मारवाड़ी भाभी की वासना -1

(Marwadi Bhabhi Ki Vasna-1)

दोस्तो, मेरा नाम प्रणय है, मैं मुंबई रहता हूँ। मुझे मारवाड़ी लड़की और भाभी बहुत पसंद हैं.. वो बहुत चिकनी होती हैं और गोरी भी बहुत होती हैं। उनके कपड़े पहनने का अंदाज़ बहुत सेक्सी होता है।
अब मैं अपनी सच्ची कहानी बताने जा रहा हूँ। यह मेरी पहली कहानी है, उम्मीद है आप सबको पसंद आएगी।

मैं उस वक्त 19 साल का था और मेरे जो गणित के मास्टर साहब थे.. वे ही मेरे क्लास टीचर भी थे.. और वो मारवाड़ी थे। मैं उनके घर पर गणित की क्लास पढ़ने जाता था। उनकी उमर करीब 35 साल की थी.. वो अपनी बीवी के साथ रहते थे।
उनका एक लड़का था.. जो कि हॉस्टल में रह कर पढ़ाई कर रहा था, उसे हममें से किसी ने देखा नहीं था।

उनकी बीवी की उमर शायद 28-30 की होगी.. लेकिन वो अपनी उमर से काफ़ी छोटी दिखती थी। उसका फिगर 34-26-36 का है।
जब भी मैं उनके घर जाता था.. तो वो मेरा बहुत ख्याल रखती थी।

मेरे दिल में भी उनके लिए बहुत इज़्ज़त थी.. लेकिन एक दिन मैंने उन्हें नहाने के बाद सिर्फ़ पेटीकोट में देखा.. जो कि उनकी चूचियों पर बँधा हुआ था।
उनके गोरे पैर और पिंडलियाँ खुली थीं.. हाय.. कितने गोरे और गदराए पैर थे।
मैं उनकी चूचियाँ को देखता ही रह गया, उन्होंने मुझे घूर कर देखते हुए देखा और थोड़ा सा मुस्कुराईं और अन्दर चली गईं।

मेरा मन अब पढ़ाई में नहीं लग रहा था। मेरा लंड कड़क होने लगा.. किसी तरह मैं उसे दबा रहा था।
सर ने पूछा- क्या हुआ..? पेशाब लगी क्या?
मैंने डरते हुए कहा- हाँ..
उन्होंने अपनी बीवी से कहा- इसे बाथरूम दिखा दो..

वो तब तक साड़ी पहन चुकी थी.. मारवाड़ी स्टाइल में.. यानि पेटीकोट में लपेट कर.. बाकी आँचल था। उनकी चूचियाँ बड़े गले की चोली में से आधी से ज़्यादा दिख रही थीं।
यह देख कर मेरा लंड और कड़क हो गया और मेरे 7.5 इंच के मोटे लंड को संभालना मुश्किल हो गया।
मैं किताबें रखकर जैसे ही खड़ा हुआ.. मेरे लंड ने पजामे में टेंट बना दिया।

मेरा यह हाल उसने भी देखा और वो बड़ी अदा से मुस्कुराई.. उसने मुझसे कहा- जल्दी आओ.. इधर है बाथरूम..
मैं अन्दर गया.. लेकिन जल्दी में दरवाजा बंद नहीं किया।

लंड को बाहर निकाला.. थोड़ा सा पेशाब किया.. लेकिन लंड ठंडा ही नहीं हो रहा था.. सो मैं मुठ्ठ मारने लगा। दो मिनट में ही उसने ज़ोर की पिचकारी मारी.. जो सामने दीवाल पर गई। मैंने उसको अच्छे से धोया और लंड को पैन्ट के अन्दर किया।

जैसे ही मैं पीछे घूमा.. मैंने देखा दीवार के किनारे सर की बीवी खड़ी है। इसका मतलब उसने मुझे मुठ्ठ मारते हुए देखा था.. क्योंकि वहाँ से मेरा लंड पूरा दिखता था।

मैं सिर नीचा करके बाहर निकल आया तब उसने धीरे से कहा- बहुत मोटा और लंबा है..
यह कहकर वो जल्दी से चली गई.. मैं मुँह बाये उसे देखता ही रह गया।

वैसे मुझे वो अच्छी लगती थी और वो भी मुझे पसंद करती थी.. लेकिन उनके साथ सेक्स के लिए मैंने कभी भी सोचा नहीं था।

मेरे सर गणित में एक्सपर्ट थे और उनसे पढ़ने के लिए बहुत लड़के क्लास लगवाना चाहते थे। लेकिन उन्होंने सिर्फ़ मुझे ही चुना था क्योंकि क्लास लगाना उन्हें पसंद नहीं था। वो हमेशा गणित के प्राब्लम और थियोरम ही किया करते थे।

उनकी बीवी को सर का यूँ व्यस्त रहना पसंद नहीं था.. उन्हें अच्छी चुदाई की चाहत थी और वो किसी को ढूँढ रही थी। जबकि सर को लगता था कि अब सेक्स की कोई ज़रूरत नहीं है।

ये बातें मुझे तब पता चलीं.. जब मैं उनकी बीवी के संपर्क में आया और उनकी डायरी पढ़ी। मैंने ये डायरी उनके कपबोर्ड से निकाल कर पढ़ी थी। उस डायरी में मेरे बारे में भी लिखा था।

‘प्रणय एक कमसिन लड़का है और बहुत ही गरम लड़का है.. जो भी लड़की उससे चुदवाएगी.. उसकी किस्मत खुल जाएगी.. जिस लड़की को प्रणय का लंड खाने को मिलेगा.. वो बहुत ही नसीब वाली होगी। अगर मुझे मौका मिले.. तो मैं इस लड़के से एक बार ज़रूर चुदवा लूँगी और अपनी चूत की प्यास बुझवा लूँगी।’

उसकी डायरी की ये लाइनें मेरे दिमाग़ में घूम रही थी, वो मुझसे चुदवाना चाहती थी लेकिन अपने पति से डरती थी और फिर उस दिन के बाद मेरी नज़र भी बदल गई, अब तो वो मुझे बहुत सेक्सी लगने लगी थी।
उसकी उफनती हुई जवानी को याद करके मैं अब रोज ही मुठ्ठ मारता था। मैंने भी सोचा इसे एक मौका दिया जाए.. लेकिन कैसे?

एक दिन मैंने उन्हें मोबाइल फोन पर कॉल किया और कहा- आज मैं 4 बजे आने वाला हूँ.. ये बात आप सर को बता दीजिए।

मुझे मालूम था कि वो 4 बजे लाइब्रेरी जाते हैं और रात के 10 बजे वापिस आते हैं।

मैंने ये बात जानबूझ कर उसके सेल फोन पर कहा था। ये मेरी तरफ से इशारा था.. क्योंकि इसके पहले मैंने उसका सेल पर कभी कोई मैसेज या कॉल नहीं किया था।
जब से उसने मेरा लंड देख लिया था.. तब से मैंने उसकी आँखों में भी एक तड़प देखी थी।

मैं उनके घर ठीक 4.30 पर पहुँचा। उसने दरवाजा खोला.. मैंने देखा आज उसने एक पारदर्शक साड़ी पहनी हुई थी और बहुत ही चुस्त और खुले गले का ब्लाउज.. जिसमें से उसकी चूचियाँ मानो ब्लाउज फाड़ कर बाहर निकलने को बेताब थीं। ब्लाउज बहुत ही छोटा था और लहंगा नाभि के बहुत नीचे बँधा था। जिससे आज उसका गोरा पेट और पतली कमर साफ दिख रहे थे।

उसका गोरा पेट और चिकनी कमर देख कर मेरा लंड हरकत में आ गया, उसने मुझे बैठने को कहा और पानी लाने अन्दर गई।
पानी देते हुए वो इस तरह झुकी कि उसकी मदमस्त चूचियां मेरे सामने आ गईं।
उफ्फ.. वो घाटी… रसदार चूचियाँ देख कर मेरे मुँह में पानी आ गया।

वो सोफे पर मेरे करीब ही किनारे पर बैठ गई.. मैंने उन्हें हिचकिचाते हुए पूछा- सर कहाँ है..? क्या आपने मेरे आने के बारे में सर को बताया है.. या वो भूल गई?
उसने कहा- मैंने सर को कुछ नहीं कहा..
मैंने पूछा- क्यों?
उसने कहा- आज तुमको मैं मुझे पढ़ाऊँगी।
ये कहते हुए वो अपने रसीले होंठों को दाँत से दबा रही थी और कोने में काट रही थी।

मैंने तब कहा- आप मज़ाक कर रही हैं।
उसने कहा-नहीं.. मैं सीरियसली कह रही हूँ।
तब मैंने कहा- आप कौन सा थियोरम सिखाएँगी?
उसने कहा- मैं सीरीयस हूँ.. लेकिन तुम्हें गणित नहीं पढ़ाऊँगी..

ये बात उसने बड़े नटखट अंदाज़ में कही थी।

मैंने पूछा- फिर क्या पढ़ाएंगी?
वो चुप रही और मेरे करीब आ गई और उसने मेरा हाथ पकड़ लिया, कहा- आज तुम मेरे मेहमान हो.. आज मैं तुम्हारी परीक्षा लेने वाली हूँ।
मैंने कहा- कैसी परीक्षा?
उसने कहा- बुद्धू मत बनो.. मैं सब जानती हूँ.. तुम मुझ पर फिदा हो..

दोस्तो, मारवाड़ी मास्टरनी की काम वासना ने मुझे किस हद तक कामोत्तेजना से भर दिया था इस सबका पूरा विवरण आगे के भाग में लिखूँगा तब तक आप अपने आइटम के साथ मजे लें और हाँ मुझे अपने विचार भेजना न भूलें।
कहानी जारी है।
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