मेरा गुप्त जीवन -67

(Mera Gupt Jeewan-67 Bhaiya Bhabhi Aur Sabka Group Sex)

भाभी भैया और सब का ग्रुप सेक्स

फिर हम सब काफी थक चुके थे सो वो हम सब फर्श पर गद्दे बिछा कर एक दूसरे की बाँहों में सो गए।
अगले दिन हम सब उठे और रात की ग्रुप चुदाई से सभी काफी खुश थे, सबके दिलों के अरमान पूरे हो चुके थे।
कम्मो ने हम सबको मेरे कमरे में ही चाय-वाय पिलाई।

भैया भाभी को चूम रहे थे और भाभी मेरे लौड़े से अठखेलियाँ कर रही थी और मैं भी उनके मोटे और मुलायम चूतड़ों के साथ खेल रहा था।
फिर हम सब चाय पीने के बाद उठे और भाभी और भैया अपने कमरे में नंगे ही चले गए।

मैं भी नाश्ता करने के बाद कॉलेज भाग गया।

दोपहर जब कॉलेज से वापस आया तो पता चला कि भैया और भाभी खाना खाने के बाद अपने कमरे में ही हैं।
मैंने खाना खाने के बाद सोचा कि चलो देखें भैया भाभी सच्ची में सो रहे हैं या फिर वो मस्ती कर रहे हैं।

दरवाज़ा थोड़ा भिड़ा हुआ था, मैंने चुपके से झाँक कर देखा, भैया और भाभी नंगे ही एक दूसरे की बाहों में सो रहे थे।
मैं भी वापस आ गया और अपने कमरे में आराम करने लगा।

तभी कम्मो भी आ गई और आगे का क्या प्रोग्राम यह पूछने लगी।
मैं बोला- तुम बताओ आगे क्या करना चाहिए?
कम्मो बोली- छोटे मालिक, मेरी बात आज दिन को भाभी से हुई थी, वो चाहती हैं कि तुम भाभी को गर्भवती करो क्यूंकि भाभी ने बहुत पहले भैया के वीर्य का टेस्ट करवाया था तब उसमें कीड़े बहुत ही कमज़ोर पाये गए थे और डॉकटरो का कहना था की भैया बाप नहीं बन सकते।

मैं बोला- यह बात भाभी जब मुझ से कहेगी तो मैं जैसा तुम कहोगी, वैसा ही करूँगा लेकिन बगैर भाभी की मर्ज़ी के उनके साथ कुछ नहीं करूंगा सिवाए चुदाई के।
कम्मो बोली- ठीक है, मैं भाभी को कह देती हूँ, आगे भाभी जैसे ठीक समझे वो करे। वैसे आज भैया के साथ क्या प्रोग्राम रखेंगे हम?

मैं बोला- तुम बताओ कम्मो रानी, तुम इस खेल की डायरेक्टर हो?
कम्मो हँसते हुए बोली- ऐसा करते हैं, आज पारो को भी हमारे ग्रुप में शामिल कर लेते हैं अगर भाभी राज़ी हो तो? पारो को भी एक बार उनसे चुदवा देंगे तो उनका कॉन्फिडेंस शायद और भी बढ़ जाए।
मैं बोला- ठीक कह रही हो, कम्मो चूत की खिलाड़िन, कम्मो चूत की महराजिन और कम्मो चूत की डॉक्टर, ट्रेनर और चूत कंट्रोलर यह सब कुछ है तुम में!
कम्मो बोली- बस बस छोटे मालिक, बहुत तारीफ हो गई मेरी!

इतने में भाभी अपने कमरे से अपनी नाइटी पहने हुए निकली।
कम्मो ने सीधे से पूछा- भैया ने चोदा क्या?
भाभी मुस्कराते हुए बोली- हाँ दो बार चोद डाला उन्होंने।

हम सब बड़े खुश हुए लेकिन भाभी ने सिर्फ़ कम्मो की तारीफ करते हुए कहा- वाह कम्मो महारानी, तुमने जादू कर दिया। भैया मुझ को ऐसे चोद रहे हैं जैसे हमारा नया नया ब्याह हुआ है।
कम्मो भी खुश होकर बोली- चलो, यह ठीक हो गया है। अब आपकी क्या मर्ज़ी है बच्चे के बारे में?

भाभी कुछ शर्माती हुई बोली- अगर सोमू दया कर दे और मुझको अपना वीर्य दान दे दे तो मैं धन्य हो जाऊँगी।
मैं बोला- अब तो भैया भी सक्षम हैं न, वो कर देंगे आपका कल्याण क्यों?
भाभी बोली- ऐसा संभव नहीं सोमू यार, तुम ही कर सकते हो मेरी मदद, बोलो क्या कहते हो?
मैं बोला- भैया के होते यह सम्भव नहीं, जब भैया फिर टूर पर जाएंगे तो कोशिश की जा सकती है।

कम्मो बोली- छोटे सरकार ठीक कह रहे हैं, कल कोशिश कर देखते हैं। आज क्या करने का इरादा है?
भाभी बोली- तुम बताओ क्या प्रोग्राम रखें रात के लिए?

कम्मो बोली- मैं सोच रही थी आज रात को पारो अपनी कुक को भी शामिल कर लेते हैं अपने ग्रुप में। तीन औरतों से भैया को भिड़ा देते हैं। उनका कॉन्फिडेंस बहुत बढ़ जाएगा, अगर आप बुरा ना मानें तो?
भाभी बोली- बहुत अच्छा प्लान है। पारो सब जानती है ना?
कम्मो बोली- बिल्कुल, वो हमारी साथिन है, क्यों छोटे मालिक?
मैं बोला- आप निश्चंत रहें भाभी जी!
कम्मो बोली- आज हम सब के लिए स्पेशल डाइट बना रही है और आशा है कि उससे आप सबको फायदा होगा, ख़ास तौर पर मर्दों को।

भैया अपने कमरे से निकले और हमें बातें करते देख कर हमारी तरफ ही आ गये, आते ही बोले- स्पेशल डाइट? वो क्या है कम्मो रानी बताओ तो सही?
कम्मो बोली- आप खुद ही देख लेना खाने के बाद, मैं अभी सबके लिए चाय लाती हूँ आप बैठक में बैठिये।

चाय पीने के बाद भैया हम सबको अपनी कार में लखनऊ शहर घुमाने ले गए।
1954 में लखनऊ एक बहुत ही छोटा शहर था, सिवाए 2 इमामबाड़े के लखनऊ में कुछ ख़ास नहीं था देखने को!
फिर भी भैया गोमती नदी की सैर करवा आये।

घर आकर भैया ने मुझको अपने कमरे में बुलवाया और कहा- सोमू यार, तुम हमारे लिए इतना कर रहे हो, कुछ हमारा भी फ़र्ज़ बनता है, आओ कुछ ड्रिंक वैगरह कर लेते हैं।
मैंने कहा- भैया मैं कुछ नहीं पीता हूँ सिवाए कोकाकोला के, आप शुरू करो, मैं कोक पीता हूँ।
भैया बोले- यार, यह कुछ नहीं है सिर्फ बियर ही है, इसमें कुछ नशा नहीं होता।

मैं बैठ गया और भैया ने एक गिलास में अपने लिए बियर डाली और दूसरे में मेरे लिए, मैंने थोड़ी सी पी, स्वाद कुछ बकबका लगा लेकिन मैं भैया की खातिर सारी पी गया।
भैया पूरी बोतल गटक गए।

कॉलेज में दूसरे लड़के बताते थे कि बियर में कोई ख़ास नशा नहीं होता फिर भी मैंने इसकी आदत नहीं डाली थी।

फिर कम्मो ने कहा- खाना लग गया है।
हम उठ कर बैठक में चले गए।
पारो ने आज खाने में ख़ास तौर पर गुरदे कपूरे सूखे बनाये और साथ में मटन चोप्स बनाई थी जो बहुत ही टेस्टी थी और साथ में नान थे।

बाद में कम्मो ने सबके लिए स्पेशल बनाई डिश देसी अण्डों का हलवा सबको दिया, जिसको सबने बहुत पसंद किया और कहा- पहले कभी नहीं खाया ऐसा हलवा!
खाना खाकर कोक पीया सबने और फिर सब मेरे कमरे में इकट्ठे हो गए।
तब तक कम्मो और पारो भी रसोई से फ़ारिग़ होकर हम सबके साथ आकर ग्रुप में शामिल हो गई।

मैंने कम्मो को कहा- कमरे में 3-4 मोटे गद्दे बिछा दो ताकि सारी कारवाई नीचे ही की जाए।
दोनों ने झट ऐसा ही किया।
पारो को देख कर भैया ने कहा- पारो भी अच्छी खासी औरत है यार सोमू, क्या यह भी शामिल होगी आज की चोदमचोद में?
मैं बोला- लगता तो है भैया, यह भी शामिल होगी हमारे साथ..

फिर कम्मो बोली- आप दोनों मर्द यहीं बैठो, हम सब औरतें तैयार होकर आती हैं। उसके बाद आपको इनमें से सही औरत को पहचानना होगा। अगर ठीक से पहचान लिया तो उसको आप चोद सकोगे अगर नहीं पहचान पाये तो दूसरी औरत को पहचानना होगा।

थोड़ी देर बाद तीनों औरतें अजीब अजीब कपड़े पहन कर कमरे में आई।
पहले भैया की बारी थी।
जब पहली औरत उनके आमने से निकली तो वो बोले- चाल ढाल से तो तुम्हारी रश्मि भाभी लग रही है, फिर भी मेरे ख्याल में यह तो शायद पारो है।

इतना सुनते ही उस औरत ने अपना घूँघट हटा दिया और वो सच में ही पारो ही थी।
घूँघट हटाते ही उसके सारे कपड़े अपने आप से उतर गए और वो सीधे ही भैया की गोद में बैठ गई।

अब दूसरी औरत आई और मेरे सामने आ कर खड़ी हो गई थी।
मैं झट से पहचान गया कि वो भाभी हैं, मैंने ज़ोर से कहा- भाभी जी हैं यह!

और जैसे ही घूंघट हटा तो देखा वाकयी में वो भाभी ही थी। भाभी के भी सारे कपड़े अपने आप उतर गए थे और वो नंगी होकर मेरे सामने आ कर मेरी गोद में बैठ गई।
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अब रह गयी कम्मो, वो भी आई और अपने कपड़े उतार कर चुदाई को सही ढंग से चलाने का काम करने लगी।

अब जब हम दोनों मर्दों ने कपड़े उतारे तो सब यह देख कर दंग रह गए कि भैया का लंड एकदम तना हुआ था, मेरा भी वैसे ही तना हुआ था।
कम्मो ने हम दोनों को लाइन में खड़ा कर दिया और पहले पारो को आवाज़ दी कि वो पहले भैया के खड़े लंड को चूसे और उसको चाटे और उसका छुटाने की कोशिश करे।

पारो झट से आई और भैया के खड़े लंड को चूसने लगी और उधर भाभी भी नीचे बैठ कर मेरे लंड को चूसने लगी।
लेकिन न पारो, न ही भाभी हम दोनों के लंड को छुटा पाये और वो वैसे के वैसे ही तने खड़े रहे।

अब कम्मो ने आदेश किया कि दोनों औरतें घोड़ी बन जाएँ और दोनों आदमी उनको पीछे से चोदेंगे।

मैं और भैया झट से अपने काम में लग गए।
भैया ने कम्मो के इशारों के मुताबिक पहले धीरे धीरे से चुदाई की पारो की और फिर आहिस्ता से स्पीड तेज़ कर दी।
वो ध्यान से मेरे चुदाई के तरीके को देख रहे थे।
मैं तो भाभी की चूत से लंड पूरा निकाल कर फिर धीरे से सारा लंड अंदर डाल देता था, ऐसा मैंने कई बार किया।

भैया भी ठीक वैसे ही करने लगे और थोड़े टाइम में ही पहले भाभी का छूट गया और जल्दी ही पारो भी चिल्लाती हुई छूट गई।

अब कम्मो ने पारो की जगह ले ली और भैया को खूब सताने लगी।
जैसे ही भैया मेरी तरह अपने को रोक कर धक्का मारते, कम्मो अपनी चूत को तेज़ी से आगे पीछे करने लगती।
और जैसे ही कम्मो को लगता कि भैया का छूटने वाला है, वो झट से रुक जाती और भैया एक गहरी सांस लेते और उनका वीर्य बाहर आते आते रुक जाता।

यह सिलसिला भैया और कम्मो के बीच काफी देर से चलता रहा और कम्मो भी कोई 3-4 बार छूट गई थी।
इस बीच मैं भी भाभी को 3-4 बार छूटा चुका था और जब भाभी बोली ‘सोमू, अब और नहीं…’ तो मैंने उनको छोड़ा।

फिर मैं पारो को साथ शुरू हो गया। मैं पलंग पर बैठ गया और पारो को अपनी गोद में बिठा लिया और उसको चूतड़ों के नीचे हाथ रख कर पारो को आगे पीछे करने लगा।
वो इतनी गर्म हो चुकी थी लो वो 5 मिन्ट में झड़ गई और उसकी चूत से निकला दूधिया पानी मेरे हाथ पर जमा हो गया।

मैं उठा और पारो का दूधिया पानी भाभी के मम्मों पर लगा दिया और फिर उसको चूसने लगा। भाभी में अब फिर से हरकत होने लगी और मैं अब उसकी टांगों में बैठ कर लंड को चूत में पेल कर उसकी टांगों को अपने कंधे पर रख दिया और पूरी स्पीड से भाभी की चुदाई करने लगा।

यह सिलसिला अभी और चलता लेकिन भाभी, कम्मो और पारो ने अपने हाथ खड़े कर दिए और कहा- अब और नहीं।
भैया ने सब औरतों को इकट्ठा किया और एक तरफ मुझको खड़ा किया और दूसरी तरफ खुद खड़े हो गए और बीच में तीनों औरतों को खड़ा किया और सबको कहा कि एक दूसरे की बाँहों को पकड़ लें और फिर वो सबको लेकर कमरे का चक्कर लगाने लगे और ज़ोर ज़ोर से गाने लगे- हरा दिया भई सबको हरा दिया। सब चूतें हारी और यह लण्डों की जीत हुई है।

कम्मो बोली- यह सब कमाल है स्पेशल डिश का है, उसने जिताया इनको और हराया हमको।
कहानी जारी रहेगी।
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