मौसम की करवट-2

(Mausam Ki Karvat-2)

आप सबको एक बार फ़िर प्यार भरा प्रणाम!

मेरी कहानी आप सभी ने पढ़ी और मुझे मेल किया, मैं इसको आप सभी का प्यार समझता हूँ…

जैसे कि मैंने अपनी पहली कहानी में बताया था कि मेरी ज़िन्दगी में एक हादसा हुआ था।

कहानी के इस भाग में मैं उस हादसे का वर्णन करुँगा।

आप सभी से गुजारिश है कि अपना लिंग और योनि थाम लें क्योंकि मेरे साथ जो भी घटना घटी हो पर आप के लिये मजा तय है…

कहानी को आगे बढ़ाता हूँ…

मैंने बताया था कि प्रिया के रूप में अब मेरे पास कोई था अपना जो मुझे समझता था। मेरी और प्रिया की ज़िन्दगी बहुत मजे से कट रही थी। मैं और प्रिया बहुत खुल गये थे एक दूसरे के साथ।

जैसे जैसे दिन बीत रहे थे, वैसे हमारा प्यार और गहरा होता जा रहा था… हम अक्सर एक दूसरे से मिलने लग गये और हमारा यौन जीवन और निखरने लगा।

दो महीनों के बाद…

जनवरी का महीना खत्म होने जा रहा था। मैं अपनी प्रिया के घर गया। तभी एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना घटी। हमारे एक करीबी रिश्तेदार के यहाँ से किसी के गुजर जाने की खबर आई।
अब हमारे दोनों परिवार काफ़ी नजदीक हैं एक दूसरे के तो मेरे मम्मी-पापा और प्रिया के मम्मी-पापा साथ में वहाँ जाने निकल पड़े। अब बात यह थी कि प्रिया का भाई अपने कालेज के टूअर पर गया हुआ था।

तो बचा कौन?… मैं… मैं रुक गया प्रिया के घर।

अब प्रिया और मैं दो-तीन दिन साथ बिताने वाले थे। लेकिन एक बड़ी समस्या थी प्रिया की बहन रिया… बड़ी समस्या इसलिये थी क्योंकि रिया मुझसे उम्र में दो साल बड़ी थी।

और अगर आपकी होने वाली साली आप से बड़ी हो तो थोड़ा सम्भल कर रहना पड़ता है।

वहाँ रहते हुये वो मेरा पहला दिन था।
रिया थोड़ी उदास थी, पता नहीं क्यों… लेकिन मुझे तो प्रिया से काम था।

मैं और प्रिया एक दूसरे में खोये हुये थे…
लेकिन हम दोनों को मन चाहा एकान्त नहीं मिल रहा था रिया के होते हुये… वो हमें अकेला नहीं छोड़ रही थी।
शायद उसे हम दोनों के एकान्त वास की क्रीड़ाओं का पता चल गया था या फ़िर उसको शक था।
पर हम दोनों को चैन कहाँ।

जैसे रिया मार्केट गई सामान लेने, हमने हमारा काम चालू कर दिया।

वो आकर मेरी गोद में बैठ गई और मुझे चूमने लगी। उसके ओंठों का स्पर्श मुझे पागल बना रहा था।
मैं भी अपने पूरे जोश में आ गया।
मेरा लिंग खड़ा होकर उसको उकसाने का काम कर रहा था…
मैंने उसके ऊपर के सारे कपड़े उतार दिये… उसकी चूचियाँ मेरे हाथों में थी।

मैं निरंतर उसकी चूचियों को दबा रहा था और उसके लबों का रस पी रहा था। अब उसका हाथ मेरे लिंग पर आ गया और वो मेरे शॉर्टस के ऊपर से ही मेरे लिंग को दबाने लगी।

मैं कुछ आगे बढ़ पाता, इतने में रिया आ गई। प्रिया ने जल्दी से अपने कपड़े ठीक किये और वो रिया के पास चली गई। मुझे और प्रिया को डर लगने लगा था कि कहीं रिया ने हमें देख तो नहीं लिया??

लेकिन प्यार किया तो डरना क्या!!

हमारी सारी रासलीला बेडरूम में चल रही थी। रिया के आने के बाद हम सब हाल में आ गये। रिया तो सुबह से चुप थी लेकिन तब उसने मुझसे बात कर अपनी चुप्पी तोड़ी…

वो बोली- क्या हुआ? थके हुये लग रहे हो।

अब मैं क्या बोलता कि मैं क्यों थका हुआ लग रहा था…असल में डरा हुआ था…

मैं बोला- कुछ नहीं, बस थोड़ी नींद आ रही है…कल ठीक से सोया नहीं था ना इसलिये…।

रिया- हाँ यार, नींद तो मुझे भी बहुत आ रही है… मैं आभी खाना बनाती हूँ, फ़िर सोते हैं… ठीक है ना प्रिया…

प्रिया भी बहुत डरी हुइ थी… उसने डर पर काबू किया और बोली- ठीक है दीदी… मैं आपकी मदद करती हूँ।

थोड़ी और बातों के बाद मुझे लगा कि रिया ने कुछ नहीं देखा था… तो मैंने राहत की सांस ली।

उस समय आठ बज रहे थे। रिया और प्रिया खाना बनाने रसोईघर में गई, मैं टीवी देखने लगा।

नौ के आस पास हम लोगों ने खाना खाया और साथ में टीवी देखने लगे। अब माहौल थोड़ा ठीक था… हम सब मजेदार बातें कर रहे थे, अपने अपने किस्से सुना रहे थे। देखते देखते ग्यारह कब बज गये पता नहीं चला।

रिया बोली- अब हमें सोना चाहिये… मैं बिस्तर लगाती हूँ…

रिया ने बिस्तर लगाए… मुझे तब उस पर गुस्सा आ रहा था… उसने मुझे दूसरे कमरे में सोने के लिये कहा।

और खुद प्रिया के साथ एक कमरे में चली गई… मैं निराश था कि इतना अच्छा हाथ से मौका चला गया था प्रिया के साथ सोने का…

अपनी किस्मत को कोसते हुये मैं सो गया।

नींद तो मानो उड़ चुकी थी रिया की वजह से… मुझसे रहा नहीं गया और मैं उठ कर प्रिया के कमरे में चला गया।

कमरे में अंधेरा था… रात घनी थी… दो बजे का समय था… अब मुझ पर सिर्फ़ नशा था प्रिया का… या फ़िर प्यार का…!!!

मैंने जैसे तैसे प्रिया को खोज लिया और उसका हाथ अपने हाथों में ले लिया… वो समझ गई और बोली- दीदी जाग सकती हैं, आप आपके कमरे में जाओ, मैं आती हूँ वहाँ!

मैं बोला- ठीक है, प्लीज़ जल्दी आना…

और मैं चला आया।

पाँच मिनट बाद प्रिया मेरे कमरे में आ गई… मैंने उसे अपनी बाहों में भर लिया… और हम प्यार में मदहोश हो गये।

मेरे कमरे की लाईट जल रही थी वो मैंने बंद कर दी… अब हम खो गये एक दूसरे में… हम दोनों ने एक दूसरे के कपड़े उतार दिये। और एक दूसरे के साथ आलिंगनबद्ध हो गये।

मैंने प्रिया को बेड पर लेटा दिया और खुद उसके ऊपर आ गया। मैंने उसके होठों को अपने होठों से और उसने मेरी कमर को अपनी टांगों से जकड़ लिया… मेरा लिंग उसकी योनि को छूने लगा…
मेरे हाथों ने उसके स्तनों को अपने आगोश में ले लिया… अब मैंने अपना एक हाथ उसकी योनि पर रख दिया और अपनी उंगलियों का जादू दिखाने लगा।

वो सिसकारियाँ लेने लगी… उसकी गर्म सांसें मेरी सांसों से मिल कर एक उत्तेजित संगीत बना रही थी जो मेरे जोश को और बढ़ाने लगा…

अब वक्त आ गया था… मैंने अपना लिंग सेट किया और जन्नत के द्वार में प्रवेश कर गया…

मेरा लिंग काफ़ी तन गया था…लिंग अपने पूरे आकार में आ चुका था… प्रिया को जो मजा आ रहा था वो उसकीआहों में साफ़ झलक रहा था।

अब हमने अपनी पोजीशन बदल ली… वो मेरे ऊपर आ गई।

उसने मेरे लिंग को धीरे से अपनी योनि से निकाला और अपने हाथ में लेकर बोली- जानू… आज तो आप बहुत मूड में लग रहे हो… ये कितना टाईट हो गया है।

मैं बोला- सब तुम्हारे हुस्न का कमाल है… तुम आज किसी अप्सरा से कम नहीं लग रही…

शायद मेरी तरफ़ से की गई तारीफ़ उसकी बढ़ी उत्तेजना का कारण बनी और वो मुझे चूमने लगी…

धीरे धीरे वो अपने लबों को मेरे सर से लेकर मेरे होंठो से होते हुये मेरे गले को चूमने लगी… फ़िर मेरी छाती पर अपने दांत जोर से गड़ा दिये… फ़िर धीरे धीरे नीचे की ओर बढ़ने लगी।

और आखिर में मेरे लिंग पर अपने होंठों को रोक लिया… फ़िर मेरे लिंग को अपने मुख में ले लिया… और मेरे लिंग को चूसने लगी…

मैं तो बस मजे ले रहा था… फ़िर उसने मेरे लिंग को अपने मुख से निकाल लिया और ऊपर आ गई और अपने हाथों से उसे अपनी योनि में डाल लिया… मेरे हाथों को अपने स्तनों पे रख कर खुद अपनी कमर चलाने लगी।

फ़िर हम दोनों ने साथ में चरमआनन्द प्राप्त कर लिआ और वो मेरे ऊपर ही लेट गई।

थोड़ी देर बाद फ़िर हम एक दूसरे के आलिंगन में थे… ऐसा लग रहा था अब यह प्रणय लीला चलती ही रहेगी… और चली भी!

हमने आगे बहुत देर तक जन्नत की सैर की…

अब इतनी मेहनत करने के बाद हम दोनों कब एक दूसरे की बाहों में नींद के आगोश में चले गये पता ही नहीं चला।

सुबह हुई और मेरे ऊपर कहर टूट पड़ा।

मैं सो रहा था तभी मुझे प्रिया ने उठाया… मैं उठा और देखा तो रिया मेरे कमरे में थी, मुझे और प्रिया को नग्न अवस्था में साथ में देख वो गुस्से से लाल हो गई थी।

हम तो शर्म के मारे और डर के मारे कुछ बोल भी नहीं पा रहे थे।

तभी रिया हमारी तरफ़ बढ़ी। बस वो प्रिया को एक थप्पड़ लगाने ही वाली थी कि मैंने उसका हाथ पकड़ लिया।

रिया ने अपना हाथ छुड़ाया और बोली- तुम दोनों को शर्म नहीं आई ऐसी घटिया हरकत करते हुये… विकास, मुझे तुमसे यह उम्मीद नहीं थी।

मैंने अपनी नजरें झुका ली…रिया आगे बोलती रही…

“प्रिया तू तो गई काम से… आने दे मम्मी-पापा को! सब बता कर तेरा क्या हाल करवाती हूँ, तू देख लेना…”

प्रिया रोने लगी, लेकिन रोते हुये भी उसने मेरी बाहों में खुद को छुपा लिया…

रिया फ़िर से चिल्लाई- हद है इस लड़की की बेशर्मी की… मेरे सामने तो शर्म कर ले थोड़ी सी…

रिया कमरे से बाहर चली गई…

मैंने प्रिया को सम्भाला और उसे कपड़े पहनाये… खुद भी कपड़े पहन लिए और बाहर आ गया…

रिया के पास आकर बात करने की कोशिश करने लगा… रिया बहुत भड़की हुई थी… वो बस मुझे डाँटे जा रही थी…

मैंने उसे समझाने की कोशिश की कि प्रिया और मैं एक दूसरे से बहुत प्यार करते हैं… लेकिन वो नहीं मानी…

मैं उसके पास बैठ गया उसे समझाने के लिए… उसने मुझे धक्का दे दिया फ़िर एक थप्पड़ लगा दिया… मैं अपने गाल पर हाथ रख कर उसे देखता रह गया।

फ़िर मैं उठा और अपनी बाईक लेकर अपने घर की ओर निकल पड़ा… अब वहाँ रुकता भी तो किस मुँह से!

कहानी जारी रहेगी।
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