बाली उमरिया में लगा प्रेम रोग- 2

(Big Boobs Wali Aunty)

बिग बूब्ज़ वाली आंटी की कहानी में एक जवान लड़का जवान चूत चोदने के ख्याल से मुठ मार कर मजा लेने लगा. एक दिन वह अपने दोस्त के घर गया तो दोस्त की मम्मी ने उसे गले लगाया.

कहानी के पहले भाग
माँ बाप की चुदाई देख चढ़ी वासनाhttps://www.antarvasna3.com/voyeur/papa-mom-sex-stories/
में आपने पढ़ा कि बंटू ने अभी अपनी उम्र के 18 वर्ष पूर्ण किए थे। वह अपनी मम्मी के कमरे से आती हुई कामुक आवाजों के कारण, कामुकता में डूब चुका था। स्वप्नदोष में स्खलन के साथ-साथ वह कई कई बार मुट्ठ भी मार चुका था।

अपने दोस्त मोंटी से अश्लील किताबों और न्यूड एल्बम मिलने के बाद से हमेशा किसी न किसी नई चूत को चोदने की कल्पना करता रहता था।
लेकिन उसको सच में किसी लड़की या औरत की चूत चाहिए थी, ऐसे में उसे अपने मामा की लड़की पम्मी का ख्याल आया, उसको पटा के चोदना उसे आसान लगा।

अब आगे बिग बूब्ज़ वाली आंटी की कहानी:

वह अपनी मम्मी से पम्मी के बारे में बात करने ही वाला था कि जैसे ऊपर वाले ने उसकी वासना को शांत कराने की ठान ली।
उसकी मम्मी ने कहा- बंटू बेटा, एक खुशखबरी है, तेरी बहन पम्मी छुट्टियों में अपने यहां रहने आ रही है। वह घंटे भर में पहुंचने वाली है।

बंटू को ऐसा लगा जैसे उसके पास मनोकामना पूरी करने की कोई दिव्य शक्ति है जो खींचकर पम्मी को यहां लेकर आ रही है।
उसके शरीर का पोर पोर मुस्कुराने, लहलहाने लगा।
वह अपनी खुशी अपने आप में समेट के रख नहीं पाया और उसे अपने जिगरी दोस्त मोंटी के साथ बांटने चल पड़ा।

मोंटी का कद बंटू के मुकाबले अधिक यानी करीब 5′ 9″ था।
वह नियमित रूप से जिम जाता था इसलिए उसका बदन भी कुछ गठीला था।
उसका सीना चौड़ा और कमर पतली थी, कुल मिलाकर उसकी फिल्मी हीरो जैसी पर्सनैलिटी थी।

जब वह उसके घर पहुंचा तो सामने मोंटी की मां सिमरन मिली।
क्योंकि उसकी मां पंजाबन थी इसलिए गोरी चिट्टी, साढ़े पांच फिट का कद, गदराया हुआ बदन, 38 से 40 इंच के उरोज और 38 इंच के भरे भरे, मांसल, ठोस चूतड़।

सिमरन आंटी को वह ख्यालों में कई बार अच्छी तरह से बजा चुका था।
कुदरत ने मनुष्य को कल्पना करने की जो शक्ति प्रदान की है, उसका दुरुपयोग करते हुए कई बार मनुष्य, वह भी कर डालता है जो असंभव है।

शीघ्रपतन का मरीज भी किसी औरत को घंटों चोदने की कल्पना कर सकता है और यह भी कि एक के बाद एक उसने कई औरतें चोद के झड़ा डाली।
उनकी चूतें उसके लंड की रगड़ खा खा के सूज गई हैं।

सिमरन ने, जैसा कि पंजाबी महिलाएं सामान्यतः करती हैं, बंटू को ‘आजा मेरे पुत्तर’ कहकर गले से लगा लिया।
बंटू का चेहरा मोंटी की मां के दो मखमली तकियों जैसे बूब्स की कोमलता से खिल उठा।

मोंटी की मां ने उसे केवल गले से ही नहीं लगाया बल्कि उसके दोनों गालों को चूम भी लिया।

बंटू ने भी सोचा अब शराफत गई मां चुदाने … आज तो आंटी के दोनों बोबे दबा ही देता हूं, अधिक से अधिक डांट ही तो पड़ेगी.
मैं अपनी सफाई में कह दूंगा कि मैंने जानबूझकर हाथ नहीं लगाया।

यह सोच कर उसने आंटी के आगोश से निकलने की कोशिश करते हुए अपने दोनों हाथों से, उसकी निप्पलों को सहलाते दोनों स्तनों को दबा दिया।

उसकी आशंका के विपरीत मोंटी की मम्मी खिलखिलाकर हंस पड़ी, बंटू के कान उमेठते हुए बोली- नॉटी कहीं के!
फिर जैसे खुद ही उसकी इस दुस्साहसी हरकत की विवेचना करते हुए बोली- बंटू बेटा, तेरी गलती नहीं है, यह उम्र ही ऐसी है जब भूख से अधिक खाने की इच्छा होती है।

बंटू की हिम्मत और बढ़ी उसने भोलेपन का अभिनय करते हुए कहा- क्या हुआ आंटी? मैं कुछ समझा नहीं।
आंटी ने कहा- ठहर, मैं तुझे सब कुछ अच्छी तरह से समझाती हूं।

यह कह कर आंटी ने बंटू के दोनों हाथों को पकड़कर अपने उन्नत उरोजों पर रख लिया और बोली- इन्हीं को छूने की कोशिश की थी न तूने? ले अच्छे तरीके से इन्हें दबाने का मजा ले ले कमीने!

बंटू को फिर लगा कि उसके पास अवश्य मनोकामना पूरी करने की कोई दिव्य शक्ति है और वह बेशर्मी के साथ ‘मेरी प्यारी सिमरन आंटी’ कहते हुए उसके दोनों मुलायम स्तनों की मांसलता का मजा, दोनों हाथों से दबा दबा कर लेने लगा।

उसके बाद जब बंटू ने सिमरन आंटी के होठों को चूमने की कोशिश की तो आंटी ने उसे परे धकेलते हुए कहा- हट हरामी, क्या एक ही दिन में सारा खजाना लूटेगा??
लेकिन बंटू कहीं घबरा न जाए इसलिए उसे दूर करने के बाद आंटी हंस पड़ी।

बंटू की तो जैसे जान में जान आई, वह अपनी झेंप मिटाते हुए बोला- अच्छा आंटी, अब मैं जा रहा हूं, मोंटी आये तो उसे मेरे यहां भेज देना!
और वह अपने खड़े हो चुके लौड़े को संभालते हुए घर की ओर चल दिया।

घर पहुंचकर सीधा बाथरूम में घुसा, जहां उसने ‘हाय सिमरन आंटी, हाय मेरी सिमरन’ करते हुए अपने तन्नाये हुए लौड़े को खूब रगड़ा और वीर्य स्खलन की बहुत तेज धार के साथ तनाव मुक्त होकर बाथरूम से बाहर निकला।

उसे लगा जैसे आज उसने वासना भरी, उन्मुक्त जवानी की ओर पहला कदम बढ़ा दिया।

अभी तक तो सब कुछ ख्यालों में ही चल रहा था, वास्तविकता में तो वह किसी लड़की या औरत के स्तनों को छूने के लिए तरस रहा था।

कभी कभी जाने अनजाने में हल्का सा उंगली का स्पर्श भी यदि किसी के बूब्स से हो जाता तो एक मीठी सी गुदगुदी मन में हो जाती थी और आज उसने एक भरपूर जवान औरत की सहमति से, उसके मम्मों को न केवल छुआ था बल्कि अच्छे से दबा दबा कर उफनी हुई वासना का स्वाद भी चखा था।

वह पहले भी कई बार मुट्ठ मार चुका था लेकिन आज मुट्ठ मारने में उसे सबसे अधिक आनन्द मिला था।

जब उसका जोश ठंडा हुआ, वह सिमरन आंटी के व्यवहार के बारे में सोचने लगा कि आखिर सिमरन आंटी ने निर्लज्ज होते हुए कैसे उसे अपने स्तनों के साथ खेलने दिया? जैसे कि मेरे साथ बिग बूब्ज़ वाली आंटी का कोई पुराना याराना हो!

वह कुछ समझ नहीं पाया तो उसने अपने कामुक विचारों का केंद्र अब पम्मी को बना लिया।
पम्मी उम्र में उसके बराबर सी थी।
बंटू उसके साथ वासना के नए खेल खेलने के बारे में भूमिका बनाने लगा।

जैसे ही पम्मी घर पर आई तो उसने अंजू बुआ कह के बंटू की मम्मी को नमस्ते की।
उसके बाद वह बंटू की ओर बढ़ी.
बंटू ने उसे गर्मजोशी से गले लगा लिया।

इस बार वह अपनी बहन को नहीं, उसकी काम पिपासा को शांत करने के लिए एक वरदान की तरह आई किसी कमसिन लड़की को गले लगा रहा था।

उसने पूरी कोशिश की कि उसकी नर्म मुलायम छाती उसके सीने में गड़ के गुदगुदी पैदा कर सके।
पीछे से उसके मुलायम चूतड़ों पर हाथ फेरना भी वह नहीं भूला।

पम्मी ने भी उसकी हरकतों पर ध्यान दिया लेकिन वह आते ही कोई बखेड़ा खड़ा करना नहीं चाहती थी इसलिए वह चुप रही।

सिमरन के विपरीत पम्मी की देह अभी पूरी तरह भरी नहीं थी।
उसका पांच फीट 2 इंच का कद, 28 इंच के बूब्स, 24 इंच की कमर और 28 इंच के चूतड़ थे।
रंग पम्मी का भी सिमरन जैसा गुलाबी था।

बंटू को अपने भाग्य पर गर्व होने लगा क्योंकि कुदरत ने उसकी चुदाई की इच्छापूर्ति के लिए दो बिल्कुल अलग अलग किंतु आकर्षक सैक्सी बदन उपलब्ध करा दिए थे।
उसे इनके साथ मस्ती मारने के लिए बहुत फूंक फूंक के पांव रखना थे।

जब मोंटी अपने घर पहुंचा तो उसकी मम्मी ने उसे कहा- पुत्तर, बंटू आया था, उसने तुझे अपने यहां बुलाया है।

मोंटी तुरंत बंटू के यहां पहुंचा.
तो देखता क्या है कि बंटू अपनी अधखिली कली जैसी बहन पम्मी के साथ बैठा हंसी मजाक कर रहा है।

मोंटी उसे पहले से जानता था लेकिन इस बार यह करीब दो वर्ष बाद आई थी।
उसके कचौरी जैसे बूब्स ने मोंटी को आकर्षित किया और उसके लंड में सरसराहट होने लगी.
आखिर वह भी तो 19 वर्ष से ऊपर का किशोर युवक था।

वह भी अभी तक तो बंटू की तरह ही मुट्ठ मार के, अपनी वासना को शांत कर रहा था. हालांकि बंटू के मुकाबले उसे लड़कियों और जवान औरतों के बूब्स जानबूझकर दबाने के बहुत अवसर मिले थे।

उसे लगा कि काश इसके खिलते यौवन को बाहों में भरने का अवसर मिल जाए।
लेकिन इसके लिए उसे बंटू को पटाना पड़ेगा।

उसने बंटू का हाथ पकड़ के उसे उठाया और कसके गले से लगा लिया और पम्मी को हैलो बोला।

मोंटी एक स्मार्ट और बंटू से अधिक हृष्ट पुष्ट लड़का तो था ही, पम्मी को भी वह बहुत हैंडसम, हॉट, स्मार्ट लगा।

पम्मी ने कहा- क्या यार मोंटी, भाई को तो इतना जोर से गले लगाया और मेरे को खाली हैलो?

बंटू हैरत से पम्मी को देख रहा था जिस तरह वह फ्रैंक होकर मोंटी से बात कर रही थी।

इधर मोंटी ने सोचा ‘अरे यार यह तो बहुत बड़ी चूक हो गई। यहां तो मेरा सोचा हुआ सच होने जा रहा है, काश, मैं इसको बाहों में कसने के बजाय इसको चोदने की सोचता तो शायद उसकी यह इच्छा भी पूरी हो जाती।’

मोंटी ने कहा- क्यों नहीं पम्मी, तेरे को गले लगाने के लिए तो यार मैं तरस रहा हूं!
और उसे कस के अपनी बाहों में जकड़ लिया लेकिन बंटू जैसी कोई हरकत उसने नहीं की।

क्योंकि अभी उसे कुछ पता नहीं था कि पम्मी कितने दिन रुकेगी और उसे कहां तक पहुंचने का अवसर मिल सकता है. कहीं पहली मुलाकात ही भारी न पड़ जाए … यह सोचकर उसने पम्मी को अपने बाहुपाश से मुक्त कर दिया।

उसके बाद मोंटी ने बंटू से पूछा- मुझे क्यों बुलवाया था?
तो बंटू ने आंख मारते हुए जवाब दिया- अरे! पम्मी से गले मिलने के बाद पूछ रहा है कि मैंने तुझे क्यों बुलवाया था?
मोंटी मुस्कुरा कर रह गया.

बिंदास पम्मी दोनों दोस्तों के बीच में बैठ गई।

बंटू और मोंटी पम्मी के कुंवारे, मादक बदन से उठ रही खुशबू से मदहोश हो रहे थे और किसी न किसी बहाने बार-बार उसके हाथों को थाम रहे थे और उसकी जांघों पर थपकी लगा रहे थे।
मोंटी और बंटू एक दूसरे की हरकतों से उनके मन में छुपी हुई कामुक हसरतों को समझ रहे थे।

बंटू मन ही मन मोंटी से ईर्ष्या कर रहा था।
उसे पम्मी को मोंटी से मिलवाने की अपनी गलती पर पछतावा हो रहा था, वह किसी भी सूरत में पम्मी को मोंटी से बांटना नहीं चाहता था।

पर बंटू यह सोचकर चुप था कि अभी मैं मोंटी की मां के मम्मे सहला कर, दबा कर आया हूं इसलिए यदि मोंटी की मां चोदनी है तो इसे भी थोड़ा बहुत आनन्द ले लेने देते हैं।

मोंटी बंटू की हरकतों को देखकर आश्वस्त हो रहा था कि यदि बंटू पम्मी की चुदाई करेगा तो वह उसे अपना राजदार और चुदाई पार्टनर अवश्य बनाएगा और उसे भी पम्मी के साथ में चुदाई के मजे लेने देगा।

इसलिए मोंटी को लगा कि यदि पम्मी की चूत चोदने को मिली तो दोनों के लिए यह पहली बार किसी चूत की चुदाई के विलक्षण आनन्द की प्राप्ति होगी।

जब तक पम्मी बंटू और मोंटी के बीच बैठी रही, दोनों की हसरतें रंगीन होती रहीं और जांघों के जोड़ पर तनाव उठता रहा।

कुछ देर में अंजू बुआ पम्मी के लिए नाश्ता और चाय लेकर आई, तब जा कर बंटू और मोंटी दोनों के विचारों में से पम्मी का शरीर बाहर हुआ और उनका ध्यान प्लेट में सजे हुए नाश्तों की ओर गया.
तीनों उस पर टूट पड़े।

उसके बाद मोंटी अपने घर चला गया।

शाम को बंटू के पापा ऑफिस से आए तो पम्मी ने उनको भी प्रणाम किया.
बंटू के पापा ने भी पम्मी के पीठ पर हाथ फेर कर स्पर्श सुख प्राप्त कर लिया।

मर्द शायद अपनी सगी बेटी, सगी बहन और सगी मां के साथ ही पवित्र विचार रख पाता है. उनके अलावा जितने भी रिश्ते होते हैं कहीं ना कहीं उनके साथ वह अपने वासनात्मक विचारों को रोक नहीं पाता।

शाम को पम्मी के आने के कारण विशेष व्यंजन बने थे, सब ने खाने का आनन्द उठाया।

उसके बाद अंजू ने बंटू से कहा- बेटा पम्मी को अपने कमरे में ले जाओ।

बंटू को तो जैसे मुंह मांगी मुराद मिल गई।

अब बंटू प्रतीक्षा करता रहा कि मम्मी के कमरे से हमेशा की तरह सिसकारियां या चुदाई के आवेश में बोले जाने वाले कुछ शब्द आज भी सुनाई देंगे।

उसने सोचा कि यदि वे सब आवाजें और उत्तेजक शब्द यदि पम्मी ने भी सुने तो वह भी गर्म हो जाएगी फिर उसकी प्रतिक्रिया देखने लायक होगी.
हो सकता है वह स्वयं चुदाई करवाने के लिए मुझ पर टूट पड़े।

लेकिन उसकी उम्मीदों पर पानी फिर गया.
आज मम्मी के कमरे से कोई आवाज नहीं आई।

बंटू का लंड बीच-बीच में हरकत में आता रहा, सांसें हल्की हल्की गर्म होती रही और जब कोई संभावना नहीं दिखी तो सुस्त भी होता रहा।

उधर पम्मी भी समझ रही थी कि एकांत पाकर उसका भाई कुछ ना कुछ रोमांटिक बातें या कोई छेड़छाड़ अवश्य करेगा।

पम्मी और बंटू दोनों सामान्य बातें करते हुए एक दूसरे की ओर से किसी पहल का इंतजार करते रहे।

आज पहला दिन था और सुबह बंटू, पम्मी के कूल्हों को सहला कर उसे संकेत तो भेज ही चुका था इसलिए बंटू किसी तरह की जल्दबाजी या खतरा मोल लेने के पक्ष में नहीं था।
उसे डर था कि कहीं कहानी शुरू होने के पहले ही समाप्त न हो जाए।

पम्मी तो पहल करने में संकोच कर रही थी, जब बंटू की तरफ से कोई शुरुआत नहीं हुई तो उसने सोचा कि सुबह बंटू ने जो उसके कूल्हों को सहलाया था, वह कहीं उसकी गलतफहमी तो नहीं थी?
ऐसे ही सोचते, बात करते, पता नहीं कब दोनों गहरी नींद में सो गए।

सुबह मेन गेट का दरवाजा खुलने की चर्र चर्र की कर्कश आवाज़ से बंटू की नींद खुली.
उसको मम्मी की आवाज सुनाई दी, जो उसके पापा को निर्देश दे रही थी- देखो 10 किलोमीटर का चक्कर लगाना है. तुम्हारी डायबिटीज के लिए अच्छा रहेगा. और 10 किलोमीटर में तुम को कम से कम 2 घंटे लगते हैं इसलिए जल्दी आकर यह मत कहना कि 10 किलोमीटर हो गए हैं।

बंटू के पापा ने जवाब दिया- नहीं यार, पूरे 10 किलोमीटर का चक्कर लगाकर ही आऊंगा, तू सो आराम से!

उसके बाद गेट बंद होने की आवाज आई, बंटू भी फिर से सोने की कोशिश करने लगा।

अभी 10 मिनट भी नहीं हुए थे कि फिर से गेट खुलने की आवाज आई।
बंटू को लगा उसके पापा 10 किलोमीटर के बदल 100 मीटर का चक्कर लगाकर ही वापस आ गए, लगता है।

उसके बाद कमरे में मम्मी की आवाज सुनाई दी- आओ मेरे राजा, मैं बेताबी से तुम्हारा इंतजार कर रही थी।

बंटू को आश्चर्य हुआ कि पापा बिना 10 किलोमीटर का चक्कर लगाए इतनी जल्दी वापस आ गए. फिर भी मम्मी, आज पापा पर बजाए गुस्सा होने के इतने प्रेम से कैसे बात कर रही है?
अब बंटू को जानने की जिज्ञासा हुई कि यह माज़रा क्या है?

उसने बिस्तर से उठ कर मम्मी के कमरे की ओर कान लगाए.
उसे लगा कि जैसे उसके पापा कपड़े उतार रहे हैं।
उसने सोचा शायद कपड़े बदल रहे होंगे।

थोड़ी देर में उसे मम्मी की आवाज सुनाई दी- हाय राम कितना बड़ा है?
बंटू अचंभित था … क्योंकि एक बार तो उसने सुना था जब मम्मी, पापा को लंड के छोटे होने का ताना मार रही थी।

जवाब सुनाई दिया- सात इंच है, सात इंच!

बंटू की समझ में कुछ नहीं आया कि यह चल क्या रहा है?
तब उसके बाद चूम्माचाटी और तेज़ सांसों की आवाज़ें आने लगी।

उसके बाद मम्मी की सिसकारियों के साथ यह आवाज आई- मेरे राजा… मेरे सरताज … बहुत मजा आ रहा है, चूसो ज़ोर से चूसो, इनको दबा दबा के ज़ोर से चूसो न मेरे मालिक, मेरे राजा!

बंटू अपनी मम्मी के उमड़ते लाड़ प्यार से हैरान था, आखिर आज मम्मी को हो क्या रहा है?
फिर आवाज सुनाई दी ‘एक निप्पल को चूसो और दूसरी को मसलो।’

“हां, राजा ऐसे ही, बहुत बढ़िया। अब इस वाली को चूसो और उसको मसलो।” मम्मी के मुंह से बार-बार आनन्द भरी सिसकारी निकल रही थी।

कुछ ही देर में मम्मी की आवाज आई- मेरे राजा, मेरे मम्मे इतने अच्छे तरीके से चूस के तुमने मुझे अच्छे से तपा दिया है अब ज़रा मेरी चूत पर भी अपना हुनर दिखाओ।

मेरे रसिक पाठको, मुझे उम्मीद है कि मेरी कहानी ने आप सबका को गर्म करना शुरु कर दिया होगा?
अब आगे क्या हुआ यह जानने के लिए कल फिर से पढ़िए कहानी का अगला भाग।
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