पूजा के साथ वो चौबीस घंटे-2

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प्रेषक : आदित्य

कुछ देर रुकने के बाद मैंने फिर धीरे धीरे धक्के लगाने शुरू किये, थोड़ी देर बाद उसे भी मज़ा आने लगा और वो भी मेरा साथ देने लगी। मैं उसके चूचों को चूस रहा था और धक्के लगा रहा था, धक्के पे धक्के लगा रहा था, धक्के लगाते लगाते मैं पलट गया और वो मेरे ऊपर आ गई। अब मैं उसे नीचे से चोद रहा था और उसके चूचे मेरी छाती से रगड़ खा रहे थे और मैं उसको चूम रहा था।

वो सिस्कारियाँ ले रही थी- आह आह !! आ आआह फ़क मी !! सी सिआअह फ़क मी, आआह आह !!

करीब दस मिनट बाद ही वो अकड़ने लगी और चिल्लाने लगी- और तेज़ करो, और तेज़, आई लव यू सो मच, चोद दो मुझे, फाड़ दो चूत को !

इसके बाद वो झर गई। मुझमें अभी भी जोश बाकी था और मैंने धके और तेज कर दिए। करीब 15 मिनट बाद मैं और वो फिर से एक साथ झड़ गये।

मैं उसके ऊपर ही लेट गया, अपना लंड उसकी चूत में ही रहने दिया और उसके चूची मुँह में लेकर लेट गया।

फिर कुछ देर बाद पूजा गर्म हो गई और मेरा लंड सहलाने लगी जिससे मैं भी उत्तेजित हो गया। इस बार मैंने पूजा को घोड़ी बनने के लिए बोला, वो घोड़ी बन कर चुदने के लिए तैयार थी। मैंने अपना लंड पीछे से उसकी चूत में डाल दिया और धक्के लगाने लगा। वो भी चूतड़ हिला कर मेरा साथ दे रही थी, मेरा लंड उसके चूत को अंदर तक चोद रहा था, वो ‘आह आआह!! सी सिआह’ की आवाज़ निकाल कर मेरे जोश को और बढ़ा रही थी।

कुछ देर बाद वो झर गई और सुस्त पड़ गई। उस समय उसकी गांड क्या लग रही थी, मेरा मन उसका गांड मारने को करने लगा। मैंने उसे फिर से गर्म किया और इस बार मैं अपना लंड उसके चूत से निकालकर उसके गांड पर रख कर रगड़ने लगा। वो मना करने लगी कि बहुत दर्द होगा !

मेरे बहुत समझाने पर वो मानी, फिर मैं उसकी गांड में उंगली डाल कर जगह बनाने लगा, पास में ही क्रीम रखी थी, उसे भी उसकी गांड में लगा दिया और अपने लंड पे भी लगा ली।

अब मैं उसकी गांड मारने के लिए पूरी तरह से तैयार था। मुझे पता था कि बहुत दर्द होगा तो मैंने उसकी कमर को बहुत कस के पकड़ लिया जिससे वो छुड़ा न सके। फिर एक हाथ से उसकी चूची पकड़ी और अपना लंड धीरे धीरे से उसकी गांड में घुसने दिया।

मेरे लंड का टोपा उसकी गांड में जा चुका था, उसे दर्द हुआ पर वो छुड़ा न सकी। मैंने दूसरा धक्का लगाया, इस बार मेरा आधा लंड उसके गांड में जा चुका था, वो चिल्लाने लगी और लंड निकालने को कहने लगी पर मैंने उसकी एक ना सुनी क्यूंकि अगर अभी निकाल देता तो फिर वो कभी गांड मारने नहीं देती, मैं उसकी चूची दबाता रहा।

फिर मैंने उसके दर्द की परवाह किये बगैर एक और जोरदार धक्का लगाया, इस बार मेरा लंड पूरा का पूरा उसके गांड को फाड़ चुका था। उसने छुड़ाने की पूरी कोशिश की पर छुड़ा न सकी, वो रोने लगी और मुझसे छोड़ने के लिए बोलने लगी।

पर मैंने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया और उसकी गांड मारना चालू रखा और साथ ही उसका चूची भी दबा रहा था।

वो रो रही थी, चिल्ला रही थी और मैं गांड मार रहा था…

क्या मज़ा आ रहा था उसकी गांड मारने में !!

क्या आवाज़ें निकाल रही थी वो ! …आह आआह !! फक मी ..सी सिआह सी …निकाल लो प्लीज आ आह सिआअह।

धीरे धीरे वो भी साथ देने लगी थी, फिर मैंने उसका अलग अलग आसनों में गांड और फिर उसका चूत भी मारी.. इस बीच वो तीन बार झर चुकी थी।

अब वो पूरी तरह से थक चुकी थी और मुझसे अपना लंड निकालने की विनती करने लगी पर मेरा अभी भी नहीं हुआ था।

फिर मैं उसके ऊपर चढ़ गया और उसकी चूत मारने लगा, चूची तो चूस ही रहा था। करीब दस मिनट चोदने के बाद एक बार फिर से वो और मैं झर गए। हम लोग इतने थक गये थे कि नंगे ही सो गये और अगले दिन सुबह में 12 बजे उठे।

उसका चूत सूज कर फूल चुकी था और गांड भी दर्द कर रही थी। वो ठीक से चल भी नहीं पा रही थी, किसी तरह हम लोग साथ में नहाये और खाना खाया।

रात को उसे चेन्नई वापस जाना था तो मैंने शाम को एक बार फिर से उसकी चूत और थोड़ी सी गांड मारी।

रात को जब वो जाने के लिए तैयार हो चुकी थी तो क्या लग रही थी लाल चिनो और पीले टीशर्ट में !!

मैंने उसे अंतिम बार उसे अपनी चूची चुसवाने के लिए बोला तो उसने अपने हथों से टीशर्ट ऊपर करके कहा- लो चूस लो !

करीब 5 मिनट तक मैंने उसकी चूचियाँ चूसी और फिर उसे टैक्सी में बिठा कर स्टेशन ट्रेन में बिठा दिया। उसे अभी भी चलने में तकलीफ थी।

इस तरह वो वापस चली गई और छोड़ गई मेरे लिए उन हसीन चौबीस घंटों की यादें जिन्हें हम दोनों ने साथ बिताए।

मुझे मेल करके बताइए कि आपको मेरा अनुभव कैसा लगा।

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