खेत में मिली कमसिन लड़की की चूत का उद्घाटन

(Desi Porn Girl Sex Kahani)

यह देसी पोर्न गर्ल सेक्स कहानी मुझे अपने खेतों के पास में मिली कमसिन लड़की की सील पैक चुत की चुदाई की है. वो मुझे देख कर मुस्कुरा रही थी.

नमस्कार दोस्तो, मैं आपका दोस्त माधव आपके बीच अपनी सच्ची घटना बयान कर रहा हूं.

लोग प्यार से मुझे मैडी बुलाते हैं, मैं मिर्ज़ापुर के पास एक गांव में रहता हूँ. मेरे घर पर बस मैं और मम्मी पापा रहते हैं.

मैं अपने बारे में बता दूं कि मैं एक सामान्य सा दिखने वाला लड़का हूँ.
मेरी हाइट 5 फुट 4 इंच है और नार्मल सा दिखने वाला युवक हूँ. मेरा लंड भी सामान्य ही है.

मैं पास के ही कॉलेज में बीएससी का छात्र हूँ. मैं अक्सर अन्तर्वासना पर कहानियां पढ़ता था तो सोचा आज अपनी भी सच्ची कहानी लिखूं.

एक बार की बात है, मैं अपने खेतों की तरफ टहलने गया था और काफी देर वहीं बैठ कर मोबाइल पर गेम खेलता रहा.
अंधेरा हो चला तो मैंने सोचा कि अब घर चला जाए.

लौटते समय मैंने देखा कि एक जवान लड़की जा रही है.
उसकी उम्र करीब 20 साल रही होगी.
वो अक्सर हमारे खेतों के पास वाले खेतों में काम करने आती थी.

अब वो भी घर लौट रही थी.

जब मैंने गौर किया तो पाया कि वो बार बार मुझे देख कर मुस्कुरा रही थी.
ये देख कर मैंने भी थोड़ा स्माइल कर दिया.

मुझे लगा कि वो मुझसे बात करना चाहती है हालांकि मैं कुछ नहीं बोला, बस यूं ही चलता रहा.

अब मेरे दिमाग में कुछ कीड़ा सा चलने लगा था.
मैं उसकी तरफ छिपी नजरों से देख कर उसके बारे में सोचने लगा.

उसका रंग तो सांवला था मगर फिगर बहुत जबरदस्त था. उसकी चूचियां बहुत ही मस्त दिख रही थीं.
तभी वो मेरे थोड़ा बगल में चलने लगी.
मैंने कुछ नहीं कहा.
हम दोनों चलते रहे.

उसने एक दो बार खांस कर कुछ कहने की कोशिश भी की मगर मैंने कुछ नहीं कहा.

दरअसल मेरी गांड फट रही थी कि कोई देख न ले.
वो लड़की और मेरी जात अलग अलग थी.
गांवों में जात पात का बड़ा मसला रहता है.

फिर मैं सोचने लगा कि जात से क्या लेना देना है, यदि ये चुदने को राजी हो गई … तो बस मजा लेकर आगे बढ़ जाऊंगा.
वैसे भी लंड चुत की कोई जात तो होती नहीं है.

उसकी चुदाई की बात दिमाग में आते ही मैंने फिर से उसकी तरफ देखा.
इस बार मुझे उसकी चूचियां और ज्यादा मस्त लगीं.
मैं जानबूझ कर कुछ पीछे को हुआ और उसकी गांड को देखने लगा.

उसकी ठुमकती हुई गांड मेरे लंड में सनसनी पैदा करने लगी थी.
हालांकि उसने भी मुझे एक बार उसके जिस्म को ताड़ते हुए देखा और हल्की सी मुस्कुरा दी.

मैंने भी अपनी नजरें हटा लीं और उस दिन मैं यही सब सोचते हुए घर आ गया.
उस दिन ना ही उसने कुछ कहा और न ही मैं कुछ बोला.

अगले दिन फिर वो मुझे मिली और किस्मत से उस दिन खेतों की तरफ ठंड होने की वजह से सन्नाटा ही था.

वो फिर से मेरे बगल में चलते चलते मुस्कुराने लगी.
आज मैंने हिम्मत करके उसका नाम पूछा तो उसने अपना नाम किरण (परिवर्तित नाम) बताया.

मैंने कहा- इधर कैसे?
उसने बताया कि वो यहां रोज़ आती है क्योंकि उसके पापा ने यहां हमारे गांव के कुछ लोगों के खेत बुवाई के लिए ले रखे हैं.

मैंने पूछा- तुम भी खेत में काम करती हो?
वो बोली- हां, पापा के साथ थोड़ा बहुत काम कर लेती हूँ.

मैंने पूछा- और पढ़ना लिखना?
वो हंस दी और बोली- हम लोग गरीब हैं पढ़ाई लिखाई के लिए न तो पैसा है और न ही मेरे परिवार में कोई पढ़ने गया है.

मैंने कहा- पढ़ना तो बहुत जरूरी होता है.
वो कुछ नहीं बोली.

फिर धीरे से बोली- आप मुझे पढ़ा देना.
मैंने कहा- क्या पढ़ा देना?
वो हंस कर बोली- सब कुछ.

मैंने भी हंस कर कहा- पढ़ने की फीस लगेगी.
वो इठला कर बोली- फीस तो नहीं है. कुछ और ले लेना.

मैंने उसके दूध देखे और कहा- क्या दे सकती हो?
वो मेरी आंखों को ताड़ कर बोली- क्या लेना चाहोगे?

मैंने कहा- बाद में बता दूंगा.
वो बोली- आप जो भी लेना चाहो, वो मैं तभी दे सकूंगी, जब मेरे वश में होगा.

मैंने उसके चूचे फिर से देखे और कहा- हां मैं वही लेना चाहूँगा, जो तुम दे पाओ.
वो समझ गई कि मैं क्या कह रहा हूँ.

वह हंस दी और बोली- तो कब से पढ़ाना चालू करोगे आप?
मैंने कहा- मेरे खेत में एक कमरा बना है, तुम उधर आ जाया करो. सब पढ़ा दूँगा.
वो बोली- कल से आ जाऊंगी.

मैंने हंस कर कहा- हां, बस जरा नजर बचा कर आना. ज़माना खराब है.
वो भी समझ गई और बोली- हां, जमाना खराब तो है. मैं आपकी बात को याद रखूंगी.

अगले दिन से वो शाम को मेरे खेत वाले कमरे पर आने लगी.
मैं भी उसे उसका नाम लिखना सिखाने लगा.

वो झुक कर पेन से लिखती, तब उसकी चूचियों पर मेरी नजरें गड़ी रहतीं.
वो भी बीच बीच में अपनी नजरें उठा कर मेरी आंखों को पढ़ लेती.

इस तरह हर रोज़ हमारी थोड़ी थोड़ी बात होने लगी.
हम दोनों हंसी मजाक भी करने लगे.

हमारे बीच कुछ जुड़ाव सा हो गया था.
वो मेरे साथ मोबाइल में देखने की कोशिश करती, तब वो मुझसे कुछ रगड़ सी जाती थी.

मैं उसे देखता तो वो मुझसे दूर को हो जाती.

एक दिन मैं अपने खेत में बने रूम में बैठा मूवी देख रहा था.
तभी देखा किरण वहां आई.
वो पानी लेने आयी थी.

मैंने कहा- अरे आज अभी से?
वो मुझे देख कर वो मुस्कुराई और बोली- अभी तो पानी लेने आई हूँ.
ये कह कर पानी लेकर जाने लगी.

मैंने धीमी आवाज में कहा- और पानी निकलवाने कब आओगी?
वो बोली- क्या … क्या कहा?

मैंने कहा- बड़े तेज कान हैं तुम्हारे!
वो हंस दी और बोली- आपने कुछ कहा था न?

मैंने कहा- हां कहा तो था मगर तुमने सुना ही नहीं.
वो मेरी तरफ सवालिया नजरों से देखने लगी.

मैंने उसको कुछ देर बैठने के लिए बोला. वो चुपचाप जमीन पर बैठ गयी.
पता नहीं क्यों, मुझे लगा आज मैं इसके साथ कुछ कर न दूं.

मैंने बाहर जाकर देखा तो दूर दूर तक लोग नज़र नहीं आ रहे थे क्योंकि ठंड की वजह से लोग घर जल्दी चले जाते थे.
तो मैंने किरण को खाट पर बैठने को बोला.

किरण वहां रखी खाट पर बैठ गयी.
मैं भी उसके पास बैठ गया.

मैंने मोबाइल में फिल्म चालू की और उससे कहा- फिल्म देखोगी?
वो बोली- हां.

मैंने कहा- कैसी वाली फिल्म देखना चाहोगी?
वो बोली- मतलब?

मैंने कहा- अरे मेरा मतलब मारधाड़ वाली या प्यार मुहब्बत वाली?
वो हंस कर बोली- प्यार मुहब्बत वाली.

मैंने कहा- प्यार मुहब्बत वाली फिल्म अच्छी लगती है?
वो हंस दी.

मैंने अचानक से उसका हाथ अपने हाथ में पकड़ लिया तो वो मुस्कुराने लगी.

मैं समझ गया कि अब ये पट जाएगी.

मैंने उससे बोला कि मैं तुमको पसन्द करने लगा हूं.
तो उसने भी तुरंत बोला- मैं भी बहुत दिन से आपको पसंद करती हूं.

इतना सुनते ही मैंने दरवाज़ा बन्द किया और वापस आकर किरण के होंठों को चूम लिया.
वो भी मेरा साथ देने लगी और हम दोनों लिपलॉक करने लगे.

हम दोनों एक दूसरे से इतनी कसकर लिपट गए थे कि हमारे बीच से हवा भी नहीं निकल सकती थी.
मैंने उससे कहा- किरण, मैं न जाने कबसे तुम्हें प्यार करना चाहता था.

वो भी मेरी पीठ पर अपने हाथ फेरती हुई बोली- कुछ मत कहो … बस आज मेरी प्यास बुझा दो. मुझे न जाने कबसे आपके साथ की जरूरत थी.
हम दोनों जल्द ही एक दूसरे के मुँह में जीभ में लड़ने लगीं.

मैं उसकी चूचियों को दबाने लगा.
वो आह आह करने लगी.

मैंने कहा- कपड़े उतार दो.
वो बोली- तुमको जो करना हो, कर लो.

उसने सलवार सूट पहना हुआ था; मैंने जल्दी से उसके कपड़े उतारे.
उसने अन्दर काले रंग की ब्रा पैंटी पहनी थी.

उसे इस रूप में देख कर मैं पागल हो गया.
मैं उसे वासना भरी नजरों से देखने लगा.
वो शर्मा गई और अपने जिस्म को अपने हाथों से छिपाने लगी.

मैंने उसे मसलना शुरू कर दिया और उसके कान में कहा- मेरे कपड़े भी उतार दो.
उसने मेरी शर्ट उतार दी.

मैंने खाट खड़ी करके गद्दों को नीचे ही लगा दिया और उसकी ब्रा खोली.

उसकी 34 की बड़ी बड़ी चूचियां बहुत अच्छी लग रही थीं.
उसकी बायीं चूची पर तिल भी था.

मैंने उसे नीचे गिराया और उन दोनों चूचियों पर टूट पड़ा.
वो भी जोर जोर से सिसकारी ले रही थी.

मैंने अपनी पैंट भी उतार कर फेंक दी और अंडरवियर में आ गया.
खूब देर चूचियां पीने और दबाने के बाद मैंने उसकी पैंटी भी उतार फेंकी.

अब वो देसी पोर्न गर्ल बिना बालों वाली चूत लिए मेरे सामने नंगी लेटी थी.
मैंने उसकी चूत पर मुँह लगा दिया.

वो एकदम कसमसाने लगी और ‘उंह याम …’ जैसी आवाजें निकालने लगी.
मैंने अपनी अंडरवियर भी उतार दी.
अब हम दोनों नंगे थे.

मैंने उससे अपना लंड चूसने को बोला तो वो तुरंत उसे अपने मुँह में लेकर चूसने लगी.
उसके लंड चूसने के तरीके से लग रहा था कि उसने पहले कभी लंड नहीं चूसा था.

उसे शुरू शुरू में कुछ घिन सी भी आ रही थी मगर वो मेरे साथ कुछ भी कर गुजरने की सोच से लंड चूस रही थी.
हालांकि कुछ देर बाद उसे लंड चूसने में मजा आने लगा था.

इधर उत्तेजना में मैं भी बहुत जल्दी बह गया और उसी के मुँह में लंड अड़ा कर झड़ा था तो उसने भी मजबूरी में मेरा पूरा माल पी लिया था.
अब मैं फिर से उसके साथ खेलने लगा.

उसने मुझसे कहा- राजा, अब मत तड़पाओ और मुझे चोद दो, घर भी जाना है.

मैंने भी समय की नजाकत को समझते हुए अपना लंड उसकी चूत के मुँह पर रखा और जोर का धक्का मारा.

पहली बार में लंड फिसल गया.
दुबारा कोशिश करने पर लंड आधा अन्दर घुस गया और उसकी जोर से चीख निकल गयी.

वो मुझसे लंड बाहर निकालने को बोलने लगी मगर मैंने लंड नहीं निकाला.

थोड़ी देर बाद जब फिर से अन्दर डाला तो लंड पूरा घुस गया.
उसकी फिर से चीख निकल गयी, शायद उसका पहली बार था.

थोड़ी देर बाद उसे मज़ा आने लगा और वो गांड उचका उचका कर मेरा साथ देने लगी.
कुछ 7-8 मिनट चुदाई के बाद वो झड़ गयी और मेरा भी निकलने वाला था.

उस देसी पोर्न गर्ल ने बोला कि मेरे मुँह में झड़ जाना.
मैंने पूरा माल उसके चेहरे पर गिरा दिया.
उसकी चूत पर खून भी लगा था जिसे मैंने साफ किया.

उसने धीमे से कहा- मुझे चलना चाहिए.
मग़र मैंने उसे लिटा कर एक बार फिर चूचियां पी और किस किया.

मैं बोला- मुझे गांड भी मारनी है.
मग़र उसने ये बोल कर मना कर दिया- अभी बहुत देर हो गई है. अगली बार मार लेना.

फिर बाहर आ कर हमने मुँह हाथ धोया और जोरदार चुम्मा लेकर उसे विदा किया.

उसके बाद मैंने उसकी गांड कैसे मारी, ये अगली सेक्स कहानी में लिखूंगा.

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