे रही है उनको! अपनी बीवी को सम्हालियो जनाब! मामला गड़बड़ है, कहीं कुछ हो ना जाए।

मेरी बात सुनकर राज की आँखों में मुझे एक तरह की ख़ुशी की चमक दिखाई पड़ी।

उन्होंने मुस्कुराते हुए इतना ही कहा- अरे! यह तो बड़ी ही ख़ुशी की बात है। उनकी बात बिल्कुल मत सुनना। वे तुम्हें रोकते रहेंगे। डॉक्टर अतुल यहां मेरा कितना ज्यादा ख्याल रखते हैं कि मैं क्या बताऊँ? आज उनकी वजह से ही मैं ज़िंदा हूँ। लेकिन मैंने सुना है उनकी जिंदगी बड़ी दर्दभरी है। यहां ICU में मैंने दो नर्सों की बातें सुनी। कह रहीं थीं कि उन्हें समझ नहीं आता कि डॉक्टर अतुल दो या तीन साल से अपनी बीवी के बगैर कैसे रह पाते हैं। वे यहीं नजदीक एक फ्लैट में अकेले ही रहते हैं। उनकी शादी में कुछ दिक्क्त है। उनका ख्याल रखने वाली कोई नहीं। जब मैंने यह सुना तो सोचा कि क्यों ना तुम ही कुछ दिन क लिए उनका ख्याल रखो? उनके जागने सोने का, खाने-पीने का कोई ठिकाना नहीं है। अगर तुम्हारे कारण उनकी जिंदगी में कुछ देर के लिए ही सही कुछ ख़ुशी आये तो बड़ा अच्छा होगा।

मेरे पति आगे बोले- वैसे डॉक्टर अतुल का बदन काफी स्ट्रांग दीखता है। उनका सब कुछ जरूर तगड़ा ही होगा। डॉक्टर अतुल के लिए जो कुछ करना पड़े उसके लिए मुझे पूछने की जरूरत नहीं। बाकी तुम समझदार हो।
कह कर राज चुप हो गए।

बात बात में उन्होंने डॉक्टर अतुल के लण्ड के बारे में भी मुझे इशारा कर दिया और मुझे पूरी छूट भी दे दी।

जब मैंने उनकी आँखों में गौर से देखा तो पाया कि उनकी आँखें बहुत कुछ कह रहीं थीं।
उनकी आँखों में मैंने एक शरारत भरी चमक देखी और होंठों पर एक शोख़ मुस्कान!
मैं समझ गयी वे क्या कहना चाहते थे।
उनकी इस हरकत देख कर मेरा रोम रोम भी रोमांचित हो उठा।

वे मुझे कुछ गर्भित संकेत दे रहे थे।
मैं मेरे पति के गर्भित संकेत अच्छी तरह से समझ रही थी।

पर आप को यह समझने के लिए करीब 6 महीने पीछे जाना होगा।

जैसा कि मैंने इस कहानी की शुरुआत में बताया; उस समय हमारी शादी को करीब दो साल हो चुके थे।

मेरे पति राज को इंटरनेट पर एक ख़ास तरह के पोर्न वीडियो देखने का चस्का लगा।
ऐसे वीडियो जिसमें एक पति अपनी पत्नी को किसी दूसरे मर्द से चुदवाता है या फिर दूसरे मर्द के साथ मिल कर अपनी बीवी को चोदता है।
उन वीडियो को देख कर वे काफी उत्तेजित हो जाते और फिर मुझे पकड़ कर मेरी तगड़ी चुदाई कर डालते थे।

वे चाहने लगे कि वे किसी तगड़े मर्द से मिल कर मुझे भी वैसे ही चुदवायें जैसा उन वीडियो में दिखाया जाता था।
जब मैं राज के साथ ऐसे वीडियो देखती थी तब वीडियो देखते हुए मैं भी बहुत उत्तेजित हो जाती थी।
राज का लण्ड अच्छा खासा है … पर वैसा नहीं जैसा उन वीडियो में मर्दों का होता था।

एक बार पोर्न वीडियो देखते हुए मैंने जोश में ही कुछ आश्चर्य में बोल दिया- वीडियो में मर्द लोगों के लण्ड इतने लम्बे और मोटे होते हैं। वास्तव में भी ऐसे लण्ड होते हैं क्या? या फिर यह सब फोटोग्राफी का कमाल है?

मेरी बात सुन कर मेरे पति ने हँसते हुए कहा- हाँ, ऐसे तगड़े लण्ड वाकई में होते हैं और स्त्रियां ऐसे लण्ड से चुदवाने के लिए पागल रहती हैं। क्या तुम ऐसे लण्ड से चुदवाना चाहोगी?
मैंने उनकी बात का कोई जवाब नहीं दिया।

मेरे पति ने दुबारा मुझे हिलाते हुए पूछा- अब मैं सीरियसली बात कर रहा हूँ। बोलो क्या तुम दूसरे मर्द के ऐसे तगड़े लण्ड से चुदवाना चाहोगी?

मैं मेरे पति की बात सुन कर उत्तेजित जरूर हो गयी थी पर यह सब करना मुझे कुछ जँच नहीं रहा था और डर भी लग रहा था।

जब मेरे पति राज मुझे बार बार इस बात पर झकझोर ने लगे तब मैंने कहा- देखो, हमारी वास्तविक जिंदगी में ऐसा नहीं हो सकता। ऐसा कुछ करने से हमारे वैवाहिक जीवन में दरार पैदा हो सकती है।
राज ने कहा- अगर दरार पैदा ना हो तो?

यह कह कर राज तो मेरे पीछे ही पड़ गए कि मैं हाँ कह दूँ।

कई रातों की जद्दोजहद के बाद मुझे ऐसा लगा कि जब तक मैं कुछ सकारात्मक रवैया नहीं दिखाऊंगी, वे मेरा पीछा नहीं छोड़ेंगे.
तब मैंने आखिर में लाचार हो कर कहा- चलो, जब ऐसा कोई मौक़ा होगा तब देखेंगे। पहले कोई ऐसा तगड़ा मर्द तो हो जो हैंडसम भी हो और मुझे भी पसंद आये।

मैंने तगड़े के साथ ‘हैंडसम और मुझे पसंद आये’ शब्द भी जोड़ दिया, मैंने सोचा, शायद तगड़े लण्ड वाला मर्द मिल जाए पर हैंडसम ना मिले।
अगर दोनों भी हो तो मेरे पास विकल्प था की मैं उसे नापसंद कर के रिजेक्ट भी कर सकती थी।
मैंने सोचा कहाँ ऐसा कोई मर्द मिलेगा?
ना ही ऐसा कोई मौक़ा आएगा और ना ही यह बात आगे बढ़ेगी।

पर मुझे क्या पता था कि जो मैंने हंसी मजाक में हामी भरी थी, मेरे पति राज ने उसे मेरी सहमति मान कर सच्चे दिल से इस बात पर सुनियोजित तरीके से गंभीरता से अमल करना शुरू कर दिया था.

कहते हैं ना कि जो हम सच्चे दिल से चाहते हैं, वह होकर ही रहता है।

चंद हफ़्तों के बाद ही मेरे पति राज की अभिनव नाम के एक बड़े ही आकर्षक और कसरती सुगठित बदन वाले युवा से एक पार्टी में मुलाक़ात हुई और देखते ही देखते उससे घनी दोस्ती हो गयी।

अभिनव उनकी सुन्दर कमसिन पत्नी के साथ हमारे घर आने लगे।

पहली बार मिलते ही अभिनव मुझ पर जैसे फ़िदा ही हो गया।
वह तो मेरे पीछे ही पड़ गया।
जब भी मौक़ा मिलता वह मुझे छेड़ने और उकसाने लगा।

मेरे पति राज अभिनव की बीवी मणिका पर डोरे डालने लगे थे।

मामला बड़ा ही अजीब, पेचीदा और रोमांचक होने लगा था।
मैं जब भी अभिनव की छेडखानी की शिकायत मेरे पति राज से करती तो राज अभिनव को टोकने के बजाये मुझे यह कह कर चुप कर देते- अभिनव कसरती, आकर्षक और तगड़े लण्ड वाला है और तुम इतनी खूबसूरत हो। तो अगर वह तुमसे आकर्षित हुआ है तो उसमें उस बेचारे का क्या दोष? यह जिंदगी छोटी सी है तुम भी उसकी छेड़खानी को एन्जॉय करो।

उन्होंने पेशाब करते हुए शायद कहीं अभिनव का तगड़ा, लम्बा लण्ड देख लिया था।
मैंने भी कई बार चोरी छुपी से अभिनव की जाँघों के बीच उसके सख्ती से खड़े हुए तगड़े लण्ड को बड़ा सा तम्बू बनाते हुए उसकी पतलून में और कुछ बार तो छोटी निक्कर में भी देखा था।

मेरे पति अभिनव का जिक्र करते समय ‘तगड़े लण्ड’ शब्द का इस्तेमाल करना नहीं चूकते थे।

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