संगीत शिक्षक से चुदवाया-2

(Sangeet Shikshak Se Chudwaya -2)

सबसे पहले गुरुजी को मेरी तरफ से बहुत बहुत धन्यवाद, जिन्होंने मेरी चुदाई सबके सामने रखी। उसके बाद सभी पाठकों को भी मेरी तरफ से प्रणाम !
मुझे बहुत प्यार मिला।

जैसे कि मैंने बताया था कि किस तरह से मैंने अपने संगीत के शिक्षक से म्यूज़िक हॉल में चुदाई का मज़ा लिया था और उसके बाद किस तरह हम दोनों को रंगरलियां मनाते हुए कॉलेज के ही पी.टी सर ने देख लिया।

मैं उनके सामने नंगी खड़ी थी और संगीत वाले सर वहाँ से चले गये मानो यह सब पहले से ही तय की हुई योजना थी।
मैंने जैसे ही अपने कपड़े उठाने की कोशिश की, सर बोले- रहने दो ना ! मुझे मज़ा नहीं लेने दोगी?
मैं बोली- सर, मुझे जाने दो !

वो बोले- चली जाना जान ! लेकिन मेरे खड़े लंड का क्या करूं? एक बार देखो ! इस लंड की तरफ देखो तो !
मैंने उनके लंड को देखा- करीब 9 इंच लंबा लंड देख मेरी चूत में कुछ होने लगा। मैं उसी पल घुटनों के बल बैठ गई और उनके लंड को सहलाने लगी।
हाय सर कितना मोटा है आपका !
देखा ना रानी ! बहुत मज़ा देगा तुझे यह लंड !
मैंने लंड को मुँह में भर लिया और लॉलिपोप की तरह उसको चूसने लगी।

सर उत्तेजना में बोलने लगे- वाह… मेरी रानी वाह ! तेरे बारे में लड़कों से जो सुना है वो सच में सही है ! चूस मेरी रानी चूस ! अपने सर का मोटा लंड चूस ‘
ओह सर ! बड़ा मस्त लंड है आपका ! स्वादिष्ट भी बहुत है ! मैंने जवाब में कहा।

हा हा… हँसते हुए सर बोले,’बिल्लो ! तेरे लिए ही बना है सही में बहुत बड़ी गश्ती है तू इस कॉलेज की, कितनों से मरवाई है तूने?’
अपने हर आशिक़ से मैंने चूत मरवाई है सर ! मैं बोली। हाय… सर 69 के पोज़ में आओ ना ! साथ साथ मेरा दाना चाटो प्लीज़ !
अभी ले रांड ! तुझ पर तो मेरी जान कुर्बान।

सर ने जैसे ही अपनी ज़ुबान मेरी चूत पर लगाई मैं मस्ती से चूर चूर हो गई और बड़बड़ाने लगी,’ चाटो मेरी और चोद दो मुझे सर… ठोक डालो मेरी प्यारी सी गुलाबी चूत को ! आओ सर अब डाल दो इसमें ! और रुका नहीं जाता सर, पेल दो मुझे, फाड़ डालो मेरी आज …। मुझे रांड की तरह इस्तेमाल करो।

सर कहने लगे- रंडी बहुत कमीनी है तू … बहुत मज़े देती है तू लड़कों को ।
हां सर ! बहुत मज़ा आता है चुदाई करवा कर !

सर ने बीच में आते हुए लंड को मेरी चूत पर रख दिया और मैंने अपने हाथ से उसको चूत पर लगाते हुए सर को झटका मारने को बोल दिया। उनके पहले झटके में ही आधा लंड मेरी चूत में घुस गया, थोड़ी तक़लीफ़ हुई लेकिन बाद में ठीक हो गई।
फिर 2-3 झटकों से सर ने पूरा अंदर घुसा दिया और अब वो तेज़-तेज़ झटके मरने लगे और मैं नीचे से चूतड़ उठा उठा कर चुदाई करवाने लगी। सर का जोश बढ़ाने के लिए मैं गालियां देते हुए बोलने लगी,’चोद कमीने ! मादर चोद मेरी फाड़ दे ! आज अपने इस मोटे लंड से मेरी प्यास बुझा दो मेरे राजा…।’
अचानक उसने निकाल दिया और बोले- चल घोड़ी बन जा जल्दी से !

मैं झट से घोड़ी बन गई और सर ने पीछे से अपना लंड पेल दिया और तेज़ झटके देने चालू कर दिए। नीचे से मेरे चुचक को चुटकी में लेकर मसलने लगे।
मैं सीत्कार कर उठी… और तेज़ सर ! और तेज़ ! मैं गई सर ! मैं गई ! और तेज़ झटके दो राजा ! मुझे खुश कर दो।

थोड़ी देर बाद उसने मुझे जल्दी से फिर सीधा लिटाया, चढ़ गया मेरे पे और डाल दिया अपना लंड ! और तेज़ झटके मारता हुआ मेरे साथ ही अपना पानी छोड़ने लगा । उसके गर्मा-गर्म पानी से मैं संतुष्ट हो गई और बहुत मज़ा भी आया उसके बाद कुछ देर हम नंगे ही एक दूसरे से चिपके रहे, चूमा चाटी करते रहे।
सर मेरे होंठों को चूसते हुए बोले- अब किस दिन मरवाने आएगी?
जब आप कहो सर !
ठीक है !
और दो दिन बाद ही सर ने मुझे संगीत शिक्षक के घर बुला लिया और बोले- आज तुझे दोनों तरफ से ठंडी करेंगे एक नया पोज़ से…
दोस्तो, उसके बारे में ज़रूर लिखूँगी लेकिन अगली कड़ी में
जिसे लेकर जल्द हाज़िर हूँगी
तब तक के लिए बाय…
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0909

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