चूत से चुकाया कर्ज़-2

None

वो शाम 7 बजे वाली ट्रेन से ही निकलने वाले थे।

मैं उनके सफ़र की तैयारी में लग गई और शाम 6.30 पर जैसे ही उनकी कैब उन्हें लेकर निकली, मुझे ना जाने क्या होने लगा।

दोस्तो, मैंने जिंदगी में बहुत सेक्स किया है, नए नए लंड लिए हैं लेकिन हर बार सेक्स के पहले में इतनी ज्यादा उतावली और उत्तेजित हो जाती हूँ, न जाने मेरे साथ ऐसा क्यूँ है।

मैंने राज़ को फोन लगाया और उसे जल्दी से जल्दी आने को बोला। उसने 8.30 तक आने को बोला। तब तक मैंने उसके लिए डिनर बनाने का सोचा और बेबी के लिए तैयारी की जिससे वो टाइम से सो जाए और फिर अपने आप को सजाने संवारने में लग गई।

मैंने बिना बाहों वाला काला ब्लाउज़ जिसका गला काफी गहरा था, काले रंग की ही नेट वाली पारदर्शी सी साड़ी पहनी जिसे नाभि के काफी नीचे बांधा, अंदर मेरी पैंटी और ब्रा भी आज मैंने सेट वाले ही पहनी जो काले ही थी, मेरा रंग बहुत गोरा है इसलिए मुझ पर काली ड्रेस बहुत अच्छी लगती है।

और अब मैं बालकॉनी में आकर अपने राजा यानि अपने राज़ का इंतज़ार करने लगी।

और फिर मैंने उसे दूर से पैदल आते हुए देखा शायद उसने अपनी टैक्सी थोड़ी दूर ही ड्रॉप कर दी होगी, और ऐसे सम्बन्धों में यह सावधानी जरूरी भी होती है।

मेरे चेहरे पर एक मुस्कान खिल गई, मैं दरवाजा खोलने को अंदर भागी और उसके बेल बजाने से पहले ही दरवाजा खोल दिया।

और अगले ही पल वो मेरी बाहों में था इस समय वो जींस टीशर्ट में था परफ्यूम से महक रहा था, उसके हाथ में एक पेकेट भी था, मैंने सोचा शायद मेरे लिए गिफ्ट हो।

वो मुझे आलिंगन में लिए हुए ही अंदर आया और मुझे निहारते हुए बोला- क्या गज़ब लग रही हो यार !

मैंने हंसते हुए पूछा- कैसी?

उसने मुझे थोड़ा सा अलग किया और अपनी एक उंगली मेरे माथे पर रख कर मेरी नाक से मेरे होंठों से फिसलाते हुए मेरे उरोजों, मेरे पेट मेरी नाभि तक ले गया, मेरे पूरे शरीर में सिरहन सी दौड़ गई।

वो बोला- सच बताऊँ?

मैंने कहा- हाँ !

वो बोला- एकदम सेक्सी माल लग रही हो ! सही में यार, ऐसा लगता है कि तुम्हें भगवान् ने सिर्फ चुदाई करने के लिए ही बनाया है।

मैं शरमा गई और बोली- क्यूँ, ऐसा क्या है मुझमें?

वो मेरे स्तन दबाते हुए बोला- अब यह तो मैं तुम्हें अच्छी तरह से देख कर ही बता पाऊँगा।

मैं उससे अलग होकर एक सेक्सी सा पोज़ बनाते हुए बोली- लो देख लो !

“हाँ, मैं देखूँगा, पर अपने तरीके से !” और यह कहते हुए उसने मेरा साड़ी का पल्लू नीचे गिरा दिया।

मैंने उसे उठाना चाहा तो मुझे रोक दिया और मुझे कहा- प्लीज़ हिलना मत, ऐसे ही खड़ी रहना।

मुझे यही सब तो चाहिए था कि आज राज जो भी करे अपने तरीके से करे !

इसीलिए मुझे अलग अलग मर्दों के साथ सेक्स का चस्का लग गया था क्यूँकि सबका सेक्स करने का तरीका अनूठा और अलग होता है।

फिर उसने मेरे बाल खोल दिए और मेरे बदन के उघड़े हिस्से पर अपना हाथ फिराने लगा।

मेरी बाहें, मेरा पेट, गर्दन और वक्ष के ब्लाउज़ से बाहर झांकते उभार सब जगह ! फिर मेरी साड़ी की पलटियाँ पेटीकोट से बाहर निकाल दी और मुझे घुमाने के बजाये खुद ही मेरे चारों ओर घूम घूम कर मेरी साड़ी पूरी निकाल दी और एक बार फिर मेरे बदन के खुले हिस्से को सहलाने लगा, बीच बीच में चूम भी लेता था। फिर उसके हाथ मेरे पेट को सहलाते हुए मेरे पेटीकोट के नाड़े पर जा पहुँचे और अब वो नाड़े की गाँठ खोल रहा था। वो यह सब बहुत प्यार से कर रहा था और मैं महसूस कर रही थी कि उसे ये सब करने में बहुत मज़ा आ रहा था।

उसने पेटीकोट का नाड़ा खोल के उसे पूरी तरह से पहले ढीला किया और फिर उसे अपने आप नीचे गिर जाने दिया।

यह बहुत ही सेक्सी था और अब मैं मात्र पैंटी और ब्रा में उसके सामने थी, वो मुझे इस रूप में निहारता रहा !

मैं बहुत बिंदास और सेक्सी हूँ पर उसके ऐसा करने से अज़ीब सी शर्म महसूस कर रही थी।

फिर इसी अंदाज़ में उसने मेरे जिस्म से आहिस्ता आहिस्ता मेरी ब्रा और पैंटी को भी अलग कर दिया, पैंटी अलग करते समय तो उसका चेहरा बिल्कुल मेरी चूत के सामने और नज़दीक ही था पर उसने मेरी योनि पे अपने होंठ या उंगली कुछ भी स्पर्श नहीं की।

ना जाने उसे मुझे यूँ तरसाने में क्या मज़ा आ रहा था।

दोस्तो, सही बताऊँ, मेरा जिस्म इतना नशीला उत्तेजक और कामुक है कि मेरी इसके पहले की सभी चुदाइयों में मर्द मेरे ऊपर टूट पड़ते थे, यह आपने मेरी पिछली कहानियों में पढ़ा ही है, और यहाँ सही में मेरी यह इच्छा हो रही थी कि मैं राज़ को नंगा करके उस पर टूट पड़ूँ !

पर वो मुझे बहुत तरसा रहा था और मैंने अपने आप से वादा किया हुआ था कि राज़ ने जो इतने दिन मेरी कहानियाँ लिखी हैं, आज मैं उसका क़र्ज़ अपनी चूत उसके हवाले करके चुकाऊँगी, इसीलिए मैंने खुद उसे अपने घर बुलाया था और आज वो जो भी और जैसे भी मेरे जिस्म के साथ करना चाहता था, मैं उसे रोकने वाली नहीं थी।

पर मैं उसका संयम देख कर दंग थी, उत्तेजना के मारे मेरे निप्पल तन गए थे, मेरी चूत गीली हो गई थी, जिस्म में गर्मी बढ़ती जा रही थी, चेहरा गुलाबी हो चुका था, उसे भी यह सब महसूस तो हो रहा था पर वो मुझे और तरसा रहा था।

फिर वो मेरे पीछे गया और मेरे दोनों हाथ बाहों से कस कर ज़ोर से पीछे खींचे कि मेरे दोनों उभार एक तरह से उबल कर बाहर की तरफ और उभर गए और मेरी कमर पर अपने घुटने से ऐसा धक्का मारा कि मेरे चूतड़ और पीछे की तरफ उभर गई, मैं निहायत ही उत्तेजक मुद्रा में आ गई, मुझे दर्द हो रहा था और चूत का पानी अब बह कर जांघों तक आने लगा था और वो बदमाश अब अपने दूसरे हाथ से मेरे उन्नत वक्ष और उभरे हुए चूतड़ को बारी से मसल रहा था, मेरा बहुत मन कर रहा था कि वो मेरी चूत में भी अपना हाथ घुसा दे पर वो मुझे बहुत तरसा रहा था।

आखिर मेरे सब्र का बाँध टूट गया, और मैंने राज़ से विनती- प्लीज़ राज़, प्लीज़ ! अब चोदो मुझे !

वो हंसते हुए बोला- क्यूँ, आज तो तुम मेरा क़र्ज़ चुकाने वाली हो ना, भूल गई क्या?

मैंने कहा- कुछ नहीं भूली हूँ मेरे राजा, पर तुम मुझे छोड़ो तो सही !

फिर उसने मुझे अपनी गिरफ्त से आज़ाद किया, आज उसने मुझे मेरे ही घर में जिस उत्तेजक तरीके से निर्वस्त्र किया था, मुझे बहुत ही अच्छा लगा, मेरा पूरा तन बदन सुलग गया था, और अब मेरी बारी थी।

मैंने उसे चुपचाप खड़े रहने को कहा और सर्वप्रथम उसके टीशर्ट से शुरुआत की और फिर बनियान ! उसकी छाती पर खूब बाल थे जो मुझे उत्तेजित कर रहे थे, उस पर हाथ फिराते हुए मैंने उसे खूब चूमा और फिर उसकी जींस से पहले बेल्ट और फिर जींस को ही उतार कर अलग किया। अंडरवियर में उसका लंड पूरी तरह से तना हुआ साफ़ दिखाई दे रहा था, मैं घुटने के बल उसके सामने ही बैठ गई और अंडरवियर में हाथ डाल कर उसके लंड को बाहर निकाल लिया, बहुत ही मस्त और जानदार लंड मेरे हाथ लगा था आज भी !

अब मुझ से रहा नहीं गया, उसकी अंडरवियर उतार के दूर फेंकी अब हम दोनों ही पूर्ण नग्न हो गये थे, राज़ में सेक्स को लेकर जितना संयम था उसके उलट में बहुत ज्यादा उतावली थी और अब उसके लंड को अपने सामने सामने और अपने हाथ में देख कड़ और पागल हो गई थी और उसे ताबड़तोड़ चूमने और चूसने लगी। एक हाथ से उसके लंड के नीचे फोते भी मसल रही थी।

राज़ के मुँह से तेज़ उत्तेजक आवाजें निकलने लगी, उसने हड़बड़ा कर मुझे चूचियों से पकड़ कर ऊपर उठाया और बोला- शालू, चूत दे के कर्ज़ तो तुम चुकाने वाली थी ना ! और तुम तो खुद ही मेरे लौड़े के मज़े ले रही हो?

मैं एक बार फिर उसके जिस्म से सट गई, बोली- आज की पूरी रात तुम्हारी और मैं भी तुम्हारी !

मैंने उसे बिस्तर पर जा लेटाया और वो वह पसर गया, अब मैं उसके अगल बगल दोनों पैर करके खड़ी हो गई और फिर बहुत ही अश्लील तरीके से अपनी चूत को खोल कर उसे दिखाते हुए अपनी बात पूरी की- और यह चूत भी तुम्हारी !

और ऐसा कहते हुए मैं उसके मुख पर अपनी चूत रख कर बैठ गई।

उसने हाथों से मेरे कूल्हे थाम लिए और अब उत्तेजक आवाजें मेरी निकलने लगी क्यूँकि उसकी जीभ मेरी चूत में अंदर तक जाकर कुछ टटोल रही थी और वो बीच बीच में अपने दांतों से मेरी चूत के दोनों होंठों को काट भी रहा था।

मैं उछल उछल कर अपनी चूत उसके मुँह पर पटक रही थी, फिर उसके पूरे चेहरे पर घुमाने लगी।

उस बदमाश ने फिर अपनी शेव बढ़ी हुई खुरदुरी ठोड़ी मेरी चूत में धंसा दी, मैं उत्तेजना के मारे चिल्ला पड़ी क्यूँकि वो मेरे उभरे हुए ‘दाने’ को भी रगड़ रहा था।

और फिर मैं खुद चुदने को तड़पने लगी और उठ कर अपनी भरपूर गीली चूत को उसके भरपूर कठोर और तने हुए लंड के सुपारे पर रख दिया, आज बिना तेल या क्रीम के वो फिसलता हुआ मेरी चूत में समां गया !

उसने मुझे अपनी बांहों में खींच लिया, मैंने उसकी कमर के पीछे हाथ डाल कर और उसने मेरी नंगी और चिकनी पीठ को पकड़ कर भींच लिया और हम दोनों के ही चूतड़ अब हरकत में आ गये, हमारे होंठ भी आपस में भिंच गए और मैं सही में एक अनूठे और स्वर्गिक आनन्द में गोते लगाने लगी।

राज़ का चोदने का अंदाज़ सचमुच बहुत ही ज़ुदा और अद्भुत है, उस हसीं रात को मैं पूरी तरह से उसके हवाले थी, समर्पित थी, और उसने मेरे लिए कहानियाँ लिखने का अपना मेहनताना ज़म कर वसूला।

तो दोस्तो, मुझे मेल करके बताना कि मेरा यह सेक्स अनुभव आपको कैसा लगा।

और इस बार मेरा यह सेक्स अनुभव अन्तर्वासना के ही एक लेखक ‘अरुण’ ने लिखा है जो मेरे शहर जयपुर से ही हैं।

आपकी चहेती

शालिनी भाभी

और भी मजेदार किस्से: