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प्रेषक : शशिकान्त वघेला
जब 14 फरवरी की सुबह हुई तो मैं बहुत खुश था क्योंकि उस दिन मेरे लण्ड को चूत चोदने को मिलने वाली थी। लण्ड भी अपने पूरे जोश में था।
जब मैं घर से निकला तो उसके लिए एक गुलाब का फूल और डेयरी मिल्क चॉकलेट ले गया।
जब मैं उसके घर पहुँचा तो वह तैयार ही थी। पर साड़ी जो मैंने ली थी वही उसे पहननी थी क्योंकि मैं उसे सुहागन के रूप में चोदना चाहता था।
उसने फटाफट साड़ी पहनी और हम वहाँ से निकल गए। वो साड़ी में बहुत खूबसूरत और सेक्सी लग रही थी। जी कर रहा था कि वहाँ ही उसे नंगी कर के चोद दूँ !
मेरी ससुराल गाँधी नगर में है वहाँ से पास ही में अच्छे होटल और गेस्ट हाउस हैं।
हम जल्दी ही एक होटल में गए और वहाँ चार घण्टे के लिए कमरा बुक करवाया।
जैसे ही हम अन्दर गए, मैंने उसे अपनी बाहों में ले लिया और उससे पूछा- सम्भोग करना है ना?
पहले तो वो बोली- नहीं !
क्योंकि दर्द होगा पर जैसे ही मैंने उसकी साड़ी का पल्लू हटाया तो उसका ब्लाऊज़ दिखने लगा। वहाँ से ही मुझे उसके गोल और नर्म स्तन उभरे हुए दिखने लगे।
मैंने स्तनों को ऊपर से ही मलना शुरु कर दिया और वो धीरे धीरे गर्म होने लगी।
उसने खुद ही मुझे कहा- ब्लाऊज़ उतार कर दबाओ ना !
मैंने उसका ब्लाऊज़ हटा दिया, अब वह सिर्फ ब्रा में ही थी। फिर मैंने उसकी पूरी साड़ी और पेटिकोट भी निकाल दिया तो तब वह सिर्फ ब्रा- पैंटी में रह गई थी, बहुत सेक्सी लग रही थी। इतनी सेक्सी की अगर कोई बूढ़ा भी देख ले तो उसे चोदने का मन करने लगे।
उस समय हमने एक कम्बल वहाँ पर था वह ओढ़ लिया। फिर मैंने उसकी ब्रा निकाल कर उसके स्तन आजाद कर दिए। जैसे ही मैंने उसकी ब्रा का हुक खोला, उसके स्तन स्प्रिंग की तरह बाहर निकले। वैसे मेरा लण्ड तो उसे चोदने ही आया था पर वो पहली बार चुदवा रही तो ज्यादा कोई परेशानी ना हो तो उसे थोड़ी गर्म करना जरूरी था, तो मैं उसके स्तनों को अपने मुँह से चूमने लगा और अपने हाथ उसकी योनि पर फेरने लगा।
उसे पता था कि मैं उसे चोदूँगा, उसके लिए वह अपने वस्ति-क्षेत्र के बाल हटा कर आई थी।
मैंने उंगली चूत में नहीं डाली क्योंकि मैं उसकी चूत चोद कर फाड़ना चाहता था। फिर मेरे हाथ पर कुछ चिकना चिकना प्रवाही चिपका तो मुझे मालूम पड़ गया कि वो उत्तेजित हो रही है, उसकी योनि गीली हो गई है और चुदवाने के लिए तैयार है पर में उसे और थोड़ा गर्म करना चाहता था।
फिर मैंने अपने सारे कपड़े उसे निकालने को बोला तो उसने मुझे पूरा नंगा कर दिया और मेरा सात इंच का लण्ड देखकर घबरा गई।
पर वो गर्म थी !
मैंने उसे लण्ड की मालिश करने को बोला। उसके हाथ ने जैसे ही मेरे लण्ड को छुआ, मेरा लण्ड और कड़क और लम्बा हो गया और पूरे शरीर में गर्मी फ़ैल गई।
फिर उसने उसे अपने मुँह में लेकर चाटना शुरु किया और बोली- तुम्हें यह पसंद है ना?
क्योंकि मैंने पहले कभी फ़ोन पर उसे सब बताया था।
फिर वो बोली- जान अब कुछ और भी करो ना !
मैंने कंडोम लिया और उसे बोला- मेरे लण्ड पर पहना दो इसे !
उसने फट से कंडोम पहना दिया मानो मुझसे पहले उसे जल्दी हो चुदाने की !
फिर मैंने उसे सीधी लिटाया और उसके पैर फ़ैलाकर अपना लण्ड उसकी चूत के मुँह के पास रख दिया, मुझे मालूम था कि लण्ड कहाँ डालना है पर मैंने जानबूझ कर थोड़ा नीचे रखा तो वो बोली- यहाँ नहीं थोड़ा ऊपर लाओ !
वो अक्षतयौवना थी तो उसकी योनि थोड़ी अन्दर और बहुत कसी हुई थी।
फिर उसने मेरे लण्ड को अपने हाथ से पकड़ कर अपने योनि-मुख पर रखा और मैं धीरे धीरे दबाव देने लगा।
शेष कहानी अगले भाग में !
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