इन्तजार एक का था, पर दो मिलीं

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प्रेषक : रवि

अन्तर्वासना के पाठकों को प्रणाम।

सभी पढ़ने वालों और वाली भाभियों और कुंवारी चूतों को मेरे खड़े लंड का सलाम।
मेरा नाम रवि है। मैं 21 साल का जवान लड़का हूँ। मैं अन्तर्वासना का 2007 से नियमित पाठक हूँ।
मैं आपको हमारे बिस्तर की हलचल को पूरी दुनिया के सामने सुनाने का प्रयास कर रहा हूँ।
यह कहानी 3 महीने पहले की है, जब मैंने अपने पड़ोस में रहने वाली रिकिता भाभी के साथ चुदाई की।

मैं भाभी को करीब 6 सालों से जानता हूँ और हसरत भरी निगाहों से देख भी रहा हूँ। वो है ही इतनी बला की खूबसूरत कि कोई भी देखता ही रह जाए।

किसी भी एंगल से नहीं लगती कि दो बच्चों की माँ लगती हैं। भाभी 30 साल की हैं, हाइट 5 फिट 3 इंच है। फिगर तो गजब का है।
देख तो मैं उनको 6 सालों से रहा था, पर चोदने का मौका 3 महीने पहले ही मिला।

मैं सिर्फ उनको उनकी खूबसूरती के लिए देखता था। पहले मैंने उनके बारे में कुछ ऐसा वैसा नहीं सोचता था। बस कभी-कभी जब झाड़ू लगाती थीं, तो उनके बड़े-बड़े खरबूजों के दर्शन हो जाया करते थे।
भाभी को उस नजर से नहीं देखने का कारण था कि भाभी मुझ से उम्र में काफी बड़ी थीं और उस समय मैं स्कूल में पढ़ता था, स्कूल का टॉपर स्टूडेंट होने के कारण काफी लड़कियों के प्रपोजल आते रहते थे। मैं इसी में खुश रहता था, पर मैंने किसी लड़की से परमानेंट दोस्ती नहीं कि स्कूल से पास-आउट होने के बाद मैंने इंजीनियरिंग कॉलेज में एडमिशन ले लिया।
आपको पता है इंजीनियरिंग कॉलेज में लड़कियाँ काफी कम होती हैं। वो भी मेरा मैकेनिकल ब्रांच था सो उधर तो और कम लड़कियां थीं, पर किसी तरह दिन बिना लड़कियों के कट रहे थे। मैं अब भी भाभी को देखता था। अब मैं और बड़ा हो गया था। अपनी जवानी के पूरे रंग में था।
एक दिन मैं अपनी छत पर टहल रहा था कि भाभी भी आ गईं। हम दोनों की छत बराबर में ही हैं। नीचे एक लड़का फ़ोन पर अपनी गर्लफ्रेंड से बात कर रहा था, पर मैंने उसे देख कर इग्नोर कर दिया।
भाभी मेरे पास आईं और कहती हैं, “देख.. उस लड़के को.. शादी होने के बाद भी गर्लफ्रेंड बना रखी है।”
मैंने देखा और कुछ नहीं कहा।
फिर पूछती हैं, “तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड है?”
मैंने मना कर दिया, पर फिर भी बोलीं- तुम जैसे लड़कों की गर्लफ्रेंड नहीं हो, हो ही नहीं सकता।
उसी समय मैं समझ गया कि भाभी के अन्दर का तूफान अभी थमा नहीं है। अब भाभी से इस मैटर पर खुल कर बात होने लगी थी। भैया के ऑफिस जाने के बाद कभी-कभी उनके साथ टीवी पर कोई मूवी देख लेता था।
एक दिन मैं उनके घर गया। गेट खुला हुआ था, मैं उनके कमरे में चला गया। अभी वो नहा कर आई थीं और कपड़े पहन रही थीं।

सलवार पहन चुकी थीं और ब्रा पहन रही थीं। अभी एक हाथ से ब्रा के फीते का हुक लगा रही थीं। उनके बड़े-बड़े खरबूजे बाहर उछल रहे थे। मैंने देखा और शरमा कर गेट बंद कर के चला गया।
मेरी नियत डोलने लग गई थी। अब उनको चोदने के बारे में सोचने लगा।

पर इस घटना के बाद शर्म से, मैंने उनसे 15 दिन तक नजरें नहीं मिलाईं।

मैं सोचने लगा कैसे चोदूँ, पर कुछ समझ में नहीं आ रहा था। अब उनसे सीधे-सीधे तो मैं उनको अपने इस ख्याल के बारे बता नहीं सकता था।

मुझे वैसे भी सब अच्छा लड़का मानते थे। अगर मेरी कोई बात उनको पसंद नहीं आई, तो मैं बदनाम हो जाऊँगा।
इसी बीच मेरे एग्जाम स्टार्ट हो गए। अब मेरे पास उनसे बात करने का समय नहीं होता था।

फिर मैंने एक प्लान बनाया। मेरा एक क्लास का दोस्त रोहन था, वो लड़कियों और भाभियों को फ़ोन करके परेशान किया करता था। मेरे से भी नम्बर मांगता था। मैंने कभी उसे किसी का नम्बर नहीं दिया था।
एक दिन मैंने उसे भाभी का नम्बर दे दिया और मैंने उसे भाभी के बारे में सब कुछ बता दिया था। मैंने उसे ये भी कह दिया था कि अगर वो पूछें कि नम्बर किसने दिया था? तो कहना कि आपकी सहेली रचना ने दिया है।

रचना भी हमारे पड़ोस में रहती है, शादी-शुदा है। भाभी ने मुझे बताया था कि ये औरत बड़ी हरामी है। अभी भी इसके बॉय-फ्रेंड हैं।
अगले दिन मैंने रोहन से रिकिता भाभी के बारे में पूछा, तो उसने कहा- रिकिता भाभी ने कल मुझे बुलाया है।
मैंने सोचा साला बड़ा तेज है, इतनी जल्दी यहाँ तक पहुँच गया। उसने रिकिता भाभी का मैसेज दिखाया, जिसमें उनके घर का पता था।

कल रिकिता भाभी ने जिस समय पर रोहन को बुलाया था, उससे मैं तीस मिनट पहले ही उधर पहुँच गया।
भाभी ने मुझसे हैरत से पूछा- तुम..!
मैं शर्मा कर बोला- मैं ही हूँ रोहन।
एक कातिल से अदा से मुझे देखा कर बोलीं- शर्माने की जरुरत नहीं है.. मुझे पता था कि वो तू ही था..। तू इधर ही रुक, मैं अभी छत पर कपड़े डाल कर आती हूँ।
इतनी देर में मैंने भाभी का ‘फोन’ लिया और रोहन के नम्बर पर मैसेज सेंड कर दिया कि मेरे हस्बैंड आ गए हैं और उसके नम्बर को ब्लैक-लिस्ट में डाल कर उससे आने वाली काल्स को रिजेक्ट पर लगा दिया।
अब भाभी के कमरे में आते ही मैंने उनका हाथ पकड़ कर खींच लिया। भाभी मुझसे लिपट गईं।
मैंने भाभी से कहा- इतने दिनों तक तड़पाने की क्या जरुरत थी..!
बोलीं- तुम्हें तो मैंने काफी सिग्नल दिए.. पर तुम तो कुछ समझते ही नहीं थे।
मैंने भाभी के मुँह में मुँह डाल दिया और फ्रेंच-किस करने लगा।

अब मेरा एक हाथ भाभी के खरबूजे पर और दूसरा हाथ उनकी चूत को ऊपर से ही सहला रहा था।

मेरा लंड सख्त हो गया था। बस मेरा मन कर रहा था अभी भाभी को जल्दी से चोद दूँ, पर मैंने अपने ऊपर कण्ट्रोल कर रखा था।
अब मैंने उनके कपड़े उतार दिए और भाभी को सिर्फ ब्रा और पैंटी में छोड़ा था। भाभी सिसकारियाँ ले रही थीं। मेरा एक हाथ अब भाभी की पैंटी में था और वो मेरा लंड मेरी पैन्ट के ऊपर से सहला रही थीं।
इतने में घर की घंटी बज उठी। भाभी ने जल्दी से कपड़े पहने और गेट खोला गेट पर रचना थी।

मुझे तो बहुत गुस्सा आ रहा था, और उसी समय मुझे KLPD का मतलब समझ में आया, जब इस तरह की कोई स्थिति आ जाए तब ‘खड़े लण्ड पर धोखा’ को ही KLPD कहते हैं।
खैर रचना भाभी अन्दर आ गईं उन्होंने मुझे देखा तो जरा अर्थ भरी मुस्कान बिखेरी, “और क्या हाल हैं तुम्हारे..! कोई गर्ल फ्रेंड बनी या अभी भी बाबा जी का ठुल्लू ही लिये घूम रहे हो हा हा हा …!”
मेरा भेजा सनक गया, पर तभी रिकिता भाभी भी हँसने लगीं, “नहीं रचना अब इसने एक बहुत हसीन सहेली बना ली है..!”
रचना- वाह रवि बताओ तो जरा वो कैसी लगती है ? तुमको चुम्मी-उम्मी करती है या नहीं.. !
तभी रितिका ने आगे बढ़ कर मुझे चूम लिया, “करती है चुम्मी… देखा.. ऐसे ही करती है न ?”
मुझे समझ आ गया था कि यह रितिका भाभी की ही चाल थी। वो मुझे बैठा कर रचना को बुलाने ही गई थीं।

बस फिर क्या था मैंने भी रितिका को अपनी बांहों में भर लिया और रचना के सामने ही भाभी की चूचियों को मसक दिया, “भाभी चुम्मी तो छोड़िये मैं तो उसके संतरे भी दबाता हूँ देखो ऐसे ..!”
रचना भी अब खुल कर आ गई उसने मेरा लवड़ा पकड़ लिया, “इसको चूसा है उसने या नहीं ..!”
बस अब सब कुछ खुल गया था फिर सब वही हुआ जो हर चुदाई में होता है मुझे एक की दरकार थी इधर दो-दो मेरे लण्ड की प्यासी मेरे सामने थीं। हचक कर चोदा-चुदाई हुई। उसके बाद लगातार मुझे रचना और रितिका की और चुदक्कड़ सहेलियाँ भी मिलने लगीं।
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