पति ने मुझे पराये लंड की शौकीन बना दिया- 1

(Cuckold Man Wants Sexy Wife)

ककोल्ड मैन वांट्स सेक्सी वाइफ … मेरे पति मुझे बहुत पसंद करते हैं पर वे मेरे अंदर का शर्मीलापन भगाकर मुझे सेक्स की शौक़ीन नारी बनाना चाहते थे जो गैर मर्दों को रिझा सके.

मैं राज एक सीनियर सिटीजन पुरुष लेखक हूँ।

यह ककोल्ड मैन वांट्स सेक्सी वाइफ कहानी मेरी नहीं, एक पत्नी की है।
पेश है उन्हीं के शब्दों में:

यह कहानी सुनें.

मेरा नाम नीना है।
जिस समय का यह वाकया है मैं उस समय करीब अठाइस उनत्तीस साल की थी।

कहानी की शुरुआत में ही मैं बता दूँ कि शादी के वक्त मैं एक आम घरेलू, शर्मीली और सुशील गृहिणी थी।
मेरा चालचलन, मेरी भाषा, मेरे कपड़े बड़े ही शालीन थे।

लेकिन शादी के बाद के बरसों में इन सब में काफी बदलाव आ गया।

मेरे पति राज सेक्स के बड़े ही शौक़ीन हैं।
हमारी सुहागरात को उन्होंने पूरी रात मेरी ऐसी की तैसी की थी।

उस रात और उसके बाद कई महीनों तक जब भी मेरे पति शहर में होते थे, मेरी हर रोज दिन और रात मिला कर दो तीन बार तगड़ी चुदाई जरूर करते थे।
अगर मैं कहूं कि मेरे पति मेरे ‘लव गुरु’ थे तो यह कहना गलत नहीं होगा।
उन्होंने मुझे ‘चुदाई का आनन्द कैसे लिया जाए’ यह सिखाया।

यह कहना भी ठीक नहीं होगा कि वे मेरी चुदाई करते थे, क्योंकि बिल्कुल शुरू में तो मैं चुदाई में उनका साथ तो देती थी पर ज्यादा सक्रिय नहीं रहती थी।
पर बाद में मैं उनको पूरा सक्रिय साथ देकर उनसे पूरे जोश के साथ चुदवाती थी। अब भी पूरा सक्रिय साथ देती हूँ।

हमने घर में हर जगह, हर पोज़िशन में चुदाई की है।

मैं मेरे पति की चुदाई से पूरी तरह संतुष्ट थी।
मैंने कभी किसी गैर मर्द से चुदवाने के बारे में सोचा ही नहीं था।

मुझे कभी किसी दूसरे मर्द की ओर किसी तरह का कोई आकर्षण नहीं हुआ।
पर मेरे पति अलग ही किस्म के खुले दिमाग के मर्द हैं।
शादी के बाद उन्होंने मुझे शर्मीली स्त्री से सेक्सी स्त्री बनाया।

मेरे शर्मीलापन को वे मेरे सेक्सीपन पर हावी नहीं होने देना चाहते थे।
वे चाहते थे कि मैं अपने विचार, कपड़े, चालचलन और भाषा में अपना सेक्सीपन ना छिपाऊं, उसे शालीनता से उजागर होने दूँ।

उन्होंने शादी से पहले कई लड़कियों और औरतों को चोदा था।

शादी के एक दो सालों बाद मेरे पति के मन में अचानक ही मुझे किसी और मर्द से चुदवाने की सनक सी लग गयी।
वे चाहते थे कि मैं भी किसी गैर मर्द से चुदवाने का मजा लूँ।

तो वे हमेशा किसी तगड़े मर्द की तलाश में रहते थे जिसे मैं पसंद करूँ और सही लगे तो चुदवाऊं।
हमारी हर चुदाई के दरम्यान रोज यह बात मुझे वे कहते रहते थे।

धीरे धीरे उनकी बातों का मेरे मन पर गहरा असर पड़ने लगा।

उनकी मेहनत एक दिन रंग लायी।
बड़ी चालाकी से उन्होंने उनके एक हैंडसम कसरती दोस्त के साथ मिल कर मुझे समझा बुझा, पटा, फुसला कर मेरी सहमति से मुझे पूरी रात उनके दोस्त के देखते हुए खुद कई बार चोदा और अपने सामने अपने दोस्त से मुझे चुदवाया।
उन्होंने उस रात वे सारी हरकतें कीं और मुझ से करवायीं जो चुदाई में की जाती हैं।

उसके बाद तो उन्होंने मुझे यह छूट दे रखी थी कि मुझे अगर कोई मर्द सही लगे तो मैं उससे चुदवा लूँ और बाद में उनको बता दूँ ताकि वे भी मेरी चुदाई के मजे ले सकें।

इस तरह की मानसिकता से प्रभावित इंसान को शायद इंगलिश में ककोल्ड कहते हैं।

कोई मर्द अगर ककोल्ड की सोच रखता है तो इसका मतलब कतई यह नहीं है कि उसमें कोई शारीरिक कमी है।
यह एक तरह की मानसिकता है।
इसका मतलब यह है कि वह अपनी बीवी से बेतहाशा प्यार करता है और उसे वह रोमांचक अनुभव कराना चाहता है जो दूसरे मर्द से चुदवाने में एक स्त्री को मिलता है।

जब तक कोई भी शादीशुदा महिला किसी दूसरे मर्द से चुदवाती नहीं, तब तक उसे जरा सा भी इस रोमांच और उत्तेजना का अंदाज ही नहीं होता कि दूसरे मर्द से चुदवाना कितना अद्भुत आनन्ददायी अनुभव होता है।

मैं इस अद्भुत आनन्ददायी अनुभव की बात की पूरी गवाह हूँ क्योंकि मेरे पति ने मुझे इस का अनुभव कराया है।

बाद में मैं भी उसी दोस्त से कई बार मौक़ा मिलने पर कभी पति के सामने तो कभी पति की गैरहाजरी में करीब 6 महीनों तक चुदवाती रही।
जब मेरे पति नहीं होते थे तो उनका दोस्त कभी दिन में तो कभी रात में आस पास वालों से छिप कर मेरे घर में आकर मुझे चोदता रहा।

जब उसकी बीवी नहीं होती थी, तब मौक़ा मिलने पर कभी मैं उसके साथ उसके घर चली जाती थी और मुझे अच्छे से चोद कर वह मुझे वापस छोड़ जाता था।

इस तरह चोरी छिपे किसी प्रेमी गैर मर्द से चुदवाना मेरे लिए जबरदस्त रोमांचक, यादगार और उत्तेजक अनुभव था। मेरे पति भी मेरे इस तरह चुदवाने से खुश थे।

मेरे पति के उस दोस्त से हमारी इतनी जबरदस्त यारी दोस्ती हो गयी थी कि मैं उनके दोस्त से बिंदास नंगी हो कर खूब चुदवाती थी और वह भी मुझे प्यार से खूब चोदता था।
मुझे इस तरह का आनन्द मुहैया कराने के लिए मैं मेरे पति की वाकई में कृतज्ञ थी और उनको और ज्यादा प्यार करने लगी थी।

मैंने भी मेरे पति के उस दोस्त की पत्नी और मेरी और दो सहेलियों को समझा बुझा कर मेरे पति से चुदवाया था।

करीब छः महीने बाद जब उनके दोस्त का कहीं दूर तबादला हो गया और हम अलग थलग हो गए तो यह सिलसिला टूट गया।

तब से मेरे पति मुझे चुदवाने के लिए कोई अच्छे सशक्त हैंडसम और मुझे पसंद आये, ऐसे मर्द की तलाश में जुटे हुए थे।
पर बात बन नहीं रही थी।

बिना कोई रोमांच और उत्तेजना वाली रोजमर्रा की कोल्हू के बैल वाली जिंदगी फिर से चल रही थी।

मेरे पति के मन का मुझे चुदवाने का कीड़ा और तेज हो गया था।
वे हर रोज उन दिनों की याद करते रहते थे और उम्मीद करते थे कि मैं किसी ना किसी से फिर से चुदवाना शुरू करूँ।

ना तो उनको कोई ऐसा अच्छा मर्द मिला और ना ही मुझे घर के काम से फुर्सत मिलती थी कि मैं इस के बारे में उनकी सहायता कर उनकी इच्छा पूरी कर सकूँ।

पर होनी अपना काम करती ही है।
अचानक एक रात मेरे पति राज का एक्सीडेंट हो गया।

वे सीढ़ी पर चढ़ रहे थे, वहाँ से गिर पड़े और बेहोश हो कर फर्श पर ढेर हो गए।

हम मेरे पति राज को आधी बेहोशी के हालत में सरकारी अस्पताल ले गए जहां आपातकालीन वार्ड में डॉक्टरों ने मेरे पति राज को चेक किया।

कुछ देर चेक करने के बाद डॉक्टरों ने निदान किया कि राज का तात्कालिक ऑपेरशन करना पड़ेगा।
हमने हॉस्पिटल के प्रायवेट वार्ड में एक डीलक्स कमरा लिया जो ऑपरेशन थिएटर के करीब था।

मेरे पति काफी दर्द महसूस कर रहे थे।

वे जब कुछ देर होश में आते तो लगता कि वे ठीक हैं.
पर कुछ देर डॉक्टर और नर्स से कुछ बातें करते फिर बेहोश हो जाते।

उनकी हालत देख मैं काफी परेशान थी।
मैं बचपन से ही कुछ ज्यादा ही कोमल और कमजोर मन की रही हूँ।

जब मेरे पति को ऑपेरशन थिएटर में ले जा रहे थे, तब उनका हाल देख मैं लड़खड़ा कर बेहोश हो कर फर्श पर गिरने लगी।
उसी समय डॉक्टर अतुल, जो हृदय रोग के सर्जन थे और मेरे एकदम करीब मेरे पीछे खड़े थे, उनकी नजर मुझ पर पड़ी।

उन्होंने मुझे गिरती देख फौरन लपक कर मुझे गिरने से पहले पकड़ लिया।
मैं बेहोशी की हालत में उनकी बांहों में लुढ़क पड़ी।

बेहोश होने के बिल्कुल पहले जब मैं लुढ़क कर गिरी, तब मूर्छित अवस्था में भी मैंने उनका एक हाथ मेरे स्तनों पर और दूसरा हाथ मेरी गांड पर महसूस किया था।
बेहोशी की हालत में दो नर्स के साथ उठा कर वे मुझे हमारे प्राइवेट वार्ड के कमरे पर ले आये और मुझे मेरे पति के लिए रखे हुए मरीज के पलंग पर लिटा दिया।

कुछ मिनट बाद जब मुझे होश आया तब डॉक्टर अतुल मेरे पलंग के पास खड़े मेरे होश में आने का इंतजार कर रहे थे।
मैं पलंग पर मदहोश सी लेटी हुई थी और वे मुझे काफी पैनी नजरों से देख रहे थे।
वे मुझे इस तरह देख रहे थे कि कुछ पल के लिए मैं बहुत अजीब फील करने लगी।

वे जितने बड़े सर्जन थे, उतने ही आकर्षक व्यक्तित्व के धनी थे।
उनके चेहरे पर मेरे लिए चिंता के साथ साथ सहानुभूति की मिठास झलक रही थी।

इतने बड़े डॉक्टर का मुझे इस तरह देखने से मैं शर्म के मारे पानी पानी हो रही थी।
उस विषम परिस्थिति में भी पता नहीं क्यों मुझे डॉक्टर अतुल के लिए अजीबोगरीब ख्याल आ रहे थे।

मुझे एकदम ध्यान आया कि मेरे लुढ़कने के वक्त मुझे गिरने से बचाने के लिए उनका एक हाथ मेरी गांड को और दूसरा हाथ मेरे स्तनों को दबा रहे थे।
यह सोचते ही उस मुश्किल परिस्थिति में भी मेरी चूत गीली हो गयी।

डॉक्टर अतुल उस समय 33 या 34 साल की उम्र के ही होंगे।
सिर पर काले घुंघराले घने बाल, विशाल कपाल, लम्बी गर्दन, बड़ी ही आकर्षक आँखें, सुन्दर होंठ, पतली धारदार तीखी मूंछ, चौड़ा सीना, मांसल सुगठित बदन, लम्बी चौड़ी गठीली बांहें, पतली कमर लंबा कद और अति आकर्षक कुछ लापरवाह सा दीखता व्यक्तित्व वाले डॉक्टर अतुल को पहली नजर में देखते ही मुझे ऐसे लगा जैसे वे डॉक्टर नहीं, डॉक्टर रोल में कोई फिल्म एक्टर हों।

उनके चेहरे पर फैली हुई आकर्षक मुस्कान देख और जिस तरह से प्यार से उन्होंने मुझे ढाढस और हिम्मत दी, मुझे अजीब सा सुकून मिला।

मुझे होश में आई देख वह कुछ मुस्कुराये और मुझे ढाढस दिलाने की कोशिश करते हुए बोले- मिसेज राज, मैं डॉक्टर अतुल हूँ। आप लोग तो मेरे गाँव के बल्कि हमारे मोहल्ले के ही निकले। आपके पति ने मुझे अभी कुछ देर पहले बताया कि वे हमारे दूर के कोई रिश्ते में भाई लगते हैं। आपके पति का ऑपेरशन होने से ठीक हो जाएंगे। आप उनकी कोई चिंता ना करें। उनकी चिंता हम पर छोड़ दीजिये। आप यह गोली लीजिये। यह आपका दिमाग शांत कर देगी।

यह कह कर उन्होंने मुझे एक गोली दी और उसे पानी के साथ निगलने को कहा।

मैंने उस गोली को फौरन पानी के साथ ली।

कुछ ही देर में मैंने अपने आप को काफी रिलैक्स और तनाव मुक्त महसूस किया।
डॉक्टर अतुल ने कहा कि वे खुद मेरे पति राज का ऑपरेशन करेंगे और उसके लिए मुझे कुछ कागज़ों पर दस्तखत करने पड़ेंगे; जो मैंने बिना देरी कर दिए।

वे मेरे पति राज का ऑपेरशन करेंगे, यह सुनते ही मैं पलंग में बैठ कर डॉक्टर अतुल के दोनों हाथों को थाम उनको अपने करीब खींच कर, उनके हाथों को अपने हाथों में लेकर उनकी बांहों को आवेग से सहलाते हुए बोली- अब मेरे जेठजी के नाते ही सही, डॉक्टर साहब, मेरे पति को बचा लीजिये। उनके अलावा मेरा कोई और नहीं है।
कहते हुए मेरी आँखों में आंसू भर आये।

डॉक्टर अतुल मेरा ऐसा हाल देख कर कुछ हिचकिचाते हुए मेरे हाथों को अपने हाथों से सहलाते हुए मुझे बड़े प्यार से देखते हुए शांत रहने के लिए समझाने लगे।
अतुल के इस तरह मुझे प्यार से ढाढस देने के कारण मैं अपने आप पर नियंत्रण नहीं रख पायी।

मैंने उस आवेग में अपना सर डॉक्टर अतुल के सीने से लगा दिया और अपने आंसू रोकने की कोशिश करने लगी।
बेचारे डॉक्टर अतुल मेरे अचानक आवेश से परेशान क्षोभित से इधर उधर देखने लगे कि आसपास का स्टाफ हमें उस हाल में देख गलत मतलब ना निकाले।

मैंने महसूस किया कि उस समय मेरे बदन के उतने करीब से छूने के कारण वे भी अपने आप को सम्हालने में मुश्किल महसूस कर रहे थे।
उन्होंने मेरी पीठ पर हाथ फिराते हुए मुझे शांत करने की कोशिश की।

फिर वे मुझ से कुछ दूर खिसक कर बोले- मिसिस राज, आपको चिंता करने की कोई जरुरत नहीं है। मैंने ऐसे कई ऑपरेशन किये हैं। बस मेरी आपसे एक ही विनती है कि आप अपने ऊपर संयम रखिये. आप यह दवाई लेकर आराम कीजिये और भगवान से प्रार्थना कीजिये की ऑपेरशन सफल हो!

उस समय मेरे बदन पर कपड़े बिखरी हुई हालत में थे।
वे मुझे ढाढस दे तो रहे थे परन्तु मैंने महसूस किया कि बातें करते हुए डॉक्टर अतुल अपनी नजर पर नियंत्रण नहीं रख पा रहे थे।

मौक़ा मिलने पर उनकी नजर बार बार चुन्नी हट जाने के कारण मेरे लो कट ब्लाउज के अंदर आधे ढके हुए दो बड़े बड़े अनार से उन्नत उरोजों पर जा रहीं थीं और उन्हें घूर घूर कर देखती रहतीं थीं।

उनके जहन में पैदा हुआ एक तरह का मन को विचलित कर देने वाला अजीब सा उत्तेजना का कश्मकश का भूचाल सा भाव, जिसे वे बड़ी मशक्क्त से छिपाने की कोशिश कर रहे थे, वह उनके चेहरे पर साफ़ दिख रहा था।

मेरे लिए मर्दों के द्वारा ऐसी हिमाकत कोई नयी बात नहीं थी।
उस समय के हालात भी कुछ अजीब से थे।

बेबसी, परेशानी और आधी बेहोशी के हाल में मेरे कपड़े मेरे बदन को ठीक से ढक नहीं रहे थे।

ककोल्ड मैन वांट्स सेक्सी वाइफ कहानी में सेक्स थोड़ा कम मिलेगा पर कहानी रोमानी, और रोमांचक है.
अपने विचार मुझे बताते रहिएगा.
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